अध्याय 2: संविधान निर्माण (Constitutional Design)

परिचय

संविधान (Constitution) किसी देश के सर्वोच्च कानूनों का एक लिखित समूह है जो नागरिकों और सरकार के बीच संबंधों को निर्धारित करता है। यह एक देश के शासन के मौलिक सिद्धांतों और ढांचे को स्थापित करता है। यह अध्याय दक्षिण अफ्रीका और भारत के संविधानों के निर्माण की कहानी के माध्यम से संविधान के महत्व और निर्माण की प्रक्रिया की पड़ताल करता है।

2.1 लोकतांत्रिक संविधान: दक्षिण अफ्रीका में (Democratic Constitution in South Africa)

रंगभेद के खिलाफ संघर्ष (Struggle Against Apartheid)

एक नए संविधान की ओर (Towards a New Constitution)

हमें संविधान की आवश्यकता क्यों है? (Why Do We Need a Constitution?)

2.2 भारतीय संविधान का निर्माण (Making of the Indian Constitution)

मार्ग (The Path)

संविधान सभा (The Constituent Assembly)

भारतीय संविधान के मार्गदर्शक मूल्य (Guiding Values of the Indian Constitution)

भारतीय संविधान के पीछे का दर्शन महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉ. बी. आर. अंबेडकर जैसे नेताओं के आदर्शों से प्रेरित था।

संविधान की प्रस्तावना (The Preamble to the Constitution)

प्रस्तावना (Preamble) संविधान की आत्मा है। यह भारतीय संविधान के पीछे के दर्शन को प्रस्तुत करता है।

संस्थागत डिजाइन (Institutional Design)

भारतीय संविधान केवल मूल्यों का एक विवरण नहीं है; यह एक बहुत विस्तृत दस्तावेज है जो सरकार के संस्थागत डिजाइन को भी बताता है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद प्रणाली कब लागू की गई थी?

    1950 के दशक से 1994 तक।

  2. दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद विरोधी संघर्ष के नेता का नाम बताइए।

    नेल्सन मंडेला।

  3. भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाली सभा को क्या कहते हैं?

    संविधान सभा।

  4. भारतीय संविधान कब अपनाया गया था?

    26 नवंबर 1949।

  5. भारतीय संविधान कब लागू हुआ और उस दिन को किस रूप में मनाया जाता है?

    26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

  6. संविधान की प्रस्तावना में "हम भारत के लोग" का क्या अर्थ है?

    इसका अर्थ है कि संविधान को भारत के लोगों ने स्वयं बनाया और लागू किया है।

  7. संविधान में परिवर्तन या संशोधन करने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?

    संविधान संशोधन।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।

  1. रंगभेद से आप क्या समझते हैं?

    रंगभेद दक्षिण अफ्रीका में प्रचलित एक नस्लीय भेदभाव की प्रणाली थी, जिसे श्वेत अल्पसंख्यक सरकार द्वारा लागू किया गया था। इस प्रणाली ने लोगों को उनकी नस्ल के आधार पर अलग किया और अश्वेतों को सभी अधिकारों और समान व्यवहार से वंचित रखा गया था। यह एक क्रूर और दमनकारी व्यवस्था थी।

  2. हमें संविधान की आवश्यकता क्यों है?

    हमें संविधान की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि यह एक देश के कानूनों और शासन के मौलिक सिद्धांतों को निर्धारित करता है। यह सरकार की शक्तियों को परिभाषित करता है, नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है, और समाज के लिए एक साझा दृष्टिकोण स्थापित करके लोगों के बीच विश्वास और समन्वय बनाता है।

  3. भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द का क्या अर्थ है?

    भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द का अर्थ है कि भारत सरकार का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है और वह सभी धर्मों के प्रति तटस्थ रहती है। नागरिकों को किसी भी धर्म का पालन करने, प्रचार करने या न करने की पूरी स्वतंत्रता है। सरकार सभी धर्मों को समान सम्मान देती है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. दक्षिण अफ्रीका का संविधान निर्माण भारतीय संविधान के लिए प्रेरणा कैसे बना?

    दक्षिण अफ्रीका का संविधान निर्माण भारतीय संविधान निर्माताओं के लिए एक शक्तिशाली प्रेरणा बना। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की क्रूर प्रणाली को समाप्त करने और एक नए, लोकतांत्रिक संविधान का निर्माण करने की प्रक्रिया ने दुनिया को दिखाया कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में भी एक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण संभव है। नेल्सन मंडेला और अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (ANC) के नेतृत्व में हुए संघर्ष ने यह साबित किया कि सभी नस्लों और पृष्ठभूमियों के लोगों को एक साथ मिलकर काम करके एक नए राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है, जहाँ सभी को समान अधिकार प्राप्त हों।

    जब भारत अपना संविधान बना रहा था, तो उसे भी विभाजन और रियासतों के एकीकरण जैसी बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। दक्षिण अफ्रीका का अनुभव, जहाँ दमनकारी अतीत के बावजूद एक ऐसा संविधान बनाया गया जिसने श्वेत और अश्वेत दोनों को समान दर्जा दिया, ने भारतीय नेताओं को एक ऐसे दस्तावेज को तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जो विविधता को गले लगाता हो और सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता और समानता सुनिश्चित करता हो। दक्षिण अफ्रीका का संविधान, जिसने अल्पसंख्यकों और बहुसंख्यकों दोनों के अधिकारों की रक्षा की, ने भारतीय निर्माताओं को अपने स्वयं के संविधान में संतुलन साधने में मदद की।

  2. संविधान सभा क्या थी? भारतीय संविधान के निर्माण में इसकी क्या भूमिका थी?

    संविधान सभा (Constituent Assembly) एक ऐसा निकाय था जिसे भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने का काम सौंपा गया था। इसका गठन 1946 में कैबिनेट मिशन योजना के तहत किया गया था, और इसके सदस्यों का चुनाव प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा किया गया था। यह एक अत्यंत विविध निकाय था जिसमें विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं, सामाजिक पृष्ठभूमि और क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल थे, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि भारतीय समाज के सभी वर्गों की आवाज़ सुनी जा सके। 9 दिसंबर 1946 को इसकी पहली बैठक हुई, और स्वतंत्रता और विभाजन के बाद, भारतीय संविधान सभा के 299 सदस्य रह गए।

    संविधान सभा की भूमिका भारतीय संविधान के निर्माण में केंद्रीय थी। इसने लगभग तीन वर्षों तक, अर्थात् 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिनों तक गहन बहस और विचार-विमर्श किया। विभिन्न समितियों का गठन किया गया, जिनमें डॉ. बी. आर. अंबेडकर की अध्यक्षता वाली **मसौदा समिति** सबसे महत्वपूर्ण थी, जिसने संविधान का अंतिम मसौदा तैयार किया। सभा ने भारत के भविष्य के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए विभिन्न देशों के संविधानों का अध्ययन किया और उनसे प्रेरणा ली। संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया, और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिससे भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया। इस प्रक्रिया ने भारतीय लोगों की संप्रभुता को स्थापित किया और एक ऐसे संविधान का निर्माण किया जो देश की विशाल विविधता को समायोजित करता है।

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