अध्याय 4: ऊष्मा (Heat)
परिचय
हम अपने दैनिक जीवन में कई तरह की वस्तुओं को छूते हैं। कुछ वस्तुएं गर्म महसूस होती हैं, और कुछ ठंडी। हम जानते हैं कि सूरज की ऊष्मा से हमें गर्मी मिलती है, और आग हमें गर्म करती है। लेकिन ऊष्मा वास्तव में क्या है? और हम इसे कैसे मापते हैं? इस अध्याय में, हम ऊष्मा और ताप के बारे में जानेंगे, यह कैसे एक जगह से दूसरी जगह जाती है, और इसका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।
4.1 ऊष्मा क्या है?
ऊष्मा (Heat) ऊर्जा का एक रूप है जो किसी वस्तु को गर्म महसूस कराती है। यह ऊर्जा हमेशा अधिक तापमान वाली वस्तु से कम तापमान वाली वस्तु की ओर प्रवाहित होती है। जब तक दोनों वस्तुओं का तापमान बराबर नहीं हो जाता, तब तक यह प्रवाह जारी रहता है।
4.2 ताप और उसका मापन
ताप (Temperature): किसी वस्तु की गर्माहट या ठंडक की माप को ताप कहते हैं। इसे मापने के लिए जिस यंत्र का उपयोग किया जाता है, उसे तापमापी (Thermometer) कहते हैं। ताप को डिग्री सेल्सियस ($^\circ$C) या फारेनहाइट ($^\circ$F) में मापा जाता है।
4.3 तापमापी के प्रकार
मुख्यतः दो प्रकार के तापमापी होते हैं:
- डॉक्टरी तापमापी (Clinical Thermometer): इसका उपयोग शरीर के ताप को मापने के लिए किया जाता है। इसका परिसर (range) $35^\circ$C से $42^\circ$C तक होता है।
- प्रयोगशाला तापमापी (Laboratory Thermometer): इसका उपयोग प्रयोगशाला में विभिन्न वस्तुओं का ताप मापने के लिए होता है। इसका परिसर आमतौर पर $-10^\circ$C से $110^\circ$C तक होता है।
डॉक्टरी तापमापी में एक किंक (kink) या विभंग होता है जो पारे को अपने आप नीचे गिरने से रोकता है, ताकि हम सही रीडिंग ले सकें।
4.4 ऊष्मा का स्थानांतरण
ऊष्मा का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की प्रक्रिया को ऊष्मा स्थानांतरण कहते हैं। इसकी तीन मुख्य विधियाँ हैं:
- चालन (Conduction): ऊष्मा स्थानांतरण की यह विधि ठोस पदार्थों में होती है। इसमें ऊष्मा गर्म सिरे से ठंडे सिरे की ओर जाती है, बिना कणों के अपनी जगह छोड़े।
- संवहन (Convection): यह विधि तरल और गैसों (द्रवों और गैसों) में होती है। इसमें गर्म कण हल्के होकर ऊपर की ओर उठते हैं और ठंडे कण उनका स्थान लेने के लिए नीचे आते हैं।
- विकिरण (Radiation): इस विधि में ऊष्मा के स्थानांतरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती। सूरज से पृथ्वी तक ऊष्मा इसी विधि से आती है।
4.5 ऊष्मा चालक और ऊष्मा रोधी
- ऊष्मा चालक (Conductors): वे पदार्थ जो अपने में से ऊष्मा को आसानी से गुजरने देते हैं। जैसे: लोहा, तांबा, एल्युमिनियम।
- ऊष्मा रोधी (Insulators): वे पदार्थ जो अपने में से ऊष्मा को आसानी से गुजरने नहीं देते। जैसे: प्लास्टिक, लकड़ी, वायु।
4.6 समुद्र समीर और स्थल समीर
यह संवहन का एक अच्छा उदाहरण है। दिन के समय, स्थल (जमीन) समुद्र के पानी की तुलना में जल्दी गर्म हो जाता है। गर्म स्थल के ऊपर की वायु गर्म होकर ऊपर उठती है, और समुद्र की ठंडी हवा उसका स्थान लेने के लिए स्थल की ओर चलती है, इसे **समुद्र समीर** कहते हैं। रात में, इसका उल्टा होता है। स्थल पानी की तुलना में जल्दी ठंडा होता है, इसलिए समुद्र के ऊपर की गर्म हवा ऊपर उठती है और स्थल की ठंडी हवा समुद्र की ओर चलती है, जिसे **स्थल समीर** कहते हैं।
4.7 सर्दियों और गर्मियों में पहने जाने वाले वस्त्र
गर्मियों में, हम हल्के रंग के सूती कपड़े पहनते हैं क्योंकि हल्के रंग ऊष्मा का परावर्तन करते हैं और हमें ठंडा रखते हैं। सर्दियों में, हम गहरे रंग के ऊनी कपड़े पहनते हैं क्योंकि गहरे रंग ऊष्मा का अधिक अवशोषण करते हैं और हमें गर्म रखते हैं। ऊनी कपड़ों में हवा फंसी रहती है, जो ऊष्मा रोधी का काम करती है और हमारे शरीर की ऊष्मा को बाहर जाने से रोकती है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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ताप को मापने के लिए किस यंत्र का उपयोग किया जाता है?
ताप को मापने के लिए तापमापी (thermometer) का उपयोग किया जाता है।
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ऊष्मा स्थानांतरण की तीन विधियों के नाम लिखिए।
चालन (conduction), संवहन (convection) और विकिरण (radiation)।
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डॉक्टरी तापमापी का परिसर (range) क्या होता है?
इसका परिसर $35^\circ$C से $42^\circ$C तक होता है।
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ऊष्मा चालक का एक उदाहरण दीजिए।
लोहा या तांबा।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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डॉक्टरी और प्रयोगशाला तापमापी में क्या अंतर है?
डॉक्टरी तापमापी का उपयोग मानव शरीर का ताप मापने के लिए होता है और इसका परिसर छोटा ($35^\circ$C से $42^\circ$C) होता है। प्रयोगशाला तापमापी का उपयोग प्रयोगशाला में होता है और इसका परिसर बड़ा (जैसे $-10^\circ$C से $110^\circ$C) होता है।
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संवहन (convection) क्या है? एक उदाहरण दीजिए।
संवहन ऊष्मा स्थानांतरण की वह विधि है जो द्रवों और गैसों में होती है। इसमें गर्म कण हल्के होकर ऊपर की ओर जाते हैं और ठंडे कण उनका स्थान लेते हैं। पानी को गर्म करना इसका एक अच्छा उदाहरण है।
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सर्दियों में हमें ऊनी कपड़े क्यों पहनना चाहिए?
ऊनी कपड़े ऊष्मा रोधी होते हैं और उनके रेशों के बीच हवा फंसी होती है। यह हवा ऊष्मा रोधी का काम करती है और हमारे शरीर की ऊष्मा को ठंडे वातावरण में जाने से रोकती है, जिससे हमें गर्मी महसूस होती है।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
ऊष्मा का स्थानांतरण तीन अलग-अलग तरीकों से हो सकता है। **चालन (Conduction)** वह विधि है जो मुख्य रूप से ठोस पदार्थों में होती है। इसमें ऊष्मा एक कण से दूसरे कण तक स्थानांतरित होती है, लेकिन कण अपनी जगह नहीं छोड़ते। उदाहरण के लिए, जब हम किसी धातु की छड़ के एक सिरे को गर्म करते हैं, तो छड़ का दूसरा सिरा भी धीरे-धीरे गर्म हो जाता है। यह ऊष्मा का चालन है।
**संवहन (Convection)** की विधि द्रवों और गैसों में होती है। इसमें पदार्थ के कण स्वयं गति करते हैं। जब किसी तरल या गैस को गर्म किया जाता है, तो गर्म हिस्सा हल्का होकर ऊपर उठता है और ठंडा, भारी हिस्सा उसका स्थान लेने के लिए नीचे आता है। यह प्रक्रिया एक संवहन धारा बनाती है। पानी को बर्तन में गर्म करना संवहन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
**विकिरण (Radiation)** ऊष्मा के स्थानांतरण की वह विधि है जिसके लिए किसी भी माध्यम (ठोस, तरल या गैस) की आवश्यकता नहीं होती। यह ऊष्मा विद्युत-चुंबकीय तरंगों के रूप में स्थानांतरित होती है। सूरज से पृथ्वी तक ऊष्मा विकिरण द्वारा ही पहुँचती है। जब हम आग के सामने बैठते हैं, तो भी हमें विकिरण के कारण ही गर्मी महसूस होती है, क्योंकि हमारे और आग के बीच की हवा गर्म नहीं होती।
स्थल समीर और समुद्र समीर की परिघटनाएं संवहन के सिद्धांत पर आधारित हैं। **समुद्र समीर** दिन के समय चलती है। दिन में सूरज की रोशनी से स्थल (जमीन) का तापमान समुद्र के पानी की तुलना में बहुत जल्दी बढ़ जाता है। स्थल के ऊपर की हवा गर्म होकर फैलती है और हल्की होकर ऊपर उठ जाती है। इससे स्थल पर वायु का दाब कम हो जाता है। समुद्र के ऊपर की हवा ठंडी होने के कारण भारी होती है और अधिक दाब बनाती है। दाब में इस अंतर के कारण, समुद्र की ठंडी हवा स्थल की ओर बहने लगती है, जिसे समुद्र समीर कहते हैं।
रात में, स्थिति विपरीत हो जाती है और **स्थल समीर** चलती है। रात में, स्थल समुद्र के पानी की तुलना में बहुत तेजी से ठंडा हो जाता है। इसलिए, अब समुद्र का पानी स्थल की तुलना में अधिक गर्म होता है। गर्म समुद्र के ऊपर की हवा ऊपर उठती है, और स्थल की ठंडी हवा समुद्र की ओर बहने लगती है। इस ठंडी हवा के प्रवाह को स्थल समीर कहते हैं। यह वायुमंडल में ऊष्मा के संतुलन को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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