अध्याय 12: ध्वनि (Sound)
परिचय
ध्वनि हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हम एक-दूसरे से बात करने के लिए, संगीत सुनने के लिए, और अपने आस-पास की दुनिया को समझने के लिए ध्वनि का उपयोग करते हैं। इस अध्याय में, हम समझेंगे कि ध्वनि क्या है, यह कैसे उत्पन्न होती है और संचरित होती है, ध्वनि की विशेषताएं क्या हैं, और ध्वनि का परावर्तन तथा प्रतिध्वनि जैसी घटनाएँ क्या हैं। हम पराध्वनि और उसके अनुप्रयोगों के बारे में भी जानेंगे।
12.1 ध्वनि का उत्पादन (Production of Sound)
**ध्वनि** एक प्रकार की ऊर्जा है जो कंपन (vibration) से उत्पन्न होती है। जब कोई वस्तु कंपन करती है, तो वह अपने आसपास के माध्यम (जैसे हवा) के कणों को भी कंपन करने के लिए मजबूर करती है, और ये कंपन ध्वनि के रूप में आगे बढ़ते हैं।
- उदाहरण:
- जब हम अपनी वाक्-रज्जु (vocal cords) को कंपन करते हैं तो ध्वनि उत्पन्न होती है।
- किसी घंटी को बजाने पर वह कंपन करती है और ध्वनि उत्पन्न होती है।
- तने हुए तार (जैसे गिटार या वीणा में) को खींचने या प्लक करने पर कंपन होता है।
12.2 ध्वनि का संचरण (Propagation of Sound)
ध्वनि को संचरण के लिए एक **माध्यम (medium)** की आवश्यकता होती है। यह ठोस, तरल या गैस हो सकता है। ध्वनि निर्वात (vacuum) में संचरित नहीं हो सकती क्योंकि वहां कोई कण कंपन करने के लिए मौजूद नहीं होते।
- **तरंगें (Waves):** ध्वनि तरंगों के रूप में संचरित होती है। ध्वनि तरंगें **अनुदैर्ध्य तरंगें (Longitudinal Waves)** होती हैं।
- **अनुदैर्ध्य तरंगें:** वे तरंगें जिनमें माध्यम के कण तरंग के संचरण की दिशा के समानांतर कंपन करते हैं। ध्वनि तरंगों में, कण एक स्थान से दूसरे स्थान पर गति नहीं करते, बल्कि वे केवल अपने मध्यमान स्थिति के इर्द-गिर्द कंपन करते हैं, और विक्षोभ (disturbance) एक कण से दूसरे कण में संचरित होता है।
- **संपीडन (Compressions) और विरलन (Rarefactions):** जब एक कंपनशील वस्तु आगे की ओर गति करती है, तो वह अपने सामने की हवा को धक्का देती है और इसे संपीड़ित करती है, जिससे उच्च दाब का क्षेत्र बनता है जिसे **संपीडन (C)** कहते हैं। जब वस्तु पीछे की ओर गति करती है, तो वह एक निम्न दाब का क्षेत्र बनाती है जिसे **विरलन (R)** कहते हैं। ये संपीडन और विरलन माध्यम में संचरित होते हैं।
- **ध्वनि की चाल (Speed of Sound):** ध्वनि की चाल माध्यम के गुणों (जैसे घनत्व और प्रत्यास्थता) पर निर्भर करती है।
- ध्वनि की चाल ठोसों में सबसे अधिक होती है, फिर द्रवों में, और गैसों में सबसे कम होती है।
- तापमान बढ़ने पर गैसों में ध्वनि की चाल बढ़ जाती है।
- सामान्य परिस्थितियों में, हवा में ध्वनि की चाल लगभग $343 \text{ m/s}$ होती है।
12.3 ध्वनि तरंग की विशेषताएँ (Characteristics of a Sound Wave)
एक ध्वनि तरंग को उसके निम्न गुणों द्वारा वर्णित किया जा सकता है:
-
**आवृत्ति (Frequency, $\nu$):** प्रति इकाई समय में होने वाले संपीडन या विरलन की संख्या।
- SI इकाई: **हर्ट्ज़ (Hertz, Hz)**।
- यह ध्वनि की तारत्व (pitch) निर्धारित करती है। उच्च आवृत्ति = उच्च तारत्व।
- मनुष्य लगभग $20 \text{ Hz}$ से $20,000 \text{ Hz}$ तक की आवृत्ति की ध्वनियों को सुन सकते हैं।
-
**आयाम (Amplitude, A):** माध्यम में कणों का उनकी मध्यमान स्थिति से अधिकतम विस्थापन।
- यह ध्वनि की प्रबलता (loudness) या तीव्रता (intensity) निर्धारित करता है। बड़ा आयाम = अधिक प्रबल ध्वनि।
- प्रबलता की इकाई: **डेसीबल (decibel, dB)**।
-
**तरंगदैर्घ्य (Wavelength, $\lambda$):** दो क्रमागत संपीडनों या दो क्रमागत विरलनों के बीच की दूरी।
- SI इकाई: मीटर (m)।
-
**आवर्तकाल (Time Period, T):** एक संपीडन या एक विरलन को एक निश्चित बिंदु से गुजरने में लगने वाला समय।
- SI इकाई: सेकंड (s)।
- आवृत्ति और आवर्तकाल एक दूसरे के व्युत्क्रमानुपाती होते हैं: $\nu = 1/T$।
- **ध्वनि की चाल (Speed of Sound, v):** $v = \text{तरंगदैर्घ्य} (\lambda) \times \text{आवृत्ति} (\nu)$ या $v = \frac{\lambda}{T}$
12.4 ध्वनि का परावर्तन (Reflection of Sound)
प्रकाश की तरह, ध्वनि भी किसी सतह से टकराकर परावर्तित होती है।
- **प्रतिध्वनि (Echo):** जब ध्वनि किसी कठोर सतह से टकराकर लौटती है और हमें मूल ध्वनि के कुछ समय बाद सुनाई देती है, तो इसे **प्रतिध्वनि (Echo)** कहते हैं।
- स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए, ध्वनि स्रोत और परावर्तक सतह के बीच की न्यूनतम दूरी लगभग $17.2 \text{ m}$ होनी चाहिए (सामान्य ताप पर)। ऐसा इसलिए है क्योंकि ध्वनि को जाने और वापस आने में कम से कम $0.1 \text{ s}$ का समय लगता है, जो मस्तिष्क को दो अलग-अलग ध्वनियों को पहचानने के लिए न्यूनतम समय है।
- **अनुरणन (Reverberation):** बड़े हॉल या सभागारों में, ध्वनि बार-बार परावर्तित होती रहती है, जिससे ध्वनि लगातार बनी रहती है। इसे **अनुरणन (Reverberation)** कहते हैं। अत्यधिक अनुरणन से ध्वनि अस्पष्ट हो सकती है। इसे कम करने के लिए दीवारों, छतों और सीटों पर ध्वनि-अवशोषक सामग्री का उपयोग किया जाता है।
12.5 पराध्वनि के अनुप्रयोग (Applications of Ultrasound)
**पराध्वनि (Ultrasound)** वे ध्वनियाँ हैं जिनकी आवृत्ति $20,000 \text{ Hz}$ से अधिक होती है, जो मनुष्य नहीं सुन सकते। इसके कई महत्वपूर्ण अनुप्रयोग हैं:
- **उद्योगों में:**
- धातु के बड़े ब्लॉकों में दरारें या दोषों का पता लगाने के लिए।
- कठिन-से-पहुंचने वाले पुर्जों (जैसे मशीन के पुर्जे, ट्यूब) को साफ करने के लिए।
- **चिकित्सा क्षेत्र में:**
- **इकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography - ECG):** हृदय की छवियों को प्राप्त करने के लिए पराध्वनि तरंगों का उपयोग।
- **अल्ट्रासोनोग्राफी (Ultrasonography):** शरीर के आंतरिक अंगों (जैसे यकृत, पित्ताशय, गुर्दे) की छवियों को प्राप्त करने के लिए। यह गर्भावस्था के दौरान भ्रूण की जांच के लिए भी उपयोग होता है।
- गुर्दे की पथरी को तोड़ने के लिए।
- **सोनार (SONAR - Sound Navigation And Ranging):** यह एक तकनीक है जिसका उपयोग समुद्र की गहराई मापने, पानी के भीतर वस्तुओं का पता लगाने (जैसे पनडुब्बियां, डूबे हुए जहाज), और पानी के नीचे की टोपोग्राफी का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।
- सोनार पराध्वनि तरंगें उत्सर्जित करता है और परावर्तित तरंगों का पता लगाता है। चाल ($v$) = दूरी ($2d$) / समय ($t$) $2d = v \times t$ जहाँ $d$ वस्तु की दूरी है।
यह अध्याय हमें ध्वनि की प्रकृति, उसके व्यवहार और हमारे जीवन में उसके व्यापक अनुप्रयोगों को समझने में मदद करता है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
-
ध्वनि कैसे उत्पन्न होती है?
ध्वनि वस्तुओं के कंपन (vibration) से उत्पन्न होती है।
-
ध्वनि के संचरण के लिए किस चीज की आवश्यकता होती है?
ध्वनि के संचरण के लिए एक माध्यम (ठोस, तरल या गैस) की आवश्यकता होती है।
-
क्या ध्वनि निर्वात में संचरित हो सकती है?
नहीं, ध्वनि निर्वात में संचरित नहीं हो सकती क्योंकि वहां कोई कण कंपन करने के लिए मौजूद नहीं होते।
-
ध्वनि तरंगें किस प्रकार की तरंगें हैं?
अनुदैर्ध्य तरंगें (Longitudinal Waves)।
-
ध्वनि की चाल किस माध्यम में सबसे अधिक होती है?
ठोसों में।
-
आवृत्ति की SI इकाई क्या है?
हर्ट्ज़ (Hertz, Hz)।
-
मानव कान की श्रवण सीमा क्या है?
लगभग $20 \text{ Hz}$ से $20,000 \text{ Hz}$।
-
ध्वनि की प्रबलता (loudness) को किस इकाई में मापा जाता है?
डेसीबल (decibel, dB)।
-
प्रतिध्वनि (Echo) सुनने के लिए न्यूनतम दूरी कितनी होनी चाहिए?
लगभग $17.2 \text{ m}$ (सामान्य ताप पर)।
-
सोनार (SONAR) का पूर्ण रूप क्या है?
Sound Navigation And Ranging (ध्वनि नौसंचालन और परास)।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30-50 शब्द) में उत्तर दें।
-
संपीडन (Compressions) और विरलन (Rarefactions) को परिभाषित करें।
संपीडन ध्वनि तरंग में उच्च घनत्व और उच्च दाब का क्षेत्र होता है, जो तब बनता है जब कंपनशील वस्तु माध्यम के कणों को एक साथ धकेलती है। विरलन निम्न घनत्व और निम्न दाब का क्षेत्र होता है, जो तब बनता है जब कंपनशील वस्तु पीछे हटती है और माध्यम के कण फैल जाते हैं।
-
ध्वनि की तारत्व (pitch) और प्रबलता (loudness) किस पर निर्भर करती है?
ध्वनि का तारत्व उसकी आवृत्ति पर निर्भर करता है: उच्च आवृत्ति से उच्च तारत्व वाली ध्वनि उत्पन्न होती है। ध्वनि की प्रबलता उसके आयाम पर निर्भर करती है: बड़ा आयाम अधिक प्रबल ध्वनि उत्पन्न करता है।
-
अनुरणन (Reverberation) क्या है? इसे कैसे कम किया जा सकता है?
अनुरणन बड़े हॉल में ध्वनि के बार-बार परावर्तन के कारण ध्वनि का लगातार बने रहना है। इसे कम करने के लिए, दीवारों, छतों और सीटों पर ध्वनि-अवशोषक सामग्री जैसे फाइबरबोर्ड, खुरदुरे प्लास्टर और भारी पर्दे का उपयोग किया जाता है।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
-
ध्वनि का उत्पादन और संचरण कैसे होता है, समझाएं। ध्वनि तरंगों को अनुदैर्ध्य तरंगें क्यों कहा जाता है?
ध्वनि का उत्पादन वस्तुओं के कंपन (vibration) से होता है। जब कोई वस्तु कंपन करती है, तो वह अपने आसपास के माध्यम (जैसे हवा) के कणों को अपनी मध्यमान स्थिति से विस्थापित करती है। ये विस्थापित कण अपनी बगल के कणों पर बल लगाते हैं, जिससे वे भी विस्थापित होते हैं, और इस तरह ऊर्जा एक कण से दूसरे कण में संचरित होती जाती है। यह प्रक्रिया माध्यम में एक विक्षोभ (disturbance) पैदा करती है जो ध्वनि तरंग के रूप में आगे बढ़ती है। कंपन करती हुई वस्तु जब आगे बढ़ती है, तो वह अपने सामने की हवा को धक्का देकर संपीड़ित करती है, जिससे उच्च दाब और घनत्व का क्षेत्र बनता है जिसे संपीडन (Compression) कहते हैं। जब वस्तु पीछे हटती है, तो वह अपने पीछे एक निम्न दाब और घनत्व का क्षेत्र बनाती है जिसे विरलन (Rarefaction) कहते हैं। ये संपीडन और विरलन मिलकर ध्वनि तरंग बनाते हैं।
ध्वनि तरंगों को **अनुदैर्ध्य तरंगें (Longitudinal Waves)** कहा जाता है क्योंकि माध्यम के कण (जैसे हवा के अणु) तरंग के संचरण की दिशा के **समांतर** कंपन करते हैं। इसका मतलब है कि कण आगे और पीछे कंपन करते हैं, उसी दिशा में जिस दिशा में ध्वनि ऊर्जा यात्रा कर रही है। कण स्वयं एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जाते, बल्कि वे अपनी कंपन ऊर्जा को पड़ोसी कणों को स्थानांतरित करते जाते हैं। यह इसके विपरीत है, उदाहरण के लिए, प्रकाश तरंगें, जो अनुप्रस्थ तरंगें होती हैं जहाँ माध्यम के कण तरंग के संचरण की दिशा के लंबवत कंपन करते हैं। ध्वनि को संचरण के लिए एक भौतिक माध्यम की आवश्यकता होती है, चाहे वह ठोस, तरल या गैस हो, यही कारण है कि यह निर्वात में यात्रा नहीं कर सकती।
-
पराध्वनि (Ultrasound) क्या है? इसके किन्हीं चार अनुप्रयोगों का वर्णन करें।
**पराध्वनि (Ultrasound)** उन ध्वनि तरंगों को संदर्भित करती है जिनकी आवृत्ति मानव श्रवण सीमा ($20,000 \text{ Hz}$ या $20 \text{ kHz}$) से अधिक होती है। मनुष्य इन ध्वनियों को नहीं सुन सकते, लेकिन कई जानवर, जैसे चमगादड़ और डॉल्फ़िन, इनका उपयोग करते हैं। पराध्वनि तरंगें उच्च आवृत्ति के कारण उच्च ऊर्जा और दिशात्मक होती हैं, जिससे वे कई व्यावहारिक अनुप्रयोगों में उपयोगी होती हैं।
पराध्वनि के प्रमुख अनुप्रयोगों में शामिल हैं: 1. **उद्योगों में धातु ब्लॉकों में दोषों का पता लगाना:** पराध्वनि का उपयोग धातु के बड़े ढाँचों में दरारें या छिद्रों जैसे दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है, जो बाहर से अदृश्य हो सकते हैं। पराध्वनि तरंगों को धातु में भेजा जाता है; यदि कोई दोष होता है, तो तरंगें वापस परावर्तित हो जाती हैं, जिससे दोष का पता चलता है। 2. **सफाई उद्देश्य:** पराध्वनि का उपयोग आमतौर पर सर्पिल ट्यूबों, विषम आकार के पुर्जों, इलेक्ट्रॉनिक घटकों, और गहनों जैसे जटिल वस्तुओं को साफ करने के लिए किया जाता है। वस्तु को पराध्वनि जनरेटर के घोल में रखा जाता है, और उच्च आवृत्ति कंपन धूल, गंदगी और ग्रीस के कणों को अलग करते हैं। 3. **चिकित्सा में इमेजिंग (Ultrasonography):** पराध्वनि का उपयोग शरीर के आंतरिक अंगों जैसे यकृत, पित्ताशय, गुर्दे, गर्भाशय और हृदय (इकोकार्डियोग्राफी) की छवियों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह गर्भावस्था के दौरान भ्रूण की वृद्धि और विकास की निगरानी के लिए एक गैर-आक्रामक और सुरक्षित तरीका है। 4. **सोनार (SONAR):** यह एक तकनीक है जिसका उपयोग समुद्र की गहराई मापने और पानी के भीतर वस्तुओं का पता लगाने के लिए किया जाता है। सोनार उपकरण पराध्वनि तरंगें उत्सर्जित करता है जो पानी में यात्रा करती हैं, वस्तुओं से परावर्तित होती हैं, और फिर डिटेक्टर द्वारा प्राप्त की जाती हैं। तरंगों के जाने और लौटने में लगे समय का उपयोग वस्तु की दूरी की गणना करने के लिए किया जाता है।
(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। दिखावट भिन्न हो सकती है।)