अध्याय 2: यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति (Socialism in Europe and the Russian Revolution)
परिचय
फ्रांसीसी क्रांति ने समाज में **परिवर्तन की संभावना** के द्वार खोल दिए। यूरोप में, फ्रांसीसी क्रांति के बाद, व्यक्तिगत अधिकारों और समाज में समानता के विचारों पर गहन बहस शुरू हुई। लोग समाज के पुनर्गठन के विभिन्न तरीकों पर चर्चा करने लगे।
2.1 सामाजिक परिवर्तन का युग (The Age of Social Change)
18वीं सदी के अंत तक यूरोप में समाज आमतौर पर तीन एस्टेट्स में बंटा हुआ था: पादरी, कुलीन और तीसरा एस्टेट। फ्रांसीसी क्रांति ने इस संरचना को चुनौती दी, और कई लोग अब समाज में बदलाव चाहते थे। कुछ लोग **रूढ़िवादी (Conservatives)** थे, जो परिवर्तन का विरोध करते थे और धीरे-धीरे बदलाव चाहते थे। अन्य लोग **उदारवादी (Liberals)** थे, जो तुरंत परिवर्तन चाहते थे, और कुछ **कट्टरपंथी (Radicals)** थे, जो बड़े और अचानक बदलाव के पक्ष में थे।
उदारवादी (Liberals):
- ऐसा राष्ट्र चाहते थे जो सभी धर्मों को **समान सम्मान** दे।
- वंशानुगत शासकों की **अनियंत्रित शक्ति के खिलाफ** थे।
- प्रतिनिधि, निर्वाचित संसदीय सरकार चाहते थे, जो कानूनों की व्याख्या करने के लिए एक **सुप्रशिक्षित न्यायपालिका** पर निर्भर हो।
- हालाँकि, वे **लोकतांत्रिक नहीं** थे। वे सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (सभी नागरिकों को वोट का अधिकार) में विश्वास नहीं करते थे, बल्कि उनका मानना था कि केवल संपत्ति वाले पुरुषों को ही वोट देने का अधिकार होना चाहिए। वे महिलाओं के मतदान के खिलाफ थे।
कट्टरपंथी (Radicals):
- ऐसी सरकार चाहते थे जो देश की अधिकांश **जनसंख्या के बहुमत** पर आधारित हो।
- महिलाओं को वोट देने के अधिकार (मताधिकार) के **समर्थक** थे।
- बड़ी संख्या में संपत्ति वाले कुलीनों और धनी फैक्ट्री मालिकों के **विशेषाधिकारों का विरोध** करते थे।
- निजी संपत्ति के खिलाफ नहीं थे, लेकिन कुछ लोगों के हाथों में संपत्ति के **सांद्रण का विरोध** करते थे।
रूढ़िवादी (Conservatives):
- क्रांति के बाद, उन्होंने परिवर्तन के विचार के प्रति एक खुला दिमाग रखना शुरू कर दिया।
- उनका मानना था कि परिवर्तन आवश्यक है लेकिन अतीत का सम्मान किया जाना चाहिए और परिवर्तन की प्रक्रिया **धीरे-धीरे** होनी चाहिए।
इन विभिन्न विचारधाराओं ने 19वीं सदी में सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल को जन्म दिया।
2.2 औद्योगिक समाज और सामाजिक परिवर्तन (Industrial Society and Social Change)
**औद्योगिक क्रांति** (Industrial Revolution) के कारण नए शहर विकसित हुए, और औद्योगिक क्षेत्र फलने-फूलने लगे। रेलवे का विस्तार हुआ, और औद्योगिक क्रांति यूरोप में फैल गई।
- औद्योगीकरण से पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को फैक्ट्रियों में काम करने का अवसर मिला।
- कार्य घंटे अक्सर लंबे होते थे, और मजदूरी कम होती थी।
- बेरोजगारी आम थी, खासकर आर्थिक मंदी के दौरान।
- शहरों में आवास और स्वच्छता की समस्याएँ भी थीं।
उदारवादी और कट्टरपंथी अक्सर इन समस्याओं का समाधान चाहते थे। वे मानते थे कि व्यक्तिगत प्रयास, श्रम और पूंजी के माध्यम से समाज को बेहतर बनाया जा सकता है। कुछ राष्ट्रवादियों (कट्टरपंथियों और उदारवादियों सहित) ने 1815 के बाद यूरोप में क्रांतियों का नेतृत्व किया, जिसमें मौजूदा राजशाही सरकारों को उखाड़ फेंकने का लक्ष्य था।
2.3 यूरोप में समाजवाद का आगमन (The Coming of Socialism to Europe)
19वीं सदी के मध्य तक, यूरोप में **समाजवाद (Socialism)** एक अच्छी तरह से स्थापित विचारधारा बन गया था। समाजवादी निजी संपत्ति के खिलाफ थे और मानते थे कि सभी संपत्ति पर **समाज का नियंत्रण** होना चाहिए। उनका मानना था कि निजी संपत्ति सभी सामाजिक बुराइयों की जड़ है।
समाजवाद के कुछ प्रमुख विचार:
- **रॉबर्ट ओवेन (Robert Owen):** एक अंग्रेजी निर्माता, जिसने इंडियाना, यूएसए में 'न्यू हार्मनी' नामक एक सहकारी समुदाय बनाने की कोशिश की।
- **लुई ब्लैंक (Louis Blanc):** फ्रांस में, उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करना चाहिए और निजी पूंजीवादी उद्यमों को बदलना चाहिए।
- **कार्ल मार्क्स (Karl Marx) और फ्रेडरिक एंगेल्स (Friedrich Engels):** उन्होंने तर्क दिया कि औद्योगिक समाज एक पूंजीवादी समाज है। पूंजीपतियों का लाभ मजदूरों के शोषण से होता है। उन्होंने भविष्यवाणी की कि एक कम्युनिस्ट समाज पूंजीवाद का स्वाभाविक अगला कदम होगा, जहाँ सभी संपत्ति सामाजिक रूप से नियंत्रित होगी। मार्क्स का मानना था कि मजदूरों को पूंजीवाद को उखाड़ फेंकने के लिए एक रेडिकल समाजवादी समाज का निर्माण करना होगा।
समाजवाद के लिए समर्थन (Support for Socialism):
- 1870 के दशक तक, समाजवादी विचार यूरोप में फैल गए।
- समाजवादियों ने **द्वितीय इंटरनेशनल (Second International)** नामक एक अंतर्राष्ट्रीय निकाय का गठन किया।
- जर्मनी में, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) ने संसदीय सीटों पर जीत हासिल करने में मदद की।
- 1905 तक, ब्रिटेन में **लेबर पार्टी (Labour Party)** और फ्रांस में **सोशलिस्ट पार्टी** जैसी समाजवादी और श्रमिक दल बनाए गए।
- हालाँकि, 1914 तक, समाजवादी कभी भी सरकार बनाने में सफल नहीं हुए। संसदीय राजनीति में, वे कानूनों को आकार देने में सफल रहे, लेकिन सरकारें अभी भी रूढ़िवादी, उदारवादी और कट्टरपंथी ताकतों द्वारा नियंत्रित थीं।
2.4 रूसी क्रांति (The Russian Revolution)
1914 में, रूस पर **ज़ार निकोलस द्वितीय (Tsar Nicholas II)** का शासन था।
रूसी साम्राज्य (The Russian Empire):
- रूसी साम्राज्य में फिनलैंड, लातविया, लिथुआनिया, एस्टोनिया, पोलैंड, यूक्रेन और बेलारूस के कुछ हिस्से शामिल थे।
- इसमें मध्य एशियाई राज्य (जॉर्जिया, आर्मेनिया, अज़रबैजान) और प्रशांत महासागर तक का क्षेत्र भी शामिल था।
- अधिकांश आबादी **रूसी रूढ़िवादी ईसाई धर्म** का पालन करती थी।
अर्थव्यवस्था और समाज (Economy and Society):
- 20वीं सदी की शुरुआत में रूस की अधिकांश जनसंख्या **कृषि** में संलग्न थी। लगभग 85% आबादी कृषि पर निर्भर थी।
- रूस यूरोप में एक प्रमुख अनाज निर्यातक था।
- उद्योग पॉकेट (pockets) में पाए गए थे, जैसे सेंट पीटर्सबर्ग और मास्को।
- 1890 के दशक में, रेलवे नेटवर्क का विस्तार हुआ, और विदेशी निवेश बढ़ा, जिससे कोयला उत्पादन दोगुना और लोहे और स्टील उत्पादन चार गुना बढ़ गया।
- मजदूर गाँवों से शहरों में काम करने के लिए आते थे। कुछ मजदूरों के पास छोटे परिवार के खेत थे, लेकिन अधिकांश को बड़े कृषि सम्पदाओं में काम करना पड़ता था।
- ग्रामीण इलाकों में, किसान बड़ी संख्या में भूमिहीन थे और नोबल्स (कुलीनों) और चर्च की भूमि पर काम करते थे।
- मजदूरों को काम की परिस्थितियों और मजदूरी के लिए बार-बार हड़तालें करनी पड़ती थीं।
- रूसी किसान यूरोप के अन्य किसानों से अलग थे क्योंकि वे अपनी भूमि को समय-समय पर अपने **कम्यून (commune)** (मीर) को सौंप देते थे, जो फिर प्रत्येक परिवार की जरूरतों के अनुसार भूमि को विभाजित करता था।
रूस में समाजवाद (Socialism in Russia):
- 1914 से पहले, रूस में सभी राजनीतिक दल अवैध थे।
- 1898 में, समाजवादियों ने **रूसी सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी (Russian Social Democratic Workers Party - RSDWP)** का गठन किया, जो मार्क्स के विचारों का पालन करती थी।
- क्योंकि यह एक अवैध संगठन था, इसने चुपचाप काम किया।
- कुछ रूसी समाजवादियों ने महसूस किया कि रूसी किसानों की 'मीर' या कम्यून प्रथा के कारण, रूस मजदूरों के बजाय किसानों को समाजवाद का आधार बना सकता है।
- **व्लादिमीर लेनिन (Vladimir Lenin)** के नेतृत्व में **बोल्शेविक (Bolsheviks)** और **मेनशेविक (Mensheviks)** नामक दो समूह थे।
- **बोल्शेविक:** मानते थे कि पार्टी में सख्त अनुशासन होना चाहिए और केवल उच्च गुणवत्ता वाले सदस्यों को ही अनुमति मिलनी चाहिए।
- **मेनशेविक:** मानते थे कि पार्टी सभी के लिए खुली होनी चाहिए।
2.5 1905 की क्रांति (The 1905 Revolution)
रूस एक निरंकुश राजशाही था। ज़ार संसदीय सरकार के अधीन नहीं था।
- उदारवादी रूस में ज़ार की शक्ति को समाप्त करना चाहते थे। उन्होंने सोशल डेमोक्रेट्स और समाजवादी क्रांतिकारियों के साथ मिलकर काम किया।
- उन्होंने 1905 की क्रांति के दौरान संविधान के लिए प्रचार किया।
- वे मजदूरों और किसानों द्वारा समर्थित थे।
"खूनी रविवार" (Bloody Sunday):
- 1904 में रूस के लिए यह एक बुरा समय था: आवश्यक वस्तुओं की कीमतें तेजी से बढ़ीं, और मजदूरों की वास्तविक मजदूरी में 20% की कमी आई।
- **जनवरी 1905:** फादर गपोन (Father Gapon) के नेतृत्व में मजदूरों का एक जुलूस सेंट पीटर्सबर्ग में विंटर पैलेस पहुंचा।
- पुलिस और कोसाक (Cossacks) ने मजदूरों पर हमला किया, जिसमें 100 से अधिक मजदूर मारे गए और लगभग 300 घायल हो गए।
- इस घटना को **"खूनी रविवार"** के नाम से जाना जाता है और इसने 1905 की क्रांति की शुरुआत की।
खूनी रविवार की घटनाओं के बाद, देश भर में हड़तालें हुईं। छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार किया, और विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया गया। वकील और डॉक्टर जैसे मध्य वर्ग के लोगों ने संविधान सभा की मांग करते हुए यूनियनें बनाईं।
- ज़ार ने **ड्यूमा (Duma)** नामक एक निर्वाचित सलाहकार संसद के निर्माण की अनुमति दी।
- हालांकि, ज़ार ने 75 दिनों के भीतर पहली ड्यूमा और तीन महीने के भीतर दूसरी ड्यूमा को बर्खास्त कर दिया।
- तीसरी ड्यूमा के लिए, ज़ार ने मतदान कानून बदल दिए ताकि वह अधिक रूढ़िवादी राजनेताओं को ड्यूमा में ला सके।
2.6 पहला विश्व युद्ध और रूसी साम्राज्य (The First World War and the Russian Empire)
1914 में, पहला विश्व युद्ध शुरू हुआ। रूस जर्मनी, ऑस्ट्रिया और तुर्की (केंद्रीय शक्तियों) के खिलाफ फ्रांस और ब्रिटेन (मित्र राष्ट्रों) के पक्ष में लड़ा।
- रूस में, युद्ध शुरू में लोकप्रिय था, और लोग ज़ार के प्रति वफादार थे।
- हालांकि, ज़ार ने मुख्य दलों से ड्यूमा में सलाह लेने से इनकार कर दिया, जिससे लोकप्रिय समर्थन कम हो गया।
- युद्ध पूर्व और पश्चिमी मोर्चे पर लड़ा गया। पश्चिमी मोर्चे पर सैनिक खाई में लड़े, जबकि पूर्वी मोर्चे पर सैनिक विशाल दूरी पर लड़े।
- पूर्वी मोर्चे पर रूसी सेना को भारी नुकसान हुआ। 1914-1916 के बीच, रूस में 70 लाख से अधिक लोग मारे गए या घायल हुए।
- जैसे ही रूसी सेना पीछे हटी, उन्होंने फसलों और इमारतों को नष्ट कर दिया ताकि दुश्मन को भोजन या आश्रय न मिल सके। इससे रूस में 30 लाख से अधिक लोग शरणार्थी बन गए।
- युद्ध का उद्योगों पर गंभीर प्रभाव पड़ा। रूस के अपने उद्योग कुछ थे, और वे जर्मनी के प्रभुत्व वाले बाल्टिक सागर मार्ग से कट गए थे।
- 1916 तक, रेलवे लाइनें टूटनी शुरू हो गईं, और मजदूरों को काम करने के लिए आवश्यक अनाज को शहरों तक पहुंचाना मुश्किल हो गया।
- रोटी की दुकानें दुर्लभ हो गईं, और अनाज के दंगे आम हो गए।
2.7 फरवरी क्रांति (The February Revolution)
पेट्रोग्राद (Petrograd) शहर की स्थिति गंभीर थी। सर्दियों में, खाने की कमी और ठंड थी।
- फरवरी 1917 में, मजदूरों की बस्तियों में गंभीर भोजन की कमी का सामना करना पड़ा।
- 22 फरवरी को, एक फैक्ट्री में तालाबंदी की घोषणा की गई, और अगले दिन, लगभग 50 अन्य फैक्ट्रियों के मजदूरों ने हड़ताल की।
- कई फैक्ट्रियों में महिलाओं ने हड़तालों का नेतृत्व किया, जिसे **अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day)** के रूप में मनाया गया।
- प्रदर्शनकारियों ने नेवस्की प्रोस्पेक्ट, जो फैशनेबल क्वार्टर था, को घेर लिया। सरकार ने कर्फ्यू लगा दिया।
- सेना को प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया गया, लेकिन कई रेजिमेंटों ने आदेशों का पालन करने से इनकार कर दिया और एक अधिकारी को गोली मार दी।
- शाम तक, हड़ताली मजदूर और सैनिक **पेट्रोग्राद सोवियत (Petrograd Soviet)** या मजदूरों की परिषद बनाने के लिए एक साथ आ गए।
- 2 मार्च को, ज़ार ने त्यागपत्र दे दिया।
- सोवियत नेताओं और ड्यूमा नेताओं ने रूस में एक **अनंतिम सरकार (Provisional Government)** बनाने के लिए एक साथ आए।
- फरवरी क्रांति के बाद, राजशाही को समाप्त कर दिया गया, और रूस का भविष्य एक संविधान सभा तय करेगी।
फरवरी के बाद (After February):
- मई 1917 से सितंबर 1917 के बीच, अनंतिम सरकार और बोल्शेविकों के बीच तनाव बढ़ने लगा।
- सेना और फैक्ट्रियों में सोवियतें (Soviet) हर जगह उभरीं।
- अप्रत्याशित रूप से, **लेनिन** अप्रैल 1917 में रूस लौट आए और **'अप्रैल थीसिस' (April Theses)** की घोषणा की:
- युद्ध समाप्त किया जाए।
- किसानों को जमीन हस्तांतरित की जाए।
- बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए।
- बोल्शेविकों का नाम बदलकर **कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ रूस (Communist Party of Russia)** कर दिया गया।
- गर्मी के महीनों के दौरान, मजदूर आंदोलन फैल गया। फैक्ट्रियों में, फैक्ट्री कमेटियों का गठन किया गया।
- जुलाई में बोल्शेविकों द्वारा आयोजित प्रदर्शनों को अनंतिम सरकार द्वारा दृढ़ता से दबा दिया गया। कई बोल्शेविक नेता छिप गए या भाग गए।
- ग्रामीण इलाकों में, किसानों ने भूमि पर कब्जा कर लिया, और जुलाई से सितंबर 1917 के बीच, भूमि को फिर से वितरित किया गया।
2.8 अक्टूबर क्रांति (The October Revolution)
जैसे ही अनंतिम सरकार कमजोर हुई और बोल्शेविक प्रभाव बढ़ गया, लेनिन ने सरकार के खिलाफ विद्रोह के लिए योजनाएँ बनाईं।
- **16 अक्टूबर 1917:** लेनिन ने पेट्रोग्राद सोवियत और बोल्शेविक पार्टी को सत्ता पर समाजवादी कब्ज़े के लिए सहमत होने के लिए राजी किया।
- **लियोन ट्रॉट्स्की (Leon Trotsky)** के नेतृत्व में एक सैन्य क्रांतिकारी समिति को विद्रोह का आयोजन करने के लिए नियुक्त किया गया।
- **24 अक्टूबर 1917:** विद्रोह शुरू हुआ। प्रधान मंत्री केरेन्स्की (Kerenskii) ने शहर छोड़ दिया।
- समर्थक सैनिकों ने सरकारी भवनों पर कब्जा कर लिया, और सुबह तक, बोल्शेविकों ने शहर पर नियंत्रण कर लिया था।
- मंत्रियों ने आत्मसमर्पण कर दिया।
- अक्टूबर क्रांति के समय, मॉस्को और पेट्रोग्राद में जोरदार लड़ाई हुई। दिसंबर तक, बोल्शेविकों ने मॉस्को-पेट्रोग्राद क्षेत्र को नियंत्रित कर लिया।
अक्टूबर के बाद क्या बदला? (What Changed After October?):
- बोल्शेविकों ने निजी संपत्ति और बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया।
- भूमि को सामाजिक संपत्ति घोषित किया गया, और किसानों को कुलीनों की भूमि पर कब्जा करने की अनुमति दी गई।
- शहरों में, बोल्शेविकों ने मकान मालिकों के लिए बड़े घरों के कुछ हिस्सों को कब्जा करने के लिए उपयोग किया, जो परिवार की आवश्यकताओं के अनुसार थे।
- पुराने अभिजात वर्ग के पदवी का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
- सेना और नौसेना के लिए नई वर्दी डिजाइन की गई।
- बोल्शेविक पार्टी का नाम बदलकर **रूसी कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक)** कर दिया गया।
- **नवंबर 1917** में, बोल्शेविकों ने संविधान सभा के चुनावों का आयोजन किया, लेकिन वे बहुमत हासिल करने में असफल रहे। लेनिन ने असेंबली को बर्खास्त कर दिया।
- मार्च 1918 में, बोल्शेविकों ने ब्रेस्ट-लिटोवस्क (Brest-Litovsk) में जर्मनी के साथ शांति स्थापित की, भले ही अन्य राजनीतिक दल इससे सहमत नहीं थे।
- बोल्शेविक अपनी नीतियों को लागू करने के लिए सभी रूसी सोवियत कांग्रेस (All Russian Congress of Soviets) में बहुमत हासिल करने में सफल रहे।
- रूस एक दलीय राज्य बन गया, और **चेका (Cheka)** (बाद में ओजीपीयू और एनकेवीडी) नामक एक गुप्त पुलिस बनाई गई, जिसने बोल्शेविकों की आलोचना करने वालों को दंडित किया।
2.9 गृह युद्ध (The Civil War)
- जब बोल्शेविकों ने भूमि के पुनर्वितरण का आदेश दिया, तो रूसी सेना भंग होने लगी, क्योंकि सैनिक (किसान) घरों को वापस लौट गए।
- गैर-बोल्शेविक समाजवादियों, उदारवादियों और राजशाही समर्थकों ने बोल्शेविक विद्रोह की निंदा की। उनके नेता दक्षिणी रूस में एकत्रित हुए और बोल्शेविकों ('रेड') से लड़ने के लिए सेनाएं बनाईं।
- 'ग्रीन' (समाजवादी क्रांतिकारी) और 'व्हाइट' (राजशाही समर्थक) ने 1918 और 1919 में रूस के अधिकांश हिस्से को नियंत्रित किया।
- उन्हें फ्रांसीसी, अमेरिकी, ब्रिटिश और जापानी सैनिकों का समर्थन मिला, जो रूस में समाजवाद के विकास से चिंतित थे।
- **जनवरी 1920** तक, बोल्शेविकों ने अधिकांश पूर्व रूसी साम्राज्य पर नियंत्रण हासिल कर लिया था।
- गैर-रूसी राष्ट्रवादी बोल्शेविक विचारधारा से प्रेरित नहीं थे, लेकिन बोल्शेविकों ने उन्हें राजनीतिक स्वायत्तता दी।
- दिसंबर 1922 में, रूसी साम्राज्य के अधिकांश हिस्से को **सोवियत समाजवादी गणतंत्र संघ (Union of Soviet Socialist Republics - USSR)** में संगठित किया गया।
2.10 समाजवादी समाज का निर्माण (Making a Socialist Society)
गृह युद्ध के दौरान, बोल्शेविकों ने उद्योगों और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। उन्होंने किसानों को सामूहिक रूप से खेती करने की अनुमति दी।
- **योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था (Planned economy)** की शुरुआत की गई। केंद्रीकृत नियोजन ने पांच वर्षीय योजनाओं का नेतृत्व किया।
- पहले दो 'पंचवर्षीय योजनाओं' (1927-1932 और 1933-1938) के दौरान, औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि हुई।
- हालांकि, तेजी से निर्माण से खराब कामकाजी परिस्थितियाँ हुईं।
- सरकार ने स्कूली शिक्षा की व्यवस्था की और फैक्ट्रियों में महिला श्रमिकों के लिए बालवाड़ी (kindergarten) प्रदान की। सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा स्थापित की गई।
- जीवन की बेहतर स्थितियों के लिए क्वार्टर बनाए गए, लेकिन फिर भी, ये सीमित थे।
2.11 स्तालिनवाद और सामूहिकीकरण (Stalinism and Collectivisation)
**सामूहिकीकरण (Collectivisation)** की नीति को **स्तालिन (Stalin)** द्वारा पेश किया गया था, जो लेनिन की मृत्यु के बाद पार्टी के नेता बन गए थे।
- 1927-1928 तक, सोवियत रूस में शहरों में अनाज की भारी कमी थी। सरकार ने कीमतें तय कीं जिस पर अनाज बेचा जाना था।
- किसान सरकार को अनाज बेचने से इनकार कर रहे थे।
- स्तालिन ने माना कि अमीर किसान (कुलक - Kulaks) और व्यापारी जमाखोरी कर रहे थे।
- 1928 में, पार्टी के सदस्य अनाज-उत्पादन क्षेत्रों में गए और जबरन अनाज की आपूर्ति का निरीक्षण किया।
- किसानों को अपनी भूमि छोड़ने और सामूहिक खेतों (कोलखोज - Kolkhoz) में काम करने के लिए मजबूर किया गया।
- सामूहिक खेती का विरोध करने वालों को दंडित किया गया।
- 1929-1932 के बीच, रूस में गंभीर अकाल पड़ा, जिसमें 40 लाख से अधिक लोग मारे गए।
- बहुत से लोगों ने सोवियत सरकार के सामूहिकीकरण के तरीकों की आलोचना की, और **'ग्रेट टेरर' (Great Terror)** की शुरुआत हुई। 1937 तक, 20 लाख से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया।
2.12 रूसी क्रांति की वैश्विक छाप और यूएसएसआर (The Global Influence of the Russian Revolution and the USSR)
- रूसी क्रांति के समाजवाद के विचार वैश्विक स्तर पर फैल गए।
- पूरे यूरोप में कम्युनिस्ट पार्टियाँ बनीं।
- बोल्शेविकों ने **कॉमिन्टर्न (Comintern)** का गठन किया, जो बोल्शेविक समर्थक समाजवादी पार्टियों का एक अंतर्राष्ट्रीय संघ था।
- द्वितीय विश्व युद्ध तक, यूएसएसआर ने समाजवाद को एक विश्व शक्ति के रूप में एक महान छाप छोड़ी थी।
- हालांकि, 1950 के दशक तक, यूएसएसआर में लोगों को यह एहसास होने लगा था कि सोवियत संघ ने अपने महान आदर्शों को बनाए नहीं रखा था।
- यह 1991 में ध्वस्त हो गया।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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रूसी क्रांति किस वर्ष हुई थी?
1917 में।
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1914 में रूस पर किसका शासन था?
ज़ार निकोलस द्वितीय (Tsar Nicholas II)।
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बोल्शेविक पार्टी का नेता कौन था?
व्लादिमीर लेनिन (Vladimir Lenin)।
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'खूनी रविवार' की घटना कब हुई थी?
जनवरी 1905 में।
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रूस में ड्यूमा (Duma) क्या थी?
रूस की निर्वाचित सलाहकार संसद।
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लेनिन की 'अप्रैल थीसिस' की तीन मुख्य मांगें क्या थीं?
युद्ध समाप्त किया जाए, किसानों को जमीन हस्तांतरित की जाए, और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए।
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सामूहिकीकरण की नीति किसने शुरू की थी?
स्तालिन (Stalin)।
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यूएसएसआर का गठन कब हुआ था?
दिसंबर 1922 में।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।
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रूसी क्रांति के संदर्भ में उदारवादी, कट्टरपंथी और रूढ़िवादी कौन थे?
**उदारवादी** ऐसा राष्ट्र चाहते थे जो सभी धर्मों का सम्मान करे और वंशानुगत शासकों की अनियंत्रित शक्ति के खिलाफ थे, लेकिन वे सार्वभौमिक मताधिकार के पक्ष में नहीं थे। **कट्टरपंथी** एक ऐसी सरकार चाहते थे जो बहुमत पर आधारित हो और महिलाओं के मताधिकार का समर्थन करते थे, जबकि कुछ लोगों के हाथों में संपत्ति के सांद्रण का विरोध करते थे। **रूढ़िवादी** धीरे-धीरे बदलाव चाहते थे और अतीत का सम्मान करते हुए परिवर्तन की वकालत करते थे।
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रूसी किसान यूरोप के अन्य किसानों से किस प्रकार भिन्न थे?
रूसी किसान यूरोप के अन्य किसानों से इस मायने में भिन्न थे कि वे समय-समय पर अपनी भूमि को अपने **कम्यून (मीर)** को सौंप देते थे। यह कम्यून फिर प्रत्येक परिवार की जरूरतों के अनुसार भूमि को विभाजित करता था। यह भूमि का सामूहिक स्वामित्व और पुनर्वितरण की प्रणाली उन्हें अन्य यूरोपीय किसानों से अलग करती थी जो मुख्य रूप से व्यक्तिगत भूमि स्वामित्व पर आधारित थे।
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फरवरी क्रांति की दो प्रमुख घटनाओं का उल्लेख करें।
फरवरी 1917 में, पेट्रोग्राद में गंभीर भोजन की कमी थी। 22 फरवरी को एक फैक्ट्री में तालाबंदी हुई, जिसके बाद कई फैक्ट्रियों में हड़तालें हुईं, जिनमें महिलाओं ने नेतृत्व किया। दूसरी महत्वपूर्ण घटना 27 फरवरी को हुई जब सेना ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया और विद्रोही सैनिक हड़ताली मजदूरों के साथ मिलकर **पेट्रोग्राद सोवियत** का गठन किया, जिसके परिणामस्वरूप ज़ार ने 2 मार्च को त्यागपत्र दे दिया।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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1905 की क्रांति के कारणों और परिणामों का वर्णन करें।
1905 की क्रांति रूस में बढ़ते सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तनावों का परिणाम थी। 20वीं सदी की शुरुआत तक, रूस एक निरंकुश राजशाही था, जहाँ ज़ार संसदीय नियंत्रण से बाहर था। 1904 में, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि हुई, जबकि मजदूरों की वास्तविक मजदूरी में 20% की गिरावट आई, जिससे व्यापक असंतोष पैदा हुआ। इस पृष्ठभूमि में, जनवरी 1905 में फादर गपोन के नेतृत्व में मजदूरों का एक जुलूस सेंट पीटर्सबर्ग में विंटर पैलेस पहुंचा, जहाँ पुलिस और कोसाकों ने उन पर हमला कर दिया। इस घटना में 100 से अधिक मजदूर मारे गए और लगभग 300 घायल हुए, जिसे **"खूनी रविवार"** के नाम से जाना जाता है और इसने क्रांति की शुरुआत की।
खूनी रविवार के बाद, देश भर में हड़तालें हुईं, विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया गया और वकील तथा डॉक्टर जैसे मध्य वर्ग के लोगों ने संविधान सभा की मांग करते हुए यूनियनें बनाईं। क्रांति के दबाव में, ज़ार निकोलस द्वितीय ने **ड्यूमा (Duma)** नामक एक निर्वाचित सलाहकार संसद के निर्माण की अनुमति दी। हालाँकि, ज़ार ने ड्यूमा की शक्तियों को सीमित करने की कोशिश की और पहली दो ड्यूमाओं को जल्दी बर्खास्त कर दिया। उसने मतदान कानूनों को भी बदल दिया ताकि ड्यूमा में अधिक रूढ़िवादी राजनेताओं को लाया जा सके। इस प्रकार, जबकि 1905 की क्रांति ने कुछ लोकतांत्रिक सुधार लाए, वे सीमित थे और ज़ार की निरंकुश शक्ति को पूरी तरह से समाप्त नहीं कर पाए, जिसने भविष्य में और अधिक बड़े पैमाने पर क्रांतियों के लिए मंच तैयार किया।
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अक्टूबर क्रांति के बाद बोल्शेविकों द्वारा किए गए प्रमुख परिवर्तनों की व्याख्या करें।
अक्टूबर 1917 की क्रांति के बाद, बोल्शेविकों ने रूस में बड़े पैमाने पर सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन लाए, जिसका उद्देश्य एक समाजवादी समाज का निर्माण करना था। सबसे पहले, उन्होंने **निजी संपत्ति और बैंकों का राष्ट्रीयकरण** कर दिया, जिससे ये राज्य के नियंत्रण में आ गए। भूमि को सामाजिक संपत्ति घोषित किया गया, और किसानों को कुलीनों की भूमि पर कब्जा करने की अनुमति दी गई, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि का बड़े पैमाने पर पुनर्वितरण हुआ। शहरों में, बोल्शेविकों ने मकान मालिकों के बड़े घरों के कुछ हिस्सों को कब्जा करने के लिए उपयोग किया, ताकि सभी के लिए आवास सुनिश्चित किया जा सके।
पुराने अभिजात वर्ग के पदवी और प्रतीक चिह्नों का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, और सेना तथा नौसेना के लिए नई वर्दी डिजाइन की गई थी। बोल्शेविक पार्टी का नाम बदलकर **रूसी कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक)** कर दिया गया, और रूस एक दलीय राज्य बन गया। हालाँकि नवंबर 1917 में संविधान सभा के चुनावों में बोल्शेविकों को बहुमत नहीं मिला, लेकिन लेनिन ने असेंबली को बर्खास्त कर दिया और **सभी रूसी सोवियत कांग्रेस** के माध्यम से अपनी नीतियों को लागू करना जारी रखा। बोल्शेविकों ने एक गुप्त पुलिस, **चेका**, की स्थापना भी की, जिसने किसी भी आलोचना या असंतोष को दबाया। इन परिवर्तनों ने रूस को एक समाजवादी राज्य में बदल दिया और सोवियत संघ के गठन की नींव रखी।
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