अध्याय 5: शासक और इमारतें (Rulers and Buildings)
परिचय
मध्यकालीन शासकों ने अपने शासनकाल में कई भव्य और शानदार इमारतों का निर्माण करवाया। ये इमारतें न केवल उनकी शक्ति और धन-संपत्ति को दर्शाती थीं, बल्कि उनकी स्थापत्य कला की समझ और धार्मिक विश्वासों को भी उजागर करती थीं। इस अध्याय में, हम इन इमारतों के निर्माण, उनकी शैलियों और उनके पीछे के उद्देश्यों के बारे में जानेंगे।
5.1 इमारतों के प्रकार
मध्यकाल में शासकों और उनके अधिकारियों ने दो प्रकार की इमारतों का निर्माण करवाया:
- संरक्षित ढाँचे: ये वे इमारतें थीं जो राजाओं द्वारा अपनी शक्ति, धन और उपासना के प्रदर्शन के लिए बनाई गई थीं। इनमें मंदिर, मस्जिद, मकबरे और किले शामिल थे।
- सार्वजनिक गतिविधियाँ: ये इमारतें आम जनता के उपयोग के लिए थीं, जैसे सराय, बावड़ियाँ, और हमाम। इनका निर्माण शासक अपनी प्रजा की भलाई के लिए करवाते थे।
5.2 वास्तुकला की शैलियाँ
8वीं से 18वीं शताब्दी के बीच भारतीय वास्तुकला में कई नई शैलियों और तकनीकों का विकास हुआ।
- मेहराब और गुंबद: तुर्की शासकों के आगमन के साथ मेहराब और गुंबद बनाने की तकनीक भारत में लोकप्रिय हुई। यह छत, खिड़कियों और दरवाजों के ऊपर भार को समान रूप से वितरित करने का एक नया तरीका था।
- अनुप्रस्थ टोडा-निर्माण (Trabeate or Corbelled): यह वास्तुकला की एक शैली थी जिसमें दरवाजों और खिड़कियों के ऊपर एक क्षैतिज बीम रखकर छत बनाई जाती थी। यह शैली 8वीं से 13वीं शताब्दी तक काफी प्रचलित थी।
5.3 मंदिर, मस्जिद और मकबरे
मंदिर: शासकों ने मंदिरों का निर्माण अपने धार्मिक विश्वास और अपनी शक्ति को दिखाने के लिए किया। उदाहरण: राजराजेश्वर मंदिर (तंजावुर), जिसका निर्माण राजा राजराजदेव ने करवाया था। मंदिरों की मूर्तियों और धार्मिक प्रतीकों में भी शासकों के नाम और उनके राजनीतिक दावों का उल्लेख होता था।
मस्जिद: मस्जिदें भी शासकों की शक्ति और इस्लाम धर्म के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाती थीं। कुतुबमीनार के पास स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जिसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था।
मकबरे: मुगल शासकों ने मकबरों के निर्माण में विशेष रुचि ली। **हुमायूँ का मकबरा** इसका एक शानदार उदाहरण है, जिसे चारबाग शैली में बनाया गया था। **शाहजहाँ** के शासनकाल में वास्तुकला अपनी चरम सीमा पर पहुँची, जिसका सबसे उत्कृष्ट उदाहरण **ताजमहल** है। ताजमहल का निर्माण यमुना नदी के किनारे करवाया गया था, जिसमें सफेद संगमरमर और बहुमूल्य रत्नों का उपयोग किया गया था।
5.4 शासकों के उद्देश्य
इमारतों का निर्माण शासकों के लिए कई उद्देश्यों की पूर्ति करता था:
- शक्ति का प्रदर्शन: भव्य और विशाल इमारतों का निर्माण करके शासक अपनी शक्ति और धन-संपत्ति का प्रदर्शन करते थे।
- धार्मिक महत्व: मंदिर, मस्जिद और मकबरे उनके धार्मिक विश्वासों और देवी-देवताओं के प्रति उनकी भक्ति को दर्शाते थे।
- राजकीय सम्मान: शासक अपनी प्रजा को अपनी देखभाल और कल्याण की भावना दिखाने के लिए बावड़ियाँ और हमाम जैसे सार्वजनिक स्थानों का निर्माण करवाते थे, जिससे उन्हें सम्मान मिलता था।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण किसने करवाया था?
राजा राजराजदेव ने।
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हुमायूँ का मकबरा किस स्थापत्य शैली का उदाहरण है?
चारबाग शैली।
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कुतुबमीनार के पास स्थित मस्जिद का क्या नाम है?
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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मध्यकालीन शासकों ने अपनी इमारतों में मेहराब और गुंबद का उपयोग क्यों किया?
मेहराब और गुंबद का उपयोग भवनों में छत, खिड़कियों और दरवाजों के ऊपर भार को समान रूप से वितरित करने के लिए किया जाता था। इस तकनीक ने इमारतों को अधिक मजबूत और भव्य बना दिया।
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शासक मंदिर और मस्जिद जैसे संरक्षित ढाँचे क्यों बनवाते थे?
शासक इन इमारतों का निर्माण अपनी शक्ति, धन और धार्मिक निष्ठा को दर्शाने के लिए करते थे। ये इमारतें शासक के दैवीय अधिकार और शासन को भी दर्शाती थीं।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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शाहजहाँ के शासनकाल को वास्तुकला का स्वर्णिम युग क्यों कहा जाता है?
शाहजहाँ के शासनकाल को भारतीय वास्तुकला का स्वर्णिम युग माना जाता है। इस काल में, मुग़ल वास्तुकला ने अपनी चरम सीमा को छुआ। ताजमहल, जिसे उसने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था, इसका सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है। ताजमहल में सफेद संगमरमर, बहुमूल्य रत्नों और सममितीय डिजाइन का अभूतपूर्व उपयोग किया गया है।
इसके अतिरिक्त, शाहजहाँ ने दिल्ली में लाल किला, जामा मस्जिद और आगरा में मोती मस्जिद जैसी कई अन्य भव्य इमारतों का भी निर्माण करवाया। इन सभी इमारतों में जटिल नक्काशी, सुंदर मेहराब और गुंबद के साथ-साथ 'चारबाग' शैली का भी प्रभावी उपयोग किया गया। इन सभी कारणों से, उसके शासनकाल को वास्तुकला के विकास के लिए अद्वितीय माना जाता है।
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मध्यकालीन शासक अपनी इमारतों के माध्यम से अपनी शक्ति और धार्मिकता का प्रदर्शन कैसे करते थे?
मध्यकालीन शासक अपनी इमारतों के माध्यम से कई तरीकों से अपनी शक्ति और धार्मिकता का प्रदर्शन करते थे। मंदिर और मस्जिद जैसी धार्मिक इमारतों का निर्माण करके, वे यह दर्शाते थे कि वे ईश्वर के प्रतिनिधि हैं और उनका शासन ईश्वर द्वारा स्वीकृत है। इन इमारतों की भव्यता और विशालता उनकी धन-संपत्ति और सैन्य शक्ति का प्रतीक थी।
उदाहरण के लिए, राजराजेश्वर मंदिर अपनी विशालता के लिए जाना जाता है, जो राजा राजराजदेव की शक्ति और शासन की सीमा को दर्शाता है। इसी तरह, मस्जिदों के निर्माण से शासक इस्लाम धर्म के प्रति अपनी गहरी आस्था को दर्शाते थे और अपनी प्रजा के बीच अपनी वैधता स्थापित करते थे। इन इमारतों पर की गई जटिल नक्काशी और शिलालेखों के माध्यम से भी वे अपनी विजयों और उपलब्धियों का बखान करते थे, जिससे उनका प्रभुत्व और सम्मान बढ़ता था।
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