अध्याय 3: अपवाह (Drainage)
परिचय
**अपवाह (Drainage)** का अर्थ एक क्षेत्र की नदी प्रणाली से है। एक नदी तंत्र जिस क्षेत्र से जल बहाकर लाता है उसे **अपवाह द्रोणी (Drainage Basin)** कहते हैं। एक ऊँचा क्षेत्र, जैसे कि एक पर्वत या उच्चभूमि, जो दो पड़ोसी अपवाह द्रोणियों को एक दूसरे से अलग करता है, उसे **जल विभाजक (Water Divide)** कहते हैं।
3.1 भारत में अपवाह तंत्र (Drainage Systems in India)
भारत में अपवाह तंत्र को मुख्य रूप से दो प्रमुख समूहों में विभाजित किया गया है:
1. हिमालयी नदियाँ (The Himalayan Rivers)
- ये बारहमासी नदियाँ हैं, यानी इनमें पूरे वर्ष पानी रहता है क्योंकि ये वर्षा के साथ-साथ ग्लेशियरों के पिघलने से भी पानी प्राप्त करती हैं।
- इनमें से अधिकांश नदियाँ हिमालय में गहरे **गॉर्ज (gorges)** बनाती हुई पहाड़ों को काटती हैं।
- हिमालयी नदियाँ अपने उद्गम से समुद्र तक एक लंबा मार्ग तय करती हैं।
- वे अपने ऊपरी क्षेत्रों में तीव्र अपरदन गतिविधियाँ करती हैं और भारी मात्रा में गाद और रेत लाती हैं।
- नदी के मध्य और निचले भागों में, ये नदियाँ **विसर्प (meanders), गोखुर झीलें (ox-bow lakes)** और अपने बाढ़ के मैदानों में कई अन्य निक्षेपणात्मक विशेषताएँ बनाती हैं।
- वे अच्छी तरह से विकसित **डेल्टा (deltas)** भी बनाती हैं।
प्रमुख हिमालयी नदियाँ:
- **सिंधु नदी तंत्र (The Indus River System):**
- यह हिमालय की सबसे पश्चिमी नदियों में से एक है।
- यह तिब्बत में कैलाश पर्वत श्रृंखला के बोखर चू (Bokhar Chu) के पास से निकलती है।
- यह जम्मू-कश्मीर के लद्दाख जिले में भारत में प्रवेश करती है।
- इसकी मुख्य सहायक नदियाँ **झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज** हैं। ये पंजाब में मिठानकोट के पास सिंधु से मिलती हैं।
- सिंधु नदी की कुल लंबाई 2,900 किलोमीटर से अधिक है।
- सिंधु द्रोणी का एक तिहाई से अधिक हिस्सा भारत (जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पंजाब) में स्थित है और बाकी पाकिस्तान में है।
- यह दक्षिण की ओर बहती है और कराची के पूर्व में अरब सागर में मिल जाती है।
- **गंगा नदी तंत्र (The Ganga River System):**
- गंगा का मुख्य स्रोत **भागीरथी (Bhagirathi)** है, जो गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है।
- यह देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलती है और गंगा बन जाती है।
- हरिद्वार में, गंगा पहाड़ों से निकलकर मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है।
- गंगा की प्रमुख सहायक नदियाँ यमुना, घाघरा, गंडक और कोसी हैं।
- **यमुना (Yamuna)** यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है और इलाहाबाद में गंगा से मिलती है।
- घाघरा, गंडक और कोसी नेपाल हिमालय से निकलती हैं।
- प्रायद्वीपीय उच्चभूमि से निकलने वाली सहायक नदियाँ सोन, चंबल और बेतवा हैं।
- गंगा नदी की कुल लंबाई 2,500 किलोमीटर से अधिक है।
- गंगा और ब्रह्मपुत्र द्वारा बना **सुंदरबन डेल्टा (Sundarban Delta)** विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है।
- यह पश्चिम बंगाल में हुगली के रूप में दक्षिण की ओर बहती है और ब्रह्मपुत्र के साथ मिलकर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
- **ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र (The Brahmaputra River System):**
- ब्रह्मपुत्र तिब्बत में मानसरोवर झील के पूर्व में, सिंधु और सतलुज के उद्गम के बहुत करीब से निकलती है।
- यह सिंधु से थोड़ी लंबी है और इसका अधिकांश मार्ग भारत के बाहर स्थित है।
- यह हिमालय के समानांतर पूर्व की ओर बहती है।
- तिब्बत में, इसे **त्संगपो (Tsangpo)** के नाम से जाना जाता है और इसमें कम गाद होती है।
- भारत में, यह अरुणाचल प्रदेश में एक गॉर्ज के माध्यम से प्रवेश करती है, जहाँ इसे **दिहांग (Dihang)** के नाम से जाना जाता है।
- दिहांग, दिबांग, लोहित और कई अन्य सहायक नदियाँ असम में ब्रह्मपुत्र बनाती हैं।
- यह एक बृहद बाढ़ का मैदान बनाती है और अपने चैनल में बार-बार बदलाव करती है।
- यह बांग्लादेश में जमुना के नाम से प्रवेश करती है और गंगा से मिलकर मेघना बन जाती है, जो बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
2. प्रायद्वीपीय नदियाँ (The Peninsular Rivers)
- ये मौसमी नदियाँ हैं, यानी इनका प्रवाह वर्षा पर निर्भर करता है।
- शुष्क मौसम में, यहाँ तक कि बड़ी नदियों में भी पानी कम हो जाता है।
- ये हिमालयी नदियों की तुलना में छोटी और कम गहरी घाटियों में बहती हैं।
- ये नदियाँ पुरानी हैं, और इनके मार्ग अच्छी तरह से समायोजित हैं।
- अधिकांश प्रायद्वीपीय नदियाँ पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हैं और बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।
- हालांकि, कुछ नदियाँ पश्चिम की ओर बहती हैं, जैसे नर्मदा और तापी।
प्रमुख प्रायद्वीपीय नदियाँ:
- **नर्मदा द्रोणी (The Narmada Basin):**
- नर्मदा नदी मध्य प्रदेश में अमरकंटक पहाड़ियों से निकलती है।
- यह एक भ्रंश घाटी (rift valley) में पश्चिम की ओर बहती है।
- यह अरब सागर में गिरती है।
- इसकी सभी सहायक नदियाँ अपेक्षाकृत छोटी हैं और मुख्य धारा से समकोण पर मिलती हैं।
- यह मध्य प्रदेश और गुजरात में बहती है।
- **तापी द्रोणी (The Tapi Basin):**
- तापी नदी मध्य प्रदेश में सतपुड़ा श्रृंखला में बैतूल जिले से निकलती है।
- यह भी भ्रंश घाटी में नर्मदा के समानांतर बहती है, लेकिन इसकी लंबाई नर्मदा से काफी कम है।
- यह मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरती है और अरब सागर में गिरती है।
- **गोदावरी द्रोणी (The Godavari Basin):**
- गोदावरी प्रायद्वीपीय पठार की सबसे बड़ी नदी है।
- यह महाराष्ट्र में नासिक जिले से निकलती है।
- इसकी लंबाई लगभग 1,500 किलोमीटर है।
- इसका अपवाह द्रोणी सबसे बड़ा है।
- इसकी सहायक नदियों में पूर्णा, वर्धा, प्राणहिता, मांजरा, वैनगंगा और पेनगंगा शामिल हैं।
- यह महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा और आंध्र प्रदेश से होकर बहती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- अपने बड़े आकार के कारण इसे 'दक्षिण गंगा' के नाम से भी जाना जाता है।
- **महानदी द्रोणी (The Mahanadi Basin):**
- महानदी छत्तीसगढ़ की उच्चभूमि से निकलती है।
- यह ओडिशा से होकर बहती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- इसकी लंबाई लगभग 860 किलोमीटर है।
- इसका अपवाह द्रोणी महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा में फैला है।
- **कृष्णा द्रोणी (The Krishna Basin):**
- कृष्णा नदी महाराष्ट्र में महाबलेश्वर के पास एक झरने से निकलती है।
- यह लगभग 1,400 किलोमीटर लंबी है।
- इसकी मुख्य सहायक नदियाँ तुंगभद्रा, कोयना, घटप्रभा, मूसी और भीमा हैं।
- इसका अपवाह द्रोणी महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में फैला है।
- यह बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- **कावेरी द्रोणी (The Kaveri Basin):**
- कावेरी कर्नाटक में ब्रह्मगिरी श्रृंखला से निकलती है।
- यह तमिलनाडु में बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- इसकी लंबाई लगभग 760 किलोमीटर है।
- इसकी मुख्य सहायक नदियाँ अमरावती, भवानी, हेमावती और काबिनी हैं।
- यह कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में अपवाह करती है।
- यह प्रायद्वीपीय नदियों में से एक है जो पूरे वर्ष पानी रखती है।
- **अन्य छोटी नदियाँ:** दामोदर, सुवर्णरेखा, पेरियार, वैगई आदि भी कुछ महत्वपूर्ण छोटी प्रायद्वीपीय नदियाँ हैं।
3.2 झीलें (Lakes)
भारत में कई झीलें हैं जो विभिन्न आकारों और प्रकारों की हैं।
- **मीठे पानी की झीलें (Freshwater Lakes):**
- ये ज्यादातर हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं।
- ये ग्लेशियरों की गतिविधि के परिणामस्वरूप बनी हैं या नदियों द्वारा निर्मित हुई हैं।
- उदाहरण: **वूलर झील (Wular Lake)** (भारत में सबसे बड़ी मीठे पानी की झील, जम्मू-कश्मीर में टेक्टोनिक गतिविधि के कारण बनी), **डल झील (Dal Lake)**, नैनीताल, भीमताल, लोकतक।
- **खारे पानी की झीलें (Saltwater Lakes):**
- ये आमतौर पर अंतर्देशीय क्षेत्रों या तटीय क्षेत्रों में स्थित होती हैं।
- उदाहरण: **सांभर झील (Sambhar Lake)** (राजस्थान में, नमक उत्पादन के लिए उपयोग), **चिल्का झील (Chilika Lake)** (ओडिशा में, भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की लैगून झील), पुलिकट झील, कोल्लेरू झील।
- झीलें जलविद्युत उत्पादन, सिंचाई, मछली पकड़ने और पर्यटन के लिए उपयोगी हैं। वे नदियों के प्रवाह को नियंत्रित करने और सूखे और बाढ़ के दौरान पानी उपलब्ध कराने में भी मदद करती हैं।
3.3 नदियों का अर्थव्यवस्था में महत्व (Role of Rivers in the Economy)
नदियाँ भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं:
- **कृषि:** नदियाँ सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराती हैं, जिससे कृषि का विकास होता है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है।
- **जलविद्युत उत्पादन:** नदियों पर बांध बनाकर जलविद्युत उत्पन्न की जाती है, जो ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
- **परिवहन:** नदियाँ अंतर्देशीय जलमार्गों के रूप में कार्य करती हैं, जो वस्तुओं और लोगों के परिवहन के लिए एक सस्ता साधन प्रदान करती हैं।
- **मछली पालन:** नदियाँ और झीलें मछली पालन के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो स्थानीय समुदायों को आजीविका प्रदान करती हैं।
- **पर्यटन:** नदियाँ और उनके आसपास के क्षेत्र पर्यटन को बढ़ावा देते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होता है।
- **शहरीकरण:** कई बड़े शहर नदियों के किनारे विकसित हुए हैं, क्योंकि नदियाँ पानी और परिवहन के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करती हैं।
3.4 नदी प्रदूषण (River Pollution)
बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं।
- शहरों और उद्योगों से अनुपचारित अपशिष्ट और औद्योगिक बहिःस्राव नदियों में छोड़े जाते हैं।
- नदियों से लगातार जल निकालने से उनका आयतन कम हो रहा है, जिससे प्रदूषक पानी में अधिक सांद्रित हो जाते हैं।
- नदी प्रदूषण से जलीय जीवन को खतरा होता है और मानव स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- नदियों को साफ रखने और प्रदूषण को कम करने के लिए विभिन्न सरकारी कार्यक्रम और योजनाएं, जैसे 'नमामि गंगे' परियोजना, लागू की गई हैं।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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एक क्षेत्र की नदी प्रणाली को क्या कहते हैं?
अपवाह (Drainage)।
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एक ऊंचा क्षेत्र जो दो अपवाह द्रोणियों को अलग करता है, क्या कहलाता है?
जल विभाजक (Water Divide)।
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हिमालय की कौन सी नदी तिब्बत में त्सांगपो के नाम से जानी जाती है?
ब्रह्मपुत्र नदी।
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गंगा और ब्रह्मपुत्र द्वारा बनाया गया विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा कौन सा है?
सुंदरबन डेल्टा।
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प्रायद्वीपीय पठार की सबसे बड़ी नदी कौन सी है?
गोदावरी नदी।
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किस नदी को 'दक्षिण गंगा' के नाम से भी जाना जाता है?
गोदावरी नदी।
-
भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की प्राकृतिक झील कौन सी है?
वूलर झील (जम्मू-कश्मीर)।
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राजस्थान में नमक उत्पादन के लिए उपयोग की जाने वाली खारे पानी की झील का नाम बताएँ।
सांभर झील।
-
कौन सी दो प्रमुख प्रायद्वीपीय नदियाँ पश्चिम की ओर बहती हैं और अरब सागर में गिरती हैं?
नर्मदा और तापी।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।
-
हिमालयी नदियों की तीन मुख्य विशेषताएँ बताएँ।
हिमालयी नदियाँ बारहमासी होती हैं, यानी इनमें पूरे वर्ष पानी रहता है। वे पहाड़ों में गहरे गॉर्ज बनाती हैं और अपने निचले भागों में विसर्प, गोखुर झीलें और डेल्टा जैसी निक्षेपणात्मक आकृतियाँ बनाती हैं। वे अपने साथ बड़ी मात्रा में गाद और रेत भी लाती हैं।
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प्रायद्वीपीय नदियों और हिमालयी नदियों के बीच दो प्रमुख अंतर बताएँ।
हिमालयी नदियाँ बारहमासी होती हैं और लंबे मार्ग तय करती हैं, जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ मौसमी होती हैं और वर्षा पर निर्भर करती हैं। हिमालयी नदियाँ गॉर्ज और विसर्प बनाती हैं, जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ चौड़ी और छिछली घाटियों में बहती हैं और इनकी उत्पत्ति पुरानी है।
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झीलों का क्या महत्व है?
झीलें जलविद्युत उत्पादन, सिंचाई और मछली पकड़ने के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे नदियों के प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करती हैं, बाढ़ को रोकती हैं और सूखे के दौरान पानी उपलब्ध कराती हैं। झीलें पर्यटन को भी बढ़ावा देती हैं और प्राकृतिक सौंदर्य का स्रोत होती हैं।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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गंगा नदी तंत्र का विस्तृत वर्णन करें।
गंगा नदी तंत्र भारत का सबसे महत्वपूर्ण नदी तंत्र है। गंगा का मुख्य स्रोत **भागीरथी** है, जो उत्तराखंड में गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है। देवप्रयाग में यह अलकनंदा से मिलती है और इसके बाद इसे गंगा के नाम से जाना जाता है। हरिद्वार में, गंगा पहाड़ों से निकलकर मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है। गंगा की प्रमुख सहायक नदियों में यमुना, घाघरा, गंडक और कोसी शामिल हैं, जो नेपाल हिमालय से निकलती हैं और मैदानी इलाकों में गंगा से मिलती हैं। यमुना नदी यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलकर प्रयागराज (इलाहाबाद) में गंगा से मिलती है।
प्रायद्वीपीय उच्चभूमि से निकलने वाली सहायक नदियाँ, जैसे सोन, चंबल और बेतवा, भी गंगा में मिलती हैं। गंगा नदी की कुल लंबाई 2,500 किलोमीटर से अधिक है। यह भारत के एक बड़े हिस्से में अपवाह करती है, जिससे यह देश के लिए एक जीवन रेखा है। पश्चिम बंगाल में, गंगा दो मुख्य वितरिकाओं में विभाजित हो जाती है—भागीरथी-हुगली और पद्मा। पद्मा नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है जहाँ यह ब्रह्मपुत्र से मिलकर मेघना बन जाती है, और अंततः दोनों मिलकर विश्व का सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ने वाला **सुंदरबन डेल्टा** बनाती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती हैं। यह तंत्र कृषि, परिवहन और सांस्कृतिक महत्व के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
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नदियाँ अर्थव्यवस्था में किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और वे किन समस्याओं का सामना कर रही हैं?
नदियाँ भारत की अर्थव्यवस्था में एक मौलिक भूमिका निभाती हैं। वे कृषि के लिए पानी का प्राथमिक स्रोत हैं, जो देश की विशाल आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं। नदियों पर बने बांध जलविद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो उद्योगों और घरों को बिजली प्रदान करते हैं। नदियाँ अंतर्देशीय जलमार्गों के रूप में भी कार्य करती हैं, जो वस्तुओं और लोगों के परिवहन का एक सस्ता और कुशल साधन प्रदान करती हैं, जिससे व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा मिलता है। इसके अतिरिक्त, नदियाँ मछली पालन, पर्यटन (जैसे रिवर राफ्टिंग और नौका विहार) और तीर्थयात्रा के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, जिससे स्थानीय समुदायों को आजीविका और राजस्व प्राप्त होता है।
हालांकि, ये महत्वपूर्ण जलमार्ग गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं, विशेष रूप से **नदी प्रदूषण** का। बढ़ती जनसंख्या, तीव्र शहरीकरण और अनियंत्रित औद्योगीकरण के कारण नदियों में अनुपचारित घरेलू सीवेज और औद्योगिक बहिःस्राव का निर्वहन बढ़ गया है। इससे पानी की गुणवत्ता तेजी से खराब हो रही है, जिससे जलीय जीवन को खतरा हो रहा है और मानव उपभोग के लिए पानी अनुपयुक्त हो रहा है। इसके अलावा, विभिन्न उपयोगों के लिए नदियों से पानी का अत्यधिक दोहन उनके प्राकृतिक प्रवाह और आयतन को कम कर रहा है, जिससे प्रदूषक और अधिक सांद्रित हो जाते हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, नदियाँ भारतीय जीवन रेखा बनी हुई हैं, और उनके स्वास्थ्य और संरक्षण के लिए प्रयास, जैसे 'नमामि गंगे' कार्यक्रम, आवश्यक हैं।
(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। दिखावट भिन्न हो सकती है।)