अध्याय 8: बाज़ार में एक कमीज़ (A Shirt in the Market)

परिचय

यह अध्याय एक कमीज़ के बाज़ार में बनने और बिकने की पूरी यात्रा को दर्शाता है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे एक छोटे किसान द्वारा उगाई गई कपास से लेकर एक विदेशी बाज़ार में बिकने वाली कमीज़ तक, अलग-अलग चरणों में कौन-कौन लोग शामिल होते हैं, और इस पूरी प्रक्रिया में किसे सबसे ज़्यादा फायदा होता है।

8.1 कपास उत्पादक

सबसे पहले कहानी शुरू होती है एक छोटे किसान से जो अपने खेत में कपास उगाता है।

8.2 इरोड का बाज़ार

इरोड, तमिलनाडु में कपड़ा व्यापारियों और बुनकरों का एक बड़ा बाज़ार है।

8.3 गारमेंट फैक्ट्री और निर्यातक

इरोड से कपड़ा गारमेंट फैक्ट्री में जाता है, जहाँ कमीज़ बनती हैं।

8.4 विदेशी बाज़ार में कमीज़

अंत में, कमीज़ एक विदेशी बाज़ार में बेची जाती है, जहाँ इसकी कीमत कई गुना बढ़ जाती है।

यह अध्याय दिखाता है कि **बाज़ार में हर जगह समानता नहीं है**। एक तरफ, धनी और शक्तिशाली लोग (व्यापारी और फैक्ट्री मालिक) हैं जो ज़्यादा मुनाफा कमाते हैं, और दूसरी तरफ, गरीब और कमजोर लोग (किसान और मज़दूर) हैं जिन्हें शोषण का शिकार होना पड़ता है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों में उत्तर दें।

  1. बाज़ार में कमीज़ की यात्रा कहाँ से शुरू होती है?

    कपास के खेत से।

  2. दादन व्यवस्था क्या है?

    एक ऐसी व्यवस्था जिसमें व्यापारी बुनकरों को कच्चा माल (सूत) देता है और उनसे तैयार कपड़ा लेता है।

  3. कपास की खेती करने वाले किसान को कम लाभ क्यों होता है?

    क्योंकि उसे व्यापारी से कर्ज लेना पड़ता है और उसे अपनी फसल उसी व्यापारी को कम कीमत पर बेचनी पड़ती है।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. इरोड के कपड़ा बाज़ार में व्यापारियों और बुनकरों के बीच क्या संबंध है?

    इरोड के बाज़ार में व्यापारी बुनकरों को सूत देते हैं और उनसे तैयार कपड़ा लेते हैं। बुनकर व्यापारी के ऑर्डर पर काम करते हैं और बदले में उन्हें बहुत कम मजदूरी मिलती है। इस व्यवस्था में बुनकर व्यापारी पर पूरी तरह निर्भर हो जाते हैं।

  2. एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करने वाले मज़दूरों की क्या चुनौतियाँ हैं?

    गारमेंट फैक्ट्री में काम करने वाले मज़दूरों को बहुत कम वेतन मिलता है और उनसे लंबे समय तक काम करवाया जाता है। वे अक्सर अस्थायी कर्मचारी होते हैं, जिससे उन्हें कोई सुरक्षा या लाभ नहीं मिलता।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  • बाज़ार में कमीज़ की यात्रा के दौरान सबसे ज़्यादा मुनाफा किसे होता है?

    बाज़ार में कमीज़ की पूरी यात्रा के दौरान सबसे ज्यादा मुनाफा विदेशी बाज़ार के व्यापारी और कमीज़ बनाने वाली गारमेंट फैक्ट्री के मालिक को होता है। किसान, बुनकर और मज़दूर को मिलने वाला पैसा बहुत कम होता है। उदाहरण के लिए, एक कमीज़ जो विदेशी बाज़ार में ₹2000 में बिकती है, उसकी लागत में किसान, बुनकर और मज़दूर का हिस्सा बहुत ही मामूली होता है।

    गारमेंट फैक्ट्री का मालिक कम मजदूरी और लंबे काम के घंटे देकर अपनी लागत को कम करता है। इसके बाद, विदेशी व्यापारी इसे कम कीमत पर खरीदता है और अपनी दुकान में कई गुना कीमत पर बेचता है। इस तरह, बाज़ार की यह श्रृंखला अमीर और शक्तिशाली लोगों को अधिक धन कमाने का अवसर देती है, जबकि गरीब और कमजोर लोग इस प्रक्रिया में लगातार शोषण का शिकार होते हैं।

  • बाज़ार में समानता क्यों नहीं है?

    बाज़ार में समानता न होने का मुख्य कारण यह है कि बाज़ार के नियमों को अक्सर धनी और शक्तिशाली लोग तय करते हैं। किसान, बुनकर और मज़दूर जैसे छोटे उत्पादक अक्सर व्यापारी और फैक्ट्री मालिकों पर निर्भर होते हैं। उन्हें अपनी जरूरतों के लिए कर्ज लेना पड़ता है और इस कर्ज के कारण वे अपनी फसल या सामान को कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

    बाज़ार में प्रतिस्पर्धा भी एक बड़ा कारण है, जिसके कारण निर्यातक कम कीमत पर काम करवाते हैं, जिसका सीधा असर मज़दूरों की मजदूरी पर पड़ता है। इस प्रकार, बाज़ार की श्रृंखला के एक सिरे पर धनवान लोग हैं जो भारी मुनाफा कमाते हैं, जबकि दूसरे सिरे पर गरीब और कमजोर लोग हैं जिन्हें अपनी मेहनत का सही दाम नहीं मिलता। यह असमानता बाज़ार के अन्यायपूर्ण होने का प्रमाण है।

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