अध्याय 1: फ्रांसीसी क्रांति (The French Revolution)
परिचय
14 जुलाई 1789 को, सुबह के समय, पेरिस शहर में आतंक का माहौल था। सम्राट ने सेना को शहर में प्रवेश करने का आदेश दिया था। अफवाहें फैल रही थीं कि वह जल्द ही नागरिकों पर गोलियां चलाने वाला है। लगभग 7,000 पुरुष और महिलाएँ टाउन हॉल के सामने एकत्रित हुए और एक जनसेना बनाने का फैसला किया। उन्होंने हथियारों की तलाश में सरकारी भवनों में तोड़-फोड़ की। अंततः, सैकड़ों लोगों का एक समूह बास्तील के किले की जेल की ओर बढ़ा, जहाँ हथियार मिलने की उम्मीद थी। हथियारबंद संघर्ष में, बास्तील का कमांडर मारा गया और कैदियों को रिहा कर दिया गया (हालांकि वहाँ केवल सात कैदी थे)। बास्तील का किला सम्राट की निरंकुश शक्ति का प्रतीक था, इसलिए इसे ढहा दिया गया और उसके पत्थर के टुकड़े बाज़ार में बेचे गए। यह घटना फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत थी, जिसने यूरोप और शेष विश्व को गहराई से प्रभावित किया।
1.1 फ्रांसीसी समाज: अठारहवीं सदी के अंत में
1774 में, **लुई सोलहवां** (Louis XVI) फ्रांस का सम्राट बना। उसने ऑस्ट्रिया की राजकुमारी **मारी एंतोएनेत** (Marie Antoinette) से शादी की थी। जब वह गद्दी पर बैठा, तो राजकोष खाली था। इसके कई कारण थे:
- फ्रांस लंबे समय तक चले युद्धों में शामिल रहा, जिससे उसके वित्तीय संसाधनों में कमी आई।
- अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में अमेरिका की मदद करने से फ्रांस पर $10$ अरब लिव्रे (livres) से अधिक का कर्ज हो गया।
- सरकार अपने नियमित खर्चे (सेना, अदालत, विश्वविद्यालय) चलाने के लिए भी कर्ज ले रही थी।
- फ्रांसीसी समाज को तीन एस्टेट (Estate) में बांटा गया था, और केवल तीसरे एस्टेट के लोगों को कर चुकाना पड़ता था।
समाज का विभाजन:
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प्रथम एस्टेट (First Estate): पादरी वर्ग
- गिरजाघरों के विशेष अधिकारों का आनंद लेते थे।
- राज्य को कर नहीं देते थे।
- किसानों से 'टाइद' (Tithe) नामक कर वसूलते थे, जो कृषि उपज का दसवां हिस्सा होता था।
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द्वितीय एस्टेट (Second Estate): कुलीन वर्ग
- जन्म से विशेषाधिकार प्राप्त थे।
- राज्य को कर नहीं देते थे।
- जागीरदार शुल्क (feudal dues) वसूलते थे और किसानों से बेगार (forced labor) करवाते थे।
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तृतीय एस्टेट (Third Estate): आम जनता
- इसमें बड़े व्यवसायी, व्यापारी, अदालती कर्मचारी, वकील, किसान, कारीगर, छोटे किसान, भूमिहीन मजदूर और नौकर शामिल थे।
- इन्हें सभी प्रकार के कर चुकाने पड़ते थे:
- **टाईल (Taille):** प्रत्यक्ष कर।
- अप्रत्यक्ष कर: नमक और तंबाकू जैसे रोजमर्रा की वस्तुओं पर।
- पादरी और कुलीनों को सेवाएँ प्रदान करना।
- जनसंख्या का $90\%$ किसान थे, लेकिन केवल कुछ किसानों के पास अपनी जमीन थी।
फ्रांसीसी समाज में, विशेषकर पादरी और कुलीन वर्ग द्वारा भोगी गई सामाजिक और आर्थिक असमानता क्रांति के प्रमुख कारणों में से एक थी।
1.2 जीविका का संकट (The Struggle to Survive)
फ्रांस की जनसंख्या 1715 में $2.3$ करोड़ से बढ़कर 1789 में $2.8$ करोड़ हो गई। इससे अनाज की मांग तेजी से बढ़ी। उत्पादन जनसंख्या वृद्धि के साथ तालमेल नहीं बिठा पाया, जिससे रोटी की कीमतें तेजी से बढ़ीं। अधिकांश मजदूरों की मजदूरी तय थी, जो कीमतों के बढ़ने के साथ नहीं बढ़ी। इससे अमीर और गरीब के बीच का अंतर बढ़ता गया।
खराब फसल या सूखे की स्थिति में, अनाज की कीमतें और भी बढ़ जाती थीं, जिससे जीवनयापन का संकट पैदा हो जाता था। ऐसी स्थिति तब आती है जब जीवन जीने के न्यूनतम साधन भी खतरे में पड़ जाते हैं।
1.3 उभरते मध्य वर्ग ने विशेषाधिकारों के अंत की कल्पना की (A Growing Middle Class Envisages an End to Privileges)
अठारहवीं सदी में, एक नए सामाजिक समूह का उदय हुआ जिसे **मध्य वर्ग (Middle Class)** कहा गया। इसमें व्यापारी, निर्माता, वकील और प्रशासक जैसे शिक्षित पेशेवर शामिल थे।
- उन्होंने समुद्री व्यापार और ऊनी व रेशमी वस्त्रों के उत्पादन के माध्यम से धन कमाया।
- उनका मानना था कि किसी भी व्यक्ति को जन्म से नहीं, बल्कि सामाजिक स्थिति उसकी योग्यता पर आधारित होनी चाहिए।
- वे स्वतंत्रता, समान कानूनों और समान अवसरों पर आधारित समाज की कल्पना करते थे।
- इन विचारों को **जॉन लॉक (John Locke)** और **ज्यां जाक रूसो (Jean Jacques Rousseau)** जैसे दार्शनिकों ने अपनी पुस्तकों में प्रस्तुत किया।
प्रमुख दार्शनिकों और उनके विचार:
- **जॉन लॉक:** अपनी पुस्तक "टू ट्रीटीज़ ऑफ गवर्नमेंट" (Two Treatises of Government) में राजा के दैवीय और निरंकुश अधिकारों के सिद्धांत का खंडन किया।
- **ज्यां जाक रूसो:** अपनी पुस्तक "द सोशल कॉन्ट्रैक्ट" (The Social Contract) में सरकार और लोगों के बीच सामाजिक अनुबंध पर आधारित शासन का प्रस्ताव रखा।
- **मॉन्टेस्क्यू (Montesquieu):** अपनी पुस्तक "द स्पिरिट ऑफ द लॉज़" (The Spirit of the Laws) में सरकार के भीतर शक्तियों के विभाजन (कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका) का विचार प्रस्तुत किया।
इन दार्शनिकों के विचारों पर सैलून और कॉफी हाउस में गहन चर्चा हुई और अखबारों और किताबों के माध्यम से व्यापक रूप से फैलाए गए। अमेरिकी संविधान में शक्तियों के विभाजन के विचार ने फ्रांसीसी राजनीतिक विचारकों को विशेष रूप से प्रेरित किया।
1.4 क्रांति का प्रकोप (The Outbreak of the Revolution)
फ्रांस में सम्राट अकेले अपनी इच्छा से कर नहीं बढ़ा सकता था। उसे इसके लिए **एस्टेट्स जनरल (Estates General)** की बैठक बुलानी पड़ती थी, जो तीनों एस्टेट के प्रतिनिधियों की राजनीतिक संस्था थी।
- **5 मई 1789:** लुई सोलहवें ने नए करों को पारित करने के लिए एस्टेट्स जनरल की बैठक बुलाई।
- प्रथम और द्वितीय एस्टेट ने प्रत्येक को 300 प्रतिनिधि भेजे, जो आमने-सामने की पंक्तियों में बैठे थे।
- तीसरे एस्टेट ने 600 प्रतिनिधि भेजे, जो पीछे खड़े थे। वे अधिक समृद्ध और शिक्षित थे, और किसानों, कारीगरों और महिलाओं को सभा में प्रवेश नहीं दिया गया था।
- एस्टेट्स जनरल में प्रत्येक एस्टेट का एक वोट होता था, लेकिन तीसरे एस्टेट ने मांग की कि पूरी असेंबली में प्रत्येक सदस्य को एक वोट दिया जाए, जैसा कि रूसो ने सुझाया था।
- जब सम्राट ने यह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया, तो तीसरे एस्टेट के प्रतिनिधि विरोध में बाहर निकल गए।
- **20 जून 1789:** तीसरे एस्टेट के प्रतिनिधि वर्साय में एक टेनिस कोर्ट में एकत्रित हुए और खुद को **राष्ट्रीय असेंबली (National Assembly)** घोषित कर दिया, और शपथ ली कि वे तब तक अलग नहीं होंगे जब तक कि वे फ्रांस के लिए एक संविधान का मसौदा तैयार नहीं कर लेते, जो सम्राट की शक्तियों को सीमित करेगा। उनका नेतृत्व **मिराबो (Mirabeau)** और **आबे सिये (Abbé Sieyès)** कर रहे थे।
जिस समय राष्ट्रीय असेंबली संविधान का मसौदा तैयार कर रही थी, फ्रांस के अन्य हिस्सों में भी अशांति फैल गई थी।
- रोटी की ऊंची कीमतों के कारण गुस्साई भीड़ ने दुकानों में तोड़-फोड़ की।
- 14 जुलाई को, बास्तील के किले पर हमला किया गया और उसे ढहा दिया गया।
- ग्रामीण इलाकों में, अफवाहें फैल गईं कि जागीरदारों ने अपनी निजी सेनाएं भेज दी हैं जो पकी हुई फसलों को नष्ट कर देंगी।
- किसानों ने कुलीनों के घरों पर हमला किया, अनाज लूटा और जागीरदारी दस्तावेज़ जला दिए।
लुई सोलहवें ने अंततः राष्ट्रीय असेंबली को मान्यता दी और संविधान को स्वीकार कर लिया।
- **4 अगस्त 1789:** राष्ट्रीय असेंबली ने एक फरमान पारित किया जिसने सामंती व्यवस्था और करों के उन्मूलन का आदेश दिया। पादरी वर्ग को भी अपने विशेषाधिकार छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।
- पादरी द्वारा एकत्र किए गए टाइद को समाप्त कर दिया गया, और चर्च के स्वामित्व वाली भूमि को जब्त कर लिया गया।
1.5 फ्रांस एक संवैधानिक राजतंत्र बन गया (France Becomes a Constitutional Monarchy)
1791 में, राष्ट्रीय असेंबली ने एक संविधान का मसौदा पूरा किया, जिसका मुख्य उद्देश्य सम्राट की शक्तियों को सीमित करना था।
- शक्तियों को विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में विभाजित किया गया। इससे फ्रांस एक **संवैधानिक राजतंत्र (Constitutional Monarchy)** बन गया।
- नागरिकों को वोट देने का अधिकार नहीं था। केवल **सक्रिय नागरिक (Active Citizens)** (जो 25 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष थे और कम से कम तीन दिनों की मजदूर की मजदूरी के बराबर कर चुकाते थे) को वोट देने की अनुमति थी।
- शेष पुरुषों और सभी महिलाओं को **निष्क्रिय नागरिक (Passive Citizens)** के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
- संविधान की शुरुआत **मानव और नागरिक अधिकारों की घोषणा (Declaration of the Rights of Man and Citizen)** के साथ हुई।
- इसमें स्वतंत्रता, संपत्ति, सुरक्षा और उत्पीड़न का विरोध जैसे अधिकार शामिल थे।
- अधिकारों को जन्म से प्राकृतिक और अहरणीय (inalienable) माना गया।
1.6 फ्रांस राजशाही को समाप्त करता है और एक गणतंत्र बन जाता है (France Abolishes Monarchy and Becomes a Republic)
हालाँकि, लुई सोलहवें ने प्रुशिया और ऑस्ट्रिया के राजाओं के साथ गुप्त बातचीत की। इन देशों के शासक 1789 की घटनाओं से चिंतित थे और फ्रांसीसी क्रांति को दबाने के लिए सेना भेजने की योजना बना रहे थे।
- **अप्रैल 1792:** राष्ट्रीय असेंबली ने प्रुशिया और ऑस्ट्रिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।
- हजारों स्वयंसेवक सेना में शामिल हो गए। उन्होंने इसे "यूरोप के राजाओं और कुलीनों के खिलाफ लोगों के युद्ध" के रूप में देखा।
- मार्सिले के देशभक्ति गीत को कवि **रोजेट डी लाइल (Roget de L'Isle)** ने लिखा था। यह गीत पहली बार मार्सिले से आए स्वयंसेवकों द्वारा गाया गया था और बाद में फ्रांस का राष्ट्रगान बन गया।
- क्रांतिकारी युद्धों ने लोगों के लिए कठिनाइयाँ लाईं। पुरुष युद्ध के मैदान में चले गए, और महिलाओं को जीविका कमाने और परिवारों की देखभाल करने के लिए छोड़ दिया गया।
- बड़ी संख्या में लोगों को लगता था कि 1791 का संविधान केवल धनी वर्गों को ही लाभ पहुंचाता है।
राजनीतिक क्लबों का उदय:
- राजनीतिक क्लब महत्वपूर्ण बन गए, जहाँ लोग सरकारी नीतियों और अपनी योजनाओं पर चर्चा करते थे।
- **जैकोबिन क्लब (Jacobin Club)** सबसे सफल क्लब था। इसका नाम पेरिस के सेंट जैकब के कॉन्वेंट के नाम पर पड़ा।
- इसके सदस्य मुख्य रूप से समाज के कम समृद्ध वर्ग से थे: छोटे दुकानदार, कारीगर, जूता बनाने वाले, पेस्ट्री बनाने वाले, घड़ीसाज़, प्रिंटर, और साथ ही नौकर और दिहाड़ी मजदूर।
- उनके नेता **मैक्सिमिलियन रोबेस्पियर (Maximilien Robespierre)** थे।
- जैकोबिन ने लंबी धारीदार पैंट पहनना शुरू कर दिया, जो कुलीनों के घुटनों तक के ब्रिचेस से अलग थी। यह सत्ता के संपन्न वर्गों से खुद को अलग करने का एक तरीका था। उन्हें **सैंस-कुलॉट्स (sans-culottes)** कहा जाता था, जिसका शाब्दिक अर्थ है "बिना घुटनों के पतलून वाले।"
- **अगस्त 1792:** जैकोबिन ने पेरिस में राजा के महल पर हमला किया, राजा के रक्षकों को मार डाला और राजा को कई घंटों तक बंधक बनाए रखा। बाद में असेंबली ने शाही परिवार को जेल भेजने का फैसला किया।
- **21 सितंबर 1792:** फ्रांस में राजशाही को समाप्त कर दिया गया और इसे **गणतंत्र (Republic)** घोषित किया गया।
- अब 21 वर्ष या उससे अधिक उम्र के सभी पुरुषों को, चाहे उनके पास संपत्ति हो या नहीं, वोट देने का अधिकार था।
- **21 जनवरी 1793:** लुई सोलहवें को देशद्रोह के आरोप में सार्वजनिक रूप से फाँसी दे दी गई। रानी मारी एंतोएनेत को भी कुछ समय बाद इसी तरह फाँसी दी गई।
1.7 आतंक का राज (The Reign of Terror)
1793 से 1794 की अवधि को **आतंक का राज (Reign of Terror)** कहा जाता है।
- **रोबेस्पियर** ने गंभीर नियंत्रण और दंड की नीति अपनाई।
- गणतंत्र के सभी 'दुश्मन', जैसे कि कुलीन, पादरी, अन्य राजनीतिक दलों के सदस्य, और यहाँ तक कि जैकोबिन के असंतुष्ट सदस्य, को गिरफ्तार कर लिया गया, कैद कर लिया गया, और फिर क्रांतिकारी ट्रिब्यूनल द्वारा दोषी पाए जाने पर **गिलोटिन (guillotined)** कर दिया गया।
- रोबेस्पियर सरकार ने मजदूरी और कीमतों के लिए अधिकतम सीमा तय की। मांस और रोटी को राशन किया गया।
- किसानों को अपने अनाज को शहरों में तय कीमतों पर बेचने के लिए मजबूर किया गया।
- समानता को भाषण और शिष्टाचार के माध्यम से लागू करने की मांग की गई।
- पारंपरिक 'मैडम' (Madam) और 'मॉनसियर' (Monsieur) के बजाय, सभी फ्रांसीसी पुरुषों और महिलाओं को 'सिटोयेन' (Citoyen) और 'सिटोयेन' (Citoyenne) (नागरिक) के रूप में संबोधित किया गया।
- गिरजाघरों को बंद कर दिया गया और उनकी इमारतों को बैरक या कार्यालयों में बदल दिया गया।
- रोबेस्पियर ने अपनी नीतियों को इतनी कठोरता से लागू किया कि उसके अपने समर्थक भी उसके खिलाफ हो गए।
- **जुलाई 1794:** उसे दोषी ठहराया गया, गिरफ्तार किया गया और अगले दिन गिलोटिन पर चढ़ा दिया गया।
1.8 एक डायरेक्टरी द्वारा फ्रांस का शासन (A Directory Rules France)
जैकोबिन सरकार के पतन के बाद, एक नए संविधान को पेश किया गया जिसने संपत्तिहीन वर्गों को वोट देने के अधिकार से वंचित कर दिया।
- दो निर्वाचित विधायी परिषदें थीं।
- इन परिषदों ने पाँच सदस्यों वाली एक **कार्यकारी डायरेक्टरी (Directory)** की नियुक्ति की। यह जैकोबिन के अधीन एक व्यक्ति की एकाग्रता को रोकने के लिए था।
- हालाँकि, डायरेक्टरों का अक्सर विधायी परिषदों से झगड़ा होता था, जो उन्हें बर्खास्त करने की कोशिश करती थीं।
- राजनीतिक अस्थिरता ने एक सैन्य तानाशाह, **नेपोलियन बोनापार्ट (Napoleon Bonaparte)** के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।
1.9 क्या महिलाओं की भी क्रांति हुई? (Did Women Have a Revolution?)
- शुरुआत से ही, महिलाएँ फ्रांसीसी समाज में महत्वपूर्ण भागीदार थीं, जिन्होंने परिवर्तन लाने की उम्मीद में सक्रिय रूप से भाग लिया।
- तीसरे एस्टेट की अधिकांश महिलाएँ जीविका के लिए काम करती थीं, जैसे कपड़े धोना, फूल बेचना, या घरेलू नौकर के रूप में।
- उन्हें पुरुषों की तुलना में कम मजदूरी मिलती थी।
- अधिकांश महिलाओं के पास शिक्षा या व्यावसायिक प्रशिक्षण तक पहुंच नहीं थी।
- महिलाओं ने अपने हितों पर चर्चा करने और आवाज उठाने के लिए अपने स्वयं के राजनीतिक क्लब शुरू किए। सबसे प्रसिद्ध **सोसाइटी ऑफ रेवोल्यूशनरी एंड रिपब्लिकन विमेन (Society of Revolutionary and Republican Women)** थी।
- उनकी मुख्य मांगों में से एक यह थी कि महिलाओं को पुरुषों के समान राजनीतिक अधिकार मिलने चाहिए।
- क्रांतिकारी सरकार ने महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ कानून पेश किए:
- लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा अनिवार्य कर दी गई।
- पिता अब अपनी बेटियों को उनकी इच्छा के विरुद्ध शादी के लिए मजबूर नहीं कर सकते थे।
- शादी को एक अनुबंध माना गया जो नागरिक कानूनों के तहत पंजीकृत था, और तलाक को वैध बनाया गया था और इसे पुरुष और महिला दोनों द्वारा दायर किया जा सकता था।
- महिलाएँ अब व्यावसायिक प्रशिक्षण ले सकती थीं, कलाकार बन सकती थीं, या छोटे व्यवसाय चला सकती थीं।
- हालाँकि, महिलाओं को मतदान का अधिकार नहीं मिला।
- आतंक के राज के दौरान, महिला क्लबों को बंद कर दिया गया और कई प्रमुख महिला नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और फाँसी दे दी गई।
- फ्रांसीसी महिलाओं को अंततः **1946** में मतदान का अधिकार मिला।
1.10 दास प्रथा का उन्मूलन (The Abolition of Slavery)
- फ्रांसीसी उपनिवेशों में दास प्रथा सबसे विवादास्पद सामाजिक सुधारों में से एक थी।
- कैरिबियाई उपनिवेश (मार्टीनिक, ग्वाडेलोप, सैन-डोमिंगो) तंबाकू, नील, चीनी और कॉफी जैसे कमोडिटी के महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता थे।
- यूरोप के श्रम की कमी को अफ्रीका से गुलामों की "त्रिकोणीय दास व्यापार" (triangular slave trade) द्वारा पूरा किया गया था, जो सत्रहवीं सदी में शुरू हुआ था।
- फ्रांसीसी बंदरगाह शहर बोर्डो और नांतेज़ दास व्यापार के कारण समृद्ध हुए।
- राष्ट्रीय असेंबली ने दास प्रथा को खत्म करने पर बहुत बहस की लेकिन कोई कानून पारित नहीं किया।
- **1794:** जैकोबिन शासन ने सभी फ्रांसीसी उपनिवेशों में सभी गुलामों को मुक्त करने के लिए कानून पारित किया।
- हालाँकि, **नेपोलियन** ने 10 साल बाद दास प्रथा को फिर से शुरू कर दिया।
- अंततः **1848** में फ्रांसीसी उपनिवेशों में दास प्रथा को स्थायी रूप से समाप्त कर दिया गया।
1.11 क्रांति और रोज़मर्रा का जीवन (The Revolution and Everyday Life)
- 1789 के बाद, सरकार में महत्वपूर्ण बदलाव आए।
- कानूनों ने स्वतंत्रता और समानता के क्रांतिकारी आदर्शों को रोजमर्रा के जीवन में अनुवादित किया।
- सबसे महत्वपूर्ण कानून **सेंसरशिप का उन्मूलन (abolition of censorship)** था।
- अब तक, राजा की शक्ति के तहत, सभी लिखित सामग्री और सांस्कृतिक गतिविधियों (किताबें, अखबार, नाटक) को शाही सेंसरों द्वारा अनुमोदित होने के बाद ही प्रकाशित या प्रदर्शित किया जा सकता था।
- लेकिन 1789 के अधिकारों की घोषणा ने भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को एक प्राकृतिक अधिकार घोषित किया।
- अखबार, पैम्फलेट, किताबें और प्रिंटिंग प्रेस फ्रांस के शहरों में बाढ़ की तरह आ गए।
- इनमें फ्रांस में होने वाली घटनाओं और परिवर्तनों का वर्णन और चर्चा की गई।
- नाटकों, गीतों और त्योहारों जुलूसों ने स्वतंत्रता और न्याय के विचार को लोगों तक पहुँचाया।
1.12 नेपोलियन का उदय (Napoleon's Rise)
- 1804 में, **नेपोलियन बोनापार्ट** ने खुद को फ्रांस का सम्राट घोषित किया।
- उसने यूरोप के बड़े हिस्से को जीतने, राजवंशों को हटाने और अपने राज्यों के सदस्यों को स्थापित करने के लिए युद्ध छेड़े।
- उसने खुद को यूरोप का आधुनिकीकरण करने वाला माना।
- उसने निजी संपत्ति की सुरक्षा और वजन और माप की दशमलव प्रणाली की शुरुआत की जैसे कानून बनाए।
- शुरुआत में, कई लोगों ने नेपोलियन को एक मुक्तिदाता के रूप में देखा जो लोगों के लिए स्वतंत्रता लाएगा।
- लेकिन जल्द ही उसकी सेनाएँ एक आक्रमणकारी शक्ति के रूप में देखी जाने लगीं।
- वह अंततः **1815 में वाटरलू (Waterloo)** में हार गया।
फ्रांसीसी क्रांति के विचार (स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकार) उन्नीसवीं सदी में यूरोप के बाकी हिस्सों में फैल गए और इसने सामंती व्यवस्था को समाप्त करने के लिए प्रेरित किया। औपनिवेशिक लोगों ने स्वतंत्र राष्ट्र राज्यों के निर्माण के लिए आंदोलन विकसित किए। भारत में, **टीपू सुल्तान (Tipu Sultan)** और **राजा राम मोहन राय (Raja Ram Mohan Roy)** जैसे व्यक्तियों ने फ्रांसीसी क्रांति के विचारों से प्रेरणा ली।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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फ्रांसीसी क्रांति किस वर्ष हुई थी?
1789 में।
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1774 में फ्रांस का सम्राट कौन था?
लुई सोलहवां (Louis XVI)।
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फ्रांसीसी समाज कितने एस्टेट्स में बंटा था?
तीन एस्टेट्स में।
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किस एस्टेट को सभी कर चुकाने पड़ते थे?
तीसरे एस्टेट को।
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'टाईल' (Taille) क्या था?
फ्रांस में एक प्रत्यक्ष कर।
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'टाइद' (Tithe) क्या था?
चर्च द्वारा कृषि उपज के दसवें हिस्से के रूप में वसूल किया जाने वाला कर।
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जैकोबिन क्लब का नेता कौन था?
मैक्सिमिलियन रोबेस्पियर (Maximilien Robespierre)।
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फ्रांस में महिलाओं को मतदान का अधिकार कब मिला?
1946 में।
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नेपोलियन बोनापार्ट वाटरलू में कब हारा था?
1815 में।
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भारत के दो व्यक्तियों के नाम बताएं जो फ्रांसीसी क्रांति के विचारों से प्रेरित थे।
टीपू सुल्तान और राजा राम मोहन राय।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।
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14 जुलाई 1789 की घटना का क्या महत्व था?
14 जुलाई 1789 को बास्तील के किले पर हमला और उसका ढहाया जाना फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत का प्रतीक था। यह घटना सम्राट की निरंकुश शक्ति के अंत और आम जनता के बढ़ते असंतोष और विद्रोह का प्रतिनिधित्व करती थी, जिसने आगे चलकर राजशाही के पतन और एक गणतंत्र की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।
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फ्रांसीसी समाज में अठारहवीं सदी के अंत में जीविका का संकट क्या था?
फ्रांस की बढ़ती जनसंख्या के कारण अनाज की मांग में भारी वृद्धि हुई, लेकिन उत्पादन उस दर से नहीं बढ़ पाया। इससे रोटी की कीमतें तेजी से बढ़ीं, जबकि अधिकांश मजदूरों की मजदूरी तय थी। फसल खराब होने पर स्थिति और बिगड़ जाती थी, जिससे लोगों के लिए बुनियादी खाद्य सामग्री खरीदना भी मुश्किल हो जाता था, जिसे जीविका का संकट कहा जाता है।
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जॉन लॉक और रूसो के विचारों ने फ्रांसीसी क्रांति को कैसे प्रभावित किया?
जॉन लॉक ने अपनी पुस्तक 'टू ट्रीटीज़ ऑफ गवर्नमेंट' में राजा के निरंकुश और दैवीय अधिकारों का खंडन किया, जबकि रूसो ने 'द सोशल कॉन्ट्रैक्ट' में सरकार और लोगों के बीच सामाजिक अनुबंध पर आधारित शासन का विचार दिया। इन विचारों ने फ्रांसीसी जनता, विशेषकर मध्य वर्ग को स्वतंत्रता, समानता और सरकार में भागीदारी के सिद्धांतों से अवगत कराया, जिसने उन्हें विशेषाधिकारों के खिलाफ उठ खड़े होने के लिए प्रेरित किया।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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फ्रांसीसी समाज के एस्टेट्स सिस्टम का वर्णन करें। इस विभाजन ने क्रांति में क्या भूमिका निभाई?
अठारहवीं सदी के अंत में फ्रांसीसी समाज को तीन एस्टेट्स में विभाजित किया गया था, जो सामाजिक और आर्थिक असमानता पर आधारित था। **प्रथम एस्टेट** में पादरी वर्ग शामिल था, जिनके पास विशेष अधिकार थे, जैसे राज्य को कर न देना और किसानों से 'टाइद' नामक कर वसूलना। **द्वितीय एस्टेट** कुलीन वर्ग से बना था, जिन्हें जन्म से विशेषाधिकार प्राप्त थे, वे भी करों से मुक्त थे और किसानों से सामंती शुल्क तथा बेगार लेते थे। इन दोनों वर्गों के पास अधिकांश भूमि थी और वे जनसंख्या का एक छोटा सा हिस्सा थे।
**तृतीय एस्टेट** में समाज के बाकी सभी लोग शामिल थे - बड़े व्यवसायी, व्यापारी, अदालती कर्मचारी, वकील, किसान, कारीगर, छोटे किसान, भूमिहीन मजदूर और नौकर। जनसंख्या का लगभग 90% किसान थे, लेकिन उनमें से अधिकांश के पास अपनी जमीन नहीं थी। तृतीय एस्टेट को सभी प्रत्यक्ष करों (जैसे 'टाईल') और अप्रत्यक्ष करों (नमक और तंबाकू पर) का भुगतान करना पड़ता था, और उन्हें प्रथम और द्वितीय एस्टेट को सेवाएँ भी देनी पड़ती थीं। यह असमान और अन्यायपूर्ण कर प्रणाली, जहाँ केवल आम जनता को ही कर चुकाना पड़ता था जबकि विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग छूट का आनंद लेते थे, ने तृतीय एस्टेट में भारी असंतोष पैदा किया। इस गहरे आर्थिक और सामाजिक भेदभाव ने क्रांति के लिए जमीन तैयार की और इसे भड़काने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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आतंक के राज (Reign of Terror) का क्या अर्थ है? रोबेस्पियर ने इस अवधि के दौरान कौन सी नीतियाँ अपनाईं?
**आतंक का राज** 1793 से 1794 तक की अवधि को संदर्भित करता है, जब फ्रांस में जैकोबिन क्लब के नेता **मैक्सिमिलियन रोबेस्पियर** ने अत्यधिक कठोर नियंत्रण और दंड की नीति अपनाई। इस दौरान, गणतंत्र के सभी कथित 'दुश्मनों' - जिनमें कुलीन, पादरी, अन्य राजनीतिक दलों के सदस्य, और यहाँ तक कि जैकोबिन के भीतर के असंतुष्ट भी शामिल थे - को गिरफ्तार कर लिया गया, कैद कर लिया गया, और यदि क्रांतिकारी ट्रिब्यूनल द्वारा दोषी पाया गया, तो उन्हें **गिलोटिन** पर चढ़ा दिया गया। यह एक ऐसा यंत्र था जिसमें दो खंभों के बीच लटकी हुई ब्लेड से सिर धड़ से अलग किया जाता था। रोबेस्पियर का मानना था कि क्रांति की सुरक्षा के लिए ऐसी कठोरता आवश्यक है।
रोबेस्पियर सरकार ने कई कठोर नीतियां लागू कीं। उसने मजदूरी और कीमतों के लिए अधिकतम सीमा तय की, जिससे मांस और रोटी को राशन किया गया। किसानों को अपने अनाज को सरकार द्वारा तय कीमतों पर शहरों में बेचने के लिए मजबूर किया गया। समानता को बढ़ावा देने के लिए, पारंपरिक 'मैडम' और 'मॉनसियर' के बजाय, सभी फ्रांसीसी पुरुषों और महिलाओं को 'सिटोयेन' (नागरिक) और 'सिटोयेन' (नागरिका) के रूप में संबोधित किया जाने लगा। गिरजाघरों को बंद कर दिया गया और उनकी इमारतों को बैरक या कार्यालयों में बदल दिया गया। रोबेस्पियर की नीतियों की इतनी क्रूरता और असहिष्णुता थी कि अंततः उसके अपने समर्थक भी उससे असंतुष्ट हो गए। जुलाई 1794 में, उसे गिरफ्तार कर लिया गया, दोषी ठहराया गया और अगले ही दिन गिलोटिन पर चढ़ा दिया गया, जिससे आतंक का राज समाप्त हो गया।
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