अध्याय 1: हमारे आस-पास के पदार्थ (Matter in Our Surroundings)
परिचय
हमारे आस-पास की हर चीज़, जिसे हम देखते, छूते या महसूस करते हैं, पदार्थ कहलाती है। हवा जिसमें हम साँस लेते हैं, भोजन जो हम खाते हैं, पत्थर, बादल, तारे, पौधे और जानवर, यहाँ तक कि पानी की एक बूँद या रेत का एक कण भी पदार्थ है। प्राचीन भारतीय दार्शनिकों ने पदार्थ को पाँच मूल तत्वों - पंचतत्व (वायु, पृथ्वी, अग्नि, जल और आकाश) - में वर्गीकृत किया था, जबकि आधुनिक वैज्ञानिक पदार्थ को उसके भौतिक गुणों और रासायनिक प्रकृति के आधार पर वर्गीकृत करते हैं। इस अध्याय में, हम पदार्थ के भौतिक स्वरूप और उसकी विभिन्न अवस्थाओं का अध्ययन करेंगे।
1.1 पदार्थ का भौतिक स्वरूप
1.1.1 पदार्थ कणों से मिलकर बना है
बहुत समय पहले, पदार्थ की प्रकृति के बारे में दो विचारधाराएँ प्रचलित थीं। एक विचारधारा मानती थी कि पदार्थ लकड़ी के एक टुकड़े की तरह सतत (continuous) होता है, जबकि दूसरी विचारधारा मानती थी कि पदार्थ रेत के कणों की तरह छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना होता है। प्रयोगों से यह सिद्ध हुआ कि पदार्थ कणों से मिलकर बना होता है। उदाहरण के लिए, जब हम पानी में चीनी या नमक घोलते हैं, तो पानी के कणों के बीच के खाली स्थान में चीनी/नमक के कण समा जाते हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि पदार्थ कणों से बने होते हैं।
1.1.2 ये कण कितने छोटे होते हैं?
पदार्थ के कण अविश्वसनीय रूप से छोटे होते हैं, इतने छोटे कि हम उनकी कल्पना भी नहीं कर सकते। हम पोटेशियम परमैंगनेट के कुछ क्रिस्टलों को पानी में घोलकर यह देख सकते हैं कि कैसे बहुत कम मात्रा में पोटेशियम परमैंगनेट भी पानी की एक बड़ी मात्रा को रंगीन कर देता है। यह दर्शाता है कि पोटेशियम परमैंगनेट के एक ही क्रिस्टल में लाखों छोटे-छोटे कण होते हैं, जो लगातार विभाजित होते रहते हैं।
1.2 पदार्थ के कणों के अभिलाक्षणिक गुण
1.2.1 पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है
जब हम चाय, कॉफी या नींबू पानी बनाते हैं, तो एक पदार्थ के कण दूसरे पदार्थ के कणों के बीच के रिक्त स्थान में समा जाते हैं। यह दर्शाता है कि पदार्थ के कणों के बीच पर्याप्त रिक्त स्थान होता है।
1.2.2 पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं
पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं, अर्थात् उनमें गतिज ऊर्जा होती है। तापमान बढ़ने पर कणों की गतिज ऊर्जा भी बढ़ जाती है, जिससे उनकी गति तेज हो जाती है। यह विसरण (diffusion) की प्रक्रिया से स्पष्ट होता है, जैसे अगरबत्ती की खुशबू का पूरे कमरे में फैलना या पानी में स्याही की बूँद का फैलना।
1.2.3 पदार्थ के कण एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं
पदार्थ के कणों के बीच एक आकर्षण बल होता है जो उन्हें एक साथ बांधे रखता है। इस बल की प्रबलता विभिन्न पदार्थों में अलग-अलग होती है। ठोसों में यह आकर्षण बल सबसे मजबूत होता है, द्रवों में कम और गैसों में सबसे कम होता है। इसी आकर्षण बल के कारण पदार्थ अपनी अवस्था में बने रहते हैं।
1.3 पदार्थ की अवस्थाएँ
पदार्थ मुख्यतः तीन भौतिक अवस्थाओं में मौजूद होता है: ठोस, द्रव और गैस। ये अवस्थाएँ कणों की व्यवस्था और उनके बीच के आकर्षण बल के आधार पर भिन्न होती हैं।
1.3.1 ठोस अवस्था (The Solid State)
- निश्चित आकार, निश्चित आयतन और निश्चित सीमाएँ होती हैं।
- कण एक-दूसरे के बहुत पास और दृढ़ता से बंधे होते हैं।
- असंपीड्य (incompressible) और कठोर होते हैं।
- उदाहरण: पत्थर, लकड़ी, बर्फ।
1.3.2 द्रव अवस्था (The Liquid State)
- निश्चित आयतन होता है, लेकिन निश्चित आकार नहीं होता। वे जिस बर्तन में रखे जाते हैं, उसका आकार ले लेते हैं।
- कणों के बीच रिक्त स्थान ठोसों से अधिक होता है, और वे स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं।
- इनमें बहाव का गुण होता है और ये कम संपीड़्य होते हैं।
- उदाहरण: पानी, दूध, तेल।
1.3.3 गैसीय अवस्था (The Gaseous State)
- न तो निश्चित आकार होता है और न ही निश्चित आयतन। ये पूरे उपलब्ध स्थान को घेर लेते हैं।
- कण एक-दूसरे से बहुत दूर होते हैं और अत्यधिक तीव्र गति से अनियमित रूप से विचरण करते हैं।
- अत्यधिक संपीड़्य होते हैं।
- उदाहरण: वायु, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन।
1.4 क्या पदार्थ अपनी अवस्था बदल सकता है?
हाँ, पदार्थ अपनी अवस्था बदल सकता है। यह तापमान या दाब में परिवर्तन के कारण होता है।
1.4.1 तापमान परिवर्तन का प्रभाव (Effect of Change of Temperature)
- **गलन (Melting):** ठोस का द्रव में बदलना। वह तापमान जिस पर एक ठोस पिघलकर द्रव बन जाता है, उसका **गलनांक (Melting Point)** कहलाता है। बर्फ का गलनांक 0°C (273.15 K) है।
- **क्वथन (Boiling/Vaporization):** द्रव का गैस में बदलना। वह तापमान जिस पर एक द्रव उबलकर गैस में परिवर्तित हो जाता है, उसका **क्वथनांक (Boiling Point)** कहलाता है। पानी का क्वथनांक 100°C (373.15 K) है।
- **ऊर्ध्वपातन (Sublimation):** कुछ पदार्थ द्रव अवस्था में आए बिना सीधे ठोस से गैस में या गैस से ठोस में बदल जाते हैं। उदाहरण: कपूर, नेफ़थलीन, अमोनियम क्लोराइड।
- **संघनन (Condensation):** गैस का द्रव में बदलना।
- **जमुना (Freezing):** द्रव का ठोस में बदलना।
- **गुप्त ऊष्मा (Latent Heat):** अवस्था परिवर्तन के दौरान दी गई या ली गई ऊष्मा ऊर्जा, जिससे तापमान में कोई बदलाव नहीं आता।
- **गलन की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Fusion):** वायुमंडलीय दाब पर 1 kg ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मा ऊर्जा।
- **वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Vaporization):** वायुमंडलीय दाब पर 1 kg द्रव को उसके क्वथनांक पर गैस में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मा ऊर्जा।
1.4.2 दाब परिवर्तन का प्रभाव (Effect of Change of Pressure)
पदार्थ की अवस्था को दाब में परिवर्तन करके भी बदला जा सकता है। गैसों को संपीड़ित (compress) करके द्रवों में बदला जा सकता है। दाब बढ़ाने और तापमान घटाने से गैसें द्रवीभूत हो जाती हैं। उदाहरण के लिए, ठोस कार्बन डाइऑक्साइड (शुष्क बर्फ) उच्च दाब पर सीधे गैस में बदल जाती है।
1.5 वाष्पीकरण (Evaporation)
वाष्पीकरण एक सतही परिघटना (surface phenomenon) है जिसमें द्रव अपनी क्वथनांक से कम तापमान पर वाष्प में बदल जाता है।
- **वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक:**
- **सतह का क्षेत्रफल (Surface Area):** सतह का क्षेत्रफल बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर बढ़ती है।
- **तापमान (Temperature):** तापमान बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर बढ़ती है।
- **आर्द्रता (Humidity):** आर्द्रता बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर घटती है।
- **वायु की गति (Wind Speed):** वायु की गति बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर बढ़ती है।
- **वाष्पीकरण से शीतलन (Evaporation Causes Cooling):** वाष्पीकरण की प्रक्रिया के दौरान, द्रव के कण अपने आस-पास से ऊर्जा अवशोषित करते हैं ताकि वाष्प में बदल सकें। इस ऊर्जा के अवशोषण से आस-पास का वातावरण ठंडा हो जाता है। उदाहरण: हथेली पर एसीटोन डालने पर ठंडा महसूस होना, गर्मियों में पसीना आने के बाद ठंडा महसूस होना।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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पदार्थ की परिभाषा दीजिए।
पदार्थ वह वस्तु है जिसका द्रव्यमान होता है और जो स्थान घेरती है।
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पदार्थ की तीन मुख्य अवस्थाएँ कौन सी हैं?
ठोस, द्रव और गैस।
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गलनांक (Melting Point) क्या है?
वह तापमान जिस पर कोई ठोस पिघलकर द्रव बन जाता है, गलनांक कहलाता है।
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क्वथनांक (Boiling Point) क्या है?
वह तापमान जिस पर कोई द्रव उबलकर गैस में परिवर्तित हो जाता है, क्वथनांक कहलाता है।
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ऊर्ध्वपातन (Sublimation) का एक उदाहरण दीजिए।
कपूर या नेफ़थलीन।
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वाष्पीकरण (Evaporation) क्या है?
क्वथनांक से कम तापमान पर द्रव के वाष्प में बदलने की प्रक्रिया वाष्पीकरण कहलाती है।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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पदार्थ के कणों की किन्हीं दो अभिलाक्षणिक गुणों को समझाइए।
पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है, जिसके कारण अन्य पदार्थ उनमें घुल सकते हैं (जैसे चीनी पानी में)। दूसरा, पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं, जिससे वे लगातार एक-दूसरे से टकराते हैं और विसरण की प्रक्रिया होती है।
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ठोस, द्रव और गैस में आकार और आयतन के आधार पर अंतर स्पष्ट करें।
ठोसों का निश्चित आकार और निश्चित आयतन होता है। द्रवों का निश्चित आयतन होता है लेकिन निश्चित आकार नहीं होता, वे बर्तन का आकार ले लेते हैं। गैसों का न तो निश्चित आकार होता है और न ही निश्चित आयतन, वे पूरे उपलब्ध स्थान को घेर लेती हैं।
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वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो कारकों का उल्लेख करें।
सतह का क्षेत्रफल बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है (जैसे कपड़े फैलाकर सुखाने पर)। तापमान बढ़ने पर भी वाष्पीकरण की दर बढ़ती है, क्योंकि कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।
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गुप्त ऊष्मा (Latent Heat) क्या है?
गुप्त ऊष्मा वह ऊष्मा ऊर्जा है जो पदार्थ की अवस्था बदलने के लिए आवश्यक होती है, लेकिन इस दौरान पदार्थ का तापमान नहीं बढ़ता। यह ऊष्मा कणों के बीच के आकर्षण बलों को तोड़ने में उपयोग होती है।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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पदार्थ की विभिन्न अवस्थाओं (ठोस, द्रव, गैस) के गुणों का विस्तार से वर्णन करें।
पदार्थ तीन मुख्य अवस्थाओं में पाया जाता है: ठोस, द्रव और गैस। **ठोसों** का एक निश्चित आकार, निश्चित आयतन और निश्चित सीमाएँ होती हैं। उनके कण एक-दूसरे के बहुत करीब होते हैं और एक निश्चित स्थिति में दृढ़ता से बंधे होते हैं, जिससे वे केवल अपनी माध्य स्थिति के चारों ओर कंपन कर सकते हैं। यही कारण है कि ठोस कठोर होते हैं और उन्हें संपीड़ित (compress) करना मुश्किल होता है। उदाहरण के लिए, एक ईंट या बर्फ का टुकड़ा।
**द्रवों** का निश्चित आयतन होता है, लेकिन कोई निश्चित आकार नहीं होता। वे उस बर्तन का आकार ले लेते हैं जिसमें उन्हें रखा जाता है। द्रवों के कण ठोसों की तुलना में कम कसकर बंधे होते हैं और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं, जिससे द्रवों में बहने का गुण होता है। द्रवों में ठोसों की तुलना में कम संपीड़नीयता होती है। उदाहरण: पानी, दूध।
**गैसों** का न तो कोई निश्चित आकार होता है और न ही कोई निश्चित आयतन। वे उस बर्तन के पूरे आयतन को भर देती हैं जिसमें उन्हें रखा जाता है। गैसों के कण एक-दूसरे से बहुत दूर होते हैं और अत्यधिक तीव्र गति से अनियमित रूप से विचरण करते हैं। उनके बीच आकर्षण बल नगण्य होता है। गैसों को अत्यधिक संपीड़ित किया जा सकता है, जिससे वे सिलेंडरों में उच्च दाब पर भरी जा सकती हैं। उदाहरण: वायु, ऑक्सीजन।
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समझाइए कि पदार्थ अपनी अवस्था कैसे बदलता है। तापमान और दाब परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ता है?
पदार्थ अपनी भौतिक अवस्था को तापमान या दाब में परिवर्तन करके बदल सकता है। जब किसी ठोस को गर्म किया जाता है, तो उसके कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ती है। एक निश्चित तापमान (**गलनांक**) पर, कणों के पास इतनी ऊर्जा होती है कि वे आकर्षण बलों को तोड़कर अपनी स्थिर स्थिति को छोड़कर अधिक स्वतंत्रता से गति कर सकें, और ठोस द्रव में बदल जाता है। इस प्रक्रिया को **गलन** कहते हैं। इसी तरह, जब किसी द्रव को गर्म किया जाता है, तो उसके कणों की ऊर्जा और बढ़ जाती है, और एक निश्चित तापमान (**क्वथनांक**) पर, वे पूरी तरह से आकर्षण बलों से मुक्त होकर गैस में बदल जाते हैं। इसे **क्वथन** या वाष्पीकरण कहते हैं। कुछ पदार्थ (जैसे कपूर) द्रव अवस्था में आए बिना सीधे ठोस से गैस में और गैस से ठोस में बदल सकते हैं, इस प्रक्रिया को **ऊर्ध्वपातन** कहते हैं।
दाब में परिवर्तन भी पदार्थ की अवस्था को प्रभावित करता है। गैसों के मामले में, कणों को एक साथ पास लाने के लिए दाब बढ़ाना महत्वपूर्ण है। जब गैसों पर दाब बढ़ाया जाता है और तापमान कम किया जाता है, तो कण एक-दूसरे के करीब आ जाते हैं, जिससे उनके बीच आकर्षण बल मजबूत होते हैं, और गैसें द्रवीभूत (liquefy) हो जाती हैं। उदाहरण के लिए, शुष्क बर्फ (ठोस कार्बन डाइऑक्साइड) उच्च दाब पर गैस से सीधे ठोस में बदल जाती है। इसी तरह, दाब कम करने पर द्रव गैस में और ठोस द्रव या गैस में बदल सकता है। इस प्रकार, तापमान और दाब दोनों पदार्थ की अवस्था निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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