अध्याय 2: क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं? (Is Matter Around Us Pure?)

परिचय

जब हम बाजार से दूध, घी, मक्खन, नमक, मसाले, मिनरल जल या जूस खरीदते हैं, तो अक्सर उनके पैकेट पर 'शुद्ध' शब्द लिखा देखते हैं। एक आम व्यक्ति के लिए 'शुद्ध' का मतलब होता है कि उसमें कोई मिलावट न हो। लेकिन, वैज्ञानिकों के लिए इसका अर्थ कुछ और ही होता है। उनके लिए, 'शुद्ध' पदार्थ का मतलब है कि उसके सभी कण समान रासायनिक प्रकृति के हों। उदाहरण के लिए, शुद्ध दूध वास्तव में विभिन्न पदार्थों (जैसे पानी, वसा, प्रोटीन आदि) का मिश्रण है। इस अध्याय में, हम शुद्ध पदार्थों और मिश्रणों को विस्तार से समझेंगे, और जानेंगे कि मिश्रणों को कैसे अलग किया जाता है।

2.1 शुद्ध पदार्थ क्या हैं?

वैज्ञानिकों के अनुसार, एक **शुद्ध पदार्थ** (Pure Substance) वह होता है जिसमें मौजूद सभी कणों की रासायनिक प्रकृति एक समान होती है। एक शुद्ध पदार्थ को भौतिक विधियों द्वारा अन्य प्रकार के पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता।

पदार्थों को उनकी रासायनिक प्रकृति के आधार पर **तत्वों (Elements)** या **यौगिकों (Compounds)** के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

2.2 मिश्रण क्या हैं?

मिश्रण (Mixture) एक या एक से अधिक शुद्ध पदार्थों (तत्वों या यौगिकों) से मिलकर बनता है, जिन्हें भौतिक रूप से एक साथ मिलाया जाता है, लेकिन रासायनिक रूप से नहीं जोड़ा जाता। मिश्रणों को भौतिक विधियों द्वारा उनके घटकों में अलग किया जा सकता है।

2.2.1 मिश्रण के प्रकार

मिश्रणों को उनकी संरचना के आधार पर दो मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

(a) समांगी मिश्रण (Homogeneous Mixtures)

(b) विषमांगी मिश्रण (Heterogeneous Mixtures)

2.3 विलयन क्या है?

विलयन (Solution) दो या दो से अधिक पदार्थों का **समांगी मिश्रण** है। विलयन में एक **विलेय (Solute)** होता है जो **विलायक (Solvent)** में घुला होता है।

विलयन के गुण:

2.3.1 विलयन की सांद्रता (Concentration of a Solution)

विलयन की सांद्रता विलायक की दी गई मात्रा में या विलयन की दी गई मात्रा में मौजूद विलेय की मात्रा को दर्शाती है।

विलयन की सांद्रता व्यक्त करने के विभिन्न तरीके:

2.4 निलंबन क्या है?

निलंबन (Suspension) एक **विषमांगी मिश्रण** है जिसमें ठोस कण पूरे द्रव में बिखरे रहते हैं लेकिन घुलते नहीं हैं।

निलंबन के गुण:

2.5 कोलाइडल विलयन क्या है?

कोलाइडल विलयन (Colloidal Solution) एक **विषमांगी मिश्रण** है जो दिखने में समांगी लगता है। इसके कण विलयन के कणों से बड़े लेकिन निलंबन के कणों से छोटे होते हैं।

कोलाइडल विलयन के गुण:

Illustration showing light path in true solution, colloidal solution (Tyndall effect), and suspension.

2.6 मिश्रण के घटकों का पृथक्करण

मिश्रणों में मौजूद घटकों को अलग करने के लिए कई विधियाँ हैं। मिश्रण के प्रकार और घटकों के गुणों के आधार पर उचित विधि का चयन किया जाता है।

2.7 भौतिक और रासायनिक परिवर्तन

हमारे आस-पास दो प्रकार के परिवर्तन होते हैं: भौतिक परिवर्तन और रासायनिक परिवर्तन।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. शुद्ध पदार्थ क्या होता है?

    शुद्ध पदार्थ वह होता है जिसमें मौजूद सभी कणों की रासायनिक प्रकृति एक समान होती है और जिसे भौतिक विधियों द्वारा अलग नहीं किया जा सकता।

  2. मिश्रण की परिभाषा दीजिए।

    मिश्रण एक या एक से अधिक शुद्ध पदार्थों का भौतिक रूप से मिला हुआ रूप है, जहाँ घटक रासायनिक रूप से जुड़े नहीं होते।

  3. समांगी और विषमांगी मिश्रण में एक मुख्य अंतर क्या है?

    समांगी मिश्रण की संरचना पूरे द्रव्यमान में एक समान होती है, जबकि विषमांगी मिश्रण की संरचना भिन्न-भिन्न होती है।

  4. टिंडल प्रभाव क्या है?

    यह वह परिघटना है जिसमें कोलाइडल कण प्रकाश की किरण को फैलाते हैं, जिससे प्रकाश का मार्ग दृश्यमान हो जाता है।

  5. भौतिक परिवर्तन का एक उदाहरण दीजिए।

    कागज का फटना या पानी का जमना।

  6. रासायनिक परिवर्तन का एक उदाहरण दीजिए।

    मोमबत्ती का जलना या भोजन का पाचन।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।

  1. विलयन, निलंबन और कोलाइडल विलयन को कणों के आकार के आधार पर कैसे वर्गीकृत किया जाता है?

    विलयन में कणों का आकार सबसे छोटा (1 nm से कम) होता है। निलंबन में कणों का आकार सबसे बड़ा (100 nm से अधिक) होता है, जो नग्न आँखों से देखे जा सकते हैं। कोलाइडल विलयन में कणों का आकार विलयन और निलंबन के बीच (1-100 nm) होता है, जो प्रकाश को फैला सकते हैं लेकिन नीचे नहीं बैठते।

  2. विलयन की सांद्रता से आप क्या समझते हैं? इसे व्यक्त करने के दो तरीके बताइए।

    विलयन की सांद्रता विलायक की निश्चित मात्रा में घुले हुए विलेय की मात्रा को दर्शाती है। इसे व्यक्त करने के तरीके हैं: द्रव्यमान/द्रव्यमान प्रतिशत (${ \frac{\text{विलेय का द्रव्यमान}}{\text{विलयन का द्रव्यमान}} \times 100 }$) और द्रव्यमान/आयतन प्रतिशत (${ \frac{\text{विलेय का द्रव्यमान}}{\text{विलयन का आयतन}} \times 100 }$)।

  3. रंगों को अलग करने के लिए क्रोमैटोग्राफी का उपयोग कैसे किया जाता है?

    क्रोमैटोग्राफी एक ऐसी विधि है जिसका उपयोग किसी मिश्रण से उन घटकों को अलग करने के लिए किया जाता है जो एक ही विलायक में घुलनशील होते हैं, लेकिन अलग-अलग दरों पर चढ़ते हैं। उदाहरण के लिए, स्याही में विभिन्न रंगों के कण कागज पर अलग-अलग गति से ऊपर उठते हैं और अलग-अलग स्थानों पर रुक जाते हैं, जिससे वे अलग हो जाते हैं।

  4. दूध से क्रीम कैसे अलग करते हैं? इस सिद्धांत को समझाइए।

    दूध से क्रीम को अपकेंद्रीकरण (Centrifugation) विधि से अलग किया जाता है। इस विधि में मिश्रण को तेजी से घुमाया जाता है, जिससे सघन कण (जैसे क्रीम में वसा कण) अपकेंद्रीय बल के कारण नीचे बैठ जाते हैं और हल्के कण ऊपर तैरने लगते हैं।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. भौतिक और रासायनिक परिवर्तनों में अंतर स्पष्ट करें, प्रत्येक के दो-दो उदाहरण दें।

    **भौतिक परिवर्तन** वह परिवर्तन होता है जिसमें पदार्थ की रासायनिक संरचना में कोई बदलाव नहीं आता, केवल उसके भौतिक गुणों, जैसे अवस्था, आकार, रंग या गंध में परिवर्तन होता है। इस प्रकार के परिवर्तन में कोई नया पदार्थ नहीं बनता, और यह आमतौर पर उत्क्रमणीय (reversible) होता है, जिसका अर्थ है कि मूल पदार्थ को आसानी से वापस प्राप्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, बर्फ का पानी में पिघलना एक भौतिक परिवर्तन है क्योंकि पानी की रासायनिक संरचना (H₂O) वही रहती है, केवल उसकी अवस्था बदलती है। इसी प्रकार, लकड़ी को छोटे टुकड़ों में काटना भी एक भौतिक परिवर्तन है, क्योंकि लकड़ी की रासायनिक पहचान नहीं बदलती।

    इसके विपरीत, **रासायनिक परिवर्तन** वह परिवर्तन होता है जिसमें पदार्थ की रासायनिक संरचना बदल जाती है, और एक या एक से अधिक नए पदार्थ बनते हैं जिनके गुण मूल पदार्थों से पूरी तरह भिन्न होते हैं। रासायनिक परिवर्तन आमतौर पर अनुत्क्रमणीय (irreversible) होते हैं। इन परिवर्तनों में अक्सर ऊष्मा, प्रकाश, या ध्वनि का उत्सर्जन या अवशोषण होता है, और कभी-कभी गैस का निर्माण या अवक्षेप का बनना भी देखा जाता है। उदाहरण के लिए, लकड़ी का जलना एक रासायनिक परिवर्तन है, क्योंकि लकड़ी जलने पर राख, कार्बन डाइऑक्साइड और पानी के वाष्प जैसे नए पदार्थों में बदल जाती है। इसी तरह, लोहे पर जंग लगना भी एक रासायनिक परिवर्तन है, क्योंकि लोहा वायु और नमी के साथ क्रिया करके आयरन ऑक्साइड (जंग) बनाता है।

  2. मिश्रण के किन्हीं तीन घटकों को अलग करने की विधियों का विस्तार से वर्णन करें।

    मिश्रणों के घटकों को अलग करने के लिए कई विधियाँ हैं, जो घटकों के भौतिक गुणों पर निर्भर करती हैं।
    1. **वाष्पीकरण (Evaporation):** यह विधि उस समय उपयोगी होती है जब मिश्रण में एक वाष्पशील घटक (जैसे द्रव) और एक अवाष्पशील घटक (जैसे ठोस) होता है। उदाहरण के लिए, नमक और पानी के मिश्रण से नमक प्राप्त करने के लिए पानी को गर्म करके वाष्पीकृत किया जाता है, जिससे नमक पीछे रह जाता है। इस प्रक्रिया में द्रव को पूरी तरह से वाष्प में बदल दिया जाता है, और ठोस अवशेष के रूप में बच जाता है।
    2. **आसवन (Distillation):** यह विधि दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों को अलग करने के लिए उपयोग की जाती है जिनके क्वथनांकों (boiling points) में पर्याप्त अंतर होता है। मिश्रण को गर्म किया जाता है, और कम क्वथनांक वाला द्रव पहले वाष्प में बदल जाता है। इस वाष्प को फिर ठंडा करके संघनित किया जाता है ताकि उसे अलग से एकत्र किया जा सके। अधिक क्वथनांक वाला द्रव आसवन फ्लास्क में ही रह जाता है। इसका उपयोग अक्सर अल्कोहल और पानी के मिश्रण को अलग करने में किया जाता है।
    3. **अपकेंद्रीकरण (Centrifugation):** यह विधि उन विषमांगी मिश्रणों के लिए उपयोगी है जिनमें सूक्ष्म कण द्रव में निलंबित होते हैं (जैसे दूध में क्रीम)। मिश्रण को एक मशीन (अपकेंद्रक) में तेजी से घुमाया जाता है। इस घुमाव के कारण, सघन कण (जो भारी होते हैं) मशीन के केंद्र से दूर बाहर की ओर चले जाते हैं और नीचे बैठ जाते हैं, जबकि हल्के कण ऊपर रहते हैं। इस प्रकार, दूध से क्रीम या रक्त से रक्त कोशिकाओं को अलग किया जा सकता है।

(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। दिखावट भिन्न हो सकती है।)