अध्याय 1: फ्रांसीसी क्रांति (The French Revolution)

परिचय

14 जुलाई 1789 को, सुबह के समय, पेरिस शहर में आतंक का माहौल था। सम्राट ने सेना को शहर में प्रवेश करने का आदेश दिया था। अफवाहें फैल रही थीं कि वह जल्द ही नागरिकों पर गोलियां चलाने वाला है। लगभग 7,000 पुरुष और महिलाएँ टाउन हॉल के सामने एकत्रित हुए और एक जनसेना बनाने का फैसला किया। उन्होंने हथियारों की तलाश में सरकारी भवनों में तोड़-फोड़ की। अंततः, सैकड़ों लोगों का एक समूह बास्तील के किले की जेल की ओर बढ़ा, जहाँ हथियार मिलने की उम्मीद थी। हथियारबंद संघर्ष में, बास्तील का कमांडर मारा गया और कैदियों को रिहा कर दिया गया (हालांकि वहाँ केवल सात कैदी थे)। बास्तील का किला सम्राट की निरंकुश शक्ति का प्रतीक था, इसलिए इसे ढहा दिया गया और उसके पत्थर के टुकड़े बाज़ार में बेचे गए। यह घटना फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत थी, जिसने यूरोप और शेष विश्व को गहराई से प्रभावित किया।

1.1 फ्रांसीसी समाज: अठारहवीं सदी के अंत में

1774 में, **लुई सोलहवां** (Louis XVI) फ्रांस का सम्राट बना। उसने ऑस्ट्रिया की राजकुमारी **मारी एंतोएनेत** (Marie Antoinette) से शादी की थी। जब वह गद्दी पर बैठा, तो राजकोष खाली था। इसके कई कारण थे:

समाज का विभाजन:

  1. प्रथम एस्टेट (First Estate): पादरी वर्ग
    • गिरजाघरों के विशेष अधिकारों का आनंद लेते थे।
    • राज्य को कर नहीं देते थे।
    • किसानों से 'टाइद' (Tithe) नामक कर वसूलते थे, जो कृषि उपज का दसवां हिस्सा होता था।
  2. द्वितीय एस्टेट (Second Estate): कुलीन वर्ग
    • जन्म से विशेषाधिकार प्राप्त थे।
    • राज्य को कर नहीं देते थे।
    • जागीरदार शुल्क (feudal dues) वसूलते थे और किसानों से बेगार (forced labor) करवाते थे।
  3. तृतीय एस्टेट (Third Estate): आम जनता
    • इसमें बड़े व्यवसायी, व्यापारी, अदालती कर्मचारी, वकील, किसान, कारीगर, छोटे किसान, भूमिहीन मजदूर और नौकर शामिल थे।
    • इन्हें सभी प्रकार के कर चुकाने पड़ते थे:
      • **टाईल (Taille):** प्रत्यक्ष कर।
      • अप्रत्यक्ष कर: नमक और तंबाकू जैसे रोजमर्रा की वस्तुओं पर।
      • पादरी और कुलीनों को सेवाएँ प्रदान करना।
    • जनसंख्या का $90\%$ किसान थे, लेकिन केवल कुछ किसानों के पास अपनी जमीन थी।

फ्रांसीसी समाज में, विशेषकर पादरी और कुलीन वर्ग द्वारा भोगी गई सामाजिक और आर्थिक असमानता क्रांति के प्रमुख कारणों में से एक थी।

1.2 जीविका का संकट (The Struggle to Survive)

फ्रांस की जनसंख्या 1715 में $2.3$ करोड़ से बढ़कर 1789 में $2.8$ करोड़ हो गई। इससे अनाज की मांग तेजी से बढ़ी। उत्पादन जनसंख्या वृद्धि के साथ तालमेल नहीं बिठा पाया, जिससे रोटी की कीमतें तेजी से बढ़ीं। अधिकांश मजदूरों की मजदूरी तय थी, जो कीमतों के बढ़ने के साथ नहीं बढ़ी। इससे अमीर और गरीब के बीच का अंतर बढ़ता गया।

खराब फसल या सूखे की स्थिति में, अनाज की कीमतें और भी बढ़ जाती थीं, जिससे जीवनयापन का संकट पैदा हो जाता था। ऐसी स्थिति तब आती है जब जीवन जीने के न्यूनतम साधन भी खतरे में पड़ जाते हैं।

1.3 उभरते मध्य वर्ग ने विशेषाधिकारों के अंत की कल्पना की (A Growing Middle Class Envisages an End to Privileges)

अठारहवीं सदी में, एक नए सामाजिक समूह का उदय हुआ जिसे **मध्य वर्ग (Middle Class)** कहा गया। इसमें व्यापारी, निर्माता, वकील और प्रशासक जैसे शिक्षित पेशेवर शामिल थे।

प्रमुख दार्शनिकों और उनके विचार:

इन दार्शनिकों के विचारों पर सैलून और कॉफी हाउस में गहन चर्चा हुई और अखबारों और किताबों के माध्यम से व्यापक रूप से फैलाए गए। अमेरिकी संविधान में शक्तियों के विभाजन के विचार ने फ्रांसीसी राजनीतिक विचारकों को विशेष रूप से प्रेरित किया।

1.4 क्रांति का प्रकोप (The Outbreak of the Revolution)

फ्रांस में सम्राट अकेले अपनी इच्छा से कर नहीं बढ़ा सकता था। उसे इसके लिए **एस्टेट्स जनरल (Estates General)** की बैठक बुलानी पड़ती थी, जो तीनों एस्टेट के प्रतिनिधियों की राजनीतिक संस्था थी।

जिस समय राष्ट्रीय असेंबली संविधान का मसौदा तैयार कर रही थी, फ्रांस के अन्य हिस्सों में भी अशांति फैल गई थी।

लुई सोलहवें ने अंततः राष्ट्रीय असेंबली को मान्यता दी और संविधान को स्वीकार कर लिया।

1.5 फ्रांस एक संवैधानिक राजतंत्र बन गया (France Becomes a Constitutional Monarchy)

1791 में, राष्ट्रीय असेंबली ने एक संविधान का मसौदा पूरा किया, जिसका मुख्य उद्देश्य सम्राट की शक्तियों को सीमित करना था।

1.6 फ्रांस राजशाही को समाप्त करता है और एक गणतंत्र बन जाता है (France Abolishes Monarchy and Becomes a Republic)

हालाँकि, लुई सोलहवें ने प्रुशिया और ऑस्ट्रिया के राजाओं के साथ गुप्त बातचीत की। इन देशों के शासक 1789 की घटनाओं से चिंतित थे और फ्रांसीसी क्रांति को दबाने के लिए सेना भेजने की योजना बना रहे थे।

राजनीतिक क्लबों का उदय:

1.7 आतंक का राज (The Reign of Terror)

1793 से 1794 की अवधि को **आतंक का राज (Reign of Terror)** कहा जाता है।

1.8 एक डायरेक्टरी द्वारा फ्रांस का शासन (A Directory Rules France)

जैकोबिन सरकार के पतन के बाद, एक नए संविधान को पेश किया गया जिसने संपत्तिहीन वर्गों को वोट देने के अधिकार से वंचित कर दिया।

1.9 क्या महिलाओं की भी क्रांति हुई? (Did Women Have a Revolution?)

1.10 दास प्रथा का उन्मूलन (The Abolition of Slavery)

1.11 क्रांति और रोज़मर्रा का जीवन (The Revolution and Everyday Life)

1.12 नेपोलियन का उदय (Napoleon's Rise)

फ्रांसीसी क्रांति के विचार (स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकार) उन्नीसवीं सदी में यूरोप के बाकी हिस्सों में फैल गए और इसने सामंती व्यवस्था को समाप्त करने के लिए प्रेरित किया। औपनिवेशिक लोगों ने स्वतंत्र राष्ट्र राज्यों के निर्माण के लिए आंदोलन विकसित किए। भारत में, **टीपू सुल्तान (Tipu Sultan)** और **राजा राम मोहन राय (Raja Ram Mohan Roy)** जैसे व्यक्तियों ने फ्रांसीसी क्रांति के विचारों से प्रेरणा ली।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. फ्रांसीसी क्रांति किस वर्ष हुई थी?

    1789 में।

  2. 1774 में फ्रांस का सम्राट कौन था?

    लुई सोलहवां (Louis XVI)।

  3. फ्रांसीसी समाज कितने एस्टेट्स में बंटा था?

    तीन एस्टेट्स में।

  4. किस एस्टेट को सभी कर चुकाने पड़ते थे?

    तीसरे एस्टेट को।

  5. 'टाईल' (Taille) क्या था?

    फ्रांस में एक प्रत्यक्ष कर।

  6. 'टाइद' (Tithe) क्या था?

    चर्च द्वारा कृषि उपज के दसवें हिस्से के रूप में वसूल किया जाने वाला कर।

  7. जैकोबिन क्लब का नेता कौन था?

    मैक्सिमिलियन रोबेस्पियर (Maximilien Robespierre)।

  8. फ्रांस में महिलाओं को मतदान का अधिकार कब मिला?

    1946 में।

  9. नेपोलियन बोनापार्ट वाटरलू में कब हारा था?

    1815 में।

  10. भारत के दो व्यक्तियों के नाम बताएं जो फ्रांसीसी क्रांति के विचारों से प्रेरित थे।

    टीपू सुल्तान और राजा राम मोहन राय।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।

  1. 14 जुलाई 1789 की घटना का क्या महत्व था?

    14 जुलाई 1789 को बास्तील के किले पर हमला और उसका ढहाया जाना फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत का प्रतीक था। यह घटना सम्राट की निरंकुश शक्ति के अंत और आम जनता के बढ़ते असंतोष और विद्रोह का प्रतिनिधित्व करती थी, जिसने आगे चलकर राजशाही के पतन और एक गणतंत्र की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।

  2. फ्रांसीसी समाज में अठारहवीं सदी के अंत में जीविका का संकट क्या था?

    फ्रांस की बढ़ती जनसंख्या के कारण अनाज की मांग में भारी वृद्धि हुई, लेकिन उत्पादन उस दर से नहीं बढ़ पाया। इससे रोटी की कीमतें तेजी से बढ़ीं, जबकि अधिकांश मजदूरों की मजदूरी तय थी। फसल खराब होने पर स्थिति और बिगड़ जाती थी, जिससे लोगों के लिए बुनियादी खाद्य सामग्री खरीदना भी मुश्किल हो जाता था, जिसे जीविका का संकट कहा जाता है।

  3. जॉन लॉक और रूसो के विचारों ने फ्रांसीसी क्रांति को कैसे प्रभावित किया?

    जॉन लॉक ने अपनी पुस्तक 'टू ट्रीटीज़ ऑफ गवर्नमेंट' में राजा के निरंकुश और दैवीय अधिकारों का खंडन किया, जबकि रूसो ने 'द सोशल कॉन्ट्रैक्ट' में सरकार और लोगों के बीच सामाजिक अनुबंध पर आधारित शासन का विचार दिया। इन विचारों ने फ्रांसीसी जनता, विशेषकर मध्य वर्ग को स्वतंत्रता, समानता और सरकार में भागीदारी के सिद्धांतों से अवगत कराया, जिसने उन्हें विशेषाधिकारों के खिलाफ उठ खड़े होने के लिए प्रेरित किया।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. फ्रांसीसी समाज के एस्टेट्स सिस्टम का वर्णन करें। इस विभाजन ने क्रांति में क्या भूमिका निभाई?

    अठारहवीं सदी के अंत में फ्रांसीसी समाज को तीन एस्टेट्स में विभाजित किया गया था, जो सामाजिक और आर्थिक असमानता पर आधारित था। **प्रथम एस्टेट** में पादरी वर्ग शामिल था, जिनके पास विशेष अधिकार थे, जैसे राज्य को कर न देना और किसानों से 'टाइद' नामक कर वसूलना। **द्वितीय एस्टेट** कुलीन वर्ग से बना था, जिन्हें जन्म से विशेषाधिकार प्राप्त थे, वे भी करों से मुक्त थे और किसानों से सामंती शुल्क तथा बेगार लेते थे। इन दोनों वर्गों के पास अधिकांश भूमि थी और वे जनसंख्या का एक छोटा सा हिस्सा थे।

    **तृतीय एस्टेट** में समाज के बाकी सभी लोग शामिल थे - बड़े व्यवसायी, व्यापारी, अदालती कर्मचारी, वकील, किसान, कारीगर, छोटे किसान, भूमिहीन मजदूर और नौकर। जनसंख्या का लगभग 90% किसान थे, लेकिन उनमें से अधिकांश के पास अपनी जमीन नहीं थी। तृतीय एस्टेट को सभी प्रत्यक्ष करों (जैसे 'टाईल') और अप्रत्यक्ष करों (नमक और तंबाकू पर) का भुगतान करना पड़ता था, और उन्हें प्रथम और द्वितीय एस्टेट को सेवाएँ भी देनी पड़ती थीं। यह असमान और अन्यायपूर्ण कर प्रणाली, जहाँ केवल आम जनता को ही कर चुकाना पड़ता था जबकि विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग छूट का आनंद लेते थे, ने तृतीय एस्टेट में भारी असंतोष पैदा किया। इस गहरे आर्थिक और सामाजिक भेदभाव ने क्रांति के लिए जमीन तैयार की और इसे भड़काने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  2. आतंक के राज (Reign of Terror) का क्या अर्थ है? रोबेस्पियर ने इस अवधि के दौरान कौन सी नीतियाँ अपनाईं?

    **आतंक का राज** 1793 से 1794 तक की अवधि को संदर्भित करता है, जब फ्रांस में जैकोबिन क्लब के नेता **मैक्सिमिलियन रोबेस्पियर** ने अत्यधिक कठोर नियंत्रण और दंड की नीति अपनाई। इस दौरान, गणतंत्र के सभी कथित 'दुश्मनों' - जिनमें कुलीन, पादरी, अन्य राजनीतिक दलों के सदस्य, और यहाँ तक कि जैकोबिन के भीतर के असंतुष्ट भी शामिल थे - को गिरफ्तार कर लिया गया, कैद कर लिया गया, और यदि क्रांतिकारी ट्रिब्यूनल द्वारा दोषी पाया गया, तो उन्हें **गिलोटिन** पर चढ़ा दिया गया। यह एक ऐसा यंत्र था जिसमें दो खंभों के बीच लटकी हुई ब्लेड से सिर धड़ से अलग किया जाता था। रोबेस्पियर का मानना था कि क्रांति की सुरक्षा के लिए ऐसी कठोरता आवश्यक है।

    रोबेस्पियर सरकार ने कई कठोर नीतियां लागू कीं। उसने मजदूरी और कीमतों के लिए अधिकतम सीमा तय की, जिससे मांस और रोटी को राशन किया गया। किसानों को अपने अनाज को सरकार द्वारा तय कीमतों पर शहरों में बेचने के लिए मजबूर किया गया। समानता को बढ़ावा देने के लिए, पारंपरिक 'मैडम' और 'मॉनसियर' के बजाय, सभी फ्रांसीसी पुरुषों और महिलाओं को 'सिटोयेन' (नागरिक) और 'सिटोयेन' (नागरिका) के रूप में संबोधित किया जाने लगा। गिरजाघरों को बंद कर दिया गया और उनकी इमारतों को बैरक या कार्यालयों में बदल दिया गया। रोबेस्पियर की नीतियों की इतनी क्रूरता और असहिष्णुता थी कि अंततः उसके अपने समर्थक भी उससे असंतुष्ट हो गए। जुलाई 1794 में, उसे गिरफ्तार कर लिया गया, दोषी ठहराया गया और अगले ही दिन गिलोटिन पर चढ़ा दिया गया, जिससे आतंक का राज समाप्त हो गया।

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