अध्याय 2: यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति (Socialism in Europe and the Russian Revolution)

परिचय

फ्रांसीसी क्रांति ने समाज में **परिवर्तन की संभावना** के द्वार खोल दिए। यूरोप में, फ्रांसीसी क्रांति के बाद, व्यक्तिगत अधिकारों और समाज में समानता के विचारों पर गहन बहस शुरू हुई। लोग समाज के पुनर्गठन के विभिन्न तरीकों पर चर्चा करने लगे।

2.1 सामाजिक परिवर्तन का युग (The Age of Social Change)

18वीं सदी के अंत तक यूरोप में समाज आमतौर पर तीन एस्टेट्स में बंटा हुआ था: पादरी, कुलीन और तीसरा एस्टेट। फ्रांसीसी क्रांति ने इस संरचना को चुनौती दी, और कई लोग अब समाज में बदलाव चाहते थे। कुछ लोग **रूढ़िवादी (Conservatives)** थे, जो परिवर्तन का विरोध करते थे और धीरे-धीरे बदलाव चाहते थे। अन्य लोग **उदारवादी (Liberals)** थे, जो तुरंत परिवर्तन चाहते थे, और कुछ **कट्टरपंथी (Radicals)** थे, जो बड़े और अचानक बदलाव के पक्ष में थे।

उदारवादी (Liberals):

कट्टरपंथी (Radicals):

रूढ़िवादी (Conservatives):

इन विभिन्न विचारधाराओं ने 19वीं सदी में सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल को जन्म दिया।

2.2 औद्योगिक समाज और सामाजिक परिवर्तन (Industrial Society and Social Change)

**औद्योगिक क्रांति** (Industrial Revolution) के कारण नए शहर विकसित हुए, और औद्योगिक क्षेत्र फलने-फूलने लगे। रेलवे का विस्तार हुआ, और औद्योगिक क्रांति यूरोप में फैल गई।

उदारवादी और कट्टरपंथी अक्सर इन समस्याओं का समाधान चाहते थे। वे मानते थे कि व्यक्तिगत प्रयास, श्रम और पूंजी के माध्यम से समाज को बेहतर बनाया जा सकता है। कुछ राष्ट्रवादियों (कट्टरपंथियों और उदारवादियों सहित) ने 1815 के बाद यूरोप में क्रांतियों का नेतृत्व किया, जिसमें मौजूदा राजशाही सरकारों को उखाड़ फेंकने का लक्ष्य था।

2.3 यूरोप में समाजवाद का आगमन (The Coming of Socialism to Europe)

19वीं सदी के मध्य तक, यूरोप में **समाजवाद (Socialism)** एक अच्छी तरह से स्थापित विचारधारा बन गया था। समाजवादी निजी संपत्ति के खिलाफ थे और मानते थे कि सभी संपत्ति पर **समाज का नियंत्रण** होना चाहिए। उनका मानना था कि निजी संपत्ति सभी सामाजिक बुराइयों की जड़ है।

समाजवाद के कुछ प्रमुख विचार:

समाजवाद के लिए समर्थन (Support for Socialism):

2.4 रूसी क्रांति (The Russian Revolution)

1914 में, रूस पर **ज़ार निकोलस द्वितीय (Tsar Nicholas II)** का शासन था।

रूसी साम्राज्य (The Russian Empire):

अर्थव्यवस्था और समाज (Economy and Society):

रूस में समाजवाद (Socialism in Russia):

2.5 1905 की क्रांति (The 1905 Revolution)

रूस एक निरंकुश राजशाही था। ज़ार संसदीय सरकार के अधीन नहीं था।

"खूनी रविवार" (Bloody Sunday):

खूनी रविवार की घटनाओं के बाद, देश भर में हड़तालें हुईं। छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार किया, और विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया गया। वकील और डॉक्टर जैसे मध्य वर्ग के लोगों ने संविधान सभा की मांग करते हुए यूनियनें बनाईं।

2.6 पहला विश्व युद्ध और रूसी साम्राज्य (The First World War and the Russian Empire)

1914 में, पहला विश्व युद्ध शुरू हुआ। रूस जर्मनी, ऑस्ट्रिया और तुर्की (केंद्रीय शक्तियों) के खिलाफ फ्रांस और ब्रिटेन (मित्र राष्ट्रों) के पक्ष में लड़ा।

2.7 फरवरी क्रांति (The February Revolution)

पेट्रोग्राद (Petrograd) शहर की स्थिति गंभीर थी। सर्दियों में, खाने की कमी और ठंड थी।

फरवरी के बाद (After February):

2.8 अक्टूबर क्रांति (The October Revolution)

जैसे ही अनंतिम सरकार कमजोर हुई और बोल्शेविक प्रभाव बढ़ गया, लेनिन ने सरकार के खिलाफ विद्रोह के लिए योजनाएँ बनाईं।

अक्टूबर के बाद क्या बदला? (What Changed After October?):

2.9 गृह युद्ध (The Civil War)

2.10 समाजवादी समाज का निर्माण (Making a Socialist Society)

गृह युद्ध के दौरान, बोल्शेविकों ने उद्योगों और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। उन्होंने किसानों को सामूहिक रूप से खेती करने की अनुमति दी।

2.11 स्तालिनवाद और सामूहिकीकरण (Stalinism and Collectivisation)

**सामूहिकीकरण (Collectivisation)** की नीति को **स्तालिन (Stalin)** द्वारा पेश किया गया था, जो लेनिन की मृत्यु के बाद पार्टी के नेता बन गए थे।

2.12 रूसी क्रांति की वैश्विक छाप और यूएसएसआर (The Global Influence of the Russian Revolution and the USSR)

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. रूसी क्रांति किस वर्ष हुई थी?

    1917 में।

  2. 1914 में रूस पर किसका शासन था?

    ज़ार निकोलस द्वितीय (Tsar Nicholas II)।

  3. बोल्शेविक पार्टी का नेता कौन था?

    व्लादिमीर लेनिन (Vladimir Lenin)।

  4. 'खूनी रविवार' की घटना कब हुई थी?

    जनवरी 1905 में।

  5. रूस में ड्यूमा (Duma) क्या थी?

    रूस की निर्वाचित सलाहकार संसद।

  6. लेनिन की 'अप्रैल थीसिस' की तीन मुख्य मांगें क्या थीं?

    युद्ध समाप्त किया जाए, किसानों को जमीन हस्तांतरित की जाए, और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए।

  7. सामूहिकीकरण की नीति किसने शुरू की थी?

    स्तालिन (Stalin)।

  8. यूएसएसआर का गठन कब हुआ था?

    दिसंबर 1922 में।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।

  1. रूसी क्रांति के संदर्भ में उदारवादी, कट्टरपंथी और रूढ़िवादी कौन थे?

    **उदारवादी** ऐसा राष्ट्र चाहते थे जो सभी धर्मों का सम्मान करे और वंशानुगत शासकों की अनियंत्रित शक्ति के खिलाफ थे, लेकिन वे सार्वभौमिक मताधिकार के पक्ष में नहीं थे। **कट्टरपंथी** एक ऐसी सरकार चाहते थे जो बहुमत पर आधारित हो और महिलाओं के मताधिकार का समर्थन करते थे, जबकि कुछ लोगों के हाथों में संपत्ति के सांद्रण का विरोध करते थे। **रूढ़िवादी** धीरे-धीरे बदलाव चाहते थे और अतीत का सम्मान करते हुए परिवर्तन की वकालत करते थे।

  2. रूसी किसान यूरोप के अन्य किसानों से किस प्रकार भिन्न थे?

    रूसी किसान यूरोप के अन्य किसानों से इस मायने में भिन्न थे कि वे समय-समय पर अपनी भूमि को अपने **कम्यून (मीर)** को सौंप देते थे। यह कम्यून फिर प्रत्येक परिवार की जरूरतों के अनुसार भूमि को विभाजित करता था। यह भूमि का सामूहिक स्वामित्व और पुनर्वितरण की प्रणाली उन्हें अन्य यूरोपीय किसानों से अलग करती थी जो मुख्य रूप से व्यक्तिगत भूमि स्वामित्व पर आधारित थे।

  3. फरवरी क्रांति की दो प्रमुख घटनाओं का उल्लेख करें।

    फरवरी 1917 में, पेट्रोग्राद में गंभीर भोजन की कमी थी। 22 फरवरी को एक फैक्ट्री में तालाबंदी हुई, जिसके बाद कई फैक्ट्रियों में हड़तालें हुईं, जिनमें महिलाओं ने नेतृत्व किया। दूसरी महत्वपूर्ण घटना 27 फरवरी को हुई जब सेना ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया और विद्रोही सैनिक हड़ताली मजदूरों के साथ मिलकर **पेट्रोग्राद सोवियत** का गठन किया, जिसके परिणामस्वरूप ज़ार ने 2 मार्च को त्यागपत्र दे दिया।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. 1905 की क्रांति के कारणों और परिणामों का वर्णन करें।

    1905 की क्रांति रूस में बढ़ते सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तनावों का परिणाम थी। 20वीं सदी की शुरुआत तक, रूस एक निरंकुश राजशाही था, जहाँ ज़ार संसदीय नियंत्रण से बाहर था। 1904 में, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि हुई, जबकि मजदूरों की वास्तविक मजदूरी में 20% की गिरावट आई, जिससे व्यापक असंतोष पैदा हुआ। इस पृष्ठभूमि में, जनवरी 1905 में फादर गपोन के नेतृत्व में मजदूरों का एक जुलूस सेंट पीटर्सबर्ग में विंटर पैलेस पहुंचा, जहाँ पुलिस और कोसाकों ने उन पर हमला कर दिया। इस घटना में 100 से अधिक मजदूर मारे गए और लगभग 300 घायल हुए, जिसे **"खूनी रविवार"** के नाम से जाना जाता है और इसने क्रांति की शुरुआत की।

    खूनी रविवार के बाद, देश भर में हड़तालें हुईं, विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया गया और वकील तथा डॉक्टर जैसे मध्य वर्ग के लोगों ने संविधान सभा की मांग करते हुए यूनियनें बनाईं। क्रांति के दबाव में, ज़ार निकोलस द्वितीय ने **ड्यूमा (Duma)** नामक एक निर्वाचित सलाहकार संसद के निर्माण की अनुमति दी। हालाँकि, ज़ार ने ड्यूमा की शक्तियों को सीमित करने की कोशिश की और पहली दो ड्यूमाओं को जल्दी बर्खास्त कर दिया। उसने मतदान कानूनों को भी बदल दिया ताकि ड्यूमा में अधिक रूढ़िवादी राजनेताओं को लाया जा सके। इस प्रकार, जबकि 1905 की क्रांति ने कुछ लोकतांत्रिक सुधार लाए, वे सीमित थे और ज़ार की निरंकुश शक्ति को पूरी तरह से समाप्त नहीं कर पाए, जिसने भविष्य में और अधिक बड़े पैमाने पर क्रांतियों के लिए मंच तैयार किया।

  2. अक्टूबर क्रांति के बाद बोल्शेविकों द्वारा किए गए प्रमुख परिवर्तनों की व्याख्या करें।

    अक्टूबर 1917 की क्रांति के बाद, बोल्शेविकों ने रूस में बड़े पैमाने पर सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन लाए, जिसका उद्देश्य एक समाजवादी समाज का निर्माण करना था। सबसे पहले, उन्होंने **निजी संपत्ति और बैंकों का राष्ट्रीयकरण** कर दिया, जिससे ये राज्य के नियंत्रण में आ गए। भूमि को सामाजिक संपत्ति घोषित किया गया, और किसानों को कुलीनों की भूमि पर कब्जा करने की अनुमति दी गई, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि का बड़े पैमाने पर पुनर्वितरण हुआ। शहरों में, बोल्शेविकों ने मकान मालिकों के बड़े घरों के कुछ हिस्सों को कब्जा करने के लिए उपयोग किया, ताकि सभी के लिए आवास सुनिश्चित किया जा सके।

    पुराने अभिजात वर्ग के पदवी और प्रतीक चिह्नों का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, और सेना तथा नौसेना के लिए नई वर्दी डिजाइन की गई थी। बोल्शेविक पार्टी का नाम बदलकर **रूसी कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक)** कर दिया गया, और रूस एक दलीय राज्य बन गया। हालाँकि नवंबर 1917 में संविधान सभा के चुनावों में बोल्शेविकों को बहुमत नहीं मिला, लेकिन लेनिन ने असेंबली को बर्खास्त कर दिया और **सभी रूसी सोवियत कांग्रेस** के माध्यम से अपनी नीतियों को लागू करना जारी रखा। बोल्शेविकों ने एक गुप्त पुलिस, **चेका**, की स्थापना भी की, जिसने किसी भी आलोचना या असंतोष को दबाया। इन परिवर्तनों ने रूस को एक समाजवादी राज्य में बदल दिया और सोवियत संघ के गठन की नींव रखी।

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