अध्याय 8: पवन, तूफान और चक्रवात (Winds, Storms and Cyclones)
परिचय
पवन, तूफान और चक्रवात शक्तिशाली प्राकृतिक घटनाएं हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि हवा क्यों चलती है, या ये विनाशकारी तूफान कैसे बनते हैं? इस अध्याय में, हम इन घटनाओं के पीछे के वैज्ञानिक सिद्धांतों को समझेंगे। हम यह जानेंगे कि वायु दाब और पृथ्वी का असमान तापन कैसे पवन के प्रवाह का कारण बनते हैं, और इन प्राकृतिक आपदाओं से खुद को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है।
8.1 वायु दाब डालती है
आपने अनुभव किया होगा कि तेज हवा में साइकिल चलाना कठिन होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि **वायु (Air)** हमारे ऊपर और हमारे चारों ओर **दाब (Pressure)** डालती है। वायु द्वारा डाला गया यह दाब ही कई प्राकृतिक घटनाओं का मूल कारण है। जब वायु का वेग बढ़ता है, तो उसका दाब घट जाता है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्धांत है।
8.2 पवन प्रवाह के कारण
**पवन (Wind)** गतिशील वायु है। वायु हमेशा **उच्च दाब (High Pressure)** वाले क्षेत्र से **निम्न दाब (Low Pressure)** वाले क्षेत्र की ओर प्रवाहित होती है। दाब में जितना अधिक अंतर होता है, पवन का वेग उतना ही अधिक होता है। गर्म वायु ठंडी वायु की तुलना में हल्की होती है, इसलिए वह ऊपर उठती है और उस जगह का दाब कम हो जाता है। ठंडी वायु, जो भारी होती है, इस निम्न दाब वाले क्षेत्र की ओर प्रवाहित होती है, जिससे पवन का निर्माण होता है।
8.3 पृथ्वी का असमान तापन
पवन के प्रवाह का मुख्य कारण पृथ्वी का असमान तापन है:
- भूमध्य रेखा और ध्रुवों का तापन: भूमध्य रेखा के पास सूर्य का प्रकाश सीधे पड़ता है, जिससे वहाँ की हवा बहुत गर्म होकर ऊपर उठती है और निम्न दाब का क्षेत्र बनता है। ध्रुवों पर हवा ठंडी होने के कारण भारी होती है और उच्च दाब का क्षेत्र बनाती है। इस कारण, ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर पवन का प्रवाह होता है।
- स्थल और जल का तापन: गर्मी के मौसम में, स्थल समुद्र की तुलना में तेजी से गर्म होता है। स्थल के ऊपर की हवा गर्म होकर ऊपर उठती है, जिससे निम्न दाब बनता है। समुद्र के ऊपर की ठंडी हवा स्थल की ओर बहती है। इसी प्रकार, मानसून की हवाएँ भी बनती हैं।
8.4 तड़ित-झंझा और चक्रवात
तड़ित-झंझा (Thunderstorm): गर्म, नम हवा के तेजी से ऊपर उठने और संघनित होने से तड़ित-झंझा बनती है। इसमें तीव्र वायु धाराएँ और गरज के साथ बिजली चमकती है।
चक्रवात (Cyclone): एक तीव्र निम्न दाब प्रणाली होती है, जिसके चारों ओर बहुत तेजी से घूमती हुई हवाएँ होती हैं। इस मौसम प्रणाली में बादलों का निर्माण होता है। चक्रवात का केंद्र, जिसे **चक्रवात की आँख (Eye of the Cyclone)** कहते हैं, शांत और मेघ रहित होता है। [Image of a cyclone with its eye]
8.5 चक्रवात के विनाशकारी प्रभाव
चक्रवात बहुत विनाशकारी हो सकते हैं:
- तेज हवाएँ संचार, विद्युत लाइनों और घरों को नष्ट कर सकती हैं।
- भारी वर्षा से बाढ़ आ सकती है।
- समुद्र के पानी को तट की ओर धकेलने से समुद्र में तेज लहरें (storm surge) उठती हैं, जो तटीय क्षेत्रों में भारी तबाही मचाती हैं।
8.6 प्रभावी सुरक्षा उपाय
चक्रवात और तड़ित-झंझा से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं:
- मौसम विभाग द्वारा जारी की गई चेतावनियों को नजरअंदाज न करें।
- रेडियो, टीवी और समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी प्राप्त करते रहें।
- चक्रवात के दौरान खुले स्थान पर न जाएँ।
- अत्यधिक आवश्यकता होने पर ही घर से बाहर निकलें और सुरक्षित स्थानों पर जाएँ।
- सरकार और राहत एजेंसियों के निर्देशों का पालन करें।
- टेलीविजन, रेडियो और उपग्रहों जैसी तकनीकों का उपयोग करके चक्रवातों की भविष्यवाणी अब बहुत सटीक हो गई है, जिससे जान-माल की हानि को कम करने में मदद मिलती है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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पवन किसे कहते हैं?
पवन गतिशील वायु को कहते हैं।
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वायु किस क्षेत्र से किस क्षेत्र की ओर प्रवाहित होती है?
वायु हमेशा उच्च दाब वाले क्षेत्र से निम्न दाब वाले क्षेत्र की ओर प्रवाहित होती है।
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चक्रवात की आँख क्या होती है?
यह चक्रवात का शांत और मेघ रहित केंद्र होता है।
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चक्रवात का मुख्य कारण क्या है?
चक्रवात का मुख्य कारण वायु दाब में बहुत बड़ा अंतर है।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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तेज हवा से वायु दाब पर क्या प्रभाव पड़ता है?
जब हवा का वेग (speed) बढ़ता है, तो उसके कारण वायु दाब घट जाता है। इसी सिद्धांत पर हवाई जहाज के पंख और घरों की छतें उड़ने लगती हैं।
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तड़ित-झंझा कैसे बनती है?
गर्म, नम हवा के तेजी से ऊपर उठने और संघनित होने से तड़ित-झंझा बनती है। इसमें तीव्र वायु धाराएँ और गरज के साथ बिजली चमकती है।
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चक्रवात से बचाव के लिए दो उपाय बताइए।
चक्रवात से बचाव के लिए, हमें मौसम विभाग की चेतावनियों को गंभीरता से लेना चाहिए और सुरक्षित स्थानों पर आश्रय लेना चाहिए। इसके अलावा, हमें आवश्यक वस्तुओं को तैयार रखना चाहिए और अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
चक्रवात एक अत्यधिक तीव्र निम्न दाब प्रणाली होती है। इसके केंद्र में एक शांत और स्वच्छ क्षेत्र होता है जिसे **चक्रवात की आँख** कहा जाता है। यह लगभग 10 से 30 किलोमीटर चौड़ा होता है। आँख के चारों ओर, बादलों की एक मोटी पट्टी होती है, जो लगभग 150 किलोमीटर तक फैली हो सकती है, जिसमें हवा 150 से 250 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से घूमती है। इस क्षेत्र में मूसलाधार वर्षा होती है और तेज हवाएँ चलती हैं। आँख से जैसे-जैसे दूरी बढ़ती है, पवन का वेग धीरे-धीरे कम होता जाता है।
चक्रवातों के विनाशकारी प्रभाव बहुत गंभीर होते हैं। तेज हवाएँ मकानों, पुलों और संचार प्रणालियों को नष्ट कर देती हैं। भारी वर्षा से निचले इलाकों में बाढ़ आ जाती है। सबसे खतरनाक प्रभाव **तूफानी लहर (storm surge)** होता है, जिसमें चक्रवात के कारण समुद्र का पानी तट की ओर धकेला जाता है, जिससे तटीय क्षेत्रों में भारी तबाही होती है। यह समुद्र में जहाजों को डुबा सकती है और तटीय आबादी के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है।
पवन के प्रवाह का मुख्य कारण पृथ्वी पर हवा का असमान तापन है, जिससे अलग-अलग क्षेत्रों में वायु दाब में भिन्नता आती है। पृथ्वी के भूमध्य रेखा (equator) के पास सूर्य की किरणें सीधे पड़ती हैं, जिससे वहाँ की हवा बहुत गर्म हो जाती है। गर्म होने पर, हवा फैलती है और हल्की होकर ऊपर उठती है, जिससे उस क्षेत्र में एक निम्न दाब का क्षेत्र बन जाता है। ध्रुवों (poles) पर हवा बहुत ठंडी होती है, जिससे वह भारी होती है और एक उच्च दाब का क्षेत्र बनाती है। इस प्रकार, उच्च दाब वाले ध्रुवीय क्षेत्रों से निम्न दाब वाले भूमध्य रेखीय क्षेत्रों की ओर पवन का प्रवाह होता है।
इसी तरह, स्थल (जमीन) और जल के असमान तापन के कारण भी पवन का प्रवाह होता है। दिन में, स्थल जल की तुलना में तेजी से गर्म होता है। स्थल के ऊपर की हवा गर्म होकर ऊपर उठती है, जिससे निम्न दाब बनता है। समुद्र के ऊपर की ठंडी हवा स्थल की ओर बहने लगती है, जिसे समुद्र समीर कहते हैं। रात में, स्थल जल की तुलना में जल्दी ठंडा होता है। अब समुद्र के ऊपर की हवा गर्म होती है और ऊपर उठती है, और स्थल की ठंडी हवा समुद्र की ओर बहने लगती है, जिसे स्थल समीर कहते हैं। ये दोनों परिघटनाएं पवन के प्रवाह को जन्म देती हैं, जो बड़े पैमाने पर मौसम को प्रभावित करती हैं।
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