अध्याय 8: गति (Motion)

परिचय

हमारे दैनिक जीवन में हम बहुत सी गतिशील वस्तुओं को देखते हैं। पक्षी उड़ते हैं, ट्रेन चलती है, खून शिराओं और धमनियों में बहता है, और परमाणु, अणु, ग्रह और तारे सभी गति में हैं। जब कोई वस्तु समय के साथ अपनी स्थिति बदलती है, तो हम कहते हैं कि वह गति में है। यह अध्याय गति का वर्णन करने के लिए कुछ मूल अवधारणाओं और समीकरणों को प्रस्तुत करेगा, जिसमें दूरी, विस्थापन, वेग, त्वरण और विभिन्न प्रकार की गति शामिल हैं।

8.1 गति का वर्णन (Describing Motion)

हम एक वस्तु की गति का वर्णन उसकी स्थिति को एक **संदर्भ बिंदु (Reference Point)** के सापेक्ष निर्धारित करके करते हैं। एक वस्तु को तब गति में कहा जाता है जब वह अपने संदर्भ बिंदु के सापेक्ष अपनी स्थिति बदलती है।

उदाहरण: यदि कोई व्यक्ति बिंदु A से बिंदु B तक जाता है और फिर वापस A पर आता है, तो तय की गई दूरी A से B तक जाने और वापस आने की कुल लंबाई होगी, लेकिन विस्थापन शून्य होगा क्योंकि प्रारंभिक और अंतिम स्थिति समान हैं।

8.2 एक समान गति और असमान गति (Uniform and Non-uniform Motion)

8.3 गति की दर का मापन (Measuring the Rate of Motion)

8.4 त्वरण (Acceleration)

त्वरण वेग में परिवर्तन की दर का माप है।

8.5 गति का ग्राफीय निरूपण (Graphical Representation of Motion)

ग्राफ गति का वर्णन करने का एक सुविधाजनक तरीका है।

8.6 गति के समीकरण (Equations of Motion)

एक सीधी रेखा में एक समान त्वरण से गतिमान वस्तु के वेग, त्वरण, दूरी और समय के बीच संबंध को तीन समीकरणों द्वारा वर्णित किया जा सकता है। ये समीकरण हैं:

जहाँ, $u$ = प्रारंभिक वेग, $v$ = अंतिम वेग, $a$ = त्वरण, $t$ = समय, $s$ = तय की गई दूरी/विस्थापन।

  1. **पहला समीकरण (First Equation): वेग-समय संबंध** $v = u + at$ यह समीकरण बताता है कि अंतिम वेग, प्रारंभिक वेग, त्वरण और समय के बीच क्या संबंध है।
  2. **दूसरा समीकरण (Second Equation): स्थिति-समय संबंध** $s = ut + \frac{1}{2}at^2$ यह समीकरण बताता है कि तय की गई दूरी, प्रारंभिक वेग, त्वरण और समय के बीच क्या संबंध है।
  3. **तीसरा समीकरण (Third Equation): स्थिति-वेग संबंध** $v^2 - u^2 = 2as$ यह समीकरण बताता है कि अंतिम वेग, प्रारंभिक वेग, त्वरण और तय की गई दूरी के बीच क्या संबंध है।

8.7 एक समान वृत्तीय गति (Uniform Circular Motion)

जब कोई वस्तु एक वृत्तीय पथ पर एक समान चाल से चलती है, तो उसकी गति को **एक समान वृत्तीय गति** कहते हैं।

इस अध्याय में हमने गति के मूलभूत पहलुओं और उन्हें मात्रात्मक रूप से व्यक्त करने के तरीकों का अध्ययन किया, जो भौतिकी में आगे के अध्ययन के लिए आधार प्रदान करते हैं।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. किसी वस्तु को कब गति में कहा जाता है?

    जब वह समय के साथ किसी संदर्भ बिंदु के सापेक्ष अपनी स्थिति बदलती है।

  2. दूरी और विस्थापन के बीच मुख्य अंतर क्या है?

    दूरी कुल पथ की लंबाई है (अदिश), जबकि विस्थापन प्रारंभिक से अंतिम स्थिति तक की सबसे छोटी दूरी है (सदिश)।

  3. चाल (Speed) की SI इकाई क्या है?

    मीटर प्रति सेकंड (m/s)।

  4. त्वरण (Acceleration) की SI इकाई क्या है?

    मीटर प्रति सेकंड वर्ग (m/s²)।

  5. यदि किसी वस्तु का वेग समय के साथ घट रहा है, तो उसके त्वरण को क्या कहते हैं?

    मंदता (Retardation) या ऋणात्मक त्वरण।

  6. दूरी-समय ग्राफ का ढलान क्या दर्शाता है?

    वस्तु की चाल।

  7. क्या एक समान वृत्तीय गति त्वरित गति का उदाहरण है? क्यों?

    हाँ, क्योंकि यद्यपि चाल स्थिर रहती है, दिशा लगातार बदलती रहती है, जिससे वेग में परिवर्तन होता है और इस प्रकार त्वरण उत्पन्न होता है।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।

  1. एक समान गति और असमान गति में अंतर स्पष्ट करें।

    एक समान गति में वस्तु समान समय अंतराल में समान दूरी तय करती है, जिससे उसकी चाल स्थिर रहती है। जबकि असमान गति में वस्तु समान समय अंतराल में असमान दूरी तय करती है, जिससे उसकी चाल बदलती रहती है। एक समान गति सीधी रेखा में होती है, जबकि असमान गति वक्र पथ पर भी हो सकती है।

  2. वेग-समय ग्राफ का उपयोग करके आप किसी वस्तु द्वारा तय की गई दूरी कैसे ज्ञात कर सकते हैं?

    वेग-समय ग्राफ का उपयोग करके तय की गई दूरी या विस्थापन ज्ञात करने के लिए, हमें ग्राफ और समय अक्ष के बीच के क्षेत्र की गणना करनी होती है। यह क्षेत्र वस्तु द्वारा दिए गए समय अंतराल में तय की गई दूरी के बराबर होता है।

  3. गति के दूसरे समीकरण $s = ut + \frac{1}{2}at^2$ का क्या महत्व है?

    यह समीकरण एक समान त्वरण से गतिमान वस्तु द्वारा तय की गई दूरी (विस्थापन) को उसके प्रारंभिक वेग, त्वरण और समय के साथ संबंधित करता है। यह प्रारंभिक स्थिति से वस्तु की अंतिम स्थिति को सीधे गणना करने में सहायक होता है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. चाल, वेग और त्वरण की अवधारणाओं को उदाहरणों सहित समझाइए।

    **चाल (Speed)** किसी वस्तु द्वारा इकाई समय में तय की गई दूरी का माप है। यह एक अदिश राशि है, जिसका अर्थ है कि इसमें केवल परिमाण होता है, दिशा नहीं। इसकी SI इकाई मीटर प्रति सेकंड (m/s) है। उदाहरण के लिए, यदि एक कार 60 km/h की चाल से चल रही है, तो इसका मतलब है कि वह एक घंटे में 60 किलोमीटर की दूरी तय करेगी, चाहे उसकी दिशा कुछ भी हो। **वेग (Velocity)** किसी वस्तु द्वारा इकाई समय में तय किया गया विस्थापन है। यह एक सदिश राशि है, जिसका अर्थ है कि इसमें परिमाण और दिशा दोनों होते हैं। इसकी SI इकाई भी मीटर प्रति सेकंड (m/s) है। यदि वही कार 60 km/h की चाल से उत्तर दिशा में चल रही है, तो हम कहेंगे कि उसका वेग 60 km/h उत्तर की ओर है। वेग में परिवर्तन तब होता है जब चाल या दिशा या दोनों बदलते हैं।

    **त्वरण (Acceleration)** वेग में परिवर्तन की दर का माप है। यह भी एक सदिश राशि है और इसकी SI इकाई मीटर प्रति सेकंड वर्ग (m/s²) है। त्वरण तब होता है जब कोई वस्तु तेज होती है, धीमी होती है, या अपनी दिशा बदलती है। उदाहरण के लिए, जब एक कार ट्रैफिक लाइट पर रुकने के बाद चलना शुरू करती है, तो उसका वेग बढ़ता है और वह त्वरित होती है। यदि कोई कार ब्रेक लगाकर धीमी हो रही है, तो वह ऋणात्मक त्वरण या मंदन का अनुभव कर रही है, क्योंकि उसका वेग कम हो रहा है। एक समान वृत्तीय गति में भी त्वरण होता है क्योंकि दिशा लगातार बदलती रहती है। ये तीनों अवधारणाएँ गति के वर्णन और विश्लेषण के लिए मौलिक हैं।

  2. गति के तीनों समीकरणों को लिखें और उनके उपयोगों को संक्षेप में बताएं।

    गति के तीन मूलभूत समीकरण एक समान त्वरण से गतिमान वस्तु के वेग, दूरी और समय के बीच संबंध स्थापित करते हैं। ये समीकरण हैं: 1. **$v = u + at$** (पहला समीकरण या वेग-समय संबंध) यह समीकरण किसी वस्तु के अंतिम वेग ($v$) को उसके प्रारंभिक वेग ($u$), त्वरण ($a$) और लिया गया समय ($t$) के संदर्भ में दर्शाता है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब आपको किसी निश्चित समय के बाद वस्तु का अंतिम वेग ज्ञात करना हो, या यदि अंतिम वेग, प्रारंभिक वेग और समय ज्ञात हो तो त्वरण ज्ञात करना हो। यह हमें बताता है कि समय के साथ वेग कैसे बदलता है।

    2. **$s = ut + \frac{1}{2}at^2$** (दूसरा समीकरण या स्थिति-समय संबंध) यह समीकरण किसी वस्तु द्वारा तय की गई दूरी या विस्थापन ($s$) को उसके प्रारंभिक वेग ($u$), त्वरण ($a$) और समय ($t$) से संबंधित करता है। यह समीकरण उन स्थितियों में बहुत उपयोगी है जहाँ हमें यह पता लगाना होता है कि एक निश्चित समय में एक समान त्वरण से गतिमान वस्तु ने कितनी दूरी तय की है, या यदि दूरी, प्रारंभिक वेग और समय ज्ञात हो तो त्वरण ज्ञात करना हो। 3. **$v^2 - u^2 = 2as$** (तीसरा समीकरण या स्थिति-वेग संबंध) यह समीकरण किसी वस्तु के अंतिम वेग ($v$), प्रारंभिक वेग ($u$), त्वरण ($a$) और तय की गई दूरी ($s$) के बीच संबंध स्थापित करता है। यह समीकरण तब उपयोगी होता है जब आपको समय ($t$) का पता न हो और आप वेग और दूरी के बीच संबंध ज्ञात करना चाहते हों। उदाहरण के लिए, आप यह ज्ञात कर सकते हैं कि कोई वस्तु एक निश्चित दूरी तय करने के बाद किस वेग तक पहुंच जाएगी, या एक निश्चित वेग तक पहुँचने के लिए उसे कितनी दूरी तय करनी होगी। ये तीनों समीकरण गति के विश्लेषण और विभिन्न भौतिकी समस्याओं को हल करने में महत्वपूर्ण उपकरण हैं।

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