अध्याय 11: रचनाएँ (Constructions)

परिचय

ज्यामितीय रचनाएँ गणित की वह शाखा है जो केवल एक रूलर (अंक रहित पैमाना) और परकार (कंपास) का उपयोग करके विभिन्न ज्यामितीय आकृतियों और कोणों के निर्माण से संबंधित है। इस अध्याय में, हम मूलभूत ज्यामितीय रचनाओं के बारे में सीखेंगे, जैसे एक रेखाखंड का लंब समद्विभाजक खींचना, कोण बनाना और कोणों को समद्विभाजित करना। इसके अतिरिक्त, हम विशिष्ट शर्तों के तहत त्रिभुजों की रचना करने के तरीकों का भी अध्ययन करेंगे, जो ज्यामितीय समस्याओं को हल करने में हमारे कौशल को बढ़ाएगा।

11.1 कुछ आधारभूत रचनाएँ

11.1.1 रेखाखंड का लंब समद्विभाजक खींचना

किसी रेखाखंड का लंब समद्विभाजक वह रेखा होती है जो रेखाखंड को दो बराबर भागों में विभाजित करती है और उस पर लंबवत ($90^\circ$ का कोण बनाते हुए) होती है। इसकी रचना करने के लिए, रेखाखंड के प्रत्येक सिरे से उसके आधे से अधिक त्रिज्या लेकर चाप खींचते हैं जो एक दूसरे को काटते हैं, और फिर उन कटान बिंदुओं को मिलाते हैं।

11.1.2 एक दिए गए बिंदु पर $60^\circ$ का कोण बनाना

परकार और रूलर की सहायता से $60^\circ$ का कोण बनाना एक मूलभूत रचना है। इसमें एक चाप खींचना शामिल है जो किरण को काटता है, और फिर उसी त्रिज्या के साथ पहले चाप पर एक दूसरा चाप खींचना शामिल है।

Illustration showing a compass and ruler used for geometric constructions.

11.1.3 एक कोण का समद्विभाजक खींचना

एक कोण को समद्विभाजित करने का अर्थ है उसे दो बराबर कोणों में विभाजित करना। इसके लिए, कोण के शीर्ष को केंद्र मानकर एक चाप खींचते हैं जो कोण की भुजाओं को काटता है। फिर, इन कटान बिंदुओं को केंद्र मानकर दो और चाप खींचते हैं जो एक दूसरे को काटते हैं। शीर्ष से इस कटान बिंदु को मिलाने वाली रेखा कोण का समद्विभाजक होती है।

11.1.4 एक दी गई किरण पर दिए गए कोण के बराबर कोण बनाना

यह रचना एक दिए गए कोण को कॉपी करने की अनुमति देती है। इसके लिए, दिए गए कोण के शीर्ष पर एक चाप खींचकर उसकी भुजाओं को काटते हैं। फिर, उसी त्रिज्या का उपयोग करके नई किरण पर एक चाप खींचते हैं। अंत में, दिए गए कोण के चाप की चौड़ाई को मापकर नई किरण पर स्थानांतरित करते हैं।

11.2 त्रिभुज की रचनाएँ

11.2.1 जब आधार, एक आधार कोण और अन्य दो भुजाओं का योग दिया हो

इस प्रकार की रचना में, हम पहले दिए गए आधार और कोण का उपयोग करके एक आधार रेखा खींचते हैं। फिर, भुजाओं के दिए गए योग को किरण पर काटते हैं और एक सहायक त्रिभुज बनाते हैं। अंत में, एक लंब समद्विभाजक का उपयोग करके वांछित त्रिभुज का तीसरा शीर्ष ज्ञात करते हैं।

11.2.2 जब आधार, एक आधार कोण और अन्य दो भुजाओं का अंतर दिया हो

यह रचना पिछली वाली के समान है, लेकिन इसमें भुजाओं के अंतर का उपयोग किया जाता है। अंतर के आधार पर, या तो किरण पर एक खंड ऊपर की ओर काटा जाता है या नीचे की ओर, जिसके बाद एक लंब समद्विभाजक का उपयोग करके वांछित शीर्ष ज्ञात किया जाता है।

11.2.3 जब परिमाप और दो आधार कोण दिए हों

इस रचना में, हम पहले दिए गए परिमाप के बराबर एक रेखाखंड खींचते हैं। फिर, इस रेखाखंड के सिरों पर दिए गए आधार कोणों के आधे कोण बनाते हैं। इन कोणों की किरणों के कटान बिंदु से, हम अन्य दो भुजाओं के लिए लंब समद्विभाजक खींचकर वांछित त्रिभुज के शीर्षों को प्राप्त करते हैं।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. ज्यामितीय रचनाओं के लिए मुख्य उपकरण क्या हैं?

    ज्यामितीय रचनाओं के लिए मुख्य उपकरण **एक रूलर (पैमाना) और परकार (कंपास)** हैं।

  2. एक रेखाखंड के लंब समद्विभाजक का क्या अर्थ है?

    यह एक रेखा है जो रेखाखंड को समद्विभाजित करती है (दो बराबर भागों में बांटती है) और उस पर लंब होती है ($90^\circ$ का कोण बनाती है)।

  3. परकार की सहायता से आप सबसे छोटा कौन सा कोण बना सकते हैं?

    परकार की सहायता से सबसे छोटा मूल कोण **$60^\circ$** का कोण बना सकते हैं।

  4. एक कोण को समद्विभाजित करने का क्या अर्थ है?

    एक कोण को समद्विभाजित करने का अर्थ है उसे दो बराबर भागों में विभाजित करना।

  5. यदि एक त्रिभुज में, आधार, एक आधार कोण और अन्य दो भुजाओं का योग दिया गया है, तो क्या आप उसकी रचना कर सकते हैं?

    हाँ, इन दी गई जानकारी के साथ एक अद्वितीय त्रिभुज की रचना की जा सकती है।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. $90^\circ$ का कोण बनाने के लिए किन कोणों के समद्विभाजक का उपयोग किया जा सकता है?

    $90^\circ$ का कोण बनाने के लिए, पहले $60^\circ$ और $120^\circ$ के कोण बनाए जा सकते हैं, और फिर उनके बीच के कोण ($60^\circ$) को समद्विभाजित करके $30^\circ$ प्राप्त किया जाता है जिसे $60^\circ$ में जोड़कर $90^\circ$ बनाया जा सकता है। या, एक सीधी रेखा पर $0^\circ$ और $180^\circ$ के कोणों के बीच के कोण को समद्विभाजित करके भी $90^\circ$ बनाया जा सकता है।

  2. एक रेखाखंड के लंब समद्विभाजक का निर्माण क्यों महत्वपूर्ण है?

    एक रेखाखंड का लंब समद्विभाजक खींचना ज्यामितीय रचनाओं में एक मूलभूत कदम है। इसका उपयोग त्रिभुजों के परिवृत्त (circumcircle) के केंद्र को खोजने, दो बिंदुओं से समदूरस्थ बिंदुओं का लोकस ज्ञात करने और अन्य ज्यामितीय आकृतियों के निर्माण के लिए किया जाता है। यह विभिन्न ज्यामितीय समस्याओं को हल करने में मदद करता है।

  3. क्या किसी भी दिए गए त्रिभुज की रचना की जा सकती है यदि केवल उसकी भुजाओं का योग (परिमाप) दिया हो?

    नहीं, केवल परिमाप से एक अद्वितीय त्रिभुज की रचना नहीं की जा सकती। त्रिभुज की रचना के लिए कम से कम तीन स्वतंत्र जानकारी (जैसे तीन भुजाएँ, दो भुजाएँ और उनके बीच का कोण, या एक भुजा और दो कोण) की आवश्यकता होती है। केवल परिमाप से अनगिनत त्रिभुज बन सकते हैं।

  4. एक त्रिभुज की रचना क्यों की जाती है जब उसका आधार, एक आधार कोण और अन्य दो भुजाओं का अंतर दिया गया हो?

    इस प्रकार की रचना विशेष रूप से तब उपयोगी होती है जब हमें त्रिभुज की दो अज्ञात भुजाओं के बीच एक निश्चित संबंध पता हो। यह हमें त्रिभुज को चरणों में बनाने की अनुमति देता है, पहले दी गई जानकारी का उपयोग करके एक सहायक त्रिभुज बनाते हैं और फिर सहायक त्रिभुज के एक लंब समद्विभाजक के माध्यम से वांछित त्रिभुज को प्राप्त करते हैं।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. एक रेखाखंड के लंब समद्विभाजक की रचना कैसे की जाती है? इसके चरणों को स्पष्ट करें।

    एक रेखाखंड AB का लंब समद्विभाजक खींचने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाता है: 1. **चरण 1:** सर्वप्रथम, रेखाखंड AB खींचिए जिसकी लंबाई आपको दी गई है। 2. **चरण 2:** बिंदु A को केंद्र मानकर और AB की लंबाई के आधे से अधिक (लेकिन AB से कम) त्रिज्या लेकर, रेखाखंड AB के दोनों ओर (ऊपर और नीचे) एक-एक चाप लगाइए। सुनिश्चित करें कि चाप काफी बड़े हों ताकि वे बाद में एक-दूसरे को काट सकें। 3. **चरण 3:** अब, बिंदु B को केंद्र मानकर और बिना त्रिज्या बदले (वही त्रिज्या जो चरण 2 में उपयोग की गई थी) का उपयोग करके, AB के दोनों ओर उन पहले चापों को काटते हुए दो अन्य चाप लगाइए। 4. **चरण 4:** मान लीजिए ये दोनों चाप C और D पर एक-दूसरे को काटते हैं। बिंदु C और D को एक सीधी रेखा से मिलाइए। रेखा CD ही रेखाखंड AB का वांछित लंब समद्विभाजक है।

    यह रेखा CD, रेखाखंड AB को उस बिंदु पर काटती है जो AB का मध्य-बिंदु है, और रेखा CD, रेखाखंड AB पर लंबवत होती है (अर्थात्, $90^\circ$ का कोण बनाती है)। इस विधि का ज्यामितीय आधार यह है कि बिंदु C और D दोनों रेखाखंड AB के सिरों A और B से समदूरस्थ हैं। दो बिंदुओं से समदूरस्थ बिंदुओं का बिंदुपथ (लोकस) उन बिंदुओं को जोड़ने वाले रेखाखंड का लंब समद्विभाजक होता है। यह रचना ज्यामिति में एक मूलभूत कौशल है और इसका उपयोग परिवृत्त के केंद्र खोजने या त्रिभुजों में ऊँचाई खींचने जैसी कई अन्य रचनाओं में किया जाता है।

  2. एक त्रिभुज की रचना कैसे की जाती है जब उसका आधार, एक आधार कोण और अन्य दो भुजाओं का योग दिया गया हो? इसके चरणों को विस्तार से समझाएँ।

    मान लीजिए हमें एक त्रिभुज ABC की रचना करनी है, जिसमें आधार BC की लंबाई, एक आधार कोण जैसे $\angle B$ का माप, और शेष दो भुजाओं का योग $AB + AC$ दिया गया है। रचना के चरण इस प्रकार हैं: 1. **चरण 1:** सबसे पहले, दिए गए माप का आधार रेखाखंड BC खींचिए। 2. **चरण 2:** बिंदु B पर, दिए गए कोण $\angle B$ के बराबर एक कोण $\angle XBC$ बनाइए। किरण BX को काफी लंबा खींचिए ताकि उस पर भुजाओं का योग मापा जा सके। 3. **चरण 3:** किरण BX पर, $BD = AB + AC$ (अर्थात्, दी गई अन्य दो भुजाओं के योग के बराबर) लंबाई का रेखाखंड काटिए। बिंदु D को चिह्नित कीजिए। 4. **चरण 4:** बिंदु C और D को एक रेखाखंड से मिलाइए।

    5. **चरण 5:** अब, रेखाखंड CD का लंब समद्विभाजक खींचिए (जैसा कि आपने पहले सीखा है)। इस लंब समद्विभाजक को किरण BX को बिंदु A पर काटने दीजिए। 6. **चरण 6:** अंत में, बिंदु A और C को एक रेखाखंड से मिलाइए। इस प्रकार, $\triangle ABC$ वांछित त्रिभुज है। इस रचना के पीछे का तर्क यह है कि चूँकि बिंदु A, रेखाखंड CD के लंब समद्विभाजक पर स्थित है, इसलिए $AC = AD$ होगा। परिणामस्वरूप, हमने $BD = AB + AD$ लिया था, और अब यह $BD = AB + AC$ हो जाता है, जो दी गई शर्त को पूरा करता है। यह विधि हमें दिए गए योग का उपयोग करके एक सहायक त्रिभुज (यहाँ $\triangle BCD$) बनाने और फिर लंब समद्विभाजक के गुण का उपयोग करके मूल त्रिभुज के तीसरे शीर्ष को प्राप्त करने की अनुमति देती है।

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