अध्याय 5: प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी (Natural Vegetation and Wildlife)
परिचय
**प्राकृतिक वनस्पति (Natural Vegetation)** से तात्पर्य पौधों के उस समुदाय से है जो बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के स्वाभाविक रूप से उगता है और बढ़ता है। इसे **अछूत वनस्पति (Virgin Vegetation)** भी कहते हैं। वह वनस्पति जो मूल रूप से भारतीय है, उसे **स्थानिक या देशज (Endemic or Indigenous)** कहा जाता है, जबकि जो पौधे भारत के बाहर से आए हैं, उन्हें **विदेशी (Exotic)** कहा जाता है।
भारत एक विशाल विविधता वाला देश है। यह विश्व के 12 मेगा-विविधता वाले देशों में से एक है। इसमें पौधों की लगभग 47,000 प्रजातियाँ और जानवरों की 89,000 प्रजातियाँ हैं।
वनस्पति को प्रभावित करने वाले कारक:
- **भूभाग (Relief):**
- **भूमि:** भूमि की प्रकृति वनस्पति के प्रकार को प्रभावित करती है। पहाड़ी, पठारी और मैदानी क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार की वनस्पति पाई जाती है।
- **मिट्टी:** विभिन्न प्रकार की मिट्टी विभिन्न प्रकार की वनस्पति का समर्थन करती है, जैसे रेतीली मिट्टी में कटीली झाड़ियाँ और दलदली मिट्टी में मैंग्रोव वन।
- **जलवायु (Climate):**
- **तापमान:** तापमान पौधों के विकास को प्रभावित करता है। हिमालय पर ऊँचाई के अनुसार वनस्पति में परिवर्तन होता है।
- **सूर्य का प्रकाश:** सूर्य के प्रकाश की अवधि पौधों की वृद्धि को प्रभावित करती है। उच्च अक्षांशों या ऊँचाई पर दिन की लंबी अवधि अधिक सूर्य का प्रकाश प्रदान करती है।
- **वर्षा:** अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में सघन वनस्पति पाई जाती है, जबकि कम वर्षा वाले क्षेत्रों में कटीली झाड़ियाँ और रेगिस्तानी वनस्पति पाई जाती है।
5.1 वनस्पति के प्रकार (Types of Vegetation)
भारत में निम्नलिखित प्रकार की प्राकृतिक वनस्पति पाई जाती है:
1. उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन (Tropical Evergreen Forests)
- ये उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ 200 सेमी से अधिक वर्षा होती है और 22°C से अधिक तापमान होता है।
- ये पश्चिमी घाट, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, असम के ऊपरी हिस्सों और तमिलनाडु तट पर पाए जाते हैं।
- ये वर्ष भर हरे-भरे रहते हैं क्योंकि यहाँ पत्तियां गिराने का कोई निश्चित समय नहीं होता है।
- ये सघन और बहुस्तरीय होते हैं, जिनकी ऊँचाई 60 मीटर या उससे अधिक तक होती है।
- **महत्वपूर्ण पेड़:** एबोनी, महोगनी, रोजवुड, रबर और सिनकोना।
- **जानवर:** हाथी, बंदर, लेमूर, हिरण, एक सींग वाला गैंडा (असम और पश्चिम बंगाल)।
2. उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन (Tropical Deciduous Forests)
- इन्हें **मानसून वन (Monsoon Forests)** भी कहते हैं।
- ये भारत के सबसे व्यापक वन हैं।
- ये उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ 70 सेमी से 200 सेमी के बीच वर्षा होती है।
- पेड़ शुष्क गर्मियों में लगभग छह से आठ सप्ताह के लिए अपनी पत्तियां गिराते हैं।
- इन्हें जल की उपलब्धता के आधार पर दो प्रकारों में विभाजित किया गया है:
- **नम पर्णपाती वन (Moist Deciduous Forests):**
- ये 100 सेमी से 200 सेमी वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- ये पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालय की तलहटी, झारखंड, पश्चिमी ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिमी घाट के पूर्वी ढलानों पर पाए जाते हैं।
- **महत्वपूर्ण पेड़:** सागौन, बाँस, साल, शीशम, चंदन, खैर, कुसुम, अर्जुन, शहतूत।
- **शुष्क पर्णपाती वन (Dry Deciduous Forests):**
- ये 70 सेमी से 100 सेमी वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- ये प्रायद्वीपीय पठार के वर्षा वाले क्षेत्रों और बिहार और उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों में पाए जाते हैं।
- ये खुले जंगल हैं, जिनमें पेड़ अपनी पत्तियां पूरी तरह से गिरा देते हैं।
- **महत्वपूर्ण पेड़:** सागौन, साल, पीपल, नीम।
- **नम पर्णपाती वन (Moist Deciduous Forests):**
- **जानवर:** शेर, बाघ, सुअर, हिरण और हाथी।
3. उष्णकटिबंधीय कटीले वन तथा झाड़ियाँ (Tropical Thorn Forests and Scrubs)
- ये उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ 70 सेमी से कम वर्षा होती है।
- ये उत्तर-पश्चिमी भारत के अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जिनमें गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और हरियाणा शामिल हैं।
- यहां वनस्पति बिखरी हुई होती है, और पौधों की जड़ें नमी की तलाश में गहरी होती हैं।
- पत्तियाँ छोटी और मोटी होती हैं, और तने रसीले होते हैं ताकि वाष्पीकरण को कम किया जा सके।
- **महत्वपूर्ण पेड़:** बबूल, खजूर, यूफोरबिया और कैक्टस (नागफनी)।
- **जानवर:** चूहे, खरगोश, लोमड़ी, भेड़िया, बाघ, शेर, जंगली गधा, घोड़े और ऊँट।
4. पर्वतीय वन (Montane Forests)
- पहाड़ों में, तापमान में गिरावट और ऊँचाई में वृद्धि के साथ वनस्पति के प्रकार में परिवर्तन होता है।
- 1000-2000 मीटर की ऊँचाई पर: शीतोष्ण पर्णपाती वन (ओक, चेस्टनट)।
- 1500-3000 मीटर की ऊँचाई पर: शंकुधारी वृक्ष (चीड़, देवदार, सिल्वर फर, स्प्रूस, सीडर)। ये वन हिमालय के दक्षिणी ढलानों, पूर्वोत्तर भारत और दक्षिणी भारत के उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- 3600 मीटर से अधिक की ऊँचाई पर: अल्पाइन वनस्पति (सिल्वर फर, जुनिपर, चीड़, बर्च)। जैसे-जैसे ये पेड़ वृक्ष रेखा के करीब होते हैं, वे झाड़ियों और घास के मैदानों में बदल जाते हैं।
- **जानवर:** कश्मीर स्टैग, चित्तीदार हिरण, जंगली भेड़, याक, हिम तेंदुआ, गिलहरी, शैगी हॉर्न वाले जंगली भेड़, तिब्बती मृग, भालू और लाल पांडा।
5. मैंग्रोव वन (Mangrove Forests)
- ये ज्वार-भाटे से प्रभावित तटों पर पाए जाते हैं।
- मिट्टी और गाद ज्वार के कारण इन तटों पर जमा हो जाती है।
- जड़ों के बहुत सारे भाग पानी में डूबे रहते हैं।
- ये गंगा, महानदी, कृष्णा, गोदावरी और कावेरी नदियों के डेल्टा में पाए जाते हैं।
- गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा में, **सुंदरी वृक्ष (Sundari trees)** पाए जाते हैं, जो इन वनों को अपना नाम देते हैं।
- **महत्वपूर्ण पेड़:** सुंदरी, पाल्म्स, नारियल, केओरा, अगर।
- **जानवर:** रॉयल बंगाल टाइगर, कछुए, मगरमच्छ, घड़ियाल और कई साँप।
5.2 वन्य प्राणी (Wildlife)
भारत में वन्य जीवन में अत्यधिक विविधता है।
- भारत में जानवरों की 89,000 से अधिक प्रजातियाँ, मछलियों की 2,000 से अधिक प्रजातियाँ (विश्व के कुल का 12%), और पक्षियों की 1,300 से अधिक प्रजातियाँ (विश्व के कुल का 13%) हैं।
- हाथी सबसे महत्वपूर्ण जानवर हैं, जो असम, कर्नाटक और केरल के गर्म नम जंगलों में पाए जाते हैं।
- एक सींग वाला गैंडा पश्चिम बंगाल और असम के दलदली और दलदली भूमि में पाया जाता है।
- गुजरात के गिर के जंगल एशियाई शेरों के प्राकृतिक आवास हैं।
- भारत एकमात्र ऐसा देश है जहाँ शेर और बाघ दोनों पाए जाते हैं।
- बाघ मध्य प्रदेश और सुंदरबन (पश्चिम बंगाल) के जंगलों और हिमालयी क्षेत्र में पाए जाते हैं।
- लद्दाख के बर्फीले ऊँचे पहाड़ों में हिम तेंदुआ, याक, जंगली भेड़, तिब्बती मृग और भरल जैसे जानवर पाए जाते हैं।
- कछुए, मगरमच्छ और घड़ियाल नदियों, झीलों और तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
वन्य जीवन के लिए खतरे और संरक्षण (Threats to Wildlife and Conservation)
भारत में पौधों और जानवरों की प्रजातियाँ कई खतरों का सामना कर रही हैं:
- मानवीय गतिविधियों के कारण प्राकृतिक आवासों का विनाश।
- औद्योगिक और शहरी विकास, कृषि का विस्तार।
- अत्यधिक चराई।
- शिकार (खेती और अवैध व्यापार के लिए)।
- प्रदूषण।
- जंगल की आग।
इन समस्याओं से निपटने के लिए, भारत सरकार ने कई उपाय किए हैं:
- भारत में **106 राष्ट्रीय उद्यान (National Parks)**, **566 वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuaries)** और **18 बायोस्फीयर रिजर्व (Biosphere Reserves)** स्थापित किए गए हैं।
- वन्यजीवों की कुछ विशिष्ट प्रजातियों की रक्षा के लिए **परियोजना बाघ (Project Tiger)**, **परियोजना गैंडा (Project Rhino)**, **परियोजना मगरमच्छ (Project Crocodile)** और **परियोजना हाथी (Project Elephant)** जैसी परियोजनाएँ शुरू की गई हैं।
- भारत सरकार ने पौधों और जानवरों की लगभग 101 प्रजातियों को कानूनी रूप से संरक्षित करने के लिए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (संशोधित) पारित किया है।
- ज्यादातर पक्षी अभयारण्य बनाए गए हैं, जो प्रवासी पक्षियों के लिए सुरक्षित आश्रय प्रदान करते हैं।
जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र (Biosphere Reserves)
ये बहुउद्देश्यीय संरक्षित क्षेत्र हैं जहाँ प्राकृतिक वनस्पति और वन्यजीवों के साथ-साथ स्थानीय समुदायों की पारंपरिक जीवन शैली को भी संरक्षित किया जाता है। भारत में 18 बायोस्फीयर रिजर्व हैं।
- इनमें से 12 को UNESCO के विश्व नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व में शामिल किया गया है।
- **कुछ महत्वपूर्ण बायोस्फीयर रिजर्व:**
- सुंदरबन (पश्चिम बंगाल)
- नंदा देवी (उत्तराखंड)
- मन्नार की खाड़ी (तमिलनाडु)
- नीलगिरी (केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु)
- नोकरेक (मेघालय)
- ग्रेट निकोबार (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह)
- पंचमढ़ी (मध्य प्रदेश)
- सिमलीपाल (ओडिशा)
- दिहांग-दिबांग (अरुणाचल प्रदेश)
- अगस्त्यमलाई (केरल, तमिलनाडु)
- कंचनजंगा (सिक्किम)
- अमरकंटक (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
-
'प्राकृतिक वनस्पति' क्या है?
प्राकृतिक वनस्पति पौधों का वह समुदाय है जो बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के स्वाभाविक रूप से उगता है और बढ़ता है।
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उन पौधों को क्या कहते हैं जो मूल रूप से भारतीय हैं?
स्थानिक या देशज (Endemic or Indigenous)।
-
भारत में किस प्रकार के वन सबसे व्यापक हैं?
उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन (Tropical Deciduous Forests)।
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'मानसून वन' किस प्रकार के वनों को कहा जाता है?
उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन।
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एशियाई शेरों का प्राकृतिक आवास कहाँ है?
गुजरात के गिर के जंगल।
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मैंग्रोव वन किस प्रकार की जड़ों से पहचाने जाते हैं?
वे जड़ें जिनके बहुत सारे भाग पानी में डूबे रहते हैं (श्वसन जड़ें)।
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भारत में कितने बायोस्फीयर रिजर्व हैं?
18 बायोस्फीयर रिजर्व।
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किस वन्यजीव परियोजना का उद्देश्य बाघों को बचाना है?
परियोजना बाघ (Project Tiger)।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।
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उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों की दो मुख्य विशेषताएँ बताएँ।
ये वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ 200 सेमी से अधिक वर्षा होती है। ये वर्ष भर हरे-भरे रहते हैं क्योंकि यहाँ पत्तियां गिराने का कोई निश्चित समय नहीं होता है। ये सघन और बहुस्तरीय होते हैं, जिनकी ऊँचाई 60 मीटर या उससे अधिक होती है।
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भारत में वन्यजीवों के लिए दो प्रमुख खतरे क्या हैं?
वन्यजीवों के लिए दो प्रमुख खतरे मानवीय गतिविधियों के कारण **प्राकृतिक आवासों का विनाश** (जैसे वनों की कटाई, शहरीकरण) और **अवैध शिकार** हैं। प्रदूषण, अत्यधिक चराई और जंगल की आग भी महत्वपूर्ण खतरे हैं।
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बायोस्फीयर रिजर्व क्या हैं?
बायोस्फीयर रिजर्व बहुउद्देश्यीय संरक्षित क्षेत्र हैं जिन्हें प्राकृतिक वनस्पति और वन्यजीवों के संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय समुदायों की पारंपरिक जीवन शैली को भी बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये पारिस्थितिक तंत्रों के दीर्घकालिक संरक्षण को सुनिश्चित करते हैं।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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भारत में विभिन्न प्रकार के वनों का विस्तृत वर्णन करें।
भारत में वर्षा, तापमान और मिट्टी की स्थिति के आधार पर विभिन्न प्रकार के वन पाए जाते हैं। **उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन** 200 सेमी से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जैसे पश्चिमी घाट और उत्तर-पूर्वी भारत। ये घने और बहुस्तरीय होते हैं, और साल भर हरे रहते हैं (जैसे महोगनी, रोजवुड)। **उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन**, जिन्हें मानसून वन भी कहते हैं, 70-200 सेमी वर्षा वाले क्षेत्रों में सबसे व्यापक हैं। इनके पेड़ शुष्क मौसम में अपनी पत्तियां गिरा देते हैं (जैसे सागौन, साल)। इन्हें नम और शुष्क पर्णपाती वनों में बांटा गया है।
**उष्णकटिबंधीय कटीले वन और झाड़ियाँ** 70 सेमी से कम वर्षा वाले शुष्क क्षेत्रों में पाए जाते हैं (जैसे राजस्थान, गुजरात)। इन वनों में बबूल, खजूर और कैक्टस जैसे छोटे पत्ते वाले या काँटेदार पेड़ होते हैं जो नमी को संरक्षित करते हैं। **पर्वतीय वन** ऊँचाई के साथ बदलते रहते हैं; 1000-2000 मीटर पर शीतोष्ण पर्णपाती वन होते हैं, जबकि 1500-3000 मीटर पर शंकुधारी वृक्ष (चीड़, देवदार) पाए जाते हैं। 3600 मीटर से ऊपर अल्पाइन वनस्पति और टुंड्रा क्षेत्र होता है। अंत में, **मैंग्रोव वन** ज्वार-भाटे से प्रभावित तटीय क्षेत्रों और नदी डेल्टा में पाए जाते हैं, जहाँ पेड़ पानी में डूबी हुई जड़ों के साथ जीवित रहते हैं (जैसे सुंदरबन में सुंदरी वृक्ष)। यह विविधता भारत की समृद्ध जैव-विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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भारत में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए किए गए विभिन्न उपायों पर चर्चा करें।
भारत में वन्यजीवों की समृद्ध विविधता को मानवीय गतिविधियों और पर्यावरण क्षरण के कारण कई खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे आवासों का विनाश, अवैध शिकार और प्रदूषण। इन चुनौतियों का सामना करने और वन्यजीवों के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए, भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण उपाय किए हैं।
संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना इनमें से एक प्रमुख उपाय है। भारत ने वन्यजीवों और उनके आवासों की सुरक्षा के लिए 106 **राष्ट्रीय उद्यान**, 566 **वन्यजीव अभयारण्य** और 18 **बायोस्फीयर रिजर्व** स्थापित किए हैं। बायोस्फीयर रिजर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे न केवल वन्यजीवों और वनस्पतियों का संरक्षण करते हैं, बल्कि स्थानीय समुदायों की पारंपरिक जीवन शैली को भी बनाए रखते हैं। इसके अलावा, सरकार ने विशिष्ट लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने के लिए केंद्रित परियोजनाएं शुरू की हैं, जैसे **परियोजना बाघ**, **परियोजना गैंडा**, **परियोजना मगरमच्छ**, और **परियोजना हाथी**। 1972 में पारित **वन्यजीव संरक्षण अधिनियम** (संशोधित) के तहत, कई पौधों और जानवरों की प्रजातियों को कानूनी संरक्षण प्रदान किया गया है, और शिकार और अवैध व्यापार को प्रतिबंधित किया गया है। इन प्रयासों के माध्यम से, भारत अपनी अनूठी वन्यजीव विरासत को भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने का प्रयास कर रहा है।
(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। दिखावट भिन्न हो सकती है।)