अध्याय 13: हम बीमार क्यों होते हैं? (Why Do We Fall Ill?)

परिचय

हम सभी को कभी न कभी बीमारियाँ हुई हैं। बीमारी क्या है? हम स्वस्थ कैसे रह सकते हैं? यह अध्याय स्वास्थ्य और बीमारी की अवधारणाओं, बीमारियों के कारणों, उनके प्रकारों और रोकथाम व उपचार के सिद्धांतों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।

13.1 स्वास्थ्य और इसका महत्व (Health and its Significance)

स्वास्थ्य (Health) केवल बीमारी का न होना या शारीरिक रूप से फिट होना ही नहीं है। यह एक व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है। स्वस्थ रहने के लिए, हमें निम्नलिखित कारकों की आवश्यकता होती है:

13.2 बीमारी और इसके कारण (Disease and its Causes)

जब शरीर के एक या अधिक कार्य या अंग प्रतिकूल रूप से प्रभावित होते हैं, तो व्यक्ति बीमार महसूस करता है। बीमारी के संकेत या लक्षण (symptoms) दिखाई देते हैं।

13.2.1 रोग के कारण (Causes of Disease)

रोग के कारण हो सकते हैं:

13.2.2 तीव्र और दीर्घकालिक रोग (Acute and Chronic Diseases)

13.2.3 संक्रामक और असंक्रामक रोग (Infectious and Non-infectious Diseases)

13.3 संक्रामक रोग और उनके कारण (Infectious Diseases and their Causes)

विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव विभिन्न प्रकार के संक्रामक रोगों का कारण बनते हैं।

यह महत्वपूर्ण है कि विभिन्न प्रकार के रोगजनक अलग-अलग अंगों या प्रणालियों को लक्षित करते हैं, जिससे विशिष्ट लक्षण उत्पन्न होते हैं।

13.4 रोग निवारण के सिद्धांत (Principles of Disease Prevention)

रोग निवारण रोग उपचार से बेहतर है। रोग निवारण के दो मुख्य सिद्धांत हैं:

13.4.1 सामान्य सिद्धांत (General Principles)

13.4.2 विशिष्ट सिद्धांत (Specific Principles)

रोग निवारण का विशिष्ट सिद्धांत **प्रतिरक्षण (Immunisation)** है।

13.5 रोग उपचार के सिद्धांत (Principles of Disease Treatment)

रोगों का उपचार दो मुख्य तरीकों से किया जाता है:

अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक स्वच्छता दोनों आवश्यक हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और टीकाकरण अभियान बीमारियों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. स्वास्थ्य (Health) की परिभाषा दें।

    स्वास्थ्य शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है, न कि केवल बीमारी का न होना या शारीरिक फिटनेस।

  2. तीव्र रोग (Acute Disease) का एक उदाहरण दें।

    सामान्य सर्दी-जुकाम या फ्लू।

  3. दीर्घकालिक रोग (Chronic Disease) का एक उदाहरण दें।

    तपेदिक (Tuberculosis - TB) या मधुमेह।

  4. संक्रामक रोग (Infectious Disease) क्या होते हैं?

    वे रोग जो रोगजनकों (जैसे जीवाणु, विषाणु) के कारण होते हैं और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकते हैं।

  5. असंक्रामक रोग (Non-infectious Disease) का एक उदाहरण दें।

    मधुमेह या उच्च रक्तचाप।

  6. मलेरिया किस प्रकार के रोगजनक के कारण होता है?

    प्रोटोजोआ (प्लाज्मोडियम)।

  7. टीकाकरण (Vaccination) का क्या उद्देश्य है?

    शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को किसी विशिष्ट रोगजनक से लड़ने के लिए तैयार करना ताकि भविष्य में उस रोग से बचाव हो सके।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।

  1. एक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए कौन से दो मुख्य कारक महत्वपूर्ण हैं?

    एक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक स्वच्छता दोनों महत्वपूर्ण हैं। स्वच्छ वातावरण, सुरक्षित पेयजल, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम भी आवश्यक हैं।

  2. संक्रामक रोग कैसे फैलते हैं? कोई दो तरीके बताइए।

    संक्रामक रोग विभिन्न तरीकों से फैलते हैं, जैसे वायु (खाँसने या छींकने से निकलने वाली बूंदों से), जल (दूषित पानी पीने से), लैंगिक संपर्क से, और वाहकों (जैसे मच्छर, जो मलेरिया फैलाते हैं) द्वारा।

  3. एंटीबायोटिक्स जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए प्रभावी क्यों हैं लेकिन विषाणु संक्रमण के लिए नहीं?

    एंटीबायोटिक्स जीवाणुओं की कोशिका भित्ति के निर्माण जैसी उनकी विशिष्ट जैव-रासायनिक प्रक्रियाओं को लक्षित करती हैं। विषाणुओं में ऐसी कोशिका भित्ति नहीं होती और वे अपने प्रजनन के लिए मेजबान कोशिका की मशीनरी का उपयोग करते हैं, इसलिए एंटीबायोटिक्स उन पर प्रभावी नहीं होतीं।

  4. रोग निवारण रोग उपचार से बेहतर क्यों है?

    रोग निवारण उपचार से बेहतर है क्योंकि यह बीमारी के होने से ही रोकता है। यह न केवल व्यक्तिगत कष्ट और आर्थिक बोझ को कम करता है, बल्कि समुदाय में रोग के प्रसार को भी रोकता है, जिससे समग्र सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. तीव्र रोग और दीर्घकालिक रोग के बीच अंतर स्पष्ट करें। उनके उदाहरणों और प्रभावों का उल्लेख करें।

    रोगों को उनकी अवधि और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के आधार पर तीव्र और दीर्घकालिक रोगों में वर्गीकृत किया जा सकता है। **तीव्र रोग (Acute Diseases)** वे होते हैं जो कम समय तक रहते हैं और तेजी से विकसित होते हैं। इनके लक्षण अचानक और गंभीर हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर ये व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य पर कोई स्थायी या दीर्घकालिक हानिकारक प्रभाव नहीं छोड़ते हैं। रोगी अक्सर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। उदाहरणों में सामान्य सर्दी-जुकाम, इन्फ्लूएंजा (फ्लू), टाइफाइड, और हैजा शामिल हैं। इन रोगों का उपचार अक्सर लक्षणों को कम करने और बीमारी के मूल कारण को समाप्त करने पर केंद्रित होता है, और रोगी अपेक्षाकृत कम समय में ठीक हो जाते हैं।

    इसके विपरीत, **दीर्घकालिक रोग (Chronic Diseases)** वे होते हैं जो लंबे समय तक चलते हैं, अक्सर महीनों या वर्षों तक, और धीरे-धीरे विकसित होते हैं। ये रोग व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर गंभीर और दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे थकान, वजन कम होना, नींद की कमी, और शारीरिक गतिविधियों में कमी आ सकती है। कुछ मामलों में, ये रोग जीवन भर बने रहते हैं और व्यक्ति के दैनिक जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरणों में मधुमेह, तपेदिक (टीबी), कैंसर, उच्च रक्तचाप, और गठिया शामिल हैं। इन रोगों के प्रबंधन में अक्सर दीर्घकालिक चिकित्सा देखभाल और जीवनशैली में बदलाव शामिल होते हैं, क्योंकि इनका पूर्ण इलाज हमेशा संभव नहीं होता। दीर्घकालिक रोग अक्सर समुदाय की स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक बोझ डालते हैं।

  2. रोग निवारण के सामान्य सिद्धांतों का वर्णन करें।

    रोगों को रोकने के लिए सामान्य सिद्धांत उन तरीकों पर आधारित होते हैं जो संक्रामक रोगजनकों के संपर्क में आने से बचते हैं और एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखते हैं। ये सिद्धांत किसी एक विशिष्ट बीमारी के लिए नहीं, बल्कि बीमारियों के एक व्यापक स्पेक्ट्रम के लिए लागू होते हैं। पहला प्रमुख सिद्धांत **स्वच्छता और पर्यावरणीय नियंत्रण** है। इसमें स्वच्छ पेयजल सुनिश्चित करना (जल-जनित रोगों जैसे हैजा से बचने के लिए), स्वच्छ हवा में सांस लेना (वायु-जनित रोगों जैसे सर्दी-जुकाम और तपेदिक से बचने के लिए भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना), और उचित अपशिष्ट प्रबंधन शामिल है। इसके अलावा, मच्छरों जैसे वाहकों को नियंत्रित करना (मलेरिया, डेंगू से बचने के लिए उनके प्रजनन स्थलों को नष्ट करना और मच्छरदानी का उपयोग करना) भी महत्वपूर्ण है।

    दूसरा महत्वपूर्ण सिद्धांत **व्यक्तिगत स्वच्छता और जीवनशैली** से संबंधित है। नियमित रूप से हाथ धोना, खासकर भोजन से पहले और शौचालय के बाद, कीटाणुओं के प्रसार को रोकने में मदद करता है। शरीर और आसपास के वातावरण को साफ-सुथरा रखना भी महत्वपूर्ण है। एक संतुलित और पौष्टिक आहार लेना एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए आवश्यक है, जो शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद भी समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इन सामान्य निवारक उपायों का पालन करके, हम संक्रामक रोगों के जोखिम को काफी कम कर सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा दे सकते हैं।

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