Chapter 7: मेरे बचपन के दिन

(महादेवी वर्मा)

पाठ का सार

'मेरे बचपन के दिन' महादेवी वर्मा द्वारा लिखित एक संस्मरण है, जिसमें उन्होंने अपने बचपन की यादों को साझा किया है। यह संस्मरण उनके इलाहाबाद में शिक्षा-दीक्षा और हॉस्टल के जीवन पर केंद्रित है। महादेवी जी बताती हैं कि उनके परिवार में लड़कियों के प्रति बहुत सम्मान था, और उनका जन्म ऐसे समय में हुआ था जब समाज में लड़कियों के जन्म को लेकर इतना उत्साह नहीं था। उनकी दादी और माँ ने उन्हें संस्कृत, हिंदी और उर्दू की शिक्षा दी, जिससे उनकी साहित्यिक रुचि विकसित हुई।

लेखिका हॉस्टल के जीवन का भी विस्तार से वर्णन करती हैं, जहाँ वे विभिन्न प्रांतों की लड़कियों के साथ रहती थीं। वहाँ सांप्रदायिक सद्भाव का अद्भुत वातावरण था। वे बताती हैं कि कैसे वे कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान के साथ मिलकर कविताएँ लिखती थीं और विभिन्न साहित्यिक गतिविधियों में भाग लेती थीं। उनकी कविताएँ 'स्त्री दर्पण' पत्रिका में छपती थीं, जिससे उन्हें और सुभद्रा जी को काफी प्रोत्साहन मिलता था। यह पाठ महादेवी वर्मा के बचपन की जीवंत झाँकी प्रस्तुत करता है, साथ ही उस समय के समाज में लड़कियों की शिक्षा, सांप्रदायिक सौहार्द और साहित्यिक वातावरण पर भी प्रकाश डालता है। यह दिखाता है कि कैसे एक प्रगतिशील पारिवारिक माहौल और अनुकूल शिक्षा प्रणाली ने महादेवी जैसी प्रतिभाओं को विकसित होने का अवसर दिया।

पुराने समय के स्कूल या हॉस्टल का दृश्य, बच्चे पढ़ाई करते हुए।

प्रश्न-अभ्यास

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

  1. महादेवी वर्मा के परिवार में लड़कियों के जन्म को लेकर क्या भावनाएँ थीं?

    महादेवी वर्मा के परिवार में लड़कियों के जन्म को लेकर अत्यंत सकारात्मक और विशेष भावनाएँ थीं। उनके परिवार में लगभग 200 वर्षों से कोई लड़की पैदा नहीं हुई थी, इसलिए जब महादेवी का जन्म हुआ तो पूरे परिवार में बहुत खुशी मनाई गई। उनकी दादी और माँ ने उन्हें बहुत लाड़-प्यार दिया और उनकी शिक्षा-दीक्षा पर विशेष ध्यान दिया। उनके परिवार ने लड़कियों की शिक्षा को हमेशा महत्व दिया।

  2. लेखिका की माँ ने उन्हें कौन-कौन सी शिक्षाएँ दीं, जिनसे उनके साहित्यिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा?

    लेखिका की माँ ने उन्हें संस्कृत, हिंदी और उर्दू की शिक्षा दी। उनकी माँ स्वयं भी धार्मिक प्रवृत्ति की थीं और मीराबाई के पद गाया करती थीं, जिससे महादेवी जी में भी कविता और साहित्य के प्रति रुचि जाग्रत हुई। माँ द्वारा दी गई ये शिक्षाएँ और साहित्यिक-धार्मिक वातावरण ने ही उनके साहित्यिक जीवन की नींव रखी।

  3. लेखिका ने हॉस्टल के जीवन का वर्णन किस प्रकार किया है? वहाँ का सांप्रदायिक सद्भाव कैसा था?

    लेखिका ने हॉस्टल के जीवन का बहुत ही जीवंत वर्णन किया है। वे बताती हैं कि वहाँ विभिन्न प्रांतों और धर्मों की लड़कियाँ एक साथ रहती थीं। उनके बीच किसी प्रकार का जातिगत या सांप्रदायिक भेदभाव नहीं था। सब मिल-जुलकर रहती थीं, अपने सुख-दुःख साझा करती थीं। वे एक-दूसरे के त्योहारों में शामिल होती थीं और एक-दूसरे की संस्कृति का सम्मान करती थीं। यह दर्शाता है कि हॉस्टल में सांप्रदायिक सद्भाव का अद्भुत और आदर्श वातावरण था।

  4. लेखिका और सुभद्रा कुमारी चौहान के बीच कैसा संबंध था?

    लेखिका और सुभद्रा कुमारी चौहान के बीच बहुत गहरा मैत्रीपूर्ण और साहित्यिक संबंध था। वे दोनों हॉस्टल में एक ही कमरे में रहती थीं और साथ-साथ कविताएँ लिखती थीं। सुभद्रा जी उनसे दो साल बड़ी थीं, लेकिन दोनों में एक दूसरे के प्रति बहुत स्नेह और सम्मान था। वे एक-दूसरे को प्रोत्साहित करती थीं और उनकी कविताएँ 'स्त्री दर्पण' पत्रिका में छपती थीं, जिससे उन्हें और करीब आने का अवसर मिला।

  5. इस संस्मरण में स्त्री शिक्षा के प्रति क्या दृष्टिकोण दिखाई देता है?

    इस संस्मरण में स्त्री शिक्षा के प्रति अत्यंत सकारात्मक और प्रगतिशील दृष्टिकोण दिखाई देता है। लेखिका के परिवार और विशेषकर उनकी माँ ने उनकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया, जो उस समय समाज में लड़कियों की शिक्षा के प्रति व्याप्त रूढ़िवादी सोच के विपरीत था। हॉस्टल का माहौल भी लड़कियों को शिक्षित करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने पर केंद्रित था। यह पाठ दिखाता है कि कैसे शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को समाज में सम्मानजनक स्थान मिल सकता है और वे अपनी प्रतिभा का विकास कर सकती हैं।

II. आशय स्पष्ट कीजिए:

  1. "न जाने क्यों, मेरे मन में एक अजीब-सी भावना थी कि मैं लड़की हूँ, तो मुझे बहुत कुछ करना होगा।"

    इस पंक्ति का आशय यह है कि महादेवी वर्मा को बचपन से ही यह अहसास था कि एक लड़की होने के नाते उन्हें समाज में अपनी पहचान बनाने और कुछ विशेष करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ेगी। यह भावना उस समय के समाज में लड़कियों की स्थिति और उनकी सीमित भूमिकाओं के प्रति उनकी संवेदनशीलता को दर्शाती है। यह उनके भीतर छिपी एक दृढ़ इच्छाशक्ति और अपने दम पर कुछ हासिल करने की आकांक्षा को भी व्यक्त करती है, जिसके कारण उन्होंने शिक्षा और लेखन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया।

(यह आपके ब्राउज़र के प्रिंट-टू-PDF फ़ंक्शन का उपयोग करता है। दिखावट भिन्न हो सकती है।)