अध्याय 3: परमाणु एवं अणु (Atoms and Molecules)
परिचय
प्राचीन भारतीय और यूनानी दार्शनिक हमेशा पदार्थ के अदृश्य और अज्ञात रूपों के बारे में सोचते रहे हैं। लगभग 500 ई.पू., भारतीय दार्शनिक महर्षि कणाद ने प्रतिपादित किया कि यदि हम पदार्थ को विभाजित करते जाएँ, तो हमें छोटे-छोटे कण प्राप्त होंगे जो और अधिक विभाजित नहीं किए जा सकेंगे। इन कणों को उन्होंने 'परमाणु' कहा। आधुनिक रसायन विज्ञान इस अवधारणा पर आधारित है कि पदार्थ परमाणुओं और अणुओं से बना है। इस अध्याय में, हम रासायनिक संयोजन के नियमों, डाल्टन के परमाणु सिद्धांत, परमाणु, अणु और आयनों के बारे में विस्तार से जानेंगे, और रासायनिक सूत्र लिखना तथा मोल संकल्पना समझेंगे।
3.1 रासायनिक संयोजन के नियम
रासायनिक अभिक्रियाओं के दौरान पदार्थों के बीच होने वाली रासायनिक अभिक्रियाओं को दो महत्वपूर्ण नियमों द्वारा नियंत्रित किया जाता है:
3.1.1 द्रव्यमान संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Mass)
यह नियम एंटोनी एल. लेवोसिए द्वारा प्रतिपादित किया गया था। इस नियम के अनुसार, किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का न तो निर्माण होता है और न ही विनाश। इसका अर्थ है कि एक रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारकों (reactants) का कुल द्रव्यमान हमेशा उत्पादों (products) के कुल द्रव्यमान के बराबर होता है। उदाहरण के लिए, यदि 10 ग्राम कैल्शियम कार्बोनेट को गर्म किया जाता है, तो उससे प्राप्त कैल्शियम ऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड का कुल द्रव्यमान भी 10 ग्राम होगा। यह नियम रासायनिक अभिक्रियाओं के दौरान परमाणुओं के पुनर्व्यवस्थापन को दर्शाता है।
3.1.2 स्थिर अनुपात का नियम (Law of Constant Proportions)
यह नियम जोसेफ प्राउस्ट द्वारा प्रतिपादित किया गया था। इस नियम के अनुसार, किसी भी रासायनिक यौगिक में तत्व हमेशा द्रव्यमान के अनुसार एक निश्चित अनुपात में मौजूद होते हैं, चाहे वह यौगिक किसी भी स्रोत से प्राप्त किया गया हो या किसी भी विधि से बनाया गया हो। उदाहरण के लिए, जल (H₂O) में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का द्रव्यमान अनुपात हमेशा $1:8$ होता है। यदि 9 ग्राम जल को विघटित किया जाए, तो 1 ग्राम हाइड्रोजन और 8 ग्राम ऑक्सीजन हमेशा प्राप्त होंगे। यह नियम यौगिकों की निश्चित संरचना को स्पष्ट करता है।
3.2 डाल्टन का परमाणु सिद्धांत (Dalton's Atomic Theory)
जॉन डाल्टन ने 1808 में अपना परमाणु सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसने रासायनिक संयोजन के नियमों की व्याख्या की। इस सिद्धांत की मुख्य अभिधारणाएँ निम्नलिखित हैं:
- सभी पदार्थ परमाणुओं से बने होते हैं, जो सूक्ष्मतम अविभाज्य कण होते हैं।
- परमाणु रासायनिक अभिक्रिया में न तो बनाए जा सकते हैं और न ही नष्ट किए जा सकते हैं।
- एक दिए गए तत्व के सभी परमाणुओं का द्रव्यमान और रासायनिक गुण समान होते हैं।
- विभिन्न तत्वों के परमाणुओं का द्रव्यमान और रासायनिक गुण भिन्न-भिन्न होते हैं।
- परमाणु छोटी पूर्णांक संख्याओं के सरल अनुपात में संयोजित होकर यौगिक बनाते हैं।
- किसी भी यौगिक में परमाणुओं की सापेक्ष संख्या और प्रकार निश्चित होते हैं।
3.3 परमाणु क्या है? (What is an Atom?)
परमाणु किसी तत्व का सबसे छोटा कण होता है जो रासायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है। परमाणु अविभाज्य होते हैं (हालांकि अब हम जानते हैं कि वे उप-परमाणु कणों से बने होते हैं)।
3.3.1 परमाणु का आकार
परमाणु बहुत छोटे होते हैं। उनका आकार नैनोमीटर (nm) में मापा जाता है। 1 मीटर = $10^9$ नैनोमीटर। हाइड्रोजन परमाणु की त्रिज्या लगभग $10^{-10}$ मीटर होती है। परमाणु इतने छोटे होते हैं कि हम उन्हें नग्न आँखों से नहीं देख सकते।
3.3.2 परमाणु प्रतीक (Atomic Symbols)
शुरुआत में, तत्वों के प्रतीकों को उनके नामों के एक या दो अक्षरों से बनाया गया था या वैज्ञानिकों ने विशेष प्रतीकों का उपयोग किया। आज, IUPAC (International Union of Pure and Applied Chemistry) तत्वों के नामों और प्रतीकों को मान्यता देता है। प्रतीक आमतौर पर तत्व के अंग्रेजी नाम के पहले अक्षर (बड़ा अक्षर) या पहले और दूसरे (या किसी अन्य) अक्षर (पहला बड़ा, दूसरा छोटा) से बनते हैं।
- उदाहरण: हाइड्रोजन (H), हीलियम (He), ऑक्सीजन (O), सोडियम (Na - लैटिन नाम Natrium से), लोहा (Fe - लैटिन नाम Ferrum से)।
3.4 अणु क्या है? (What is a Molecule?)
अणु दो या दो से अधिक परमाणुओं का एक समूह है जो रासायनिक रूप से एक साथ बंधे होते हैं। ये परमाणु एक ही तत्व के हो सकते हैं या विभिन्न तत्वों के। अणु पदार्थ का सबसे छोटा कण है जो स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में रह सकता है और उस पदार्थ के सभी गुणों को प्रदर्शित करता है।
3.4.1 तत्वों के अणु (Molecules of Elements)
एक ही तत्व के परमाणु मिलकर तत्व के अणु बनाते हैं। परमाणुओं की संख्या के आधार पर इन्हें वर्गीकृत किया जाता है:
- **एकपरमाणुक (Monoatomic):** केवल एक परमाणु से बने (जैसे He, Ne, Ar - उत्कृष्ट गैसें)।
- **द्विपरमाणुक (Diatomic):** दो परमाणुओं से बने (जैसे H₂, O₂, N₂, Cl₂)।
- **त्रिपरमाणुक (Triatomic):** तीन परमाणुओं से बने (जैसे O₃ - ओजोन)।
- **बहुपरमाणुक (Polyatomic):** तीन से अधिक परमाणुओं से बने (जैसे P₄ - फॉस्फोरस, S₈ - सल्फर)।
3.4.2 यौगिकों के अणु (Molecules of Compounds)
विभिन्न तत्वों के परमाणु एक निश्चित अनुपात में संयोजित होकर यौगिकों के अणु बनाते हैं।
- उदाहरण: जल (H₂O), कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), अमोनिया (NH₃)।
3.5 आयन क्या हैं? (What are Ions?)
आयन आवेशित परमाणु या परमाणुओं के समूह होते हैं। परमाणु इलेक्ट्रॉन खोकर या प्राप्त करके आयन बनाते हैं ताकि वे एक स्थिर इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त कर सकें।
- **धनायन (Cation):** जब एक परमाणु इलेक्ट्रॉन खोता है, तो उस पर धनात्मक आवेश आता है और वह धनायन कहलाता है। (उदाहरण: $Na^+$, $Mg^{2+}$)
- **ऋणायन (Anion):** जब एक परमाणु इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है, तो उस पर ऋणात्मक आवेश आता है और वह ऋणायन कहलाता है। (उदाहरण: $Cl^-$, $O^{2-}$ )
आयनों वाले यौगिकों को **आयनिक यौगिक (Ionic Compounds)** कहा जाता है।
3.6 रासायनिक सूत्र लिखना (Writing Chemical Formulae)
किसी यौगिक का रासायनिक सूत्र उसके संघटक तत्वों और परमाणुओं की संख्या का प्रतीकात्मक निरूपण होता है। रासायनिक सूत्र लिखने के लिए तत्वों की संयोजकता (Valency) का ज्ञान आवश्यक है। संयोजकता किसी तत्व की संयोजन क्षमता होती है।
रासायनिक सूत्र लिखने के नियम:
- तत्वों के प्रतीक लिखें।
- प्रत्येक तत्व की संयोजकता उसके प्रतीक के नीचे लिखें।
- संयोजकता को क्रॉस-ओवर करें (एक तत्व की संयोजकता दूसरे तत्व के प्रतीक के नीचे आती है)।
- यदि एक पॉलीएटॉमिक आयन का उपयोग किया जाता है, तो उसे कोष्ठकों में रखें यदि उसकी संख्या एक से अधिक हो।
उदाहरण:
- जल का सूत्र (H₂O): H की संयोजकता 1, O की संयोजकता 2। क्रॉस-ओवर करने पर H₂O।
- कार्बन डाइऑक्साइड का सूत्र (CO₂): C की संयोजकता 4, O की संयोजकता 2। (सरल करने पर C की 2, O की 1)। क्रॉस-ओवर करने पर CO₂।
- मैग्नीशियम क्लोराइड का सूत्र (MgCl₂): Mg की संयोजकता 2, Cl की संयोजकता 1। क्रॉस-ओवर करने पर MgCl₂।
3.7 आणविक द्रव्यमान और मोल संकल्पना
3.7.1 आणविक द्रव्यमान (Molecular Mass)
किसी पदार्थ का आणविक द्रव्यमान उसके एक अणु में उपस्थित सभी परमाणुओं के परमाणु द्रव्यमानों का योग होता है। इसे 'u' (एकीकृत परमाणु द्रव्यमान इकाई) में व्यक्त किया जाता है।
- उदाहरण: जल (H₂O) का आणविक द्रव्यमान = $(2 \times \text{H का परमाणु द्रव्यमान}) + (1 \times \text{O का परमाणु द्रव्यमान})$ $= (2 \times 1 \text{ u}) + (1 \times 16 \text{ u}) = 2 \text{ u} + 16 \text{ u} = 18 \text{ u}$
3.7.2 सूत्र इकाई द्रव्यमान (Formula Unit Mass)
आयनिक यौगिकों के लिए आणविक द्रव्यमान के बजाय सूत्र इकाई द्रव्यमान का उपयोग किया जाता है, क्योंकि वे स्वतंत्र अणुओं के रूप में मौजूद नहीं होते, बल्कि आयनों के एक समूह के रूप में होते हैं। इसकी गणना आणविक द्रव्यमान के समान ही की जाती है।
- उदाहरण: सोडियम क्लोराइड (NaCl) का सूत्र इकाई द्रव्यमान = $(1 \times \text{Na का परमाणु द्रव्यमान}) + (1 \times \text{Cl का परमाणु द्रव्यमान})$ $= (1 \times 23 \text{ u}) + (1 \times 35.5 \text{ u}) = 23 \text{ u} + 35.5 \text{ u} = 58.5 \text{ u}$
3.7.3 मोल संकल्पना (Mole Concept)
मोल (Mole) किसी पदार्थ की वह मात्रा है जिसमें कणों (परमाणु, अणु या आयन) की संख्या उतनी ही होती है जितनी कार्बन-12 समस्थानिक के ठीक 12 ग्राम में परमाणु होते हैं।
- **आवोगाद्रो संख्या (Avogadro Number):** एक मोल में कणों की संख्या निश्चित होती है, जिसका मान ${6.022 \times 10^{23}}$ होता है। इसे आवोगाद्रो स्थिरांक (Avogadro's constant) भी कहते हैं।
- **मोलर द्रव्यमान (Molar Mass):** किसी पदार्थ के एक मोल का द्रव्यमान मोलर द्रव्यमान कहलाता है। इसका संख्यात्मक मान परमाणु या आणविक द्रव्यमान के समान होता है, लेकिन इकाई ग्राम (g) में होती है।
- उदाहरण: ऑक्सीजन परमाणु का मोलर द्रव्यमान = 16 g
- जल (H₂O) का मोलर द्रव्यमान = 18 g
मोल की संख्या की गणना के सूत्र:
- मोलों की संख्या (n) = ${ \frac{\text{दिया गया द्रव्यमान (m)}}{\text{मोलर द्रव्यमान (M)}} }$
- मोलों की संख्या (n) = ${ \frac{\text{दिए गए कणों की संख्या (N)}}{\text{आवोगाद्रो संख्या (N_0)}} }$
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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द्रव्यमान संरक्षण का नियम किसने दिया?
एंटोनी एल. लेवोसिए।
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डाल्टन के परमाणु सिद्धांत की एक मुख्य अभिधारणा बताइए।
परमाणु अविभाज्य कण होते हैं जिन्हें रासायनिक अभिक्रिया में न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है।
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हाइड्रोजन परमाणु का प्रतीक क्या है?
H
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एक अणु क्या है?
अणु दो या दो से अधिक परमाणुओं का समूह है जो रासायनिक रूप से एक साथ बंधे होते हैं।
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धनायन और ऋणायन में क्या अंतर है?
धनायन धनावेशित आयन होते हैं (इलेक्ट्रॉन खोकर बनते हैं), जबकि ऋणायन ऋणावेशित आयन होते हैं (इलेक्ट्रॉन प्राप्त करके बनते हैं)।
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'मोल' की परिभाषा दीजिए।
एक मोल किसी पदार्थ की वह मात्रा है जिसमें उतनी ही संख्या में कण (परमाणु, अणु या आयन) होते हैं जितने कार्बन-12 समस्थानिक के ठीक 12 ग्राम में परमाणु होते हैं।
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आवोगाद्रो संख्या का मान क्या है?
$6.022 \times 10^{23}$
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।
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स्थिर अनुपात का नियम समझाइए।
स्थिर अनुपात के नियम के अनुसार, किसी भी रासायनिक यौगिक में तत्व हमेशा द्रव्यमान के अनुसार एक निश्चित अनुपात में मौजूद होते हैं। उदाहरण के लिए, जल (H₂O) में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का द्रव्यमान अनुपात हमेशा $1:8$ होता है, चाहे जल किसी भी स्रोत से प्राप्त किया गया हो।
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डाल्टन के परमाणु सिद्धांत की दो सीमाएँ बताइए।
डाल्टन ने कहा कि परमाणु अविभाज्य होते हैं, लेकिन बाद में पता चला कि परमाणु इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन में विभाजित हो सकते हैं। उन्होंने यह भी माना कि एक ही तत्व के सभी परमाणु हर तरह से समान होते हैं, जबकि समस्थानिकों (isotopes) के अस्तित्व ने इस बात को गलत साबित कर दिया।
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आणविक द्रव्यमान की गणना कैसे की जाती है? जल (H₂O) का आणविक द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
आणविक द्रव्यमान एक अणु में उपस्थित सभी परमाणुओं के परमाणु द्रव्यमानों का योग होता है। जल (H₂O) का आणविक द्रव्यमान = $(2 \times \text{H का परमाणु द्रव्यमान}) + (1 \times \text{O का परमाणु द्रव्यमान}) = (2 \times 1 \text{ u}) + (1 \times 16 \text{ u}) = 2 \text{ u} + 16 \text{ u} = 18 \text{ u}$
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आयन क्या होते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
आयन आवेशित परमाणु या परमाणुओं के समूह होते हैं। जब एक परमाणु इलेक्ट्रॉन खोता है, तो वह धनावेशित आयन (धनायन) बनाता है, जैसे $Na^+$। जब एक परमाणु इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है, तो वह ऋणावेशित आयन (ऋणायन) बनाता है, जैसे $Cl^-$। ये आवेशित कण यौगिकों के निर्माण में महत्वपूर्ण होते हैं।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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रासायनिक संयोजन के नियमों का वर्णन करें।
रासायनिक संयोजन के दो महत्वपूर्ण नियम हैं जो रासायनिक अभिक्रियाओं के आधार को परिभाषित करते हैं। पहला है **द्रव्यमान संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Mass)**, जिसे एंटोनी एल. लेवोसिए ने दिया था। यह नियम कहता है कि किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का न तो निर्माण होता है और न ही विनाश। इसका मतलब है कि एक रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारकों (reactants) का कुल द्रव्यमान हमेशा उत्पादों (products) के कुल द्रव्यमान के बराबर होता है। यह नियम दर्शाता है कि रासायनिक अभिक्रियाएँ केवल परमाणुओं का पुनर्व्यवस्थापन हैं, न कि उनका सृजन या विनाश।
दूसरा नियम है **स्थिर अनुपात का नियम (Law of Constant Proportions)**, जिसे जोसेफ प्राउस्ट ने प्रतिपादित किया था। यह नियम बताता है कि एक रासायनिक यौगिक में तत्व हमेशा द्रव्यमान के अनुसार एक निश्चित अनुपात में मौजूद होते हैं, चाहे वह यौगिक किसी भी स्रोत से प्राप्त किया गया हो या किसी भी विधि से बनाया गया हो। उदाहरण के लिए, जल (H₂O) में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का द्रव्यमान अनुपात हमेशा $1:8$ होता है। यह नियम यौगिकों की निश्चित संरचना को दर्शाता है और यह बताता है कि यौगिक मिश्रणों से कैसे भिन्न होते हैं।
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डाल्टन के परमाणु सिद्धांत की मुख्य अभिधारणाओं को सूचीबद्ध करें और आधुनिक परमाणु सिद्धांत के संदर्भ में उसकी प्रासंगिकता पर चर्चा करें।
जॉन डाल्टन ने 1808 में अपना परमाणु सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसने रासायनिक अभिक्रियाओं के नियमों की व्याख्या की। इसकी मुख्य अभिधारणाएँ थीं: सभी पदार्थ सूक्ष्मतम अविभाज्य कणों (परमाणुओं) से बने होते हैं; परमाणु रासायनिक अभिक्रिया में न तो बनाए जा सकते हैं और न ही नष्ट किए जा सकते हैं; एक ही तत्व के सभी परमाणुओं का द्रव्यमान और रासायनिक गुण समान होते हैं; विभिन्न तत्वों के परमाणुओं का द्रव्यमान और रासायनिक गुण भिन्न-भिन्न होते हैं; परमाणु छोटी पूर्णांक संख्याओं के सरल अनुपात में संयोजित होकर यौगिक बनाते हैं; और किसी भी यौगिक में परमाणुओं की सापेक्ष संख्या और प्रकार निश्चित होते हैं।
डाल्टन का सिद्धांत रासायनिक विज्ञान के लिए एक मील का पत्थर था। इसने द्रव्यमान संरक्षण और स्थिर अनुपात के नियमों की सफलतापूर्वक व्याख्या की। हालाँकि, आधुनिक परमाणु सिद्धांत के विकास के साथ, डाल्टन के सिद्धांत में कुछ संशोधन हुए: अब हमें पता है कि परमाणु अविभाज्य नहीं होते और वे उप-परमाणु कणों में विभाजित हो सकते हैं। इसके अलावा, समस्थानिकों (isotopes) के अस्तित्व ने दिखाया कि एक ही तत्व के परमाणुओं का द्रव्यमान भिन्न हो सकता है, और समभारिकों (isobars) ने दिखाया कि भिन्न तत्वों के परमाणुओं का द्रव्यमान समान हो सकता है। इन सीमाओं के बावजूद, डाल्टन का परमाणु सिद्धांत रसायन विज्ञान की नींव बना हुआ है और इसने परमाणु संरचना के अधिक उन्नत मॉडलों के विकास का मार्ग प्रशस्त किया।
(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। दिखावट भिन्न हो सकती है।)