अध्याय 7: जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय

परिचय

मध्यकालीन भारत में बड़े राज्यों और साम्राज्यों के उदय के साथ-साथ, समाज में कई बदलाव आए। एक तरफ तो जाति-आधारित समाज था, तो दूसरी तरफ ऐसे समुदाय भी थे जो इन नियमों से बाहर थे। इस अध्याय में, हम भारत के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाली **जनजातियों** (Tribes), **खानाबदोश** (Nomads) और अन्य समुदायों के बारे में जानेंगे और समझेंगे कि कैसे वे एक-दूसरे से जुड़े हुए थे।

7.1 जनजातियाँ (Tribes)

जनजातीय समाज उन समुदायों से मिलकर बना था जो जाति-आधारित नियमों का पालन नहीं करते थे। वे अक्सर जंगलों, पहाड़ों, रेगिस्तानों और दुर्गम क्षेत्रों में रहते थे।

7.2 खानाबदोश और घुमंतू समुदाय (Nomads and Wandering Communities)

ये वे लोग थे जो एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहते थे। उनकी आजीविका पशुपालन और व्यापार पर निर्भर थी।

7.3 बदलते समाज: जातियाँ और श्रेणियाँ (Changing Society: Jatis and Categories)

जैसे-जैसे समाज का विकास हुआ, जाति-व्यवस्था में भी बदलाव आए। नए कौशल और व्यवसाय वाले लोग जातियों (Jatis) में संगठित होने लगे। **राजपूत** जैसे नए योद्धा समूहों का उदय हुआ, और कई जनजातियाँ भी धीरे-धीरे जाति-आधारित समाज का हिस्सा बन गईं।

7.4 गोंड (Gonds)

गोंड मध्य भारत में रहते थे, जिसे **गोंडवाना** कहा जाता है। वे कृषि और शिकार पर निर्भर थे।

7.5 अहोम (Ahoms)

अहोम लोग 13वीं शताब्दी में वर्तमान म्यांमार से आकर ब्रह्मपुत्र घाटी में बस गए थे।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. बंजारे कौन थे?

    बंजारे सबसे महत्वपूर्ण खानाबदोश व्यापारी थे जो अपने कारवाँ में सामान लेकर एक जगह से दूसरी जगह जाते थे।

  2. गोंड राज्य में 'चौरासी' क्या थी?

    गोंड राज्य में 'चौरासी' 84 गाँवों के समूह को कहते थे।

  3. अहोम समाज में 'पाइक' क्या थे?

    अहोम समाज में 'पाइक' वे लोग थे जिनसे राज्य के लिए जबरन श्रम करवाया जाता था।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. जनजातीय समाज और जाति-आधारित समाज के बीच क्या अंतर था?

    जनजातीय समाज जाति-व्यवस्था से बाहर था और बंधुत्व (kinship) के बंधनों से एकजुट होता था। इसके विपरीत, जाति-आधारित समाज में लोग वर्ण और जाति के नियमों से बँधे होते थे, जिसमें असमानता का भाव होता था।

  2. बंजारे खानाबदोश व्यापारी कैसे थे?

    बंजारे अपने टांडा नामक कारवाँ में यात्रा करते थे, जिसमें उनके परिवार और जानवर भी होते थे। वे अनाज, नमक और अन्य वस्तुएँ एक जगह से खरीदते और दूसरे जगह बेचते थे। वे इस तरह से बड़े राज्यों के लिए भी सामानों का परिवहन करते थे।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  • गोंडवाना के गोंड समाज और राज्य का वर्णन करें।

    गोंड समाज और राज्य की अपनी विशिष्ट संरचना थी। गोंड लोग मध्य भारत के गोंडवाना क्षेत्र में रहते थे। उनका समाज कई कुलों में विभाजित था। प्रत्येक कुल का अपना राजा होता था। गोंड राज्य में प्रशासनिक इकाई को **गढ़** कहा जाता था, और प्रत्येक गढ़ को 84 गाँवों के एक समूह में विभाजित किया गया था, जिसे **चौरासी** कहा जाता था। इन चौरासी गाँवों का भी एक मुखिया होता था।

    गोंडों का सबसे शक्तिशाली राज्य **गढ़ा कटंगा** था, जिसकी स्थापना गोंड राजा अमरदास ने की थी। यह राज्य अपनी समृद्धता के लिए प्रसिद्ध था। इस राज्य की एक बहादुर रानी, **रानी दुर्गावती** थीं, जिन्होंने अपने पुत्र की ओर से शासन किया। 1565 में मुगल सेना ने इस राज्य पर हमला किया और उसे हरा दिया, जिसके बाद यह राज्य कमजोर हो गया। गोंड समाज ने अपने पारंपरिक जीवनशैली और राजनीतिक व्यवस्था को लंबे समय तक बनाए रखा।

  • अहोम समाज की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।

    अहोम समाज 13वीं शताब्दी में ब्रह्मपुत्र घाटी में बसने वाले लोगों द्वारा स्थापित किया गया था। उनकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक उनकी संगठित सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था थी। अहोम राज्य में **पाइक** नामक एक प्रणाली थी, जिसमें लोगों को राज्य के लिए जबरन श्रम करना पड़ता था। यह श्रम व्यवस्था अहोम राज्य की सैन्य और निर्माण शक्ति का आधार थी। अहोम समाज कुलों या **खेलों** में विभाजित था, और एक खेल के कई गाँव हो सकते थे।

    अहोम लोग अपने पारंपरिक धर्म का पालन करते थे, लेकिन 17वीं शताब्दी में वे हिंदू धर्म को अपनाने लगे। अहोम राजाओं ने हिंदू धर्म को बढ़ावा दिया, लेकिन उन्होंने अपने पारंपरिक धार्मिक विश्वासों को पूरी तरह से नहीं छोड़ा। अहोम लोग कुशल सैनिक थे। वे बारूद और तोपों का प्रभावी ढंग से उपयोग करते थे। हालाँकि मुगलों ने 1662 में अहोम राज्य पर हमला करके उसे कुछ समय के लिए अपने अधीन कर लिया था, लेकिन अहोमों ने बाद में मुगलों को सफलतापूर्वक बाहर निकाल दिया।

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