अध्याय 5: अम्ल, क्षारक और लवण (Acids, Bases and Salts)
परिचय
हमारे दैनिक जीवन में हम बहुत से पदार्थों का उपयोग करते हैं, जैसे नींबू, इमली, साबुन और बेकिंग सोडा। इनमें से कुछ का स्वाद खट्टा होता है, कुछ कड़वा और कुछ का कोई खास स्वाद नहीं होता। इन पदार्थों के गुणों को हम **अम्ल (Acids)**, **क्षारक (Bases)** और **लवण (Salts)** नामक तीन श्रेणियों में बाँट सकते हैं। इस अध्याय में, हम इन पदार्थों के गुणों, उन्हें पहचानने के तरीकों और उनके बीच होने वाली अभिक्रियाओं के बारे में जानेंगे।
5.1 अम्ल और क्षारक क्या हैं?
अम्ल (Acids):
- अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं (जैसे नींबू, इमली)।
- ये नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं।
- उदाहरण: हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, सल्फ्यूरिक अम्ल, सिरका (एसिटिक अम्ल), नींबू (साइट्रिक अम्ल)।
क्षारक (Bases):
- क्षारक स्वाद में कड़वे होते हैं और छूने में साबुन जैसे चिकने लगते हैं।
- ये लाल लिटमस पत्र को नीला कर देते हैं।
- उदाहरण: सोडियम हाइड्रोक्साइड (साबुन), कैल्शियम हाइड्रोक्साइड (चूने का पानी), बेकिंग सोडा।
जो पदार्थ न तो अम्लीय होते हैं और न ही क्षारकीय, उन्हें **उदासीन (Neutral)** पदार्थ कहते हैं। जैसे: शुद्ध जल, नमक का घोल।
5.2 सूचक (Indicators)
किसी पदार्थ के अम्लीय या क्षारकीय होने का पता लगाने के लिए हम विशेष पदार्थों का उपयोग करते हैं जिन्हें **सूचक (Indicators)** कहते हैं। ये सूचक अम्लीय और क्षारकीय विलयनों में अपना रंग बदल देते हैं।
- लिटमस: यह सबसे सामान्य प्राकृतिक सूचक है। यह लाइकेन (lichen) से प्राप्त होता है। अम्लीय विलयन में इसका रंग लाल हो जाता है और क्षारकीय विलयन में नीला।
- हल्दी: यह एक और प्राकृतिक सूचक है। हल्दी का पीला रंग क्षारकीय विलयन में लाल हो जाता है, जबकि अम्लीय विलयन में कोई बदलाव नहीं होता।
- गुड़हल (जपापुष्प) का फूल: इसका रस भी एक सूचक का काम करता है। यह अम्लीय विलयन को गहरा गुलाबी (मैजेंटा) और क्षारकीय विलयन को हरा कर देता है।
5.3 उदासीनीकरण (Neutralisation)
जब एक अम्ल और एक क्षारक आपस में अभिक्रिया करते हैं, तो वे एक-दूसरे के प्रभाव को समाप्त कर देते हैं। इस अभिक्रिया को **उदासीनीकरण (Neutralisation)** कहते हैं। इस प्रक्रिया में **लवण (Salt)** और **जल (Water)** बनते हैं, और ऊष्मा (heat) उत्पन्न होती है।
अम्ल + क्षारक $\longrightarrow$ लवण + जल + ऊष्मा
उदाहरण: हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) और सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) की अभिक्रिया से सोडियम क्लोराइड (NaCl) और जल ($H_2O$) बनता है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
-
अम्ल स्वाद में कैसे होते हैं?
अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं।
-
क्षारक छूने में कैसे लगते हैं?
क्षारक छूने में साबुन जैसे चिकने लगते हैं।
-
उदासीनीकरण अभिक्रिया में बनने वाले दो उत्पाद क्या हैं?
लवण और जल।
-
लिटमस पत्र किस प्राकृतिक स्रोत से प्राप्त होता है?
लाइकेन (lichen)।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
-
आप हल्दी के एक टुकड़े का उपयोग करके किसी क्षारक की पहचान कैसे करेंगे?
हल्दी एक प्राकृतिक सूचक है। जब कोई क्षारक (जैसे साबुन का घोल) हल्दी के घोल या कागज पर डाला जाता है, तो उसका पीला रंग लाल हो जाता है, जिससे क्षारक की उपस्थिति का पता चलता है।
-
दैनिक जीवन में उदासीनीकरण का एक उपयोग बताइए।
उदासीनीकरण का उपयोग एंटासिड (antacids) दवाइयों में किया जाता है। जब पेट में अत्यधिक अम्ल बनता है, तो एंटासिड (जो क्षारकीय होता है) उसे उदासीन करके हमें राहत देता है।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
-
अम्ल और क्षारक में अंतर स्पष्ट कीजिए।
अम्ल और क्षारक में कई मुख्य अंतर होते हैं। अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं और नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं। उदाहरण के लिए, नींबू का रस और सिरका अम्लीय होते हैं। अम्ल उन पदार्थों में पाए जाते हैं जो हाइड्रोनियम आयन ($H_3O^+$) उत्पन्न करते हैं।
इसके विपरीत, क्षारक स्वाद में कड़वे होते हैं और छूने में साबुन जैसे चिकने लगते हैं। वे लाल लिटमस पत्र को नीला कर देते हैं। उदाहरण के लिए, साबुन और बेकिंग सोडा क्षारकीय होते हैं। क्षारक वे पदार्थ हैं जो जलीय घोल में हाइड्रॉक्साइड आयन ($OH^−$) उत्पन्न करते हैं। इन दोनों के गुणों के आधार पर ही हम पदार्थों का वर्गीकरण कर पाते हैं।
-
उदासीनीकरण अभिक्रिया क्या है? इसके महत्त्व को समझाइए।
उदासीनीकरण एक रासायनिक अभिक्रिया है जो अम्ल और क्षारक के बीच होती है। इस अभिक्रिया में, अम्ल और क्षारक एक-दूसरे के प्रभाव को समाप्त कर देते हैं और परिणामस्वरूप एक नया पदार्थ, जिसे लवण कहा जाता है, बनता है और साथ में जल और ऊष्मा भी उत्पन्न होती है। इस अभिक्रिया का समीकरण है: अम्ल + क्षारक $\longrightarrow$ लवण + जल।
उदासीनीकरण अभिक्रिया का हमारे दैनिक जीवन में बहुत महत्त्व है। उदाहरण के लिए, चींटी के डंक में फॉर्मिक अम्ल होता है, जिसके कारण दर्द और जलन होती है। इस दर्द को कम करने के लिए हम बेकिंग सोडा (क्षारक) रगड़ते हैं, जो अम्ल को उदासीन कर देता है। मिट्टी की अम्लता या क्षारकता को नियंत्रित करने के लिए भी उदासीनीकरण का उपयोग किया जाता है ताकि फसलें ठीक से उग सकें।
(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। दिखावट भिन्न हो सकती है।)