अध्याय 5: यूक्लिड की ज्यामिति का परिचय (Introduction to Euclid's Geometry)
परिचय और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
यूक्लिड की ज्यामिति का परिचय प्राचीन ग्रीक गणितज्ञ यूक्लिड (लगभग 300 ईसा पूर्व) के काम से आता है, जिन्हें "ज्यामिति का जनक" माना जाता है। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक 'एलिमेंट्स' (Elements) ने गणितीय तर्क और निगमनात्मक ज्यामिति की नींव रखी। इस अध्याय में, हम यूक्लिड के ज्यामिति के मौलिक निर्माणों - उसकी परिभाषाओं, अभिगृहीतों (axioms), और अभिकल्पनाओं (postulates) - का अध्ययन करेंगे, जो सदियों तक गणितीय अध्ययन का आधार बने रहे।
5.1 यूक्लिड की परिभाषाएँ, अभिगृहीत और अवधारणाएँ
यूक्लिड ने अपने ज्यामितीय सिद्धांत को कुछ मूल, अपरिभाषित शब्दों (जैसे बिंदु, रेखा, तल) और फिर उन पर आधारित कठोर परिभाषाओं के साथ शुरू किया। उन्होंने दो प्रकार के स्वयं-स्पष्ट सत्य माने जाने वाले कथन भी प्रस्तुत किए: अभिगृहीत (जिन्हें सामान्य अवधारणाएँ भी कहा जाता है) और अभिकल्पनाएँ। अभिगृहीत वे सत्य हैं जो गणित के सभी क्षेत्रों में मान्य हैं, जबकि अभिकल्पनाएँ विशेष रूप से ज्यामिति के लिए विशिष्ट हैं।
5.2 अभिगृहीत (Axioms) - सामान्य अवधारणाएँ
यूक्लिड के कुछ महत्वपूर्ण अभिगृहीत (या सामान्य अवधारणाएँ) इस प्रकार हैं:
- वे वस्तुएँ जो एक ही वस्तु के बराबर हों, एक दूसरे के बराबर होती हैं।
- यदि बराबरों में बराबर जोड़ा जाए, तो पूर्ण बराबर होते हैं।
- यदि बराबरों में से बराबर घटाया जाए, तो शेषफल बराबर होते हैं।
- वे वस्तुएँ जो एक दूसरे पर संपाती होती हैं, एक दूसरे के बराबर होती हैं।
- पूर्ण अपने भाग से बड़ा होता है।
- एक ही वस्तु के दुगुने एक दूसरे के बराबर होते हैं।
- एक ही वस्तु के आधे एक दूसरे के बराबर होते हैं।
5.3 अभिकल्पनाएँ (Postulates)
यूक्लिड की पाँच अभिकल्पनाएँ जो ज्यामिति के लिए विशिष्ट हैं, इस प्रकार हैं:
- एक बिंदु से किसी अन्य बिंदु तक एक सीधी रेखा खींची जा सकती है।
- एक सांत रेखा (terminating line) को अनिश्चित रूप से बढ़ाया जा सकता है।
- किसी भी केंद्र और किसी भी त्रिज्या से एक वृत्त खींचा जा सकता है।
- सभी समकोण एक दूसरे के बराबर होते हैं।
- यदि एक सीधी रेखा दो सीधी रेखाओं पर गिरे और एक ही तरफ आंतरिक कोणों का योग दो समकोणों से कम हो, तो वे दो सीधी रेखाएँ अनिश्चित रूप से बढ़ाए जाने पर उसी तरफ मिलती हैं जहाँ कोणों का योग दो समकोणों से कम होता है। (यह प्रसिद्ध समांतर अभिधारणा है)।
5.4 प्रमेय (Theorems) और उपपत्ति (Proofs)
अभिगृहीतों, अभिकल्पनाओं और परिभाषाओं के आधार पर, यूक्लिड ने विभिन्न ज्यामितीय प्रमेयों को तार्किक रूप से सिद्ध किया। एक प्रमेय एक ऐसा कथन होता है जिसे स्थापित सत्य (अभिगृहीत, अभिकल्पना, या पहले से सिद्ध प्रमेय) का उपयोग करके तर्क के एक अनुक्रम के माध्यम से सिद्ध किया जाता है। इस कठोर निगमनात्मक पद्धति ने गणितीय प्रमाण की नींव रखी और सदियों तक गणितीय सोच को प्रभावित किया।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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'एलिमेंट्स' (Elements) नामक पुस्तक किसने लिखी थी?
'एलिमेंट्स' नामक पुस्तक यूक्लिड ने लिखी थी।
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बिंदु (point) की यूक्लिडियन परिभाषा क्या है?
एक बिंदु वह है जिसका कोई भाग नहीं होता।
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अभिगृहीत (Axiom) और अभिकल्पना (Postulate) में क्या अंतर है?
अभिगृहीत वे अवधारणाएँ हैं जो गणित के सभी क्षेत्रों में सत्य मानी जाती हैं, जबकि अभिकल्पनाएँ वे अवधारणाएँ हैं जो विशेष रूप से ज्यामिति में सत्य मानी जाती हैं।
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यूक्लिड की पहली अभिकल्पना क्या है?
एक बिंदु से किसी अन्य बिंदु तक एक सीधी रेखा खींची जा सकती है।
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'पूर्ण अपने भाग से बड़ा होता है' - यह यूक्लिड का कौन सा अभिगृहीत है?
यह यूक्लिड का अभिगृहीत 5 (या सामान्य अवधारणा 5) है।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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यूक्लिड को "ज्यामिति का जनक" क्यों कहा जाता है?
यूक्लिड को "ज्यामिति का जनक" कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपनी पुस्तक 'एलिमेंट्स' में ज्यामितीय ज्ञान को एक तार्किक और व्यवस्थित तरीके से संकलित किया, जिसमें परिभाषाओं, अभिधारणाओं और स्वयंसिद्धों से कठोर प्रमाणों के माध्यम से प्रमेयों को व्युत्पन्न किया गया।
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यूक्लिड की कोई दो सामान्य अवधारणाएँ (अभिगृहीत) लिखिए।
1. वे वस्तुएँ जो एक ही वस्तु के बराबर हों, एक दूसरे के बराबर होती हैं। 2. यदि बराबरों में बराबर जोड़ा जाए, तो पूर्ण बराबर होते हैं।
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यूक्लिड की दूसरी अभिकल्पना क्या बताती है?
यूक्लिड की दूसरी अभिकल्पना बताती है कि एक सांत रेखा (terminating line) को अनिश्चित रूप से बढ़ाया जा सकता है। इसका अर्थ है कि एक रेखाखंड को दोनों दिशाओं में अनंत तक बढ़ाया जा सकता है।
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'प्रमेय' (Theorem) क्या होता है?
एक प्रमेय एक ऐसा कथन होता है जिसे अभिगृहीतों, परिभाषाओं और पहले से सिद्ध किए गए प्रमेयों का उपयोग करके तार्किक रूप से सिद्ध किया जा सकता है। यह गणितीय सत्य होता है जिसे प्रमाण की आवश्यकता होती है।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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यूक्लिड की पाँच अभिकल्पनाओं का संक्षेप में वर्णन करें।
यूक्लिड ने ज्यामिति के आधार के रूप में पाँच अभिकल्पनाएँ प्रस्तुत कीं, जिन्हें स्वयं-स्पष्ट सत्य माना जाता था और जो उनके ज्यामितीय तर्क के लिए विशिष्ट थीं। 1. **अभिकल्पना 1:** एक बिंदु से किसी अन्य बिंदु तक एक सीधी रेखा खींची जा सकती है। यह रेखाओं के अस्तित्व और विशिष्टता को स्थापित करती है। 2. **अभिकल्पना 2:** एक सांत रेखा (रेखाखंड) को अनिश्चित रूप से बढ़ाया जा सकता है। यह दर्शाता है कि एक रेखाखंड को दोनों दिशाओं में एक अनंत रेखा बनाने के लिए बढ़ाया जा सकता है। 3. **अभिकल्पना 3:** किसी भी केंद्र और किसी भी त्रिज्या से एक वृत्त खींचा जा सकता है। यह वृत्त की परिभाषा और निर्माण की संभावना को स्पष्ट करता है। 4. **अभिकल्पना 4:** सभी समकोण एक दूसरे के बराबर होते हैं। यह कोणों की माप में एकरूपता सुनिश्चित करता है।
5. **अभिकल्पना 5 (समांतर अभिधारणा):** यदि एक सीधी रेखा दो सीधी रेखाओं पर गिरे और एक ही तरफ आंतरिक कोणों का योग दो समकोणों से कम हो, तो वे दो सीधी रेखाएँ अनिश्चित रूप से बढ़ाए जाने पर उसी तरफ मिलती हैं जहाँ कोणों का योग दो समकोणों से कम होता है। यह अभिकल्पना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह यूक्लिडियन ज्यामिति की समांतर रेखाओं की अवधारणा को परिभाषित करती है और गैर-यूक्लिडियन ज्यामिति के विकास का आधार बनी।
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यूक्लिड की ज्यामिति की संरचना को समझाइए। यह किस प्रकार गणितीय तर्क की नींव बनी?
यूक्लिड की ज्यामिति की संरचना उनकी प्रसिद्ध पुस्तक 'एलिमेंट्स' में निहित है, जिसने गणितीय तर्क के लिए एक प्रतिमान स्थापित किया। यूक्लिड ने ज्ञान को एक निगमनात्मक प्रणाली (Deductive System) के रूप में प्रस्तुत किया। यह कुछ बुनियादी, अपरिभाषित शब्दों (जैसे बिंदु, रेखा, तल), स्पष्ट रूप से परिभाषित अवधारणाओं (परिभाषाएँ), और स्वयं-स्पष्ट सत्य माने जाने वाले बयानों (अभिगृहीत या सामान्य अवधारणाएँ, और अभिकल्पनाएँ) से शुरू होता है। अभिगृहीत गणित के सभी क्षेत्रों में सत्य माने गए, जबकि अभिकल्पनाएँ विशेष रूप से ज्यामिति के लिए थीं। यह प्रणाली प्रारंभिक सिद्धांतों से जटिल निष्कर्षों तक व्यवस्थित प्रगति की अनुमति देती है।
इस नींव पर, यूक्लिड ने कठोर तार्किक प्रमाणों का उपयोग करके प्रमेयों (Theorems) को व्युत्पन्न किया। प्रत्येक प्रमेय को पिछली परिभाषाओं, अभिगृहीतों, अभिकल्पनाओं और पहले से सिद्ध किए गए प्रमेयों के आधार पर सिद्ध किया गया। यह प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि यदि प्रारंभिक धारणाएँ सत्य हैं, तो उनसे व्युत्पन्न सभी प्रमेय भी सत्य होंगे। 'एलिमेंट्स' ने दिखाया कि कैसे एक जटिल और व्यापक विषय को कुछ बुनियादी सिद्धांतों से व्यवस्थित रूप से विकसित किया जा सकता है। इस निगमनात्मक दृष्टिकोण ने सदियों तक गणितीय अनुसंधान और प्रमाण की नींव रखी, जो आधुनिक गणितीय तर्क और वैज्ञानिक पद्धति के विकास के लिए एक मॉडल बन गया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि कैसे मान्यताओं से निष्कर्षों तक पहुंचा जा सकता है।
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