अध्याय 4: परमाणु की संरचना (Structure of the Atom)

परिचय

अध्याय 3 में हमने डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के बारे में पढ़ा, जिसमें परमाणु को अविभाज्य माना गया था। हालाँकि, उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में वैज्ञानिकों ने पाया कि परमाणु विभाजित हो सकते हैं और उनमें उप-परमाणु कण (sub-atomic particles) होते हैं। इन कणों में **इलेक्ट्रॉन**, **प्रोटॉन** और **न्यूट्रॉन** शामिल हैं। इस अध्याय में, हम इन कणों की खोज, विभिन्न परमाणु मॉडलों (जैसे थॉमसन, रदरफोर्ड और बोर का मॉडल) और परमाणु के संगठन के बारे में जानेंगे।

4.1 पदार्थ में आवेशित कण (Charged Particles in Matter)

अठारहवीं शताब्दी में माइकल फैराडे ने दर्शाया कि बिजली घोलों के माध्यम से पारित हो सकती है, जिससे रासायनिक परिवर्तन होते हैं। बाद में, वैज्ञानिकों ने दिखाया कि पदार्थ में आवेशित कण होते हैं।

इन खोजों से यह स्पष्ट हो गया कि परमाणु अविभाज्य नहीं है, बल्कि यह कम से कम दो मूलभूत कणों (इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन) से बना है।

4.2 परमाणु के मॉडल

उप-परमाणु कणों की खोज के बाद, वैज्ञानिकों ने परमाणु की संरचना को समझने के लिए विभिन्न मॉडल प्रस्तावित किए:

4.2.1 थॉमसन का परमाणु मॉडल (Thomson's Model of an Atom)

जे.जे. थॉमसन ने 1903 में पहला परमाणु मॉडल प्रस्तावित किया। इसे "प्लम-पुडिंग मॉडल" या "तरबूज मॉडल" भी कहा जाता है।

सीमाएँ: यह मॉडल रदरफोर्ड के अल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग के परिणामों की व्याख्या नहीं कर सका।

4.2.2 रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल (Rutherford's Model of an Atom)

अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने 1911 में अपने प्रसिद्ध अल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग (Gold Foil Experiment) से परमाणु की संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की।

सीमाएँ: रदरफोर्ड का मॉडल परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या नहीं कर सका। वृत्ताकार कक्षा में घूमने वाले इलेक्ट्रॉन ऊर्जा खोते हुए अंततः नाभिक में गिर जाएंगे, जिससे परमाणु अस्थिर हो जाएगा।

Rutherford's Gold Foil Experiment showing alpha particle scattering

4.2.3 बोर का परमाणु मॉडल (Bohr's Model of an Atom)

नील्स बोर ने 1913 में रदरफोर्ड की कमियों को दूर करने के लिए अपना परमाणु मॉडल प्रस्तुत किया:

बोर का मॉडल परमाणु के स्थायित्व और हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की व्याख्या करने में सफल रहा।

4.3 न्यूट्रॉन (Neutron)

1932 में जे. चैडविक ने एक और उप-परमाणु कण की खोज की, जिसका कोई आवेश नहीं था और जिसका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर था। इसे **न्यूट्रॉन** नाम दिया गया। न्यूट्रॉन नाभिक में प्रोटॉन के साथ मौजूद होते हैं। हाइड्रोजन को छोड़कर, लगभग सभी परमाणुओं के नाभिक में न्यूट्रॉन होते हैं।

4.4 परमाणुओं का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic Configuration of Atoms)

बोर और बूरी ने विभिन्न कोशों में इलेक्ट्रॉनों के वितरण के लिए कुछ नियम दिए:

किसी परमाणु के सबसे बाहरी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों को **संयोजी इलेक्ट्रॉन (Valence Electrons)** कहते हैं।

4.5 संयोजकता (Valency)

संयोजकता किसी तत्व की दूसरे तत्वों के साथ रासायनिक रूप से संयोजन करने की क्षमता होती है। यह परमाणु के सबसे बाहरी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या (संयोजी इलेक्ट्रॉन) पर निर्भर करती है। बाहरी कोश को भरने और अष्टक (octet) प्राप्त करने के लिए परमाणु जितने इलेक्ट्रॉन खोता, प्राप्त करता या साझा करता है, वह उसकी संयोजकता होती है।

4.6 परमाणु संख्या और द्रव्यमान संख्या

4.7 समस्थानिक और समभारिक

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की?

    जे.जे. थॉमसन।

  2. प्रोटॉन की खोज किसने की?

    ई. गोल्डस्टीन।

  3. न्यूट्रॉन की खोज किसने की?

    जे. चैडविक।

  4. रदरफोर्ड के अल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग से कौन से दो मुख्य निष्कर्ष निकले?

    परमाणु का अधिकांश भाग खाली है और परमाणु के केंद्र में एक छोटा, सघन, धनावेशित नाभिक होता है।

  5. परमाणु संख्या (Atomic Number) क्या है?

    यह किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की कुल संख्या होती है।

  6. द्रव्यमान संख्या (Mass Number) क्या है?

    यह किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की कुल संख्या का योग होती है।

  7. संयोजी इलेक्ट्रॉन (Valence Electrons) क्या हैं?

    किसी परमाणु के सबसे बाहरी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।

  1. थॉमसन के परमाणु मॉडल की मुख्य सीमा क्या थी?

    थॉमसन का मॉडल रदरफोर्ड के अल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग के परिणामों की व्याख्या नहीं कर सका, विशेष रूप से अल्फा कणों के बड़े कोणों पर विक्षेपण और कुछ कणों के वापस लौटने की घटना को समझा नहीं पाया।

  2. बोर के परमाणु मॉडल की दो मुख्य अभिधारणाएँ बताइए।

    बोर ने बताया कि इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर केवल कुछ निश्चित, विविक्त कक्षाओं में ही चक्कर लगा सकते हैं। साथ ही, जब इलेक्ट्रॉन इन विशेष कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं, तो वे ऊर्जा का विकिरण नहीं करते।

  3. समस्थानिकों के कोई दो उपयोग बताइए।

    यूरेनियम के एक समस्थानिक का उपयोग परमाणु भट्टियों में ईंधन के रूप में किया जाता है। कोबाल्ट का एक समस्थानिक कैंसर के उपचार में उपयोग होता है, और आयोडीन का समस्थानिक घेघा रोग के इलाज में काम आता है।

  4. यदि किसी परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या 8 और न्यूट्रॉनों की संख्या भी 8 है, तो उसकी परमाणु संख्या और द्रव्यमान संख्या क्या होगी?

    परमाणु संख्या (Z) = प्रोटॉनों की संख्या = 8। द्रव्यमान संख्या (A) = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या = 8 + 8 = 16। अतः, परमाणु संख्या 8 और द्रव्यमान संख्या 16 होगी।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. रदरफोर्ड के अल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग के प्रेक्षणों और निष्कर्षों का वर्णन करें।

    अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने 1911 में परमाणु की संरचना को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयोग किया। उन्होंने सोने की एक बहुत पतली पन्नी पर उच्च ऊर्जा वाले अल्फा (α) कणों की बौछार की। इस प्रयोग में उनके तीन मुख्य प्रेक्षण थे: 1. अधिकांश तेजी से गतिमान अल्फा कण सोने की पन्नी से बिना विक्षेपित हुए सीधे निकल गए। 2. कुछ अल्फा कण छोटे कोणों से विक्षेपित हुए। 3. प्रत्येक 12,000 कणों में से लगभग एक कण वापस लौट आया (180 डिग्री पर विक्षेपित हुआ)।

    इन प्रेक्षणों के आधार पर रदरफोर्ड ने निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले: 1. परमाणु का अधिकांश भाग खाली है, क्योंकि अधिकांश अल्फा कण सीधे निकल गए। 2. परमाणु के केंद्र में एक छोटा, सघन, धनावेशित भाग होता है जिसे **नाभिक** कहते हैं। अल्फा कणों का विक्षेपण इसी धनावेशित नाभिक के कारण हुआ। 3. परमाणु का लगभग सारा द्रव्यमान नाभिक में केंद्रित होता है, क्योंकि केवल बहुत कम अल्फा कण ही नाभिक से सीधे टकराकर वापस लौटे। 4. इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर बहुत बड़ी वृत्ताकार कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं। रदरफोर्ड का यह मॉडल "सौर मंडल मॉडल" जैसा था, जहाँ नाभिक सूर्य की तरह और इलेक्ट्रॉन ग्रहों की तरह थे। हालाँकि, इस मॉडल में परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या नहीं हो पाई थी, जो इसकी एक बड़ी सीमा थी।

  2. परमाणु संख्या, द्रव्यमान संख्या, समस्थानिक और समभारिक को परिभाषित करें और उनके बीच अंतर स्पष्ट करें।

    **परमाणु संख्या (Atomic Number)**, जिसे Z से दर्शाया जाता है, किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित **प्रोटॉनों की कुल संख्या** होती है। यह किसी तत्व की अद्वितीय पहचान होती है; प्रत्येक तत्व की एक विशिष्ट परमाणु संख्या होती है। उदाहरण के लिए, हाइड्रोजन की परमाणु संख्या 1 है (क्योंकि इसमें 1 प्रोटॉन है), और हीलियम की परमाणु संख्या 2 है (क्योंकि इसमें 2 प्रोटॉन हैं)। एक उदासीन परमाणु में, प्रोटॉनों की संख्या इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है।
    **द्रव्यमान संख्या (Mass Number)**, जिसे A से दर्शाया जाता है, किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित **प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की कुल संख्या का योग** होती है। यह परमाणु का कुल द्रव्यमान बताती है। सूत्र के रूप में, द्रव्यमान संख्या (A) = प्रोटॉनों की संख्या (Z) + न्यूट्रॉनों की संख्या (n)। उदाहरण के लिए, कार्बन-12 में 6 प्रोटॉन और 6 न्यूट्रॉन होते हैं, इसलिए इसकी द्रव्यमान संख्या 12 होती है।

    **समस्थानिक (Isotopes)** एक ही तत्व के परमाणु होते हैं जिनकी परमाणु संख्या (प्रोटॉन की संख्या) समान होती है, लेकिन द्रव्यमान संख्या (न्यूट्रॉन की संख्या) भिन्न होती है। इसका अर्थ है कि उनके रासायनिक गुण समान होते हैं (क्योंकि संयोजी इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की संख्या समान है), लेकिन उनके भौतिक गुण (जैसे घनत्व) भिन्न हो सकते हैं। उदाहरण: हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक - प्रोटियम ($^1_1H$), ड्यूटेरियम ($^2_1H$), ट्राइटियम ($^3_1H$)।
    **समभारिक (Isobars)** विभिन्न तत्वों के परमाणु होते हैं जिनकी द्रव्यमान संख्या समान होती है, लेकिन परमाणु संख्या भिन्न होती है। इसका मतलब है कि उनके रासायनिक गुण भिन्न होते हैं (क्योंकि परमाणु संख्या और प्रोटॉन की संख्या भिन्न है)। उदाहरण: आर्गन ($^{40}_{18}Ar$) और कैल्शियम ($^{40}_{20}Ca$)। इन दोनों की द्रव्यमान संख्या 40 है, लेकिन आर्गन में 18 प्रोटॉन और कैल्शियम में 20 प्रोटॉन होते हैं।

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