Chapter 1: दो बैलों की कथा
(प्रेमचंद)
पाठ का सार
‘दो बैलों की कथा’ प्रेमचंद द्वारा लिखित एक मार्मिक कहानी है, जो पशुओं के प्रति मानवीय संवेदना को दर्शाती है। यह कहानी हीरा और मोती नामक दो बैलों की मित्रता, स्वामीभक्ति, स्वतंत्रता-प्रेम और मुसीबतों का मिलकर सामना करने की भावना को केंद्र में रखती है। झूरी काछी के ये दोनों बैल स्वभाव से बहुत सीधे और मेहनती थे, और झूरी उनसे बहुत प्यार करता था।
कहानी में दिखाया गया है कि कैसे झूरी की पत्नी का भाई गया, बैलों को अपने घर ले जाता है और उनसे क्रूर व्यवहार करता है। इस दौरान, वे अपनी स्वतंत्रता के लिए कई बार भागने की कोशिश करते हैं और उन्हें मार भी खानी पड़ती है। गया के घर पर उन्हें एक छोटी बच्ची मिलती है जो उनसे हमदर्दी रखती है और उन्हें खाना देती है। बैलों के जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ, जैसे काँजीहौस में कैद होना, और वहाँ से अन्य जानवरों को मुक्ति दिलाना, उनके संघर्ष और न्यायप्रिय स्वभाव को उजागर करता है। अंत में, कई बाधाओं को पार करके वे वापस झूरी के घर पहुँच जाते हैं, जहाँ उनका हार्दिक स्वागत होता है। यह कहानी हमें यह संदेश देती है कि स्वतंत्रता एक अनमोल अधिकार है और उसे पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, चाहे वह मनुष्य हो या पशु।
प्रश्न-अभ्यास
I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
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काँजीहौस में कैद पशुओं की हाज़िरी क्यों ली जाती होगी?
काँजीहौस में कैद पशुओं की हाज़िरी इसलिए ली जाती होगी ताकि पशुओं की संख्या का पता चल सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई जानवर भाग तो नहीं गया या मर तो नहीं गया। यह पशुओं की निगरानी और उनके मालिक तक पहुंचाने के लिए भी जरूरी था।
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छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया?
छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम इसलिए उमड़ आया क्योंकि वह भी अपनी सौतेली माँ के व्यवहार से दुखी थी। उसे लगा कि बैल भी उसकी तरह ही दुख झेल रहे हैं। दोनों में एक भावनात्मक रिश्ता बन गया था, और बच्ची बैलों को खाना देकर उनकी मदद करती थी।
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कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभरकर आए हैं?
कहानी में बैलों के माध्यम से कई नीति-विषयक मूल्य उभरकर आए हैं, जैसे:
- मित्रता और त्याग: हीरा और मोती की अटूट दोस्ती और एक-दूसरे के लिए त्याग।
- स्वतंत्रता-प्रेम: स्वतंत्रता की चाह और उसके लिए संघर्ष।
- स्वामीभक्ति: अपने मालिक झूरी के प्रति उनकी वफादारी।
- परिश्रम का महत्व: बैलों की मेहनत और ईमानदारी।
- पशु प्रेम: पशुओं के प्रति मानवीय संवेदना और प्रेम।
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गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया, फिर भी दोनों बैल मालिक के प्रति इतना प्रेम क्यों दिखाते थे?
गया के सूखा भूसा देने के बावजूद बैल झूरी के प्रति प्रेम इसलिए दिखाते थे क्योंकि वे अपने असली मालिक के प्यार और देखभाल को पहचानते थे। गया का व्यवहार कठोर और अमानवीय था, जबकि झूरी उन्हें प्रेम और उचित भोजन देता था। पशु भी प्रेम की भाषा समझते हैं और उसका महत्व जानते हैं।
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हीरा और मोती ने गया के घर से भागने का प्रयास क्यों किया?
हीरा और मोती ने गया के घर से भागने का प्रयास इसलिए किया क्योंकि गया उनके साथ क्रूर व्यवहार करता था, उन्हें मारता-पीटता था और खाने में सिर्फ सूखा भूसा देता था। वे झूरी के प्रेमपूर्ण वातावरण में रहना चाहते थे और अपनी स्वतंत्रता वापस पाना चाहते थे।
II. आशय स्पष्ट कीजिए:
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अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है।
इस पंक्ति का आशय यह है कि हीरा और मोती एक-दूसरे के मन की बात बिना कहे ही समझ लेते थे। उनमें एक गहरा मानसिक और भावनात्मक जुड़ाव था, जो मनुष्यों में अक्सर नहीं देखा जाता। लेखक कहना चाहता है कि मनुष्य खुद को सबसे श्रेष्ठ प्राणी मानता है, लेकिन पशुओं में कभी-कभी ऐसी सहज समझ और सहानुभूति होती है, जिससे मनुष्य वंचित है।
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उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती, पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया।
इस पंक्ति का आशय यह है कि गया की बेटी द्वारा दी गई एक रोटी बैलों की शारीरिक भूख मिटाने के लिए काफी नहीं थी, लेकिन उस बच्ची के प्रेम और सहानुभूति भरे व्यवहार ने उन्हें भावनात्मक संतुष्टि दी। उस एक रोटी में बच्ची का प्यार और अपनापन था, जिसने बैलों के मन को शांति और शक्ति दी, जिससे वे अपनी विपरीत परिस्थितियों का सामना कर सकें। यह प्रेम की शक्ति को दर्शाता है।
III. पाठ के आधार पर बताइए कि पशुओं को भी स्वतंत्रता की चाह होती है।
'दो बैलों की कथा' पाठ स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पशुओं को भी मनुष्य की भाँति स्वतंत्रता की चाह होती है। हीरा और मोती को जब झूरी से अलग करके गया के घर ले जाया जाता है, तो वे तुरंत वहाँ से भागने का प्रयास करते हैं, जो उनकी स्वतंत्रता के प्रति गहरी आकांक्षा को दिखाता है। गया द्वारा मार खाने और सूखा भूसा दिए जाने पर भी वे हिम्मत नहीं हारते और बार-बार भागने की कोशिश करते हैं। काँजीहौस में कैद होने पर, वे न केवल खुद को मुक्त करते हैं बल्कि वहाँ के अन्य पशुओं को भी आज़ादी दिलाने में मदद करते हैं। यह सिद्ध करता है कि पशु भी बंधन में रहना पसंद नहीं करते और मुक्ति के लिए संघर्ष करने को तैयार रहते हैं। उनकी यह प्रवृत्ति मनुष्य की स्वतंत्रता-प्रियता के समान ही है।
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