अध्याय 2: संविधान निर्माण (Constitutional Design)
परिचय
संविधान (Constitution) किसी देश के सर्वोच्च कानूनों का एक लिखित समूह है जो नागरिकों और सरकार के बीच संबंधों को निर्धारित करता है। यह एक देश के शासन के मौलिक सिद्धांतों और ढांचे को स्थापित करता है। यह अध्याय दक्षिण अफ्रीका और भारत के संविधानों के निर्माण की कहानी के माध्यम से संविधान के महत्व और निर्माण की प्रक्रिया की पड़ताल करता है।
2.1 लोकतांत्रिक संविधान: दक्षिण अफ्रीका में (Democratic Constitution in South Africa)
रंगभेद के खिलाफ संघर्ष (Struggle Against Apartheid)
- **रंगभेद (Apartheid)** दक्षिण अफ्रीका में श्वेत अल्पसंख्यक सरकार द्वारा लागू की गई नस्लीय भेदभाव की एक क्रूर प्रणाली थी।
- इसने लोगों को उनकी नस्ल के आधार पर विभाजित और अलग किया: श्वेत, अश्वेत, रंगीन (Mestizo), और भारतीय। अश्वेतों को सभी अधिकारों से वंचित रखा गया था।
- यह प्रणाली 1950 के दशक से 1994 तक लागू रही।
- अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (ANC) ने नेल्सन मंडेला के नेतृत्व में रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया।
- मंडेला और सात अन्य नेताओं को 1964 में रंगभेद शासन के खिलाफ राजद्रोह के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। उन्होंने 28 साल रॉबेन द्वीप की जेल में बिताए।
एक नए संविधान की ओर (Towards a New Constitution)
- रंगभेद के खिलाफ संघर्ष ने सरकार को अपनी नीतियों को बदलने के लिए मजबूर किया।
- श्वेत सरकार ने अपनी दमनकारी नीतियों को रद्द कर दिया।
- नेल्सन मंडेला को 1994 में 28 साल की कैद के बाद रिहा कर दिया गया।
- 26 अप्रैल 1994 को, दक्षिण अफ्रीका एक लोकतांत्रिक देश बन गया, जिसमें सभी नस्लों के लोगों को एक ही चुनाव में मतदान करने का अधिकार मिला।
- दो साल की लंबी चर्चा और बहस के बाद, दक्षिण अफ्रीका को एक नया संविधान मिला, जिसने अश्वेतों और श्वेतों दोनों को एक साथ रहने और काम करने की अनुमति दी, जिससे एक विविध और समावेशी समाज का निर्माण हुआ।
हमें संविधान की आवश्यकता क्यों है? (Why Do We Need a Constitution?)
- संविधान भरोसा और समन्वय बनाता है।
- यह सरकार कैसे बनेगी और उसे कितनी शक्तियाँ होंगी, यह स्पष्ट करता है।
- यह सरकार की शक्तियों पर सीमाएँ निर्धारित करता है।
- यह नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है।
- यह एक अच्छे समाज के निर्माण के लिए लोगों की आकांक्षाओं को व्यक्त करता है।
2.2 भारतीय संविधान का निर्माण (Making of the Indian Constitution)
मार्ग (The Path)
- भारत का संविधान बेहद कठिन परिस्थितियों में बना था।
- भारत का विभाजन धार्मिक मतभेदों के आधार पर हुआ था, जिसके कारण व्यापक हिंसा हुई।
- रियासतों को यह तय करना था कि वे भारत या पाकिस्तान में शामिल होंगी या स्वतंत्र रहेंगी, जिससे अनिश्चितता बनी हुई थी।
- संविधान निर्माताओं को देश के भविष्य के बारे में गहरी चिंता थी।
संविधान सभा (The Constituent Assembly)
- संविधान का मसौदा तैयार करने वाली सभा को **संविधान सभा (Constituent Assembly)** कहा गया।
- इसका चुनाव 1946 में प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा किया गया था।
- इसकी पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी।
- भारत के विभाजन के बाद, संविधान सभा का भी विभाजन हो गया। भारतीय संविधान सभा के 299 सदस्य थे।
- डॉ. बी. आर. अंबेडकर **मसौदा समिति (Drafting Committee)** के अध्यक्ष थे, और उन्हें भारतीय संविधान का "जनक" माना जाता है।
- संविधान को 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था।
- यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, और इस दिन को **गणतंत्र दिवस (Republic Day)** के रूप में मनाया जाता है।
- संविधान को 3 साल से कम समय में तैयार किया गया था (2 साल, 11 महीने, 18 दिन)।
भारतीय संविधान के मार्गदर्शक मूल्य (Guiding Values of the Indian Constitution)
भारतीय संविधान के पीछे का दर्शन महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉ. बी. आर. अंबेडकर जैसे नेताओं के आदर्शों से प्रेरित था।
- स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व: ये मूल्य फ्रांसीसी क्रांति से प्रेरित थे।
- समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत: रूस की क्रांति और विभिन्न सामाजिक आंदोलनों से प्रभावित थे।
- भारतीय संविधान में कई देशों के संविधानों से प्रेरणा ली गई है:
- **ब्रिटिश संविधान:** संसदीय सरकार, कानून का शासन।
- **अमेरिकी संविधान:** मौलिक अधिकार, न्यायिक समीक्षा।
- **कनाडा का संविधान:** एक मजबूत केंद्र के साथ संघीय प्रणाली।
- **आयरिश संविधान:** राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत।
संविधान की प्रस्तावना (The Preamble to the Constitution)
प्रस्तावना (Preamble) संविधान की आत्मा है। यह भारतीय संविधान के पीछे के दर्शन को प्रस्तुत करता है।
- "हम भारत के लोग..." (WE, THE PEOPLE OF INDIA...): यह दर्शाता है कि संविधान को भारत के लोगों ने स्वयं बनाया और लागू किया है।
- **संप्रभु (SOVEREIGN):** लोगों को आंतरिक और बाहरी मामलों में निर्णय लेने का सर्वोच्च अधिकार है।
- **समाजवादी (SOCIALIST):** धन का उत्पादन और वितरण समाज द्वारा समान रूप से किया जाएगा।
- **धर्मनिरपेक्ष (SECULAR):** नागरिकों को किसी भी धर्म का पालन करने की पूर्ण स्वतंत्रता है, और सरकार का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है।
- **लोकतांत्रिक (DEMOCRATIC):** सरकार का एक ऐसा रूप जहाँ लोगों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हैं और वे अपने शासकों को चुनते हैं।
- **गणतंत्र (REPUBLIC):** राज्य का प्रमुख एक निर्वाचित व्यक्ति होता है, न कि वंशानुगत शासक।
- **न्याय (JUSTICE):** नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्राप्त होगा।
- **स्वतंत्रता (LIBERTY):** नागरिकों को विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था और उपासना की स्वतंत्रता है।
- **समानता (EQUALITY):** सभी नागरिक कानून के समक्ष समान हैं और उन्हें समान अवसर प्राप्त हैं।
- **बंधुत्व (FRATERNITY):** सभी नागरिकों के बीच भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना।
संस्थागत डिजाइन (Institutional Design)
भारतीय संविधान केवल मूल्यों का एक विवरण नहीं है; यह एक बहुत विस्तृत दस्तावेज है जो सरकार के संस्थागत डिजाइन को भी बताता है।
- यह विभिन्न अंगों (विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका) की शक्तियों को निर्धारित करता है।
- यह सरकार के कामकाज के लिए विस्तृत नियम और प्रक्रियाएँ प्रदान करता है।
- संविधान को समय-समय पर बदला या संशोधित किया जा सकता है, जिसे **संविधान संशोधन (Constitutional Amendment)** कहते हैं। यह संविधान को बदलते समाज के अनुरूप ढालने की अनुमति देता है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
-
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद प्रणाली कब लागू की गई थी?
1950 के दशक से 1994 तक।
-
दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद विरोधी संघर्ष के नेता का नाम बताइए।
नेल्सन मंडेला।
-
भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाली सभा को क्या कहते हैं?
संविधान सभा।
-
भारतीय संविधान कब अपनाया गया था?
26 नवंबर 1949।
-
भारतीय संविधान कब लागू हुआ और उस दिन को किस रूप में मनाया जाता है?
26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
-
संविधान की प्रस्तावना में "हम भारत के लोग" का क्या अर्थ है?
इसका अर्थ है कि संविधान को भारत के लोगों ने स्वयं बनाया और लागू किया है।
-
संविधान में परिवर्तन या संशोधन करने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
संविधान संशोधन।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।
-
रंगभेद से आप क्या समझते हैं?
रंगभेद दक्षिण अफ्रीका में प्रचलित एक नस्लीय भेदभाव की प्रणाली थी, जिसे श्वेत अल्पसंख्यक सरकार द्वारा लागू किया गया था। इस प्रणाली ने लोगों को उनकी नस्ल के आधार पर अलग किया और अश्वेतों को सभी अधिकारों और समान व्यवहार से वंचित रखा गया था। यह एक क्रूर और दमनकारी व्यवस्था थी।
-
हमें संविधान की आवश्यकता क्यों है?
हमें संविधान की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि यह एक देश के कानूनों और शासन के मौलिक सिद्धांतों को निर्धारित करता है। यह सरकार की शक्तियों को परिभाषित करता है, नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है, और समाज के लिए एक साझा दृष्टिकोण स्थापित करके लोगों के बीच विश्वास और समन्वय बनाता है।
-
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द का क्या अर्थ है?
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द का अर्थ है कि भारत सरकार का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है और वह सभी धर्मों के प्रति तटस्थ रहती है। नागरिकों को किसी भी धर्म का पालन करने, प्रचार करने या न करने की पूरी स्वतंत्रता है। सरकार सभी धर्मों को समान सम्मान देती है।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
-
दक्षिण अफ्रीका का संविधान निर्माण भारतीय संविधान के लिए प्रेरणा कैसे बना?
दक्षिण अफ्रीका का संविधान निर्माण भारतीय संविधान निर्माताओं के लिए एक शक्तिशाली प्रेरणा बना। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की क्रूर प्रणाली को समाप्त करने और एक नए, लोकतांत्रिक संविधान का निर्माण करने की प्रक्रिया ने दुनिया को दिखाया कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में भी एक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण संभव है। नेल्सन मंडेला और अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (ANC) के नेतृत्व में हुए संघर्ष ने यह साबित किया कि सभी नस्लों और पृष्ठभूमियों के लोगों को एक साथ मिलकर काम करके एक नए राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है, जहाँ सभी को समान अधिकार प्राप्त हों।
जब भारत अपना संविधान बना रहा था, तो उसे भी विभाजन और रियासतों के एकीकरण जैसी बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। दक्षिण अफ्रीका का अनुभव, जहाँ दमनकारी अतीत के बावजूद एक ऐसा संविधान बनाया गया जिसने श्वेत और अश्वेत दोनों को समान दर्जा दिया, ने भारतीय नेताओं को एक ऐसे दस्तावेज को तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जो विविधता को गले लगाता हो और सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता और समानता सुनिश्चित करता हो। दक्षिण अफ्रीका का संविधान, जिसने अल्पसंख्यकों और बहुसंख्यकों दोनों के अधिकारों की रक्षा की, ने भारतीय निर्माताओं को अपने स्वयं के संविधान में संतुलन साधने में मदद की।
-
संविधान सभा क्या थी? भारतीय संविधान के निर्माण में इसकी क्या भूमिका थी?
संविधान सभा (Constituent Assembly) एक ऐसा निकाय था जिसे भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने का काम सौंपा गया था। इसका गठन 1946 में कैबिनेट मिशन योजना के तहत किया गया था, और इसके सदस्यों का चुनाव प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा किया गया था। यह एक अत्यंत विविध निकाय था जिसमें विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं, सामाजिक पृष्ठभूमि और क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल थे, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि भारतीय समाज के सभी वर्गों की आवाज़ सुनी जा सके। 9 दिसंबर 1946 को इसकी पहली बैठक हुई, और स्वतंत्रता और विभाजन के बाद, भारतीय संविधान सभा के 299 सदस्य रह गए।
संविधान सभा की भूमिका भारतीय संविधान के निर्माण में केंद्रीय थी। इसने लगभग तीन वर्षों तक, अर्थात् 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिनों तक गहन बहस और विचार-विमर्श किया। विभिन्न समितियों का गठन किया गया, जिनमें डॉ. बी. आर. अंबेडकर की अध्यक्षता वाली **मसौदा समिति** सबसे महत्वपूर्ण थी, जिसने संविधान का अंतिम मसौदा तैयार किया। सभा ने भारत के भविष्य के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए विभिन्न देशों के संविधानों का अध्ययन किया और उनसे प्रेरणा ली। संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया, और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिससे भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया। इस प्रक्रिया ने भारतीय लोगों की संप्रभुता को स्थापित किया और एक ऐसे संविधान का निर्माण किया जो देश की विशाल विविधता को समायोजित करता है।
(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। दिखावट भिन्न हो सकती है।)