अध्याय 3: चुनावी राजनीति (Electoral Politics)

परिचय

चुनाव (Elections) लोकतांत्रिक प्रणाली का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। इस अध्याय में, हम समझेंगे कि भारत में चुनाव क्यों होते हैं, उन्हें लोकतांत्रिक बनाने के लिए क्या आवश्यक है, और चुनाव प्रक्रिया कैसे काम करती है।

3.1 हमें चुनावों की आवश्यकता क्यों है? (Why Do We Need Elections?)

3.2 चुनाव को लोकतांत्रिक क्या बनाता है? (What Makes an Election Democratic?)

3.3 भारत में चुनावी प्रणाली क्या है? (What is Our System of Elections?)

लोकसभा और विधानसभा चुनाव (Lok Sabha and Assembly Elections)

निर्वाचन क्षेत्र (Electoral Constituencies)

आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र (Reserved Constituencies)

मतदाता सूची (Voters' List)

उम्मीदवारों का नामांकन (Nomination of Candidates)

चुनावी अभियान (Election Campaign)

मतदान और मतों की गिनती (Polling and Counting of Votes)

3.4 स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव (Free and Fair Elections)

3.5 चुनाव की चुनौतियाँ और सुधार (Challenges and Reforms in Elections)

चुनाव आयोग और विभिन्न संगठनों द्वारा चुनाव सुधार के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, जैसे कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को रोकना, धन के दुरुपयोग पर नियंत्रण, और राजनीतिक दलों के आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करना।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. चुनावों का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    नागरिकों को अपने प्रतिनिधि चुनने का अवसर देना।

  2. आम चुनाव क्या होते हैं?

    जब सभी निर्वाचन क्षेत्रों में एक ही समय में या कुछ दिनों के भीतर चुनाव होते हैं।

  3. लोकसभा के लिए कितने निर्वाचन क्षेत्र हैं?

    543 निर्वाचन क्षेत्र।

  4. विधायक का पूर्ण रूप क्या है?

    Member of Legislative Assembly (विधानसभा सदस्य)।

  5. मतदाता सूची को और किस नाम से जाना जाता है?

    इलेक्टोरल रोल (Electoral Roll)।

  6. EVM का पूर्ण रूप क्या है?

    इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Electronic Voting Machine)।

  7. भारत में चुनावों का संचालन कौन सा निकाय करता है?

    चुनाव आयोग (Election Commission - EC)।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।

  1. भारत में आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की क्या आवश्यकता है?

    भारत में आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की आवश्यकता इसलिए है ताकि समाज के कमजोर वर्गों, जैसे अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST), को संसद और विधानसभाओं में उचित प्रतिनिधित्व मिल सके। यह सुनिश्चित करता है कि उनकी आवाज़ सुनी जाए और वे देश के नीति-निर्माण में भाग ले सकें, जिससे सामाजिक समानता को बढ़ावा मिलता है।

  2. एक उम्मीदवार को नामांकन पत्र के साथ कौन सी जानकारी देनी होती है?

    एक उम्मीदवार को नामांकन पत्र के साथ अपनी संपत्ति का विवरण, अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों (यदि कोई हो) का विवरण, और अपनी शैक्षिक योग्यता से संबंधित जानकारी एक कानूनी शपथ पत्र के रूप में प्रस्तुत करनी होती है। यह पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।

  3. चुनाव आयोग की स्वतंत्रता क्यों महत्वपूर्ण है?

    चुनाव आयोग की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है ताकि भारत में चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से आयोजित हो सकें। एक स्वतंत्र EC यह सुनिश्चित कर सकता है कि कोई भी राजनीतिक दल या सरकार चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप न करे, जिससे सभी उम्मीदवारों और पार्टियों को समान अवसर मिलें और चुनाव परिणाम विश्वसनीय हों।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. चुनाव को लोकतांत्रिक बनाने वाली प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।

    किसी भी चुनाव को लोकतांत्रिक मानने के लिए कुछ प्रमुख विशेषताओं का होना आवश्यक है। सबसे पहले, **सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार** का सिद्धांत लागू होना चाहिए, जिसका अर्थ है कि देश के सभी वयस्क नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मतदान का अधिकार होना चाहिए, और हर वोट का मूल्य समान होना चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि राजनीतिक शक्ति केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों तक सीमित न रहे।

    दूसरा, चुनाव **स्वतंत्र और निष्पक्ष** होने चाहिए। इसका मतलब है कि चुनाव नियमित अंतराल पर आयोजित होने चाहिए, और प्रक्रिया इतनी पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए कि सत्ताधारी दल के हारने की भी वास्तविक संभावना हो। तीसरा, मतदाताओं को **पसंद का विकल्प** उपलब्ध होना चाहिए। इसका मतलब है कि चुनाव में केवल एक ही पार्टी या उम्मीदवार नहीं होना चाहिए, बल्कि कई राजनीतिक दल और उम्मीदवार होने चाहिए ताकि मतदाता अपनी इच्छानुसार चयन कर सकें। अंत में, चुनाव के माध्यम से **चुने हुए व्यक्ति को ही शासन करने का अधिकार** मिलना चाहिए। यदि लोग किसी प्रतिनिधि को चुनते हैं, तो उसे ही सरकार बनाने और निर्णय लेने का वास्तविक अधिकार होना चाहिए, न कि किसी गैर-चुने हुए व्यक्ति या संस्था को। ये विशेषताएँ मिलकर एक वास्तविक लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया का निर्माण करती हैं।

  2. भारत में चुनाव प्रक्रिया में शामिल विभिन्न चरणों का वर्णन करें।

    भारत में चुनाव प्रक्रिया एक व्यवस्थित और बहु-चरणीय प्रक्रिया है जो निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करती है। यह प्रक्रिया चुनाव की घोषणा के साथ शुरू होती है। पहला महत्वपूर्ण चरण **निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन** है, जहाँ देश को विभिन्न चुनावी क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है। इसके बाद, **मतदाता सूची (वोटर लिस्ट)** तैयार की जाती है और सार्वजनिक की जाती है, जिसमें 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी योग्य नागरिकों के नाम होते हैं।

    अगला चरण **उम्मीदवारों का नामांकन** है। इच्छुक उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी दर्ज करते हैं, नामांकन पत्र भरते हैं, और एक शपथ पत्र जमा करते हैं जिसमें उनकी संपत्ति, शैक्षिक योग्यता और आपराधिक पृष्ठभूमि का विवरण होता है। नामांकन पत्रों की जांच के बाद, योग्य उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी की जाती है। इसके बाद, **चुनावी अभियान** का चरण आता है, जहाँ राजनीतिक दल और उम्मीदवार मतदाताओं तक पहुँचने के लिए रैलियाँ, सार्वजनिक बैठकें, घर-घर प्रचार और मीडिया के माध्यम से प्रचार करते हैं। अभियान समाप्त होने के बाद, **मतदान** होता है, जहाँ मतदाता अपने निर्धारित मतदान केंद्रों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का उपयोग करके अपना वोट डालते हैं। अंत में, एक निश्चित तिथि पर **मतों की गिनती** होती है, और जिस उम्मीदवार को सबसे अधिक वोट मिलते हैं, उसे विजेता घोषित किया जाता है। इन सभी चरणों की देखरेख एक स्वतंत्र निकाय, चुनाव आयोग, द्वारा की जाती है ताकि प्रक्रिया निष्पक्ष रहे।

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