अध्याय 3: दिल्ली के सुल्तान (The Delhi Sultans)

परिचय

12वीं शताब्दी में दिल्ली पहली बार एक महत्वपूर्ण शहर के रूप में उभरी। यह पहले तोमर राजपूतों के अधीन एक व्यापारिक केंद्र था, लेकिन 13वीं शताब्दी की शुरुआत में दिल्ली सल्तनत की स्थापना के बाद यह एक विशाल साम्राज्य की राजधानी बन गया। इस अध्याय में, हम उन शासकों के बारे में जानेंगे जिन्होंने दिल्ली पर शासन किया और इसे एक शक्तिशाली केंद्र बनाया।

3.1 दिल्ली के शासक

दिल्ली पर शासन करने वाले प्रमुख राजवंश और उनके शासक इस प्रकार हैं:

3.2 इल्तुतमिश की पुत्री रजिया (1236-1240)

इल्तुतमिश ने अपनी पुत्री **रजिया** को अपना उत्तराधिकारी चुना था क्योंकि वह अपने पुत्रों से अधिक योग्य थी। वह दिल्ली सल्तनत की पहली और एकमात्र महिला शासक थी। हालांकि, उसे चार साल बाद सत्ता से हटा दिया गया क्योंकि दरबारी अमीर (nobles) एक महिला को शासक के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे।

3.3 सल्तनत का विस्तार

दिल्ली सल्तनत का विस्तार दो चरणों में हुआ:

3.4 प्रशासन और समेकन

सल्तनत को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई प्रशासनिक सुधार किए गए। **इल्तुतमिश** ने सैनिकों को वेतन के बदले भूमि दी जिसे **इक्ता** कहा गया। इन इक्ता के धारकों को **इक्तादार** कहते थे। इक्तादारों का काम अपनी इक्ता की रक्षा करना, राजस्व वसूलना और कानून-व्यवस्था बनाए रखना था।

अलाउद्दीन खिलजी ने एक बड़ी और स्थायी सेना बनाई। उसने सैनिकों को नकद वेतन देना शुरू किया और वस्तुओं की कीमतें नियंत्रित करने के लिए बाजार सुधार लागू किए, ताकि सैनिक कम वेतन में भी गुजारा कर सकें। **मुहम्मद तुगलक** ने भी कई सुधार किए, जैसे कि टोकन मुद्रा चलाना और राजधानी को दिल्ली से दौलताबाद स्थानांतरित करना, जो असफल रहे।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. दिल्ली सल्तनत की पहली महिला शासक कौन थी?

    दिल्ली सल्तनत की पहली महिला शासक **रजिया सुल्तान** थी।

  2. सल्तनत काल के दो प्रमुख वंशों के नाम लिखिए।

    सल्तनत काल के प्रमुख वंश थे: खिलजी वंश और तुगलक वंश।

  3. इक्ता क्या थी?

    इक्ता सैनिकों को वेतन के बदले दी गई भूमि थी, जिसका राजस्व इक्तादार वसूलते थे।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. अलाउद्दीन खिलजी के सैन्य और बाजार सुधारों का वर्णन करें।

    अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी सेना को नकद वेतन दिया। उसने बाजार में वस्तुओं की कीमतें नियंत्रित कीं ताकि सैनिक अपनी ज़रूरतों को पूरा कर सकें। उसने वस्तुओं की कीमतें तय करने और बेईमान व्यापारियों को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की।

  2. इल्तुतमिश की पुत्री रजिया को सुल्तान क्यों नहीं माना गया?

    रजिया सुल्तान एक योग्य शासक थी, लेकिन उस समय के दरबारी अमीर और रूढ़िवादी लोग एक महिला शासक को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे। वे रजिया के स्वतंत्र रूप से शासन करने से नाखुश थे, इसलिए उसे सत्ता से हटा दिया गया।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  • दिल्ली सल्तनत के प्रमुख राजवंशों और उनके शासकों का एक संक्षिप्त परिचय दें।

    दिल्ली सल्तनत में पाँच प्रमुख राजवंशों ने लगभग 320 वर्षों तक शासन किया। सबसे पहले **प्रारंभिक तुर्की शासक** थे, जिनकी शुरुआत कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 में की थी। इस वंश में इल्तुतमिश और उसकी बेटी रजिया सुल्तान जैसे महत्वपूर्ण शासक शामिल थे। इस काल के बाद, **खलजी वंश** (1290-1320) आया, जिसमें अलाउद्दीन खिलजी ने साम्राज्य का सबसे अधिक विस्तार किया और कई प्रशासनिक सुधार लागू किए।

    इसके बाद, **तुगलक वंश** (1320-1414) ने शासन किया, जिसमें गयासुद्दीन तुगलक, मुहम्मद तुगलक और फिरोजशाह तुगलक जैसे शासक हुए। मुहम्मद तुगलक के शासनकाल में सल्तनत का विस्तार अपनी चरम सीमा पर था। तुगलक वंश के बाद **सैयद वंश** (1414-1451) और अंत में **लोदी वंश** (1451-1526) आया। लोदी वंश के अंतिम शासक इब्राहिम लोदी को 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में हराकर बाबर ने मुगल साम्राज्य की स्थापना की, जिससे दिल्ली सल्तनत का अंत हो गया।

  • अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद तुगलक के प्रशासनिक और सैन्य सुधारों की तुलना करें।

    अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद तुगलक दोनों ने अपनी सल्तनत को मजबूत करने के लिए प्रशासनिक और सैन्य सुधार किए, लेकिन उनके परिणामों में काफी अंतर था। अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी सेना को मजबूत करने के लिए सैनिकों को नकद वेतन देना शुरू किया। इसके साथ ही, उसने व्यापारियों की बेईमानी रोकने और सैनिकों के लिए वस्तुओं की कीमतें कम रखने के लिए बाजार नियंत्रण प्रणाली लागू की, जो काफी सफल रही। उसके सुधारों का उद्देश्य मंगोल आक्रमण से निपटना और एक विशाल सेना को बनाए रखना था।

    दूसरी ओर, मुहम्मद तुगलक ने भी कई महत्वाकांक्षी सुधारों की योजना बनाई। उसने अपनी राजधानी को दिल्ली से दौलताबाद स्थानांतरित किया, लेकिन पानी की कमी के कारण यह योजना असफल रही। उसने सांकेतिक (टोकन) मुद्रा भी चलाई, लेकिन लोग नकली मुद्रा बनाने लगे, जिससे अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा। उसने दोआब क्षेत्र में कर भी बढ़ाया, जिससे जनता में विद्रोह हुआ। इन सुधारों का उद्देश्य साम्राज्य का विस्तार और मंगोलों का सामना करना था, लेकिन उनकी योजनाएँ अक्सर खराब कार्यान्वयन के कारण विफल रहीं।

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