अध्याय 3: चुनावी राजनीति (Electoral Politics)
परिचय
चुनाव (Elections) लोकतांत्रिक प्रणाली का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। इस अध्याय में, हम समझेंगे कि भारत में चुनाव क्यों होते हैं, उन्हें लोकतांत्रिक बनाने के लिए क्या आवश्यक है, और चुनाव प्रक्रिया कैसे काम करती है।
3.1 हमें चुनावों की आवश्यकता क्यों है? (Why Do We Need Elections?)
- **प्रतिनिधित्व:** एक बड़े लोकतंत्र में, सभी नागरिक सीधे निर्णय लेने में भाग नहीं ले सकते। चुनाव नागरिकों को अपने प्रतिनिधि चुनने का अवसर देते हैं जो उनके लिए निर्णय लेते हैं।
- **पसंद का विकल्प:** चुनाव मतदाताओं को यह चुनने का मौका देते हैं कि कौन सरकार बनाएगा, कौन कानून बनाएगा, और कौन उनकी नीतियों का मार्गदर्शन करेगा।
- **जवाबदेही:** चुनाव प्रतिनिधियों को जनता के प्रति जवाबदेह बनाते हैं। यदि वे अच्छा प्रदर्शन नहीं करते हैं, तो लोग उन्हें अगले चुनाव में बदल सकते हैं।
- **लोकतांत्रिक वैधता:** चुनाव यह सुनिश्चित करते हैं कि सरकार वैध है क्योंकि उसे लोगों के समर्थन से चुना गया है।
3.2 चुनाव को लोकतांत्रिक क्या बनाता है? (What Makes an Election Democratic?)
- **सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार:** हर किसी को वोट देने का अधिकार होना चाहिए, और हर वोट का समान मूल्य होना चाहिए। (एक व्यक्ति, एक वोट, एक मूल्य)।
- **स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव:** चुनाव नियमित अंतराल पर होने चाहिए, और उन्हें इस तरह से आयोजित किया जाना चाहिए कि लोगों के पास वास्तव में अपनी पसंद के उम्मीदवार या पार्टी को चुनने का विकल्प हो। सत्ताधारी दल के हारने की उचित संभावना होनी चाहिए।
- **पसंद का विकल्प:** मतदाताओं को चुनने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की पेशकश होनी चाहिए।
- **चुने हुए व्यक्ति को शासन करने का अधिकार:** जिसे लोग चुनते हैं, उसे वास्तव में शासन करने का अधिकार होना चाहिए।
3.3 भारत में चुनावी प्रणाली क्या है? (What is Our System of Elections?)
लोकसभा और विधानसभा चुनाव (Lok Sabha and Assembly Elections)
- भारत में लोकसभा (संसद के लिए) और राज्य विधानसभाओं (राज्यों के लिए) के चुनाव हर पांच साल में होते हैं।
- पांच साल बाद, सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जाता है। लोकसभा/विधानसभा भंग हो जाती है।
- **आम चुनाव (General Elections):** सभी निर्वाचन क्षेत्रों में एक ही समय में या कुछ दिनों के भीतर चुनाव होते हैं।
- **उपचुनाव (By-election):** किसी एक निर्वाचन क्षेत्र में किसी सदस्य की मृत्यु या इस्तीफे के कारण खाली हुई सीट को भरने के लिए चुनाव होते हैं।
निर्वाचन क्षेत्र (Electoral Constituencies)
- भारत को चुनाव के उद्देश्य से विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित किया गया है जिन्हें **निर्वाचन क्षेत्र (Constituencies)** कहते हैं।
- प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
- **लोकसभा चुनाव:** भारत को 543 निर्वाचन क्षेत्रों में बांटा गया है। प्रत्येक चुने हुए प्रतिनिधि को **सांसद (MP - Member of Parliament)** कहा जाता है।
- **विधानसभा चुनाव:** प्रत्येक राज्य को एक निश्चित संख्या में विधानसभा क्षेत्रों में बांटा गया है। प्रत्येक चुने हुए प्रतिनिधि को **विधायक (MLA - Member of Legislative Assembly)** कहा जाता है।
आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र (Reserved Constituencies)
- संविधान कमजोर वर्गों के लिए **आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र (Reserved Constituencies)** का प्रावधान करता है ताकि उन्हें संसद और विधानसभाओं में उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
- **अनुसूचित जाति (Scheduled Castes - SC)** और **अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes - ST)** के लिए सीटें आरक्षित हैं।
- ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों (पंचायत, नगरपालिका) में **अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Classes - OBC)** और महिलाओं के लिए भी सीटें आरक्षित हैं।
मतदाता सूची (Voters' List)
- जो लोग वोट डाल सकते हैं, उनकी सूची को **मतदाता सूची (Voters' List)** या **इलेक्टोरल रोल (Electoral Roll)** कहते हैं।
- यह सूची चुनाव से पहले तैयार की जाती है और सभी योग्य मतदाताओं को दी जाती है।
- 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी भारतीय नागरिक मतदान करने के हकदार हैं (सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार)।
उम्मीदवारों का नामांकन (Nomination of Candidates)
- कोई भी व्यक्ति जो मतदाता है, चुनाव में उम्मीदवार भी बन सकता है, बशर्ते कि उसकी आयु 25 वर्ष या उससे अधिक हो।
- उम्मीदवारों को एक **नामांकन पत्र (Nomination Form)** भरना होता है और सुरक्षा जमा के रूप में कुछ पैसे जमा करने होते हैं।
- उन्हें अपनी संपत्ति, आपराधिक मामलों और शैक्षिक योग्यता के बारे में एक कानूनी **शपथ पत्र (Affidavit)** भी प्रस्तुत करना होता है।
चुनावी अभियान (Election Campaign)
- चुनाव से पहले की अवधि में, उम्मीदवार और राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए अभियान चलाते हैं।
- इसमें सार्वजनिक बैठकें, रैलियां, घर-घर जाकर प्रचार, पोस्टर और सोशल मीडिया शामिल होते हैं।
- प्रमुख राजनीतिक दल अक्सर **चुनावी नारे (Election Slogans)** का उपयोग करते हैं (जैसे इंदिरा गांधी का 'गरीबी हटाओ', वाम मोर्चे का 'जोतने वाले की ज़मीन')।
- चुनाव आयोग (Election Commission) द्वारा कुछ कानून/नियम लागू होते हैं, जैसे:
- प्रचार के लिए मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों या अन्य पूजा स्थलों का उपयोग नहीं करना।
- सरकारी संसाधनों का चुनाव प्रचार के लिए उपयोग नहीं करना।
- 25 लाख रुपये (लोकसभा) और 10 लाख रुपये (विधानसभा) से अधिक खर्च नहीं करना।
मतदान और मतों की गिनती (Polling and Counting of Votes)
- चुनाव के दिन, मतदाता अपने पंजीकृत मतदान केंद्रों पर वोट डालने जाते हैं।
- मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार के लिए **इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM)** का उपयोग करके अपना वोट डालते हैं।
- मतदान समाप्त होने के बाद, EVM को सील कर दिया जाता है और एक सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाता है।
- एक निश्चित तारीख पर, सभी EVM खोली जाती हैं, और वोटों की गिनती की जाती है।
- जिस उम्मीदवार को सबसे अधिक वोट मिलते हैं, उसे निर्वाचन क्षेत्र का विजेता घोषित किया जाता है।
- सबसे अधिक सीटों वाली पार्टी या गठबंधन सरकार बनाता है।
3.4 स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव (Free and Fair Elections)
- भारत में चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होते हैं।
- **चुनाव आयोग (Election Commission - EC)** एक स्वतंत्र और शक्तिशाली निकाय है जो चुनावों का संचालन करता है।
- EC चुनाव की घोषणा से लेकर परिणामों की घोषणा तक हर चीज को नियंत्रित करता है।
- EC आचार संहिता लागू करता है और उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों या पार्टियों को दंडित कर सकता है।
- चुनाव के दौरान, EC के पास सरकार पर भी नियंत्रण होता है।
- ईसी अधिकारी सरकारी अधिकारियों की तुलना में अधिक शक्ति का उपयोग करते हैं।
- जनभागीदारी (Voter Turnout): भारत में गरीब और अशिक्षित लोग अक्सर अमीर और विशेषाधिकार प्राप्त लोगों की तुलना में अधिक मतदान करते हैं, जो चुनाव में आम आदमी की रुचि को दर्शाता है।
- चुनाव के परिणामों को अक्सर हारने वाली पार्टी भी स्वीकार करती है, जो चुनावों की निष्पक्षता का प्रमाण है।
3.5 चुनाव की चुनौतियाँ और सुधार (Challenges and Reforms in Elections)
- **पैसा और बाहुबल:** कुछ उम्मीदवार बड़ी रकम खर्च करते हैं या आपराधिक पृष्ठभूमि वाले होते हैं, जो निष्पक्षता को प्रभावित करता है।
- **पारिवारिक एकाधिकार:** राजनीतिक दलों में अक्सर परिवारवाद होता है, जिससे आम लोगों के लिए टिकट पाना मुश्किल हो जाता है।
- **छोटी पार्टियों के लिए कठिनाई:** छोटी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों को बड़ी पार्टियों से प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल लगता है।
- **सांप्रदायिक अपील:** कुछ दल जाति या धर्म के आधार पर मतदाताओं से अपील करते हैं।
चुनाव आयोग और विभिन्न संगठनों द्वारा चुनाव सुधार के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, जैसे कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को रोकना, धन के दुरुपयोग पर नियंत्रण, और राजनीतिक दलों के आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करना।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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चुनावों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
नागरिकों को अपने प्रतिनिधि चुनने का अवसर देना।
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आम चुनाव क्या होते हैं?
जब सभी निर्वाचन क्षेत्रों में एक ही समय में या कुछ दिनों के भीतर चुनाव होते हैं।
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लोकसभा के लिए कितने निर्वाचन क्षेत्र हैं?
543 निर्वाचन क्षेत्र।
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विधायक का पूर्ण रूप क्या है?
Member of Legislative Assembly (विधानसभा सदस्य)।
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मतदाता सूची को और किस नाम से जाना जाता है?
इलेक्टोरल रोल (Electoral Roll)।
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EVM का पूर्ण रूप क्या है?
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Electronic Voting Machine)।
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भारत में चुनावों का संचालन कौन सा निकाय करता है?
चुनाव आयोग (Election Commission - EC)।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।
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भारत में आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की क्या आवश्यकता है?
भारत में आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की आवश्यकता इसलिए है ताकि समाज के कमजोर वर्गों, जैसे अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST), को संसद और विधानसभाओं में उचित प्रतिनिधित्व मिल सके। यह सुनिश्चित करता है कि उनकी आवाज़ सुनी जाए और वे देश के नीति-निर्माण में भाग ले सकें, जिससे सामाजिक समानता को बढ़ावा मिलता है।
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एक उम्मीदवार को नामांकन पत्र के साथ कौन सी जानकारी देनी होती है?
एक उम्मीदवार को नामांकन पत्र के साथ अपनी संपत्ति का विवरण, अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों (यदि कोई हो) का विवरण, और अपनी शैक्षिक योग्यता से संबंधित जानकारी एक कानूनी शपथ पत्र के रूप में प्रस्तुत करनी होती है। यह पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।
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चुनाव आयोग की स्वतंत्रता क्यों महत्वपूर्ण है?
चुनाव आयोग की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है ताकि भारत में चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से आयोजित हो सकें। एक स्वतंत्र EC यह सुनिश्चित कर सकता है कि कोई भी राजनीतिक दल या सरकार चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप न करे, जिससे सभी उम्मीदवारों और पार्टियों को समान अवसर मिलें और चुनाव परिणाम विश्वसनीय हों।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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चुनाव को लोकतांत्रिक बनाने वाली प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
किसी भी चुनाव को लोकतांत्रिक मानने के लिए कुछ प्रमुख विशेषताओं का होना आवश्यक है। सबसे पहले, **सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार** का सिद्धांत लागू होना चाहिए, जिसका अर्थ है कि देश के सभी वयस्क नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मतदान का अधिकार होना चाहिए, और हर वोट का मूल्य समान होना चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि राजनीतिक शक्ति केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों तक सीमित न रहे।
दूसरा, चुनाव **स्वतंत्र और निष्पक्ष** होने चाहिए। इसका मतलब है कि चुनाव नियमित अंतराल पर आयोजित होने चाहिए, और प्रक्रिया इतनी पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए कि सत्ताधारी दल के हारने की भी वास्तविक संभावना हो। तीसरा, मतदाताओं को **पसंद का विकल्प** उपलब्ध होना चाहिए। इसका मतलब है कि चुनाव में केवल एक ही पार्टी या उम्मीदवार नहीं होना चाहिए, बल्कि कई राजनीतिक दल और उम्मीदवार होने चाहिए ताकि मतदाता अपनी इच्छानुसार चयन कर सकें। अंत में, चुनाव के माध्यम से **चुने हुए व्यक्ति को ही शासन करने का अधिकार** मिलना चाहिए। यदि लोग किसी प्रतिनिधि को चुनते हैं, तो उसे ही सरकार बनाने और निर्णय लेने का वास्तविक अधिकार होना चाहिए, न कि किसी गैर-चुने हुए व्यक्ति या संस्था को। ये विशेषताएँ मिलकर एक वास्तविक लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया का निर्माण करती हैं।
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भारत में चुनाव प्रक्रिया में शामिल विभिन्न चरणों का वर्णन करें।
भारत में चुनाव प्रक्रिया एक व्यवस्थित और बहु-चरणीय प्रक्रिया है जो निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करती है। यह प्रक्रिया चुनाव की घोषणा के साथ शुरू होती है। पहला महत्वपूर्ण चरण **निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन** है, जहाँ देश को विभिन्न चुनावी क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है। इसके बाद, **मतदाता सूची (वोटर लिस्ट)** तैयार की जाती है और सार्वजनिक की जाती है, जिसमें 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी योग्य नागरिकों के नाम होते हैं।
अगला चरण **उम्मीदवारों का नामांकन** है। इच्छुक उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी दर्ज करते हैं, नामांकन पत्र भरते हैं, और एक शपथ पत्र जमा करते हैं जिसमें उनकी संपत्ति, शैक्षिक योग्यता और आपराधिक पृष्ठभूमि का विवरण होता है। नामांकन पत्रों की जांच के बाद, योग्य उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी की जाती है। इसके बाद, **चुनावी अभियान** का चरण आता है, जहाँ राजनीतिक दल और उम्मीदवार मतदाताओं तक पहुँचने के लिए रैलियाँ, सार्वजनिक बैठकें, घर-घर प्रचार और मीडिया के माध्यम से प्रचार करते हैं। अभियान समाप्त होने के बाद, **मतदान** होता है, जहाँ मतदाता अपने निर्धारित मतदान केंद्रों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का उपयोग करके अपना वोट डालते हैं। अंत में, एक निश्चित तिथि पर **मतों की गिनती** होती है, और जिस उम्मीदवार को सबसे अधिक वोट मिलते हैं, उसे विजेता घोषित किया जाता है। इन सभी चरणों की देखरेख एक स्वतंत्र निकाय, चुनाव आयोग, द्वारा की जाती है ताकि प्रक्रिया निष्पक्ष रहे।
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