अध्याय 3: हमारी बदलती पृथ्वी (Our Changing Earth)

परिचय

पृथ्वी का धरातल कभी स्थिर नहीं रहा है। यह लगातार बदलता रहता है। पृथ्वी के अंदर और बाहर, दोनों जगह होने वाले बल और प्रक्रियाएँ इन परिवर्तनों के लिए जिम्मेदार हैं। इस अध्याय में, हम इन बलों, उनके प्रभाव और विभिन्न भू-आकृतियों के निर्माण के बारे में जानेंगे।

3.1 स्थलमंडलीय प्लेटें (Lithospheric Plates)

पृथ्वी की पर्पटी (crust) अनेक बड़ी और कुछ छोटी कठोर, अनियमित आकार की प्लेटों में विभाजित है, जिन्हें **स्थलमंडलीय प्लेटें** कहा जाता है। ये प्लेटें हमेशा बहुत धीमी गति से घूमती रहती हैं, प्रति वर्ष कुछ मिलीमीटर। यह गति पृथ्वी के अंदर पिघले हुए मैग्मा की गति के कारण होती है।

3.2 पृथ्वी की गतियाँ (Earth's Movements)

पृथ्वी की गतियों को दो मुख्य बलों के आधार पर विभाजित किया गया है:

1. अंतर्जनित बल (Endogenic Forces)

ये बल पृथ्वी के आंतरिक भाग में उत्पन्न होते हैं। ये अचानक या धीमी गति से कार्य कर सकते हैं। [Image of tectonic plate movements]

2. बहिर्जनित बल (Exogenic Forces)

ये बल पृथ्वी की सतह पर कार्य करते हैं। ये अपरदन (Erosion) और निक्षेपण (Deposition) की प्रक्रियाओं के माध्यम से भू-आकृतियों का निर्माण करते हैं।

3.3 प्रमुख भू-आकृतियाँ (Major Landforms)

बहिर्जनित बलों के कारण विभिन्न प्रकार की भू-आकृतियाँ बनती हैं:

नदी द्वारा निर्मित भू-आकृतियाँ (Landforms by River)

समुद्री तरंगों द्वारा निर्मित भू-आकृतियाँ (Landforms by Sea Waves)

हिमनदी द्वारा निर्मित भू-आकृतियाँ (Landforms by Glaciers)

पवन द्वारा निर्मित भू-आकृतियाँ (Landforms by Wind)

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों में उत्तर दें।

  1. भूकंप का उद्गम केंद्र क्या होता है?

    वह स्थान जहाँ भूकंप का कंपन शुरू होता है।

  2. ज्वालामुखी में मैग्मा के निकलने के छिद्र को क्या कहते हैं?

    क्रेटर (Crater)।

  3. रेगिस्तान में पवन द्वारा निर्मित एक भू-आकृति का नाम बताइए।

    छत्रक शैल या बालू टिब्बा।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. स्थलमंडलीय प्लेटें क्या हैं?

    पृथ्वी की पर्पटी अनेक बड़ी और कुछ छोटी कठोर, अनियमित आकार की प्लेटों में विभाजित है, जिन्हें स्थलमंडलीय प्लेटें कहते हैं। ये प्लेटें पृथ्वी के अंदर पिघले हुए मैग्मा की गति के कारण धीमी गति से घूमती रहती हैं।

  2. भूकंप कैसे आता है?

    पृथ्वी के अंदर स्थलमंडलीय प्लेटों की गति के कारण पृथ्वी की सतह पर कंपन उत्पन्न होता है। ये कंपन पृथ्वी के चारों ओर यात्रा करते हैं, जिसके कारण सतह पर हलचल महसूस होती है, जिसे भूकंप कहते हैं।

  3. बाढ़ के मैदान का निर्माण कैसे होता है?

    जब नदी अपने किनारों से बाहर बहती है, तो आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है। बाढ़ के दौरान नदी अपने साथ लाई हुई महीन मिट्टी और अन्य पदार्थों का निक्षेपण करती है, जिससे उपजाऊ बाढ़ के मैदान का निर्माण होता है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  • अंतर्जनित और बहिर्जनित बलों में अंतर स्पष्ट करें।

    अंतर्जनित बल वे बल होते हैं जो पृथ्वी के आंतरिक भाग में उत्पन्न होते हैं। ये बल अचानक गति (जैसे भूकंप और ज्वालामुखी) या धीमी गति (जैसे पर्वत-निर्माण) से कार्य करते हैं। ये बल पृथ्वी की सतह पर असमानताओं का निर्माण करते हैं, जैसे कि पर्वतों और घाटियों का बनना।

    दूसरी ओर, बहिर्जनित बल वे बल होते हैं जो पृथ्वी की सतह पर कार्य करते हैं। ये मुख्य रूप से अपरदन और निक्षेपण की प्रक्रियाओं के माध्यम से कार्य करते हैं। नदी, पवन, समुद्री तरंगें और हिमनदी जैसे कारक इन बलों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये बल अपरदन के माध्यम से भू-आकृतियों को तोड़ते हैं और निक्षेपण के माध्यम से नई भू-आकृतियाँ (जैसे डेल्टा, पुलिन) बनाते हैं। इस प्रकार, ये बल पृथ्वी की सतह को समतल करने का काम करते हैं।

  • नदी द्वारा निर्मित प्रमुख भू-आकृतियों का वर्णन करें।

    नदी अपने ऊपरी, मध्य और निचले मार्गों में विभिन्न भू-आकृतियाँ बनाती है। अपने ऊपरी मार्ग में, नदी की गति तेज होती है, जिससे यह घाटी को गहरा करती है और जलप्रपात बनाती है। जब यह मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है, तो इसकी गति धीमी हो जाती है और यह बड़े-बड़े मोड़ लेकर बहने लगती है, जिन्हें **विसर्प** कहते हैं। समय के साथ, इन विसर्पों के लूप मुख्य नदी से कटकर अलग हो जाते हैं, जिससे **चापाकार झील** का निर्माण होता है।

    जब नदी बाढ़ लाती है, तो यह अपने किनारों पर महीन मिट्टी और अवसादों का निक्षेपण करती है, जिससे उपजाऊ **बाढ़ के मैदान** बनते हैं। नदी के किनारे पर जमा हुई ऊँची मिट्टी की पट्टी को **तटबंध** कहते हैं। अंत में, जब नदी समुद्र तक पहुँचती है, तो इसका बहाव बहुत धीमा हो जाता है। यह अनेक वितरिकाओं में बँट जाती है और अपने साथ लाए अवसादों का निक्षेपण करने लगती है। इस निक्षेपित क्षेत्र को ही **डेल्टा** कहते हैं।

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