अध्याय 1: हज़ार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल (Tracing Changes Through A Thousand Years)
परिचय
यह अध्याय हमें 700 ई. से 1750 ई. तक, यानी लगभग एक हजार वर्षों के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में हुए प्रमुख परिवर्तनों के बारे में बताता है। यह वह समय था जब बड़े राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तन हुए, जिन्होंने आधुनिक भारत की नींव रखी। हम देखेंगे कि कैसे इस काल में भाषा और अर्थ में परिवर्तन आए, नए समूहों का उदय हुआ, और धर्म में बदलाव हुए।
1.1 मानचित्र (Maps)
इतिहास के अध्ययन में मानचित्र बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि समय के साथ मानचित्रों की सटीकता और जानकारी भी बदलती रही है। 12वीं शताब्दी के अरब भूगोलवेत्ता **अल-इदरीसी** द्वारा बनाया गया मानचित्र और 18वीं शताब्दी के एक फ्रांसीसी कार्टोग्राफर द्वारा बनाए गए मानचित्र में बहुत अंतर है। अल-इदरीसी के मानचित्र में दक्षिण भारत उस जगह है जहाँ हम आज उत्तर भारत को देखते हैं। इससे पता चलता है कि समय के साथ भौगोलिक ज्ञान और मानचित्र बनाने की कला में कैसे सुधार हुआ।
1.2 नए और पुराने शब्द (New and Old Terminologies)
समय के साथ भाषाओं और शब्दों के अर्थ में भी परिवर्तन आता है। उदाहरण के लिए, **"हिंदुस्तान"** शब्द का उपयोग 13वीं शताब्दी में मिन्हाज-ए-सिराज द्वारा पंजाब, हरियाणा और गंगा-यमुना के बीच के इलाकों के लिए किया गया था। लेकिन 16वीं शताब्दी में बाबर ने इस शब्द का उपयोग भारतीय उपमहाद्वीप के भूगोल, जीव-जंतुओं और संस्कृति के लिए किया। आज, "हिंदुस्तान" शब्द का अर्थ भारत देश से है।
इसी तरह, **"विदेशी"** शब्द का अर्थ भी बदला। मध्यकाल में, यह शब्द किसी ऐसे व्यक्ति के लिए उपयोग होता था जो किसी गाँव या समाज का हिस्सा नहीं था। आज, इसका अर्थ एक ऐसे व्यक्ति से है जो भारतीय नहीं है।
1.3 सामाजिक और राजनीतिक समूह (Social and Political Groups)
इस काल में कई नए सामाजिक और राजनीतिक समूह उभरे।
- **राजपूत:** यह शब्द "राजपुत्र" से बना है, जिसका अर्थ है राजा का पुत्र। 8वीं से 14वीं शताब्दी के बीच, यह शब्द शासकों और सैनिकों के लिए उपयोग होता था।
- इस काल में **कृषि** का विस्तार हुआ, जिससे वनवासी धीरे-धीरे किसान बन गए। इससे समाज में आर्थिक और सामाजिक अंतर बढ़ने लगे।
- **जाति और उप-जाति** का भी उदय हुआ। इन जातियों को उनके पेशे के आधार पर वर्गीकृत किया गया था।
1.4 धर्म में परिवर्तन (Changes in Religion)
धर्म में भी बड़े बदलाव आए।
- **हिंदू धर्म:** इस काल में नए देवी-देवताओं की पूजा शुरू हुई, मंदिरों का निर्माण बढ़ा और **ब्राह्मणों** का महत्व बढ़ा, जो धार्मिक कर्मकांडों के ज्ञाता थे।
- **इस्लाम धर्म:** 7वीं शताब्दी में इस्लाम का आगमन हुआ। मध्यकाल में, यह धर्म शासकों के संरक्षण में फला-फूला। **कुरान शरीफ़** को एक पवित्र ग्रंथ माना जाता था।
1.5 इतिहास के स्रोत (Sources of History)
इतिहासकार इस काल का अध्ययन करने के लिए कई स्रोतों का उपयोग करते हैं, जैसे:
- सिक्के और अभिलेख
- वास्तुशिल्प (भवन निर्माण)
- लिखित सामग्री: इस काल में कागज सस्ता हो गया था, जिससे बड़ी मात्रा में धार्मिक ग्रंथ, शासकों के अभिलेख और संतों के पत्र लिखे गए।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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अल-इदरीसी कौन था?
वह एक अरब भूगोलवेत्ता था जिसने 12वीं शताब्दी में एक विश्व मानचित्र बनाया था।
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'जाति' किसे कहते हैं?
जाति एक सामाजिक समूह है जिसका वर्गीकरण उनके पेशे या व्यवसाय के आधार पर किया जाता था।
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मध्यकाल में 'विदेशी' शब्द का क्या अर्थ था?
मध्यकाल में, 'विदेशी' शब्द किसी ऐसे व्यक्ति के लिए उपयोग होता था जो किसी दिए गए गाँव या समाज का हिस्सा नहीं था।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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इस काल में 'हिंदुस्तान' शब्द के अर्थ में क्या परिवर्तन आया?
13वीं शताब्दी में मिन्हाज-ए-सिराज के लिए, 'हिंदुस्तान' का अर्थ पंजाब, हरियाणा और गंगा-यमुना के क्षेत्र से था। 16वीं शताब्दी में बाबर ने इसका उपयोग भारतीय उपमहाद्वीप के भूगोल और संस्कृति के लिए किया। आज यह भारत देश को दर्शाता है।
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इतिहासकार इस काल का अध्ययन करने के लिए किन स्रोतों का उपयोग करते हैं?
इतिहासकार मध्यकाल का अध्ययन करने के लिए सिक्कों, अभिलेखों, वास्तुकला और विशेष रूप से बड़ी मात्रा में उपलब्ध लिखित सामग्रियों का उपयोग करते हैं।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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700 से 1750 ई. के बीच हुए प्रमुख सामाजिक परिवर्तनों को समझाइए।
700 से 1750 ई. के बीच भारतीय समाज में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। इस काल में कृषि का बड़े पैमाने पर विस्तार हुआ, जिससे जंगल साफ किए गए और वनवासी धीरे-धीरे किसान बन गए। किसानों को एक जटिल समाज का हिस्सा बनाया गया और उन्हें कर चुकाने के लिए मजबूर किया गया। इससे समाज में आर्थिक और सामाजिक असमानताएँ बढ़ीं।
इस काल में जाति और उप-जातियों का उदय भी हुआ, जिन्हें उनके काम और पेशे के आधार पर वर्गीकृत किया गया था। जातियों की श्रेणियाँ निश्चित नहीं थीं और सत्ता, प्रभाव और संसाधनों के आधार पर बदलती रहती थीं। इन जातियों के अपने नियम और कानून होते थे, जिन्हें 'जाति पंचायत' द्वारा लागू किया जाता था। इस तरह, इस काल में समाज अधिक जटिल और श्रेणीबद्ध हो गया था।
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'राजपूत' शब्द का अर्थ मध्यकाल में कैसे बदला?
'राजपूत' शब्द, जो मूल रूप से संस्कृत के शब्द 'राजपुत्र' (राजा का पुत्र) से लिया गया है, का अर्थ मध्यकाल में काफी विस्तृत हो गया था। 8वीं से 14वीं शताब्दी के बीच, यह शब्द केवल शासकों के पुत्रों के लिए ही नहीं, बल्कि उन सभी योद्धाओं और सैनिकों के समूह के लिए उपयोग होने लगा था, जिन्होंने युद्ध में अपनी बहादुरी और साहस दिखाया था।
इस शब्द के अंतर्गत केवल शासक ही नहीं, बल्कि सेनापति, सामंत और अन्य सैनिक भी शामिल थे, जो सत्ता और सम्मान का प्रतीक बन गए थे। इस काल में, राजपूतों ने एक योद्धा वर्ग के रूप में अपनी पहचान स्थापित की और उनका प्रभाव पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैल गया। उनका नाम साहस, सम्मान और निष्ठा से जुड़ गया था।
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