अध्याय 1: पर्यावरण (Environment)
परिचय
पर्यावरण हमारे चारों ओर का वह सब कुछ है जो हमें प्रभावित करता है। इसमें जीवित और निर्जीव दोनों तरह के घटक शामिल हैं। यह पृथ्वी पर जीवन का आधार है। इस अध्याय में, हम पर्यावरण की परिभाषा, उसके विभिन्न घटकों, और कैसे मानव अपने पर्यावरण के साथ अंतःक्रिया करता है, के बारे में जानेंगे।
1.1 पर्यावरण के घटक (Components of Environment)
पर्यावरण के मुख्य रूप से तीन घटक होते हैं:
- प्राकृतिक पर्यावरण (Natural Environment): इसमें वे सभी चीजें शामिल हैं जो प्रकृति द्वारा हमें प्रदान की गई हैं। जैसे: भूमि (स्थलमंडल), जल (जलमंडल), वायु (वायुमंडल) और जीवित जीव (जैवमंडल)।
- मानव निर्मित पर्यावरण (Human-made Environment): ये वे चीजें हैं जिन्हें मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बनाया है। जैसे: इमारतें, पुल, सड़कें, कारखाने और स्मारक।
- मानव पर्यावरण (Human Environment): इसमें मनुष्य स्वयं और उसके द्वारा बनाए गए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंध शामिल हैं। जैसे: व्यक्ति, परिवार, समुदाय, धर्म, शिक्षा और आर्थिक गतिविधियाँ।
1.2 प्राकृतिक पर्यावरण
प्राकृतिक पर्यावरण को चार मुख्य मंडलों में विभाजित किया गया है:
- स्थलमंडल (Lithosphere): पृथ्वी की सबसे ऊपरी कठोर परत को स्थलमंडल कहते हैं। यह पहाड़ों, पठारों, मैदानों और घाटियों से मिलकर बना है।
- जलमंडल (Hydrosphere): जल के क्षेत्र को जलमंडल कहते हैं। इसमें महासागर, नदियाँ, झीलें और अन्य जल निकाय शामिल हैं।
- वायुमंडल (Atmosphere): पृथ्वी के चारों ओर फैली वायु की पतली परत को वायुमंडल कहते हैं। यह हमें हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाता है।
- जैवमंडल (Biosphere): यह स्थलमंडल, जलमंडल और वायुमंडल का वह संकरा क्षेत्र है जहाँ जीवन संभव है। इसमें सभी जीवित जीव शामिल हैं।
1.3 पारितंत्र (Ecosystem)
पारितंत्र एक ऐसा तंत्र है जिसमें किसी क्षेत्र के सभी जीवित जीव आपस में और अपने भौतिक पर्यावरण के अजैव घटकों (जैसे भूमि, जल और वायु) के साथ अंतःक्रिया करते हैं। ये सभी जीव एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं। उदाहरण: एक तालाब का पारितंत्र, जिसमें मछली, मेंढक, पौधे और पानी सभी एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। [Image of a pond ecosystem]
1.4 मानव पर्यावरण
मानव अपने पर्यावरण के साथ अंतःक्रिया करता है और उसमें अपनी आवश्यकताओं के अनुसार बदलाव करता है। प्राचीन मानव ने खुद को पर्यावरण के अनुकूल बनाया था, लेकिन आधुनिक मानव ने प्रौद्योगिकी के उपयोग से पर्यावरण को अपनी जरूरतों के हिसाब से बदल दिया है। पर्यावरण को संतुलित रखना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि सभी जीव-जंतु और मानव बिना किसी बाधा के जीवित रह सकें।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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पर्यावरण क्या है?
पर्यावरण हमारे चारों ओर का वह सब कुछ है जो किसी भी जीव को प्रभावित करता है।
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जलमंडल के दो उदाहरण दीजिए।
नदियाँ और झीलें।
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पारितंत्र किसे कहते हैं?
एक ऐसा तंत्र जिसमें सभी जीवित जीव आपस में और अपने पर्यावरण के साथ अंतःक्रिया करते हैं।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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प्राकृतिक पर्यावरण और मानव निर्मित पर्यावरण में क्या अंतर है?
प्राकृतिक पर्यावरण में वे चीजें शामिल हैं जो प्रकृति द्वारा बनी हैं (जैसे पहाड़, नदियाँ), जबकि मानव निर्मित पर्यावरण में वे चीजें हैं जिन्हें मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं के लिए बनाया है (जैसे इमारतें, सड़कें)।
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जैवमंडल क्या है?
जैवमंडल पृथ्वी का वह संकरा क्षेत्र है जहाँ भूमि, जल और वायु मिलकर जीवन को संभव बनाते हैं। इसमें सभी जीवित प्राणी और पौधे शामिल हैं।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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पर्यावरण के घटकों का वर्णन कीजिए।
पर्यावरण के मुख्य रूप से तीन घटक होते हैं: प्राकृतिक, मानव निर्मित और मानव। प्राकृतिक घटक में वे सभी चीजें आती हैं जो प्रकृति द्वारा बनी हैं, जैसे स्थलमंडल (भूमि), जलमंडल (जल), वायुमंडल (वायु) और जैवमंडल (जीवित जीव)। ये घटक एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक हैं।
मानव निर्मित घटक वे वस्तुएं हैं जिन्हें मनुष्य ने अपने रहने, काम करने और परिवहन के लिए बनाया है, जैसे इमारतें, पुल और सड़कें। ये प्राकृतिक पर्यावरण में बदलाव करके बनाए जाते हैं। मानव पर्यावरण में स्वयं मनुष्य और उसके परिवार, समुदाय, धर्म, और आर्थिक-राजनीतिक गतिविधियाँ शामिल हैं, जो एक सामाजिक संरचना बनाती हैं। ये सभी घटक मिलकर हमारे पर्यावरण को परिभाषित करते हैं।
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पारितंत्र कैसे कार्य करता है, उदाहरण सहित समझाइए।
पारितंत्र एक गतिशील तंत्र है जिसमें किसी क्षेत्र के सभी जीव-जंतु और पौधे आपस में और अपने भौतिक वातावरण के साथ लगातार अंतःक्रिया करते हैं। सभी जीव एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं और अपने अस्तित्व के लिए पर्यावरण से ऊर्जा और पोषक तत्व प्राप्त करते हैं। यह आपसी निर्भरता खाद्य शृंखला के रूप में दिखाई देती है, जहाँ एक जीव दूसरे जीव को भोजन के रूप में उपयोग करता है।
उदाहरण के लिए, एक वन पारितंत्र में पौधे सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके भोजन बनाते हैं। हिरण जैसे शाकाहारी जानवर इन पौधों को खाते हैं। फिर, बाघ जैसे मांसाहारी जानवर हिरण का शिकार करते हैं। जब ये जीव मर जाते हैं, तो सूक्ष्मजीव उन्हें विघटित करके मिट्टी को पोषक तत्व प्रदान करते हैं, जिसका उपयोग फिर से पौधे करते हैं। यह चक्र लगातार चलता रहता है, जिससे पारितंत्र संतुलित रहता है।
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