अध्याय 7: मौसम, जलवायु तथा जलवायु के अनुरूप जंतुओं द्वारा अनुकूलन
परिचय
हम हर दिन मौसम में बदलाव महसूस करते हैं। कभी धूप होती है, तो कभी बारिश आ जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि **मौसम** और **जलवायु** में क्या अंतर है? इस अध्याय में, हम इन दोनों अवधारणाओं को समझेंगे और यह भी जानेंगे कि जंतु (Animals) अपने आसपास की जलवायु के अनुसार खुद को कैसे ढालते हैं, जिसे **अनुकूलन (Adaptation)** कहते हैं।
7.1 मौसम (Weather)
**मौसम** किसी स्थान पर किसी विशेष समय, जैसे दिन-प्रतिदिन या घंटे-प्रतिघंटे, की वायुमंडलीय स्थिति है। मौसम के प्रमुख घटक (elements) तापमान, आर्द्रता (humidity), वर्षा, और पवन की गति हैं। मौसम बहुत तेजी से बदल सकता है।
उदाहरण: सुबह धूप खिली हो, और दोपहर में अचानक बारिश आ जाए। यह मौसम का बदलाव है।
7.2 जलवायु (Climate)
**जलवायु** किसी स्थान का लंबे समय (जैसे 25 वर्ष या उससे अधिक) का औसत मौसम पैटर्न होता है। जलवायु दिन-प्रतिदिन नहीं बदलती, यह एक स्थिर पैटर्न होती है। जलवायु को मौसम के आंकड़ों के आधार पर मापा जाता है।
- मौसम (Weather): यह कम समय के लिए होता है, जैसे दिन या सप्ताह।
- जलवायु (Climate): यह लंबे समय के लिए होता है, जैसे दशकों तक।
7.3 जलवायु के अनुरूप जंतुओं में अनुकूलन (Adaptations of Animals to Climate)
**अनुकूलन** का अर्थ है कि जंतुओं में ऐसे शारीरिक लक्षण या व्यवहारिक बदलाव विकसित हो जाते हैं जो उन्हें उनके विशेष वातावरण में जीवित रहने में मदद करते हैं। अलग-अलग जलवायु में रहने वाले जंतुओं में अलग-अलग अनुकूलन होते हैं।
ध्रुवीय क्षेत्रों में अनुकूलन
ध्रुवीय क्षेत्र बहुत ठंडे होते हैं, जहाँ साल भर बर्फ जमी रहती है। यहाँ रहने वाले जंतुओं में ठंड से बचने के लिए खास अनुकूलन होते हैं:
- ध्रुवीय भालू (Polar Bear): इनके शरीर पर बालों की दो मोटी परतें होती हैं और त्वचा के नीचे वसा (fat) की एक परत होती है जो इन्हें गर्म रखती है। इनका सफेद रंग बर्फ में छिपने (camouflage) में मदद करता है, और इनकी सूंघने की शक्ति बहुत तेज होती है।
- पेंग्विन (Penguin): ये भी ठंडे पानी में रहने के लिए अनुकूलित होते हैं। इनकी त्वचा मोटी होती है और इनके शरीर में वसा की एक परत होती है। ये झुंड में एक-दूसरे से सटकर रहते हैं ताकि गर्मी बनाए रख सकें। इनका शरीर सुव्यवस्थित (streamlined) होता है, जो इन्हें तैरने में मदद करता है।
उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में अनुकूलन
उष्णकटिबंधीय वर्षावन गर्म और आर्द्र (humid) जलवायु वाले होते हैं, जहाँ साल भर भारी वर्षा होती है। यहाँ जैव-विविधता बहुत अधिक होती है।
- हाथी (Elephant): इनकी सूंड (trunk) बहुत लंबी होती है, जिसका उपयोग सूंघने, भोजन उठाने और पानी पीने के लिए करते हैं। इनके बड़े कान शरीर की गर्मी को बाहर निकालकर इन्हें ठंडा रखने में मदद करते हैं।
- लाल-आँखों वाला मेंढक (Red-eyed Tree Frog): इनके पैरों पर चिपचिपे पैड होते हैं, जो इन्हें पेड़ों पर चढ़ने में मदद करते हैं।
- तुक्कां पक्षी (Toucan): इस पक्षी की लंबी और बड़ी चोंच होती है, जिससे यह उन फलों तक पहुँच पाता है जो कमजोर शाखाओं पर लगे होते हैं।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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मौसम और जलवायु में क्या अंतर है?
मौसम किसी स्थान की अल्पकालिक (short-term) वायुमंडलीय स्थिति है, जबकि जलवायु दीर्घकालिक (long-term) औसत मौसम पैटर्न है।
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ध्रुवीय भालू में ठंड से बचने के लिए कौन-से अनुकूलन होते हैं?
ध्रुवीय भालू के शरीर पर बालों की मोटी परत और त्वचा के नीचे वसा की परत होती है।
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पेंग्विन झुंड में क्यों रहते हैं?
पेंग्विन झुंड में एक-दूसरे से सटकर रहते हैं ताकि वे अपने शरीर की गर्मी बनाए रखकर ठंड से बच सकें।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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उष्णकटिबंधीय वर्षावन की जलवायु का वर्णन करें।
उष्णकटिबंधीय वर्षावन की जलवायु सामान्यतः गर्म और नम होती है। यहाँ का तापमान $15^\circ \text{C}$ से $40^\circ \text{C}$ के बीच रहता है, और पूरे वर्ष भारी वर्षा होती रहती है।
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हाथी के दो प्रमुख अनुकूलनों को समझाएँ।
हाथी की लंबी सूंड सूंघने के साथ-साथ भोजन को पकड़ने और पानी पीने में मदद करती है। इसके बड़े कान शरीर से गर्मी को बाहर निकालकर उसे ठंडा रखने में सहायक होते हैं।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
ध्रुवीय क्षेत्रों में अत्यधिक ठंड के कारण वहाँ के जंतुओं में खुद को बचाने के लिए कई विशेष अनुकूलन होते हैं। **ध्रुवीय भालू** इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उसके शरीर पर बालों की दो मोटी परतें होती हैं जो उसे ठंड से बचाती हैं। साथ ही, उसकी त्वचा के नीचे वसा की एक मोटी परत होती है जो इंसुलेटर (insulator) का काम करती है और शरीर की गर्मी को बाहर नहीं जाने देती। उसका सफेद रंग उसे बर्फ में छिपने में मदद करता है ताकि वह शिकार आसानी से कर सके।
एक और उदाहरण **पेंग्विन** का है। ये भी मोटी त्वचा और वसा की परत के कारण ठंड को सहन कर पाते हैं। पेंग्विन अक्सर एक साथ झुंड में रहते हैं, जिससे उनके शरीर की गर्मी एक-दूसरे को मिलती रहती है और वे अधिक ठंड से बच पाते हैं। उनका सुव्यवस्थित शरीर और जालयुक्त पैर उन्हें कुशल तैराक बनाते हैं। ये सभी अनुकूलन उन्हें अपने कठोर वातावरण में जीवित रहने में मदद करते हैं।
उष्णकटिबंधीय वर्षावन की गर्म और आर्द्र जलवायु में रहने वाले जंतुओं में भोजन और सुरक्षा के लिए कई अनुकूलन पाए जाते हैं। **तुक्कां पक्षी** एक अच्छा उदाहरण है। इस पक्षी के शरीर का वजन तो कम होता है, लेकिन इसकी चोंच बहुत लंबी और बड़ी होती है। यह चोंच उसे उन फलों तक पहुँचने में मदद करती है जो पेड़ की कमजोर शाखाओं पर लगे होते हैं और जो उसका वजन सहन नहीं कर सकतीं। यह अनुकूलन उसे अन्य जंतुओं से प्रतियोगिता में आगे रखता है।
दूसरा उदाहरण **लाल-आँखों वाला मेंढक** है। वर्षावन में ये मेंढक पेड़ों पर रहते हैं। इनके पैरों पर चिपचिपे पैड होते हैं जो उन्हें पेड़ों पर आसानी से चढ़ने में मदद करते हैं। इन पैडों के कारण वे चिकनी और नमी वाली सतहों पर भी मजबूती से पकड़ बना पाते हैं। इनके लाल रंग की आँखें इन्हें शिकारियों से बचाने में भी मदद करती हैं, क्योंकि जब वे अचानक अपनी आँखें खोलते हैं तो शिकारी चौंक जाते हैं।
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