अध्याय 7: त्रिभुज (Triangles)
परिचय
त्रिभुज ज्यामिति की सबसे बुनियादी और महत्वपूर्ण आकृतियों में से एक है। यह तीन भुजाओं और तीन कोणों से घिरा एक बहुभुज होता है। इस अध्याय में, हम त्रिभुजों की विभिन्न विशेषताओं, उनके प्रकारों और सबसे महत्वपूर्ण रूप से, त्रिभुजों की सर्वांगसमता (Congruence of Triangles) की अवधारणा का अध्ययन करेंगे। हम सीखेंगे कि कब दो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं और उन्हें सिद्ध करने के लिए किन नियमों का उपयोग किया जाता है।
7.1 त्रिभुज और उसके प्रकार
एक त्रिभुज एक बंद आकृति है जिसमें तीन शीर्ष, तीन भुजाएँ और तीन आंतरिक कोण होते हैं। त्रिभुजों को उनकी भुजाओं और कोणों के आधार पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- **भुजाओं के आधार पर:**
- **समबाहु त्रिभुज (Equilateral Triangle):** सभी तीनों भुजाएँ बराबर होती हैं।
- **समद्विबाहु त्रिभुज (Isosceles Triangle):** कोई भी दो भुजाएँ बराबर होती हैं।
- **विषमबाहु त्रिभुज (Scalene Triangle):** कोई भी भुजा बराबर नहीं होती।
- **कोणों के आधार पर:**
- **न्यून कोण त्रिभुज (Acute Angled Triangle):** सभी कोण $90^\circ$ से कम होते हैं।
- **समकोण त्रिभुज (Right Angled Triangle):** एक कोण $90^\circ$ का होता है।
- **अधिक कोण त्रिभुज (Obtuse Angled Triangle):** एक कोण $90^\circ$ से अधिक होता है।
7.2 त्रिभुजों की सर्वांगसमता
**सर्वांगसमता (Congruence)** का अर्थ है "आकार और आमाप में समान"। दो त्रिभुज सर्वांगसम कहलाते हैं यदि वे एक-दूसरे को पूरी तरह से ढक लेते हैं, अर्थात, उनकी संगत भुजाएँ बराबर होती हैं और उनके संगत कोण बराबर होते हैं। सर्वांगसमता को प्रतीक '$\cong$' द्वारा दर्शाया जाता है।
7.3 त्रिभुजों की सर्वांगसमता के नियम (Criteria for Congruence)
त्रिभुजों की सर्वांगसमता सिद्ध करने के लिए कुछ नियम (criteria) हैं:
- **SAS (भुजा-कोण-भुजा) सर्वांगसमता नियम:** यदि एक त्रिभुज की दो भुजाएँ और उनके बीच का अंतर्निहित कोण दूसरे त्रिभुज की संगत दो भुजाओं और उनके बीच के अंतर्निहित कोण के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं।
- **ASA (कोण-भुजा-कोण) सर्वांगसमता नियम:** यदि एक त्रिभुज के दो कोण और उनके बीच की अंतर्निहित भुजा दूसरे त्रिभुज के संगत दो कोणों और उनके बीच की अंतर्निहित भुजा के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं।
- **AAS (कोण-कोण-भुजा) सर्वांगसमता नियम:** यदि एक त्रिभुज के दो कोण और कोई भी एक संगत भुजा दूसरे त्रिभुज के संगत दो कोणों और संगत भुजा के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं। (यह ASA का एक परिणाम है)।
- **SSS (भुजा-भुजा-भुजा) सर्वांगसमता नियम:** यदि एक त्रिभुज की तीनों भुजाएँ दूसरे त्रिभुज की तीनों संगत भुजाओं के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं।
- **RHS (समकोण-कर्ण-भुजा) सर्वांगसमता नियम:** यह नियम विशेष रूप से समकोण त्रिभुजों के लिए है। यदि एक समकोण त्रिभुज का कर्ण (hypotenuse) और एक भुजा दूसरे समकोण त्रिभुज के कर्ण और संगत भुजा के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं।
7.4 एक त्रिभुज के कुछ गुण
कुछ महत्वपूर्ण गुण:
- त्रिभुज के तीनों आंतरिक कोणों का योग $180^\circ$ होता है।
- एक त्रिभुज में, बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं (और इसका विलोम भी सत्य है)।
- एक त्रिभुज की किसी भी भुजा को बढ़ाने पर जो बाह्य कोण बनता है, वह अपने सम्मुख आंतरिक कोणों के योग के बराबर होता है।
7.5 त्रिभुज में असमिकाएँ (Inequalities in a Triangle)
असमिकाएँ त्रिभुज की भुजाओं और कोणों के बीच संबंधों को दर्शाती हैं:
- किसी त्रिभुज की किन्हीं भी दो भुजाओं की लंबाइयों का योग हमेशा तीसरी भुजा की लंबाई से बड़ा होता है।
- त्रिभुज में सबसे लंबी भुजा के सम्मुख कोण सबसे बड़ा होता है।
- त्रिभुज में सबसे बड़े कोण के सम्मुख भुजा सबसे लंबी होती है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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एक त्रिभुज में कितनी भुजाएँ और कितने कोण होते हैं?
एक त्रिभुज में तीन भुजाएँ और तीन कोण होते हैं।
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यदि एक त्रिभुज की तीनों भुजाएँ बराबर हों, तो उसे क्या कहते हैं?
यदि एक त्रिभुज की तीनों भुजाएँ बराबर हों, तो उसे समबाहु त्रिभुज (Equilateral Triangle) कहते हैं।
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त्रिभुजों की सर्वांगसमता के लिए SAS नियम का पूर्ण रूप क्या है?
SAS नियम का पूर्ण रूप भुजा-कोण-भुजा (Side-Angle-Side) है।
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क्या $ASA$ और $AAS$ सर्वांगसमता नियम एक ही हैं?
नहीं, $ASA$ और $AAS$ सर्वांगसमता नियम समान नहीं हैं, हालाँकि $AAS$ नियम $ASA$ नियम का एक परिणाम है। $ASA$ में कोण-भुजा-कोण और $AAS$ में कोण-कोण-भुजा होती है।
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एक त्रिभुज में सबसे बड़े कोण के सामने कौन सी भुजा होती है?
एक त्रिभुज में सबसे बड़े कोण के सामने सबसे लंबी भुजा होती है।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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सर्वांगसम त्रिभुज (Congruent Triangles) किसे कहते हैं?
दो त्रिभुज सर्वांगसम कहलाते हैं यदि वे आकार और आमाप में समान हों। इसका अर्थ है कि यदि एक त्रिभुज को दूसरे पर रखा जाए, तो वे एक-दूसरे को पूरी तरह ढक लेते हैं। उनकी संगत भुजाएँ और संगत कोण बराबर होते हैं।
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समद्विबाहु त्रिभुज (Isosceles Triangle) की क्या विशेषता है?
एक समद्विबाहु त्रिभुज वह होता है जिसकी कोई भी दो भुजाएँ बराबर होती हैं। इन बराबर भुजाओं के विपरीत कोण भी बराबर होते हैं।
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त्रिभुज में असमिका प्रमेय (Triangle Inequality Theorem) क्या बताता है?
त्रिभुज में असमिका प्रमेय बताता है कि किसी त्रिभुज की किन्हीं भी दो भुजाओं की लंबाइयों का योग हमेशा तीसरी भुजा की लंबाई से बड़ा होता है।
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$RHS$ सर्वांगसमता नियम का उपयोग कब किया जाता है?
$RHS$ सर्वांगसमता नियम का उपयोग विशेष रूप से समकोण त्रिभुजों के लिए किया जाता है। इसका अर्थ है कि यदि एक समकोण त्रिभुज का कर्ण (Hypotenuse) और एक भुजा दूसरे समकोण त्रिभुज के कर्ण और संगत भुजा के बराबर हों, तो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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त्रिभुजों की सर्वांगसमता के विभिन्न नियमों (SAS, ASA, SSS, RHS) का वर्णन करें।
त्रिभुजों की सर्वांगसमता यह निर्धारित करने के लिए विभिन्न नियमों पर आधारित होती है कि क्या दो त्रिभुज आकार और आमाप में समान हैं। 1. **SAS (भुजा-कोण-भुजा) सर्वांगसमता नियम:** यदि एक त्रिभुज की दो भुजाएँ और उनके बीच का अंतर्निहित कोण दूसरे त्रिभुज की संगत दो भुजाओं और उनके बीच के अंतर्निहित कोण के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं। 2. **ASA (कोण-भुजा-कोण) सर्वांगसमता नियम:** यदि एक त्रिभुज के दो कोण और उनके बीच की अंतर्निहित भुजा दूसरे त्रिभुज के संगत दो कोणों और उनके बीच की अंतर्निहित भुजा के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं। 3. **SSS (भुजा-भुजा-भुजा) सर्वांगसमता नियम:** यदि एक त्रिभुज की तीनों भुजाएँ दूसरे त्रिभुज की तीनों संगत भुजाओं के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं।
4. **RHS (समकोण-कर्ण-भुजा) सर्वांगसमता नियम:** यह नियम विशेष रूप से समकोण त्रिभुजों के लिए है। यदि एक समकोण त्रिभुज का कर्ण (hypotenuse) और एक भुजा दूसरे समकोण त्रिभुज के कर्ण और संगत भुजा के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं। एक और नियम **AAS (कोण-कोण-भुजा) सर्वांगसमता नियम** भी है, जहाँ यदि एक त्रिभुज के दो कोण और कोई भी एक संगत भुजा दूसरे त्रिभुज के संगत दो कोणों और संगत भुजा के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं; यह ASA नियम का एक विस्तार या परिणाम माना जा सकता है। इन नियमों का उपयोग विभिन्न ज्यामितीय प्रमेयों को सिद्ध करने और त्रिभुज से संबंधित समस्याओं को हल करने में किया जाता है।
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एक त्रिभुज के गुणों में, यह सिद्ध करें कि बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
त्रिभुज के एक महत्वपूर्ण गुण के अनुसार, एक त्रिभुज में बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं। इसे सिद्ध करने के लिए, हम एक समद्विबाहु त्रिभुज ABC लेते हैं जहाँ भुजा AB = AC है। हमें यह सिद्ध करना है कि $\angle B = \angle C$। इस प्रमेय को सिद्ध करने के लिए, हम शीर्ष A से भुजा BC पर एक कोण समद्विभाजक AD खींचते हैं, जो $\angle BAC$ को समद्विभाजित करता है (अर्थात, $\angle BAD = \angle CAD$)। अब, त्रिभुज ABD और त्रिभुज ACD पर विचार करें: 1. $AB = AC$ (दिया गया है) 2. $\angle BAD = \angle CAD$ (रचना द्वारा) 3. $AD = AD$ (उभयनिष्ठ भुजा)
SAS (भुजा-कोण-भुजा) सर्वांगसमता नियम के अनुसार, $\triangle ABD \cong \triangle ACD$। चूँकि त्रिभुज सर्वांगसम हैं, उनके संगत भाग भी बराबर होंगे (CPCTC - Congruent Parts of Congruent Triangles are Congruent)। इसलिए, $\angle B = \angle C$। यह प्रमेय ज्यामिति में बहुत उपयोगी है और यह साबित करता है कि समद्विबाहु त्रिभुज में आधार कोण बराबर होते हैं। इसका विलोम भी सत्य है: यदि किसी त्रिभुज में दो कोण बराबर हों, तो उनकी सम्मुख भुजाएँ भी बराबर होती हैं। यह गुण त्रिभुजों से संबंधित कई समस्याओं को हल करने में मदद करता है।
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