अध्याय 1: संख्या पद्धति (Number Systems)

परिचय

इस अध्याय में हम संख्याओं के विभिन्न प्रकारों और उनके गुणों का अध्ययन करेंगे। हम प्राकृतिक संख्याएँ, पूर्ण संख्याएँ, पूर्णांक, परिमेय संख्याएँ और अपरिमेय संख्याएँ सीखेंगे। यह समझना कि ये संख्याएँ कैसे संबंधित हैं और वास्तविक संख्या प्रणाली का निर्माण करती हैं, गणित में एक मजबूत नींव के लिए महत्वपूर्ण है।

1.1 संख्याएँ: एक अवलोकन

हमने पिछली कक्षाओं में प्राकृतिक संख्याओं (Natural Numbers, N), पूर्ण संख्याओं (Whole Numbers, W) और पूर्णांकों (Integers, Z) के बारे में पढ़ा है। प्राकृतिक संख्याएँ गिनने वाली संख्याएँ हैं (1, 2, 3...), पूर्ण संख्याओं में शून्य भी शामिल है (0, 1, 2, 3...), और पूर्णांकों में धनात्मक, ऋणात्मक और शून्य शामिल हैं (...-2, -1, 0, 1, 2...).

1.2 परिमेय संख्याएँ

एक परिमेय संख्या (Rational Number) वह संख्या होती है जिसे $p/q$ के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ $p$ और $q$ पूर्णांक हैं और $q \ne 0$ है। परिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसार या तो सांत (terminating) होते हैं या अनवसानी आवर्ती (non-terminating recurring) होते हैं। उदाहरण के लिए, $1/2 = 0.5$ (सांत) और $1/3 = 0.333...$ (अनवसानी आवर्ती)।

1.3 अपरिमेय संख्याएँ

अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers) वे संख्याएँ होती हैं जिन्हें $p/q$ के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता। इनका दशमलव प्रसार अनवसानी अनावर्ती (non-terminating non-recurring) होता है, यानी दशमलव के बाद अंक न तो दोहराते हैं और न ही समाप्त होते हैं। $\sqrt{2}$, $\sqrt{3}$, और $\pi$ (पाई) अपरिमेय संख्याओं के उदाहरण हैं।

Illustration of a number system diagram showing natural, whole, integers, rational, and irrational numbers.

1.4 वास्तविक संख्याएँ और उनके दशमलव प्रसार

सभी परिमेय संख्याएँ और अपरिमेय संख्याएँ मिलकर वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers) बनाती हैं। प्रत्येक वास्तविक संख्या को संख्या रेखा पर एक अद्वितीय बिंदु द्वारा दर्शाया जा सकता है। हम देखेंगे कि एक संख्या के दशमलव प्रसार के आधार पर उसे परिमेय या अपरिमेय के रूप में कैसे वर्गीकृत किया जाए।

1.5 संख्या रेखा पर वास्तविक संख्याओं का निरूपण

इस खंड में, हम आवर्धन की प्रक्रिया का उपयोग करके संख्या रेखा पर वास्तविक संख्याओं, विशेष रूप से अनवसानी आवर्ती दशमलवों को कैसे दर्शाया जाए, यह सीखेंगे। यह हमें संख्याओं के 'दशमलव स्थानों' को करीब से देखने में मदद करता है।

1.6 वास्तविक संख्याओं पर संक्रियाएँ और घातांक के नियम

हम वास्तविक संख्याओं के लिए जोड़, घटाव, गुणा और भाग जैसी विभिन्न संक्रियाओं पर चर्चा करेंगे। हम घातांक के नियमों को भी पुनरावलोकन करेंगे और उन्हें वास्तविक संख्याओं के लिए लागू करेंगे, जैसे $a^m \cdot a^n = a^{m+n}$ और $(a^m)^n = a^{mn}$।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. क्या शून्य एक परिमेय संख्या है? क्या आप इसे $p/q$ के रूप में लिख सकते हैं जहाँ $p$ और $q$ पूर्णांक हैं और $q \neq 0$?

    हाँ, शून्य एक परिमेय संख्या है। इसे $0/1$, $0/2$, $0/(-3)$ आदि के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ $p=0$ और $q$ कोई भी अशून्य पूर्णांक है।

  2. क्या प्रत्येक पूर्ण संख्या एक प्राकृतिक संख्या होती है?

    नहीं, प्रत्येक पूर्ण संख्या एक प्राकृतिक संख्या नहीं होती है। शून्य (0) एक पूर्ण संख्या है, लेकिन यह एक प्राकृतिक संख्या नहीं है क्योंकि प्राकृतिक संख्याएँ 1 से शुरू होती हैं।

  3. बताइए कि नीचे दी गई संख्याएँ परिमेय हैं या अपरिमेय: (i) $\sqrt{23}$ (ii) $\sqrt{225}$ (iii) $0.3796$ (iv) $7.478478...$ (v) $1.1010010001...$

    (i) $\sqrt{23}$: अपरिमेय संख्या (क्योंकि 23 एक पूर्ण वर्ग नहीं है)
    (ii) $\sqrt{225}$: परिमेय संख्या (क्योंकि $\sqrt{225} = 15 = 15/1$)
    (iii) $0.3796$: परिमेय संख्या (क्योंकि इसका दशमलव प्रसार सांत है)
    (iv) $7.478478...$: परिमेय संख्या (क्योंकि इसका दशमलव प्रसार अनवसानी आवर्ती है)
    (v) $1.1010010001...$: अपरिमेय संख्या (क्योंकि इसका दशमलव प्रसार अनवसानी अनावर्ती है)

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. $3$ और $4$ के बीच छह परिमेय संख्याएँ ज्ञात कीजिए।

    $3$ और $4$ के बीच छह परिमेय संख्याएँ ज्ञात करने के लिए, हम उन्हें समान हर वाली भिन्न के रूप में लिख सकते हैं। $3 = 21/7$ और $4 = 28/7$. तो, इनके बीच की छह परिमेय संख्याएँ हैं: $22/7, 23/7, 24/7, 25/7, 26/7, 27/7$।

  2. निम्नलिखित के हरों का परिमेयकरण कीजिए: (i) $1/\sqrt{7}$ (ii) $1/(\sqrt{7} - \sqrt{6})$

    (i) $1/\sqrt{7} = (1 \times \sqrt{7}) / (\sqrt{7} \times \sqrt{7}) = \sqrt{7}/7$
    (ii) $1/(\sqrt{7} - \sqrt{6}) = (1 \times (\sqrt{7} + \sqrt{6})) / ((\sqrt{7} - \sqrt{6}) \times (\sqrt{7} + \sqrt{6}))$
    $ = (\sqrt{7} + \sqrt{6}) / ((\sqrt{7})^2 - (\sqrt{6})^2) = (\sqrt{7} + \sqrt{6}) / (7 - 6) = \sqrt{7} + \sqrt{6}$

  3. संख्या रेखा पर $\sqrt{5}$ को कैसे निरूपित करेंगे?

    $\sqrt{5}$ को संख्या रेखा पर निरूपित करने के लिए, हम पाइथागोरस प्रमेय का उपयोग करते हैं। संख्या रेखा पर 2 इकाई की दूरी पर एक बिंदु B लें। B पर 1 इकाई की लंबवत रेखा BC खींचें। फिर, मूल बिंदु (0) से C तक की दूरी $\sqrt{2^2 + 1^2} = \sqrt{5}$ होगी। परकार का उपयोग करके, मूल बिंदु को केंद्र मानकर और OC त्रिज्या लेकर संख्या रेखा पर एक चाप काटें। यह चाप जहाँ संख्या रेखा को काटता है, वही $\sqrt{5}$ का निरूपण है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100-150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. परिमेय और अपरिमेय संख्याओं में अंतर स्पष्ट कीजिए। प्रत्येक के दो उदाहरण दीजिए।

    परिमेय संख्याएँ वे संख्याएँ होती हैं जिन्हें $p/q$ के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ $p$ और $q$ पूर्णांक होते हैं और $q$ शून्य के बराबर नहीं होता। इनका दशमलव प्रसार या तो सांत होता है (जैसे $1/2 = 0.5$) या अनवसानी आवर्ती (जैसे $1/3 = 0.333...$)। ये संख्याएँ पूर्ण संख्याओं, पूर्णांकों और भिन्नों को अपने भीतर समाहित करती हैं।

    इसके विपरीत, अपरिमेय संख्याएँ वे संख्याएँ होती हैं जिन्हें $p/q$ के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता। इनका दशमलव प्रसार अनवसानी अनावर्ती होता है, अर्थात् दशमलव के बाद अंकों का कोई दोहराया जाने वाला पैटर्न नहीं होता और वे कभी समाप्त नहीं होते। उदाहरण के लिए, $\sqrt{2}$ (लगभग $1.41421356...$) और $\pi$ (लगभग $3.14159265...$) अपरिमेय संख्याएँ हैं। संक्षेप में, परिमेय संख्याएँ निश्चित या दोहराए जाने वाले दशमलव पैटर्न वाली होती हैं, जबकि अपरिमेय संख्याओं का कोई निश्चित पैटर्न नहीं होता और वे कभी समाप्त नहीं होतीं, जिससे उन्हें एक भिन्न के रूप में लिखना असंभव हो जाता है।

  2. घातांक के मुख्य नियम क्या हैं? किन्हीं दो नियमों को उदाहरण सहित समझाइए।

    घातांक के नियम वास्तविक संख्याओं पर संक्रियाओं को सरल बनाने में मदद करते हैं। कुछ मुख्य नियम इस प्रकार हैं: $a^m \cdot a^n = a^{m+n}$ (गुणा का नियम), $(a^m)^n = a^{mn}$ (घात की घात का नियम), $a^m / a^n = a^{m-n}$ (भाग का नियम), और $(ab)^m = a^m b^m$ (उत्पाद की घात का नियम)। ये नियम घातांकों वाली संख्याओं को संभालने के लिए एक सुसंगत ढाँचा प्रदान करते हैं।

    पहला नियम, $a^m \cdot a^n = a^{m+n}$, बताता है कि जब समान आधार वाली दो घातों को गुणा किया जाता है, तो उनके घातांक जुड़ जाते हैं। उदाहरण के लिए, यदि हमें $2^3 \cdot 2^2$ को सरल करना है, तो यह $2^{(3+2)} = 2^5 = 32$ होगा। दूसरा नियम, $(a^m)^n = a^{mn}$, दर्शाता है कि जब एक घात (power) की फिर से घात की जाती है, तो घातांक आपस में गुणा हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, $(3^2)^3 = 3^{(2 \times 3)} = 3^6 = 729$। ये नियम जटिल घातांक अभिव्यक्तियों को अधिक प्रबंधनीय रूपों में बदलने में सहायक होते हैं।

(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। दिखावट भिन्न हो सकती है।)