अध्याय 7: जीवों में विविधता (Diversity in Living Organisms)
परिचय
जब हम अपने चारों ओर देखते हैं, तो हमें जीवित जीवों की एक विशाल विविधता दिखाई देती है - सूक्ष्म जीवाणुओं से लेकर विशालकाय व्हेल और पेड़ों तक। पृथ्वी पर लाखों विभिन्न प्रकार के जीव मौजूद हैं। इन जीवों के अध्ययन को आसान बनाने के लिए, वैज्ञानिकों ने उन्हें उनकी समानता और भिन्नता के आधार पर समूहों में वर्गीकृत किया है। यह अध्याय आपको जीवों के वर्गीकरण (classification) के सिद्धांतों, प्रमुख जगतों (kingdoms) और उनमें शामिल विभिन्न समूहों से परिचित कराएगा।
7.1 वर्गीकरण का आधार (Basis of Classification)
जीवों का वर्गीकरण उनके गुणों (विशेषताओं) के आधार पर किया जाता है। जीवों को वर्गीकृत करने से हमें उनके आपसी संबंधों और विकासवादी इतिहास (evolutionary history) को समझने में मदद मिलती है।
- शारीरिक संरचना और कार्य: कोशिका का प्रकार (प्रोकैरियोटिक/यूकेरियोटिक), कोशिका की संख्या (एककोशिकीय/बहुकोशिकीय), शारीरिक संगठन का स्तर (ऊतक, अंग, अंग तंत्र)।
- पोषण का तरीका: स्वपोषी (autotrophic) या विषमपोषी (heterotrophic)।
- विकासवादी संबंध: यह विचार कि सभी जीव एक सामान्य पूर्वज से विकसित हुए हैं (विकास)। चार्ल्स डार्विन ने अपनी पुस्तक "ऑन द ओरिजिन ऑफ स्पीशीज़" में विकास के विचार को प्रतिपादित किया।
7.1.1 वर्गीकरण और विकास (Classification and Evolution)
जीवों के वर्गीकरण की प्रणाली विकासवादी संबंधों पर आधारित है। जो जीव अधिक समानताएँ साझा करते हैं, उन्हें एक साथ समूहित किया जाता है, यह दर्शाता है कि उनका एक अधिक हालिया सामान्य पूर्वज है।
7.2 वर्गीकरण का पदानुक्रम (Hierarchy of Classification)
कैरोलस लिनिअस (Carolus Linnaeus) ने जीवों के वर्गीकरण के लिए एक पदानुक्रमित प्रणाली प्रस्तावित की, जो आज भी व्यापक रूप से उपयोग की जाती है। यह प्रणाली विभिन्न स्तरों या श्रेणियों (categories) में जीवों को समूहित करती है:
- जगत (Kingdom) - सबसे बड़ा समूह
- संघ (Phylum) (जंतुओं के लिए) / प्रभाग (Division) (पौधों के लिए)
- वर्ग (Class)
- गण (Order)
- कुल (Family)
- वंश (Genus)
- जाति (Species) - सबसे छोटा, सबसे विशिष्ट समूह
जाति (Species): उन जीवों का समूह जो आपस में प्रजनन कर सकते हैं और उपजाऊ संतान उत्पन्न कर सकते हैं।
7.2.1 द्विपद नामकरण (Binomial Nomenclature)
लिनिअस ने जीवों को एक वैज्ञानिक नाम देने की प्रणाली भी विकसित की, जिसे द्विपद नामकरण कहते हैं। प्रत्येक वैज्ञानिक नाम में दो भाग होते हैं:
- पहला भाग **वंश (Genus)** का नाम होता है।
- दूसरा भाग **जाति (Species)** का नाम होता है।
उदाहरण: *Homo sapiens* (मनुष्य), *Magnifera indica* (आम)। वैज्ञानिक नाम इटैलिक में लिखे जाते हैं, और वंश का पहला अक्षर बड़ा और जाति का पहला अक्षर छोटा होता है।
7.3 वर्गीकरण के प्रमुख समूह (Major Groups of Classification)
आर.एच. व्हिटेकर (R.H. Whittaker) ने 1969 में पाँच-जगत वर्गीकरण (Five-Kingdom Classification) प्रणाली प्रस्तावित की। ये पाँच जगत हैं:
- मोनेरा (Monera)
- प्रोटिस्टा (Protista)
- फंजाई (Fungi)
- प्लांटी (Plantae)
- एनिमेलिया (Animalia)
7.3.1 मोनेरा (Monera)
- **प्रोकैरियोटिक** कोशिकाएँ (सुस्पष्ट केन्द्रक और झिल्ली-बद्ध कोशिकांग अनुपस्थित)।
- एककोशिकीय।
- स्वपोषी या विषमपोषी हो सकते हैं।
- कोशिका भित्ति हो सकती है या नहीं।
- उदाहरण: जीवाणु (Bacteria), साइनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) या नील-हरित शैवाल (Blue-green algae), माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma)।
7.3.2 प्रोटिस्टा (Protista)
- **यूकेरियोटिक** कोशिकाएँ।
- एककोशिकीय।
- कुछ में प्रचलन के लिए सिलिया (cilia) या फ्लैगेला (flagella) होते हैं।
- स्वपोषी (शैवाल जैसे) या विषमपोषी (अमीबा जैसे) हो सकते हैं।
- उदाहरण: अमीबा (Amoeba), पैरामीशियम (Paramecium), यूग्लीना (Euglena), डायटम (Diatoms)।
7.3.3 फंजाई (Fungi)
- **यूकेरियोटिक**, विषमपोषी जीव।
- अधिकांश बहुकोशिकीय, लेकिन यीस्ट (Yeast) एककोशिकीय होता है।
- मृतजीवी (saprophytes) होते हैं - मृत और विघटित कार्बनिक पदार्थों से पोषण प्राप्त करते हैं।
- कोशिका भित्ति काइटिन (chitin) से बनी होती है।
- उदाहरण: यीस्ट (Yeast), मशरूम (Mushrooms), मोल्ड (Moulds)।
7.3.4 प्लांटी (Plantae)
- **यूकेरियोटिक**, बहुकोशिकीय जीव।
- कोशिका भित्ति सेल्यूलोज से बनी होती है।
- स्वपोषी (प्रकाश संश्लेषण करते हैं) - इनमें क्लोरोफिल होता है।
- इस जगत में सभी पौधे शामिल हैं। इन्हें आगे उपसमूहों में बांटा गया है:
- **थैलोफाइटा (Thallophyta):** शरीर जड़, तना और पत्तियों में विभेदित नहीं होता (शैवाल - Algae)। उदाहरण: स्पाइरोगाइरा, उलवा।
- **ब्रायोफाइटा (Bryophyta):** पादप शरीर तना और पत्ती जैसी संरचनाओं में विभेदित होता है, लेकिन जड़ें नहीं होतीं (पादप जगत के उभयचर)। उदाहरण: मॉस (Moss), मार्केन्शिया (Marchantia)।
- **टेरिडोफाइटा (Pteridophyta):** जड़, तना और पत्तियों में विभेदित, संवहनी ऊतक उपस्थित। बीज उत्पन्न नहीं करते। उदाहरण: फर्न (Ferns), मार्सिलिया।
- **जिम्नोस्पर्म (Gymnosperms):** नग्न बीज वाले पौधे, बहुवर्षीय, सदाबहार और काष्ठीय। उदाहरण: पाइनस (Pinus), साइकस (Cycas)।
- **एंजियोस्पर्म (Angiosperms):** पुष्पी पौधे, बीज फलों के अंदर ढके होते हैं। सबसे विविध और सफल पादप समूह।
- **एकबीजपत्री (Monocots):** एक बीजपत्र। उदाहरण: मक्का, गेहूँ।
- **द्विबीजपत्री (Dicots):** दो बीजपत्र। उदाहरण: चना, सेम।
7.3.5 एनिमेलिया (Animalia)
- **यूकेरियोटिक**, बहुकोशिकीय जीव।
- कोशिका भित्ति अनुपस्थित।
- विषमपोषी (भोजन के लिए अन्य जीवों पर निर्भर)।
- इस जगत में सभी जंतु शामिल हैं। इन्हें आगे उपसमूहों में बांटा गया है:
- **पोरिफेरा (Porifera):** छिद्रधारी जीव (स्पंज), अचल, शरीर में छिद्र। उदाहरण: साइकॉन, यूस्पोंजिया।
- **सीलेन्टेरेटा (Coelenterata):** खोखले शरीर वाले (हाइड्रा, जेलीफिश), दोहरी शारीरिक परत। उदाहरण: हाइड्रा, जेलीफिश।
- **प्लैटीहेल्मिन्थीस (Platyhelminthes):** चपटे कृमि (Flatworms), त्रि-स्तरीय संगठन, कोई वास्तविक देहगुहा नहीं। उदाहरण: प्लेनेरिया, लीवर फ्लूक।
- **नेमाटोडा (Nematoda):** गोल कृमि (Roundworms), द्विपार्श्व सममित, कूट-देहगुहा। उदाहरण: एस्केरिस, वुचेरेरिया।
- **एनेलिडा (Annelida):** खंडित शरीर वाले (केंचुआ, जोंक), वास्तविक देहगुहा, अंग-तंत्र स्तर का संगठन। उदाहरण: केंचुआ, जोंक।
- **आर्थ्रोपोडा (Arthropoda):** संधिपाद (सबसे बड़ा जंतु संघ), जुड़े हुए पैर, खंडित शरीर, बाह्य कंकाल। उदाहरण: कीट, मकड़ियाँ, केकड़े।
- **मोलस्का (Mollusca):** कोमल शरीर वाले (घोंघा, सीप), खोल हो सकता है। उदाहरण: घोंघा, ऑक्टोपस।
- **इकाइनोडर्मेटा (Echinodermata):** कंटकीय त्वचा वाले (तारा मछली), कैल्शियम कार्बोनेट का कंकाल, जल-संवहनी तंत्र। उदाहरण: तारा मछली, समुद्री अर्चिन।
- **प्रोटोकॉर्डेटा (Protochordata):** छोटे, समुद्री, नोटोकॉर्ड जीवन के किसी न किसी चरण में मौजूद। उदाहरण: बैलेनोग्लॉसस, हर्डमानिया।
- **कॉर्डेटा (Chordata):** नोटोकॉर्ड, पृष्ठ रज्जु, युग्मित गिल पाउच। इन्हें आगे उपसमूहों में बांटा गया है:
- **मत्स्य (Pisces):** मछली, गलफड़ों से सांस लेते हैं, ठंडे खून वाले। उदाहरण: शार्क, रोहू।
- **उभयचर (Amphibia):** जल और भूमि दोनों पर, त्वचा से या फेफड़ों से सांस लेते हैं। उदाहरण: मेंढक, सैलामैंडर।
- **सरीसृप (Reptilia):** अंडे देने वाले, रेंगने वाले, शुष्क त्वचा। उदाहरण: साँप, छिपकली।
- **पक्षी (Aves):** पंख, अंडे देने वाले, गर्म खून वाले। उदाहरण: कबूतर, गौरैया।
- **स्तनधारी (Mammalia):** बच्चे को जन्म देते हैं, स्तन ग्रंथियाँ, गर्म खून वाले। उदाहरण: मनुष्य, व्हेल, चमगादड़।
इस अध्याय में जीवों की विशाल विविधता और उनके वर्गीकरण के आधारभूत सिद्धांतों को समझने में मदद मिलती है, जिससे हम पृथ्वी पर जीवन के जटिल जाल की सराहना कर पाते हैं।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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जीवों के वर्गीकरण का मुख्य उद्देश्य क्या है?
जीवों के अध्ययन को आसान बनाना और उनके आपसी संबंधों व विकासवादी इतिहास को समझना।
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द्विपद नामकरण प्रणाली किसने प्रस्तावित की थी?
कैरोलस लिनिअस ने।
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द्विपद नामकरण में वैज्ञानिक नाम के दो भाग क्या होते हैं?
वंश (Genus) और जाति (Species)।
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पाँच जगत वर्गीकरण प्रणाली किसने प्रस्तावित की थी?
आर.एच. व्हिटेकर ने।
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किस जगत के जीवों में सुस्पष्ट केन्द्रक अनुपस्थित होता है?
मोनेरा जगत।
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किस पादप समूह को पादप जगत के उभयचर कहा जाता है?
ब्रायोफाइटा।
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सबसे बड़े जंतु संघ का नाम बताइए।
आर्थ्रोपोडा (Arthropoda)।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।
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जाति (Species) को परिभाषित करें।
जाति उन जीवों का एक समूह है जो आपस में प्राकृतिक रूप से प्रजनन कर सकते हैं और उपजाऊ संतान उत्पन्न कर सकते हैं। यह वर्गीकरण पदानुक्रम में सबसे छोटी और सबसे विशिष्ट इकाई है, जो निकटतम संबंधित जीवों को एक साथ समूहित करती है।
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मोनेरा और प्रोटिस्टा जगत के जीवों में दो मुख्य अंतर बताइए।
मोनेरा जगत में प्रोकैरियोटिक कोशिकाएँ होती हैं (केन्द्रक अनुपस्थित) और ये एककोशिकीय होते हैं (जैसे जीवाणु)। प्रोटिस्टा जगत में यूकेरियोटिक कोशिकाएँ होती हैं (सुस्पष्ट केन्द्रक उपस्थित) और ये भी एककोशिकीय होते हैं (जैसे अमीबा, पैरामीशियम)।
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फंजाई (Fungi) के पोषण के तरीके का वर्णन करें।
फंजाई विषमपोषी जीव होते हैं, और अधिकांश **मृतजीवी (saprophytes)** होते हैं। वे मृत और विघटित कार्बनिक पदार्थों से पोषण प्राप्त करते हैं, अपने शरीर के बाहर पाचक एंजाइम स्रावित करके और फिर पचे हुए पोषक तत्वों को अवशोषित करके।
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एंजियोस्पर्म और जिम्नोस्पर्म के बीच दो मुख्य अंतर क्या हैं?
एंजियोस्पर्म पुष्पी पौधे होते हैं जिनके बीज फलों के अंदर ढके होते हैं। जिम्नोस्पर्म नग्न बीज वाले पौधे होते हैं, यानी उनके बीज किसी आवरण से ढके नहीं होते। एंजियोस्पर्म में दोहरा निषेचन होता है जबकि जिम्नोस्पर्म में नहीं होता।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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जीवों के वर्गीकरण के लिए व्हिटेकर के पाँच-जगत प्रणाली का वर्णन करें।
आर.एच. व्हिटेकर ने 1969 में जीवों के वर्गीकरण की पाँच-जगत प्रणाली प्रस्तावित की, जो जीवों को उनकी कोशिका संरचना, पोषण के तरीके, शारीरिक संगठन और प्रजनन जैसे मुख्य मानदंडों के आधार पर पाँच व्यापक समूहों में विभाजित करती है। ये पाँच जगत हैं: मोनेरा, प्रोटिस्टा, फंजाई, प्लांटी और एनिमेलिया। **मोनेरा** में सभी प्रोकैरियोटिक जीव शामिल हैं, जैसे जीवाणु और साइनोबैक्टीरिया, जिनमें सुस्पष्ट केन्द्रक और झिल्ली-बद्ध कोशिकांग नहीं होते। ये एककोशिकीय होते हैं और स्वपोषी या विषमपोषी हो सकते हैं। **प्रोटिस्टा** में सभी एककोशिकीय यूकेरियोटिक जीव शामिल हैं, जैसे अमीबा और पैरामीशियम, जिनमें सुस्पष्ट केन्द्रक और झिल्ली-बद्ध कोशिकांग होते हैं। ये भी स्वपोषी या विषमपोषी हो सकते हैं।
**फंजाई** (कवक) विषमपोषी यूकेरियोटिक जीव हैं जो मृत और विघटित कार्बनिक पदार्थों से पोषण प्राप्त करते हैं (मृतजीवी)। इनकी कोशिका भित्ति काइटिन से बनी होती है, और अधिकांश बहुकोशिकीय होते हैं, हालांकि यीस्ट एककोशिकीय है। **प्लांटी** (पादप) में सभी बहुकोशिकीय, यूकेरियोटिक स्वपोषी जीव शामिल हैं जो प्रकाश संश्लेषण करते हैं और जिनकी कोशिका भित्ति सेल्यूलोज से बनी होती है। इसमें शैवाल से लेकर फूल वाले पौधे तक सभी पौधे शामिल हैं। **एनिमेलिया** (जंतु) में सभी बहुकोशिकीय, यूकेरियोटिक विषमपोषी जीव शामिल हैं जिनमें कोशिका भित्ति नहीं होती और जो भोजन के लिए अन्य जीवों पर निर्भर करते हैं। इस जगत में सरलतम अकशेरुकी से लेकर जटिलतम कशेरुकी तक सभी जंतु शामिल हैं। यह प्रणाली जीवों के बीच के विकासवादी संबंधों को दर्शाने और उनके अध्ययन को व्यवस्थित करने में मदद करती है।
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एनिमेलिया (जंतु जगत) के किन्हीं चार संघों का वर्णन करें, प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
एनिमेलिया जगत बहुकोशिकीय, यूकेरियोटिक विषमपोषी जीवों का एक विशाल समूह है। इसे उनकी शारीरिक संरचना और जटिलता के आधार पर विभिन्न संघों में उप-विभाजित किया जाता है। **पोरिफेरा (Porifera)** इस जगत का सबसे आदिम संघ है, जिसमें छिद्रधारी जीव शामिल हैं जिन्हें सामान्यतः स्पंज कहा जाता है। ये समुद्री और अचल होते हैं, और इनके शरीर में छोटे छिद्र होते हैं जिनके माध्यम से जल और भोजन अंदर आता है। शरीर सरल होता है जिसमें ऊतक संगठन का अभाव होता है। उदाहरण: साइकॉन (Sycon)। **एनेलिडा (Annelida)** संघ में खंडित शरीर वाले जीव शामिल हैं, जैसे केंचुआ और जोंक। इनके शरीर में वास्तविक देहगुहा (coelom) होती है, जो अंग-तंत्र स्तर के संगठन को दर्शाती है। इनमें विभिन्न अंगों में विशिष्ट कार्य होते हैं। उदाहरण: केंचुआ (Earthworm)।
**आर्थ्रोपोडा (Arthropoda)** जंतु जगत का सबसे बड़ा संघ है, जिसमें कीट, मकड़ियाँ, और केकड़े जैसे जीव शामिल हैं। इनकी मुख्य विशेषताएँ हैं संधिपाद (जुड़े हुए पैर), एक खंडित शरीर, और एक कठोर बाह्य कंकाल। इनमें विभिन्न पर्यावासों में रहने की अद्भुत अनुकूलन क्षमता होती है। उदाहरण: कॉकरोच (Cockroach)। **कॉर्डेटा (Chordata)** एक महत्वपूर्ण संघ है जिसमें वे सभी जंतु शामिल हैं जिनके जीवन के किसी न किसी चरण में नोटोकॉर्ड (एक रॉड जैसी संरचना), पृष्ठ रज्जु (dorsal nerve cord) और युग्मित गिल पाउच (paired gill pouches) उपस्थित होते हैं। इस संघ में मछली, उभयचर, सरीसृप, पक्षी और स्तनधारी जैसे अत्यधिक विकसित जीव शामिल हैं। उदाहरण: मनुष्य (*Homo sapiens*)। ये संघ जीवों की जटिलता और अनुकूलन के आधार पर एक विस्तृत विविधता को प्रदर्शित करते हैं।
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