अध्याय 1: भारत - आकार और स्थिति (India - Size and Location)

परिचय

भारत विश्व की एक प्राचीन सभ्यता है, जिसने पिछले पाँच दशकों में सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। यह कृषि, उद्योग, प्रौद्योगिकी और समग्र आर्थिक विकास में उल्लेखनीय रूप से आगे बढ़ा है। भारत का विश्व इतिहास में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

1.1 स्थिति (Location)

भारत के सबसे दक्षिणी बिंदु, **इंदिरा पॉइंट (Indira Point)**, 2004 में सुनामी के दौरान पानी में डूब गया था।

1.2 आकार (Size)

देशांतर का प्रभाव (Impact of Longitudinal Extent):

1.3 भारत और विश्व (India and the World)

भारत के योगदान (India's Contributions):

1.4 भारत के पड़ोसी (India's Neighbors)

भारत दक्षिण एशिया में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थिति रखता है।

भारत का अपने पड़ोसियों के साथ मजबूत भौगोलिक और ऐतिहासिक संबंध रहा है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. भारत किस गोलार्ध में स्थित है?

    उत्तरी गोलार्ध।

  2. भारत का अक्षांशीय विस्तार क्या है?

    8°4′ उत्तर से 37°6′ उत्तर।

  3. भारत का देशांतरीय विस्तार क्या है?

    68°7′ पूर्व से 97°25′ पूर्व।

  4. कौन सी अक्षांशीय रेखा भारत को लगभग दो बराबर भागों में विभाजित करती है?

    कर्क रेखा (23°30′ उत्तर)।

  5. भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल कितना है?

    3.28 मिलियन वर्ग किलोमीटर।

  6. क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व में कौन सा सबसे बड़ा देश है?

    सातवाँ।

  7. भारत की भू-सीमा की लंबाई कितनी है?

    लगभग 15,200 किलोमीटर।

  8. भारत की कुल तटरेखा की लंबाई कितनी है (द्वीप समूहों सहित)?

    7,516.6 किलोमीटर।

  9. भारत की मानक मध्याह्न रेखा क्या है?

    82°30′ पूर्व देशांतर।

  10. स्वेज नहर कब खुली थी?

    1869 में।

  11. श्रीलंका किस जलडमरूमध्य द्वारा भारत से अलग होता है?

    पाक जलडमरूमध्य और मन्नार की खाड़ी।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।

  1. भारत के अक्षांशीय और देशांतरीय विस्तार के महत्व को संक्षेप में समझाएँ।

    भारत का अक्षांशीय विस्तार 8°4′ उत्तर से 37°6′ उत्तर तक है, जो देश के भीतर दिन और रात की अवधि में भिन्नता लाता है। देशांतरीय विस्तार 68°7′ पूर्व से 97°25′ पूर्व तक है, जो पूर्व से पश्चिम तक लगभग 29° का अंतर पैदा करता है। इस देशांतरीय अंतर के कारण, भारत में समय का अंतर लगभग 2 घंटे का होता है, जिसे मानक मध्याह्न रेखा (82°30′ पूर्व) द्वारा समायोजित किया जाता है।

  2. भारत को 'भारतीय उपमहाद्वीप' क्यों कहा जाता है?

    भारत को 'भारतीय उपमहाद्वीप' कहा जाता है क्योंकि यह एशिया महाद्वीप का एक विशिष्ट और विशाल भूभाग है जो अपने आप में एक अलग भौगोलिक इकाई बनाता है। इसमें हिमालय की ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं, विशाल मैदानी क्षेत्र, पठार, रेगिस्तान, और एक लंबी तटरेखा शामिल है। इसकी भौगोलिक विविधता, जलवायु और सांस्कृतिक विशेषताएं इसे शेष एशिया से अलग करती हैं, जिससे यह एक उपमहाद्वीप के रूप में परिभाषित होता है।

  3. स्वेज नहर का भारत के व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ा?

    स्वेज नहर के 1869 में खुलने से भारत और यूरोप के बीच की समुद्री दूरी लगभग 7,000 किलोमीटर कम हो गई। इससे यूरोप के साथ भारत का व्यापार बहुत आसान और तेज हो गया। भारतीय वस्तुओं के लिए यूरोपीय बाजारों तक पहुंच में सुधार हुआ और इसके विपरीत भी। इसने भारत के वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ावा दिया और उसकी अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डाला।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. भारत के केंद्रीय स्थान के महत्व का वर्णन करें।

    भारत हिंद महासागर के शीर्ष पर एक केंद्रीय स्थान रखता है, जो इसे रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है। यह स्थिति इसे पश्चिम में यूरोप और अफ्रीका के देशों के साथ-साथ पूर्व में दक्षिण-पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया के साथ समुद्री मार्गों के माध्यम से सीधा संपर्क स्थापित करने में सक्षम बनाती है। हिंद महासागर में भारत का यह केंद्रीय स्थान इसे ऐतिहासिक रूप से व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु बनाता है। दक्कन प्रायद्वीप का हिंद महासागर में विस्तार भारत को एक लंबी तटरेखा प्रदान करता है, जो उसके समुद्री व्यापारिक गतिविधियों के लिए अत्यधिक लाभदायक है।

    स्वेज नहर के 1869 में खुलने के बाद से भारत और यूरोप के बीच की दूरी में 7,000 किलोमीटर की कमी आई, जिससे व्यापारिक संबंध और मजबूत हुए। यह केंद्रीय स्थान न केवल व्यापारिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसने भारत को सदियों से विचारों, दर्शन, उपनिषदों, रामायण, पंचतंत्र की कहानियों, भारतीय अंक प्रणाली और दशमलव प्रणाली को विश्व के अन्य हिस्सों में फैलाने में भी मदद की है। इसी तरह, यूनानी मूर्तिकला और पश्चिमी एशिया से वास्तुकला शैली के प्रभाव भारत में देखे जा सकते हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि भारत का केंद्रीय स्थान केवल वाणिज्यिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण बिंदु रहा है।

  2. सूर्य उदय के समय में गुजरात और अरुणाचल प्रदेश के बीच 2 घंटे का अंतर क्यों होता है? भारत इस समस्या का समाधान कैसे करता है?

    पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है, और लगभग 24 घंटे में 360 डिग्री देशांतर पार करती है। इस प्रकार, 1 डिग्री देशांतर पार करने में लगभग 4 मिनट का समय लगता है। भारत का देशांतरीय विस्तार गुजरात (68°7′ पूर्व) से अरुणाचल प्रदेश (97°25′ पूर्व) तक लगभग 29° का है। इस देशांतरीय अंतर के कारण, भारत के सबसे पूर्वी और सबसे पश्चिमी बिंदुओं के बीच सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में लगभग $29 \times 4 = 116$ मिनट (लगभग 2 घंटे) का अंतर होता है। इसका मतलब है कि अरुणाचल प्रदेश में सूर्य गुजरात की तुलना में लगभग दो घंटे पहले उगता है।

    इस समय के अंतर के कारण देश भर में गतिविधियों और रेलवे के संचालन में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। इस समस्या का समाधान करने के लिए, भारत ने एक **मानक मध्याह्न रेखा (Standard Meridian)** निर्धारित की है। भारत के लिए **82°30′ पूर्व देशांतर** को मानक मध्याह्न रेखा के रूप में चुना गया है, जो उत्तर प्रदेश में मिर्ज़ापुर से होकर गुजरती है। इस रेखा पर पड़ने वाले समय को पूरे देश के लिए **भारतीय मानक समय (IST)** के रूप में अपनाया गया है। यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि गुजरात से अरुणाचल प्रदेश तक सभी घड़ियाँ एक ही समय दिखाएँ, जिससे देश भर में समय की एकरूपता बनी रहे और दैनिक गतिविधियों और संचार में कोई भ्रम न हो।

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