अध्याय 4: वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद (Forest Society and Colonialism)

परिचय

जंगलों ने दुनिया के अधिकांश हिस्सों को कवर किया है। 1700 से 1995 के बीच, विश्व के कुल भूमि क्षेत्र का 9.3% (लगभग 139 मिलियन वर्ग किमी) उद्योग, कृषि, ईंधन और आवास के लिए साफ कर दिया गया था।

औद्योगीकरण के युग के साथ, वनोपज की आवश्यकता बढ़ गई। 1700 से 1995 के बीच, $139$ मिलियन वर्ग किलोमीटर वन भूमि को कृषि, उद्योगों, चरागाहों और जलाऊ लकड़ी के लिए साफ कर दिया गया। भारत में, वनों की कटाई की प्रक्रिया ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान तेज हुई।

4.1 वनों का विनाश क्यों? (Why Deforestation?)

वनों के विनाश के कई कारण थे, जिनमें से अधिकांश उपनिवेशवाद से संबंधित थे:

4.2 वाणिज्यिक वानिकी का उदय (The Rise of Commercial Forestry)

19वीं शताब्दी तक, यूरोपीय लोगों को यह महसूस होने लगा कि अनियंत्रित वनों की कटाई से मूल्यवान वन समाप्त हो सकते हैं। इसलिए, **वैज्ञानिक वानिकी (Scientific Forestry)** की शुरुआत की गई।

4.3 वन कानूनों का लोगों पर प्रभाव (How were the Lives of People Affected?)

वन कानूनों ने भारत के वन समुदायों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला। उनके पारंपरिक अधिकारों और प्रथाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

वन कानूनों ने स्थानीय समुदायों को उनके पारंपरिक आजीविका स्रोतों से वंचित कर दिया, जिससे उनके जीवन में कठिनाई हुई और विरोध प्रदर्शन हुए।

4.4 वन विद्रोह (Forest Rebellions)

भारत और जावा में कई वन समुदाय औपनिवेशिक वन कानूनों के खिलाफ उठ खड़े हुए।

बस्तर का विद्रोह (The Rebellion in Bastar):

4.5 जावा में वन परिवर्तन (Forest Transformations in Java)

जावा (अब इंडोनेशिया का एक हिस्सा) वह स्थान है जहाँ डच ने अपनी उपनिवेशवादी नीतियों को लागू किया।

आज के समय में वानिकी (Forestry in the Present)

1980 के दशक से, सरकार ने वन समुदायों को वनों के संरक्षण में शामिल करना शुरू कर दिया है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. भारत में पहला महानिरीक्षक वन कौन था?

    डाइटिच ब्रांडिस (Dietrich Brandis)।

  2. भारतीय वन अधिनियम कब अधिनियमित किया गया था?

    1865 में।

  3. स्थानांतरी खेती के अन्य नाम क्या हैं?

    झूम खेती या कर्तन एवं दहन (slash-and-burn) खेती।

  4. बस्तर वर्तमान में किस राज्य में स्थित है?

    छत्तीसगढ़।

  5. बस्तर के विद्रोह का नेतृत्व किसने किया था?

    गुंडा धूर (Gunda Dhur)।

  6. जावा में डच उपनिवेश के तहत कौन सा वन समुदाय प्रसिद्ध था?

    कालांग (Kalangs)।

  7. डच द्वारा जावा में शुरू की गई प्रणाली का नाम क्या था, जिसमें गाँव के लोगों को मुफ्त में काम करना पड़ता था?

    बेडुंग सिस्टम (Bedundung System)।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।

  1. औपनिवेशिक शासन के दौरान वनों के विनाश के दो प्रमुख कारण क्या थे?

    औपनिवेशिक शासन के दौरान वनों के विनाश के प्रमुख कारणों में कृषि भूमि में वृद्धि की मांग और रेलवे के विस्तार के लिए लकड़ी के स्लीपरों की बढ़ती आवश्यकता शामिल थी। ब्रिटिशों ने अधिक खाद्य और नकदी फसलों के लिए जंगलों को साफ किया, और विशाल रेलवे नेटवर्क बिछाने के लिए लाखों पेड़ों को काटा गया।

  2. वैज्ञानिक वानिकी क्या थी और इसे क्यों शुरू किया गया था?

    वैज्ञानिक वानिकी एक प्रणाली थी जिसमें प्राकृतिक वनों को काट दिया जाता था और उनकी जगह एक ही प्रकार के पेड़ (जैसे सागौन या साल) लगाए जाते थे, जिन्हें पंक्तिबद्ध तरीके से व्यवस्थित किया जाता था। इसे इसलिए शुरू किया गया था ताकि वनों का "प्रबंधन" किया जा सके और लकड़ी जैसे मूल्यवान संसाधनों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके, क्योंकि यूरोपीय लोगों को डर था कि अनियंत्रित कटाई से वन समाप्त हो जाएंगे।

  3. वन कानूनों ने स्थानांतरी खेती करने वालों के जीवन को कैसे प्रभावित किया?

    वन कानूनों ने स्थानांतरी खेती (झूम खेती) को प्रतिबंधित कर दिया, जिससे वन समुदायों की पारंपरिक आजीविका छीन गई। सरकार ने इसे वन भूमि के लिए हानिकारक माना और कर लगाने में कठिनाई के कारण इस पर प्रतिबंध लगाया। इस प्रतिबंध ने इन समुदायों को अपनी जीवनशैली बदलने और नए तरीकों से अपनी आजीविका कमाने के लिए मजबूर किया, जिससे अक्सर गरीबी और विस्थापन हुआ।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. भारतीय वन अधिनियम, 1878 के प्रमुख प्रावधानों का वर्णन करें और इसका वन समुदायों पर क्या प्रभाव पड़ा।

    भारतीय वन अधिनियम, 1878, एक महत्वपूर्ण कानून था जिसे ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार ने वनों पर अपना नियंत्रण स्थापित करने और वाणिज्यिक वानिकी को बढ़ावा देने के लिए अधिनियमित किया था। इस अधिनियम ने वनों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया: **आरक्षित वन (Reserved Forests)**, जो सबसे मूल्यवान थे और जहाँ ग्रामीणों के प्रवेश पर सख्त प्रतिबंध थे; **संरक्षित वन (Protected Forests)**, जहाँ कुछ अधिकारों की अनुमति थी लेकिन सख्त नियमों के अधीन; और **ग्राम वन (Village Forests)**, जो ग्रामीणों के उपयोग के लिए थे लेकिन उन पर भी प्रतिबंध लागू थे। इस वर्गीकरण का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के लिए मूल्यवान लकड़ी (जैसे सागौन और साल) की अबाध आपूर्ति सुनिश्चित करना और स्थानीय लोगों के पारंपरिक अधिकारों को सीमित करना था।

    इस अधिनियम का वन समुदायों पर गहरा और विनाशकारी प्रभाव पड़ा। उनकी पारंपरिक प्रथाओं जैसे स्थानांतरी खेती, शिकार, जंगल से लकड़ी इकट्ठा करने और पशु चराने पर प्रतिबंध लगा दिया गया या उन्हें बहुत सीमित कर दिया गया। जो लोग इन कानूनों का उल्लंघन करते थे, उन्हें दंडित किया जाता था। इस अधिनियम ने वन dwellers की आजीविका के पारंपरिक तरीकों को नष्ट कर दिया, उन्हें गरीबी में धकेल दिया, और उन्हें अपने ही जंगल में "अपराधी" बना दिया। इसने वन समुदायों में व्यापक असंतोष पैदा किया, जिससे बाद में बस्तर जैसे कई बड़े वन विद्रोह हुए, जो औपनिवेशिक वन नीतियों के खिलाफ प्रतिरोध का एक बड़ा उदाहरण था।

  2. बस्तर के विद्रोह के कारणों और परिणामों की व्याख्या करें।

    बस्तर का विद्रोह 1910 में हुआ, जो वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित है, और ब्रिटिश औपनिवेशिक वन नीतियों के खिलाफ एक प्रमुख प्रतिरोध आंदोलन था। विद्रोह का मुख्य कारण 1905 में ब्रिटिश सरकार द्वारा आरक्षित वन क्षेत्रों को विस्तारित करने का प्रस्ताव था। इस प्रस्ताव का अर्थ था कि वनवासियों की जंगल तक पहुंच और भी सीमित हो जाएगी, जिससे वे अपनी आजीविका के लिए आवश्यक संसाधनों से वंचित हो जाएंगे। यह निर्णय उस समय आया जब क्षेत्र में सूखे की स्थिति थी, जिससे लोगों की जंगल पर निर्भरता और भी बढ़ गई थी। इसके अतिरिक्त, ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा लगाए गए कर और वन उत्पादों की बिक्री पर एकाधिकार ने भी लोगों में गहरा असंतोष पैदा किया। **गुंडा धूर**, नेतानार गाँव के एक प्रभावशाली व्यक्ति, ने इस विद्रोह में एक केंद्रीय भूमिका निभाई।

    विद्रोह 1910 में शुरू हुआ, जिसमें स्थानीय लोगों ने बाजारों को लूटा, अधिकारियों और व्यापारियों के घरों को जलाया, और वन कानूनों का उल्लंघन किया। विद्रोहियों ने पारंपरिक रूप से एकजुट होने के लिए आम और मिर्च का उपयोग किया, जिससे यह संदेश पूरे क्षेत्र में फैला। ब्रिटिश सरकार ने विद्रोह को दबाने के लिए सैनिकों को भेजा, जिसके परिणामस्वरूप संघर्ष हुआ और कई विद्रोही मारे गए। हालांकि विद्रोह को अंततः दबा दिया गया, और गुंडा धूर जैसे नेता भाग गए या पकड़े गए, इसने ब्रिटिश सरकार को अपनी वन नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया। विद्रोह के परिणामस्वरूप, आरक्षित वन का क्षेत्र कम कर दिया गया और ग्रामीणों को वन उपयोग के लिए कुछ रियायतें दी गईं। इस विद्रोह ने दिखाया कि कैसे औपनिवेशिक नीतियाँ स्थानीय समुदायों को प्रभावित कर सकती हैं और कैसे वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर सकते हैं।

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