अध्याय 9: मृदा (Soil)

परिचय

मृदा (मिट्टी) पृथ्वी की ऊपरी सतह की वह परत है जो जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पौधों को सहारा देती है, उन्हें जल और पोषक तत्व प्रदान करती है, और कई सूक्ष्मजीवों एवं जंतुओं का घर है। इस अध्याय में, हम मृदा के विभिन्न घटकों, उसके प्रकारों, गुणों और उसके संरक्षण के बारे में जानेंगे।

9.1 मृदा परिच्छेदिका (Soil Profile)

जब हम मृदा को काटते हैं, तो हमें उसकी विभिन्न परतें दिखाई देती हैं, जिन्हें संस्तर-स्थिति (horizons) कहते हैं। इन परतों के ऊर्ध्वाधर काट को **मृदा परिच्छेदिका (Soil Profile)** कहते हैं।

मृदा परिच्छेदिका का आरेख जिसमें विभिन्न परतें दिखाई गई हैं

9.2 मृदा के प्रकार

मृदा का वर्गीकरण उसमें मौजूद विभिन्न कणों के अनुपात के आधार पर किया जाता है। मृदा मुख्यतः तीन प्रकार की होती है:

9.3 मृदा के गुण

मृदा के कुछ महत्वपूर्ण गुण निम्नलिखित हैं:

9.4 मृदा अपरदन (Soil Erosion)

पवन, वर्षा, और बहते जल के कारण मृदा की ऊपरी परत का हटना **मृदा अपरदन** कहलाता है। मृदा अपरदन से मृदा की उर्वरता कम हो जाती है। इसे रोकने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. पौधों की वृद्धि के लिए सबसे अच्छी मृदा कौन-सी है?

    दुमटी मृदा।

  2. मृदा परिच्छेदिका की सबसे ऊपरी परत को क्या कहते हैं?

    A-संस्तर।

  3. किस प्रकार की मृदा में जल अंतःस्रवण दर सबसे अधिक होती है?

    बलुई मृदा।

  4. मृदा अपरदन के दो कारक बताइए।

    पवन और बहता जल।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. बलुई और मृण्मय मृदा में क्या अंतर है?

    बलुई मृदा में बड़े कणों का अनुपात अधिक होता है, जिससे इसकी जल धारण क्षमता कम होती है। वहीं, मृण्मय मृदा में महीन कण होते हैं, जिससे इसकी जल धारण क्षमता अधिक होती है।

  2. ह्यूमस क्या है और इसका क्या महत्व है?

    ह्यूमस मृदा में मौजूद सड़े-गले जैविक पदार्थ होते हैं। यह मृदा को उर्वर बनाता है और उसकी जल धारण क्षमता को बढ़ाता है, जिससे पौधों को पोषक तत्व आसानी से मिलते हैं।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  1. मृदा अपरदन को रोकने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

    मृदा अपरदन एक गंभीर समस्या है जो मृदा की ऊपरी उपजाऊ परत को हटा देती है। इसे रोकने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण उपाय है अधिक से अधिक पेड़ और पौधे लगाना, क्योंकि पौधों की जड़ें मृदा को मजबूती से पकड़कर रखती हैं और उसे बहने या उड़ने से रोकती हैं।

    इसके अलावा, खेतों में मेड़बंदी करना और सीढ़ीदार खेती (terrace farming) जैसे तरीकों को अपनाना भी मृदा अपरदन को कम करने में सहायक होता है। खुले मैदानों और बंजर भूमि पर घास लगाना भी एक प्रभावी तरीका है, क्योंकि घास की जड़ें मृदा को बांधे रखती हैं। इन उपायों से हम अपनी कीमती मृदा को बचा सकते हैं।

  2. आप मृदा के जल अंतःस्रवण दर का प्रयोग कैसे करेंगे?

    मृदा के जल अंतःस्रवण दर का प्रयोग करने के लिए, हमें एक खाली प्लास्टिक की बोतल, एक स्टॉपवॉच और मापने के लिए एक बर्तन चाहिए। सबसे पहले, बोतल को नीचे से काटकर, उसे जमीन में थोड़ा गाड़ दें। फिर, एक निश्चित मात्रा में पानी (जैसे 200 मिलीलीटर) बोतल में डालें और स्टॉपवॉच शुरू कर दें।

    जब सारा पानी जमीन में चला जाए, तो स्टॉपवॉच को रोक दें। अंतःस्रवण दर की गणना इस सूत्र से की जा सकती है: **अंतःस्रवण दर (मि.ली./मिनट) = जल की मात्रा (मि.ली.) / अंतःस्रवण में लगा समय (मिनट)**। इस प्रयोग से हम यह पता लगा सकते हैं कि विभिन्न प्रकार की मृदाएँ कितनी जल्दी पानी सोखती हैं।

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