अध्याय 15: खाद्य संसाधनों में सुधार (Improvement in Food Resources)

परिचय

भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है, और सभी के लिए भोजन उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है। पिछले कुछ दशकों में, हमने खाद्य उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी है, जिसे **हरित क्रांति (Green Revolution)** (अनाज के उत्पादन में वृद्धि) और **श्वेत क्रांति (White Revolution)** (दूध के उत्पादन में वृद्धि) के रूप में जाना जाता है। इस अध्याय में, हम फसल उत्पादन और पशुधन प्रबंधन में सुधार के विभिन्न तरीकों का पता लगाएंगे ताकि खाद्य उपलब्धता और गुणवत्ता को बढ़ाया जा सके।

15.1 फसल उत्पादन में सुधार (Improvement in Crop Production)

फसल उत्पादन में सुधार के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों की आवश्यकता होती है:

15.1.1 फसल किस्मों में सुधार (Crop Variety Improvement)

15.1.2 फसल उत्पादन प्रबंधन (Crop Production Management)

उच्च उपज के लिए इष्टतम उत्पादन प्रथाएं महत्वपूर्ण हैं।

15.1.3 फसल सुरक्षा प्रबंधन (Crop Protection Management)

फसलों को कीटों, रोगों और खरपतवारों से बचाना।

15.2 पशुधन पालन (Animal Husbandry)

**पशुधन पालन (Animal Husbandry)** पशुधन का वैज्ञानिक प्रबंधन है जिसमें प्रजनन, खिलाना, आवास और रोगों का नियंत्रण शामिल है। यह खाद्य उत्पादन (दूध, अंडे, मांस) और कृषि कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है।

15.2.1 पशुधन का प्रबंधन (Cattle Farming)

15.2.2 कुक्कुट पालन (Poultry Farming)

15.2.3 मत्स्य पालन (Fish Production)

15.2.4 मधुमक्खी पालन (Beekeeping)

खाद्य संसाधनों में सुधार का लक्ष्य सिर्फ उत्पादन बढ़ाना नहीं है, बल्कि स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल तरीकों से ऐसा करना भी है, ताकि भविष्य की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. हरित क्रांति किससे संबंधित है?

    अनाज के उत्पादन में वृद्धि से।

  2. श्वेत क्रांति किससे संबंधित है?

    दूध के उत्पादन में वृद्धि से।

  3. संकरण (Hybridization) क्या है?

    आनुवंशिक रूप से भिन्न पौधों के बीच क्रॉसिंग करके नई किस्में विकसित करने की प्रक्रिया।

  4. पौधों के विकास के लिए दो वृहत् पोषक तत्वों के नाम बताएं।

    नाइट्रोजन, फास्फोरस।

  5. दो सिंचाई के तरीकों के नाम बताएं।

    ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर सिस्टम।

  6. मिश्रित खेती का एक उदाहरण दें।

    गेहूं और चना एक साथ उगाना।

  7. कुक्कुट पालन का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    अंडे और ब्रॉयलर (मांस) उत्पादन।

  8. मधुमक्खी पालन से प्राप्त होने वाले दो उत्पादों के नाम बताएं।

    शहद और मोम।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।

  1. खाद (Manure) और उर्वरक (Fertilizers) में क्या अंतर है?

    खाद जैविक पदार्थ हैं जो पौधों और जानवरों के अपशिष्ट से बनते हैं, मिट्टी को ह्यूमस प्रदान करते हैं और इसकी जल धारण क्षमता बढ़ाते हैं। उर्वरक रासायनिक रूप से निर्मित पोषक तत्व हैं, जो विशिष्ट पोषक तत्व प्रदान करते हैं लेकिन अत्यधिक उपयोग से जल प्रदूषण और मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो सकती है।

  2. फसल पैटर्न के रूप में अंतर-फसल और फसल चक्रण में अंतर स्पष्ट करें।

    अंतर-फसल में एक ही खेत में दो या दो से अधिक फसलों को निश्चित पंक्तियों में एक साथ उगाया जाता है ताकि कीटों और रोगों को नियंत्रित किया जा सके। फसल चक्रण में एक ही खेत में विभिन्न फसलों को पूर्वनियोजित अनुक्रम में उगाया जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और कीटों का जमाव कम होता है।

  3. संवर्धित मत्स्य पालन (Composite Fish Culture) क्या है?

    संवर्धित मत्स्य पालन एक ऐसी प्रणाली है जहाँ एक ही तालाब में विभिन्न प्रकार की मछलियों (जैसे कतला, रोहू, मृगल) को एक साथ पाला जाता है। इन मछलियों को चुना जाता है ताकि वे भोजन के लिए प्रतिस्पर्धा न करें और तालाब के विभिन्न स्तरों पर उपलब्ध सभी खाद्य संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर सकें, जिससे मछली का कुल उत्पादन बढ़ जाता है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. फसल किस्मों में सुधार क्यों महत्वपूर्ण है? नई फसल किस्में विकसित करने के लिए उपयोग की जाने वाली विभिन्न विधियों का वर्णन करें।

    फसल किस्मों में सुधार अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि बढ़ती जनसंख्या की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके और कृषि को अधिक टिकाऊ बनाया जा सके। बेहतर किस्में उच्च उपज, रोगों और कीटों के प्रति प्रतिरोध, सूखे या बाढ़ जैसी प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों के प्रति सहनशीलता, और बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पादों (जैसे प्रोटीन सामग्री) को सुनिश्चित करती हैं। ये सुधार किसानों को अधिक लाभ कमाने और भोजन की बर्बादी को कम करने में भी मदद करते हैं।

    नई फसल किस्में विकसित करने के लिए कई विधियों का उपयोग किया जाता है। **संकरण (Hybridization)** सबसे आम तरीका है, जिसमें आनुवंशिक रूप से भिन्न पौधों के बीच क्रॉसिंग की जाती है ताकि वांछित गुणों को एक नई किस्म में जोड़ा जा सके। यह **अंतरावैराइटी संकरण** (एक ही प्रजाति की विभिन्न किस्मों के बीच), **अंतराजातीय संकरण** (विभिन्न जातियों के बीच), या **अंतरवंशीय संकरण** (विभिन्न वंशों के बीच) हो सकता है। एक और आधुनिक विधि **आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें (GM Crops)** विकसित करना है। इसमें किसी वांछित विशेषता (जैसे कीट प्रतिरोध या जड़ी-बूटी सहिष्णुता) के लिए एक बाहरी जीन को सीधे फसल के डीएनए में डाला जाता है। इसके अतिरिक्त, चयन और प्रजनन कार्यक्रम भी महत्वपूर्ण हैं, जहाँ वांछित गुणों वाले पौधों का चयन किया जाता है और उन्हें प्रजनन के लिए उपयोग किया जाता है ताकि अगली पीढ़ियों में उन गुणों को मजबूत किया जा सके। इन तरीकों का उपयोग करके, वैज्ञानिक लगातार नई फसलें विकसित कर रहे हैं जो अधिक उत्पादक और लचीली हैं।

  2. पशुधन पालन क्या है? डेयरी पशुओं और कुक्कुट (मुर्गियों) के प्रबंधन में किन कारकों पर ध्यान देना चाहिए?

    **पशुधन पालन (Animal Husbandry)** पशुधन का वैज्ञानिक प्रबंधन है, जिसमें उनके प्रजनन, खिलाने, आवास और रोगों के नियंत्रण का ध्यान रखा जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य मानव उपभोग के लिए भोजन (दूध, अंडे, मांस) प्राप्त करना और कृषि कार्यों (जैसे जुताई, परिवहन) के लिए पशु शक्ति प्रदान करना है। यह कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

    **डेयरी पशुओं (दूध देने वाले पशुओं)** के प्रबंधन में कई कारक महत्वपूर्ण हैं। सबसे पहले, दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए उच्च उपज वाली देशी और विदेशी नस्लों (जैसे जर्सी, ब्राउन स्विस) के संकरण का उपयोग किया जाता है। पशुओं को उचित और संतुलित आहार देना महत्वपूर्ण है, जिसमें खुरदुरा चारा (जैसे घास, साइलेज) और सांद्रित चारा (जैसे अनाज, दलहन) शामिल होना चाहिए ताकि उन्हें पर्याप्त पोषक तत्व मिलें। स्वच्छता (साफ-सुथरा बाड़ा) और उचित आश्रय (गर्मियों में ठंडक और सर्दियों में गर्मी) रोगों से बचाव के लिए आवश्यक हैं। नियमित पशु चिकित्सा जांच और टीकाकरण रोगों को रोकने और नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

    **कुक्कुट पालन (Poultry Farming)** में, अंडे और ब्रॉयलर (मांस) के उत्पादन के लिए मुर्गियों का पालन किया जाता है। इसमें भी, बेहतर किस्मों का चयन महत्वपूर्ण है, जैसे लेगहॉर्न जैसी विदेशी नस्लें जो अंडे के लिए अच्छी हैं, या संकर किस्में जो मांस उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं। मुर्गियों को संतुलित आहार दिया जाना चाहिए जिसमें प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिज सही अनुपात में हों। ब्रॉयलर को प्रोटीन से भरपूर आहार दिया जाता है ताकि वे तेजी से बढ़ें, जबकि अंडे देने वाली मुर्गियों को कैल्शियम युक्त आहार की आवश्यकता होती है। उचित पर्यावरण की स्थिति (तापमान, प्रकाश) और स्वच्छ आवास (नियमित सफाई, रोगजनकों का नियंत्रण) बीमारियों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं। टीकाकरण और समय पर रोग निदान भी कुक्कुट पालन की सफलता के लिए आवश्यक हैं।

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