अध्याय 4: संस्थाओं का कामकाज (Working of Institutions)
परिचय
किसी भी लोकतंत्र में, सरकार के विभिन्न अंग (संस्थाएँ) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये संस्थाएँ मिलकर सरकार के कामकाज को सुचारू बनाती हैं और सुनिश्चित करती हैं कि निर्णय सही तरीके से लिए जाएँ और लागू किए जाएँ। यह अध्याय भारत में प्रमुख राजनीतिक संस्थाओं – **विधायिका (Legislature), कार्यपालिका (Executive), और न्यायपालिका (Judiciary)** – के कामकाज की पड़ताल करता है।
4.1 प्रमुख नीतिगत निर्णय कैसे लिए जाते हैं? (How are Major Policy Decisions Made?)
भारत सरकार हर साल कई नीतिगत निर्णय लेती है। एक उदाहरण मंडल आयोग का मामला है।
- **मंडल आयोग (Mandal Commission):** 1979 में, भारत सरकार ने **दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग** नियुक्त किया, जिसे आमतौर पर मंडल आयोग के नाम से जाना जाता है।
- इसका उद्देश्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करना और उनके उत्थान के लिए उपाय सुझाना था।
- आयोग ने 1980 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और सरकारी नौकरियों में **27% आरक्षण** की सिफारिश की।
- कई सालों तक इस पर चर्चा होती रही। 1989 के लोकसभा चुनाव में, जनता दल ने अपने चुनावी घोषणापत्र में इसे लागू करने का वादा किया।
- 1990 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह ने संसद में मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने की घोषणा की।
- इस निर्णय को एक **सरकारी आदेश (Government Order)** के रूप में जारी किया गया, जिसे **कार्यालय ज्ञापन (Office Memorandum)** कहते हैं।
- यह निर्णय विवादों में घिर गया और इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई।
4.2 राजनीतिक संस्थाओं की आवश्यकता (Need for Political Institutions)
एक आधुनिक लोकतंत्र में, विभिन्न कार्यों को करने के लिए विशिष्ट संस्थाओं की आवश्यकता होती है:
- **कानून बनाना:** संसद/राज्य विधानसभाएँ।
- **कानूनों को लागू करना:** कार्यपालिका (सरकार)।
- **विवादों का समाधान करना:** न्यायपालिका।
ये संस्थाएँ देश के संचालन के लिए आवश्यक निर्णय लेती हैं और उनके बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन होता है।
4.3 संसद (Parliament)
संसद भारत में सर्वोच्च कानून बनाने वाली संस्था है। यह नागरिकों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों से बनी होती है।
संसद के दो सदन (Two Houses of Parliament)
भारतीय संसद के दो सदन हैं:
- **लोकसभा (House of the People/Lower House):**
- इसे निचले सदन के रूप में भी जाना जाता है।
- इसके सदस्य सीधे लोगों द्वारा चुने जाते हैं।
- लोकसभा में अधिकतम 543 सदस्य होते हैं (वर्तमान में 543)।
- यह धन विधेयकों को पारित करने और सरकार को नियंत्रित करने में अधिक शक्तिशाली होती है।
- **राज्यसभा (Council of States/Upper House):**
- इसे ऊपरी सदन के रूप में भी जाना जाता है।
- इसके सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से राज्य विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं।
- राज्यसभा में अधिकतम 250 सदस्य होते हैं (वर्तमान में 245), जिनमें से 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।
- यह राज्यों के हितों की रक्षा करती है और कानूनों की समीक्षा करती है।
संसद की शक्तियाँ (Powers of Parliament)
- **कानून बनाना:** संसद पूरे देश के लिए कानून बनाती है।
- **सरकार पर नियंत्रण:** संसद सरकार को नियंत्रित करती है और यह सुनिश्चित करती है कि कार्यपालिका जवाबदेह रहे।
- **वित्तीय नियंत्रण:** सरकार की सभी वित्तीय नीतियाँ और बजट संसद द्वारा अनुमोदित होने चाहिए।
- **बहस और चर्चा:** संसद सार्वजनिक मुद्दों और राष्ट्रीय नीतियों पर चर्चा और बहस के लिए एक मंच है।
4.4 राजनीतिक कार्यपालिका (Political Executive)
जो लोग नीतियों को लागू करते हैं उन्हें **कार्यपालिका (Executive)** कहते हैं।
राजनीतिक बनाम स्थायी कार्यपालिका (Political vs. Permanent Executive)
- **राजनीतिक कार्यपालिका:** लोगों द्वारा चुने गए नेता, जो एक विशिष्ट अवधि के लिए होते हैं (जैसे प्रधानमंत्री और मंत्री)। वे लोगों के प्रति जवाबदेह होते हैं।
- **स्थायी कार्यपालिका:** वे लोग जो लंबे समय के लिए नियुक्त होते हैं (जैसे सिविल सेवक, आईएएस अधिकारी)। वे राजनीतिक कार्यपालिका के अधीन काम करते हैं और दैनिक प्रशासन चलाते हैं।
प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद (Prime Minister and Council of Ministers)
- **प्रधानमंत्री (Prime Minister):** सरकार का सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक संस्था है। वह लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी या गठबंधन का नेता होता है।
- प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- **मंत्रिपरिषद (Council of Ministers):** एक टीम होती है जिसमें विभिन्न मंत्रालयों के मंत्री शामिल होते हैं। वे प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
- **मंत्रियों के प्रकार:**
- **कैबिनेट मंत्री (Cabinet Ministers):** सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों के प्रमुख।
- **राज्य मंत्री (Minister of State with independent charge):** छोटे मंत्रालयों के प्रभारी या कैबिनेट मंत्रियों के सहायक।
- **राज्य मंत्री (Minister of State):** कैबिनेट मंत्रियों के सहायक।
प्रधानमंत्री की शक्तियाँ (Powers of the Prime Minister)
- सरकार का नेतृत्व करता है और प्रमुख नीतियों का समन्वय करता है।
- मंत्रियों के बीच पोर्टफोलियो वितरित करता है और विभागों की देखरेख करता है।
- मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करता है।
- विभिन्न मंत्रालयों के निर्णयों को एकीकृत करता है।
राष्ट्रपति (The President)
- राष्ट्रपति भारत का **राज्य प्रमुख (Head of the State)** होता है।
- उसे अप्रत्यक्ष रूप से सांसदों और विधायकों द्वारा चुना जाता है।
- राष्ट्रपति नाममात्र का प्रमुख होता है, और वास्तविक शक्तियाँ प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास होती हैं।
- राष्ट्रपति के पास महत्वपूर्ण संवैधानिक शक्तियाँ होती हैं, जैसे कानूनों को मंजूरी देना, आपातकाल की घोषणा करना, और सर्वोच्च न्यायिक नियुक्तियाँ करना।
4.5 न्यायपालिका (The Judiciary)
भारत में न्यायपालिका एक **स्वतंत्र और एकीकृत** प्रणाली है, जिसका अर्थ है कि यह सरकार के अन्य अंगों से स्वतंत्र है और इसमें एक पदानुक्रम है।
- **सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court):** देश का सर्वोच्च न्यायालय।
- **उच्च न्यायालय (High Courts):** राज्यों के सर्वोच्च न्यायालय।
- **जिला न्यायालय (District Courts):** जिलों के न्यायालय।
- **स्थानीय न्यायालय (Local Courts):** निचली अदालतों में।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता (Independence of the Judiciary)
- न्यायाधीशों को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है, लेकिन एक बार नियुक्त होने के बाद, उन्हें हटाना बहुत मुश्किल होता है।
- न्यायाधीश अपने फैसलों में स्वतंत्र होते हैं और राजनीतिक दबाव में नहीं आते।
न्यायपालिका की शक्तियाँ (Powers of the Judiciary)
- **विवादों का समाधान:** नागरिकों के बीच, नागरिकों और सरकार के बीच, दो या दो से अधिक राज्य सरकारों के बीच, और केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विवादों का समाधान करती है।
- **न्यायिक समीक्षा (Judicial Review):** न्यायपालिका कानून की संवैधानिकता की जांच कर सकती है। यदि कोई कानून संविधान का उल्लंघन करता है, तो उसे असंवैधानिक घोषित कर सकती है।
- **मौलिक अधिकारों का संरक्षक:** न्यायपालिका नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है। यदि किसी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो वह न्यायपालिका का दरवाजा खटखटा सकता है।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता और शक्तियाँ भारत में लोकतंत्र की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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मंडल आयोग का मुख्य उद्देश्य क्या था?
सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करना और उनके उत्थान के लिए उपाय सुझाना।
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मंडल आयोग ने सरकारी नौकरियों में कितने प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की थी?
27%।
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भारत में कानून बनाने वाली सर्वोच्च संस्था कौन सी है?
संसद।
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लोकसभा में अधिकतम कितने सदस्य होते हैं?
543 सदस्य।
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स्थायी कार्यपालिका के दो उदाहरण दीजिए।
सिविल सेवक (जैसे आईएएस अधिकारी) और पुलिस अधिकारी।
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भारतीय संविधान का संरक्षक कौन है?
सर्वोच्च न्यायालय (न्यायपालिका)।
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न्यायिक समीक्षा से आप क्या समझते हैं?
न्यायपालिका की वह शक्ति जिससे वह किसी कानून या सरकारी आदेश की संवैधानिकता की जांच कर सकती है और यदि वह संविधान का उल्लंघन करता है तो उसे रद्द कर सकती है।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।
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राजनीतिक संस्थाओं की आवश्यकता क्यों होती है?
राजनीतिक संस्थाओं की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि वे देश के शासन के लिए महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। वे कानून बनाती हैं, उन्हें लागू करती हैं, और नागरिकों के बीच या सरकार के साथ विवादों का समाधान करती हैं। ये संस्थाएँ सुनिश्चित करती हैं कि सरकार सुचारू रूप से कार्य करे और नागरिकों के प्रति जवाबदेह रहे।
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लोकसभा और राज्यसभा के बीच मुख्य अंतर क्या है?
लोकसभा के सदस्य सीधे लोगों द्वारा चुने जाते हैं और यह धन विधेयकों को पारित करने में अधिक शक्तिशाली होती है। राज्यसभा के सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से राज्य विधानसभाओं द्वारा चुने जाते हैं और यह राज्यों के हितों का प्रतिनिधित्व करती है, साथ ही कानूनों की समीक्षा भी करती है।
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भारत के राष्ट्रपति की भूमिका का संक्षेप में वर्णन करें।
भारत का राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख होता है और उसे अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है। वह नाममात्र का प्रमुख होता है, जबकि वास्तविक कार्यकारी शक्तियाँ प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास होती हैं। राष्ट्रपति कानूनों को मंजूरी देता है, महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ करता है, और आपातकाल की घोषणा जैसे संवैधानिक कार्य करता है।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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भारत में कार्यपालिका (Political Executive) के कामकाज की व्याख्या करें।
भारत में कार्यपालिका सरकार का वह अंग है जो संसद द्वारा बनाए गए कानूनों और नीतियों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है। कार्यपालिका दो प्रकार की होती है: राजनीतिक कार्यपालिका और स्थायी कार्यपालिका। राजनीतिक कार्यपालिका में वे नेता शामिल होते हैं जो लोगों द्वारा एक निश्चित अवधि के लिए चुने जाते हैं, जैसे प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद। ये लोग प्रमुख नीतिगत निर्णय लेते हैं और जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं। वे चुनावों के माध्यम से अपनी स्थिति खो सकते हैं, जिससे वे लोगों की इच्छाओं के प्रति अधिक संवेदनशील रहते हैं।
स्थायी कार्यपालिका में वे पेशेवर सिविल सेवक शामिल होते हैं जो लंबे समय के लिए नियुक्त होते हैं, जैसे आईएएस अधिकारी, पुलिस अधिकारी और अन्य प्रशासनिक कर्मचारी। ये लोग राजनीतिक कार्यपालिका के निर्देशों के तहत काम करते हैं और दैनिक प्रशासन चलाते हैं। वे नीतिगत निर्णयों को लागू करने में मदद करते हैं और सरकारी कार्यों में स्थिरता और निरंतरता प्रदान करते हैं। प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद मिलकर एक टीम के रूप में काम करते हैं। प्रधानमंत्री सरकार का नेतृत्व करता है, मंत्रियों के बीच विभागों का वितरण करता है, और नीतिगत निर्णयों का समन्वय करता है। वे सामूहिक रूप से संसद के प्रति जवाबदेह होते हैं, जिसका अर्थ है कि यदि लोकसभा में सरकार विश्वास खो देती है, तो पूरे मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ता है। यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि कार्यपालिका जनता के प्रति जवाबदेह रहे और नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।
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भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता और शक्तियों का वर्णन करें।
भारतीय न्यायपालिका एक स्वतंत्र और एकीकृत प्रणाली है, जिसका अर्थ है कि यह सरकार के अन्य अंगों (विधायिका और कार्यपालिका) से स्वतंत्र रूप से कार्य करती है और इसमें एक पदानुक्रम है जिसमें सर्वोच्च न्यायालय शीर्ष पर है, उसके बाद उच्च न्यायालय और फिर जिला और निचली अदालतें आती हैं। न्यायपालिका की स्वतंत्रता अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि न्यायाधीश बिना किसी भय या पक्षपात के निर्णय ले सकें। न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, लेकिन एक बार नियुक्त होने के बाद, उन्हें हटाना एक बहुत ही कठिन प्रक्रिया है (महाभियोग), जिससे उन्हें राजनीतिक दबाव से मुक्ति मिलती है।
न्यायपालिका के पास महत्वपूर्ण शक्तियाँ हैं। सबसे पहले, यह **विवादों का समाधान** करती है – चाहे वे नागरिकों के बीच हों, नागरिकों और सरकार के बीच हों, या विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के बीच हों। दूसरा, न्यायपालिका के पास **न्यायिक समीक्षा (Judicial Review)** की शक्ति है। इसका मतलब है कि वह संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून या सरकार द्वारा जारी किए गए किसी भी आदेश की संवैधानिकता की जांच कर सकती है। यदि न्यायपालिका को लगता है कि कोई कानून या आदेश संविधान का उल्लंघन करता है, तो उसे असंवैधानिक घोषित कर सकती है और उसे रद्द कर सकती है। तीसरा, न्यायपालिका **नागरिकों के मौलिक अधिकारों की संरक्षक** है। यदि किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो वह न्याय के लिए सीधे उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है। न्यायपालिका की ये शक्तियाँ और उसकी स्वतंत्रता भारत में कानून के शासन और लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।
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