अध्याय 18: अपशिष्ट जल की कहानी (Wastewater Story)

परिचय

हम अपने घरों, स्कूलों और कारखानों में पानी का उपयोग करते हैं और फिर उसे नाले में बहा देते हैं। यह पानी अब पहले जैसा साफ नहीं रहता। इस उपयोग किए गए पानी को ही **अपशिष्ट जल** कहते हैं। इसका सही तरीके से निपटान करना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि यह हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए। इस अध्याय में, हम अपशिष्ट जल की कहानी और इसके उपचार की प्रक्रिया को समझेंगे।

18.1 अपशिष्ट जल क्या है?

अपशिष्ट जल (Wastewater) घरों, उद्योगों, अस्पतालों, कार्यालयों और अन्य उपयोगों के बाद बह जाने वाला जल है। इसमें वर्षा जल भी शामिल हो सकता है जो सड़कों और छतों से बहकर आता है। यह प्रायः गंदा होता है और इसमें कई अशुद्धियाँ मिली होती हैं।

18.2 सीवेज और सीवेज तंत्र

अपशिष्ट जल को आमतौर पर **सीवेज (Sewage)** भी कहा जाता है। यह जल, निलंबित ठोस पदार्थों, तेल, ग्रीस, और अन्य दूषित पदार्थों का एक जटिल मिश्रण है।

घरों और अन्य इमारतों से निकलने वाले अपशिष्ट जल को ले जाने वाले पाइपों के जाल को **सीवर (Sewer)** कहते हैं। इन सीवरों का एक नेटवर्क मिलकर **सीवेज तंत्र (Sewerage System)** बनाता है, जो अपशिष्ट जल को जल उपचार संयंत्र (WTP) तक पहुँचाता है।

18.3 जल उपचार संयंत्र (WTP)

**जल उपचार संयंत्र (Wastewater Treatment Plant)** वह जगह है जहाँ अपशिष्ट जल को पर्यावरण में छोड़ने से पहले साफ किया जाता है। इस प्रक्रिया में दूषित पदार्थों को हटाकर जल को अपेक्षाकृत सुरक्षित बनाया जाता है।

18.4 अपशिष्ट जल उपचार की प्रक्रिया

अपशिष्ट जल को साफ करने की प्रक्रिया में कई चरण शामिल होते हैं:

  1. भौतिक प्रक्रिया (Physical Process): सबसे पहले, अपशिष्ट जल को बड़े-बड़े स्क्रीन से गुजारा जाता है ताकि बड़े ठोस पदार्थ, जैसे कपड़े, प्लास्टिक, डंडे आदि हटाए जा सकें। फिर, इसे रेत और बजरी हटाने के लिए धीमी गति से टैंकों में प्रवाहित किया जाता है।
  2. जैविक प्रक्रिया (Biological Process): इसके बाद, पानी को एक बड़े टैंक में डाला जाता है जहाँ हवा को पंप करके डाला जाता है। इससे जीवाणु (bacteria) तेजी से बढ़ते हैं, जो अपशिष्ट जल में मौजूद जैविक दूषित पदार्थों को खा जाते हैं। इस प्रक्रिया से गाद (sludge) बनती है, जिसे टैंक के तल पर जमा होने दिया जाता है।
  3. रासायनिक प्रक्रिया (Chemical Process): गाद को एक अलग टैंक में ले जाकर उसे अपघटित किया जाता है। इस अपघटन से **बायोगैस** बनती है, जिसका उपयोग ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जा सकता है। साफ किए गए पानी को क्लोरीन जैसे रसायनों से उपचारित किया जाता है ताकि उसमें मौजूद रोगाणु मर जाएं।
अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र का चित्र

18.5 स्वच्छता और रोग

खराब स्वच्छता और अपशिष्ट जल का उचित निपटान न होने से कई गंभीर बीमारियाँ फैल सकती हैं। प्रदूषित पानी में हैजा (cholera), टाइफाइड, पीलिया (jaundice) और पेचिश (dysentery) जैसे रोगों के रोगाणु होते हैं। इसीलिए, हमें हमेशा स्वच्छ जल का उपयोग करना चाहिए और अपशिष्ट जल को सही तरीके से निपटाने की व्यवस्था करनी चाहिए।

18.6 मल-निपटान की वैकल्पिक व्यवस्थाएं

जहाँ सीवेज तंत्र उपलब्ध नहीं है, वहाँ मल-निपटान के लिए कुछ वैकल्पिक व्यवस्थाएं अपनाई जाती हैं:

18.7 एक सक्रिय नागरिक की भूमिका

अपशिष्ट जल को कम करने और उसे प्रदूषित होने से बचाने में हम सभी का योगदान महत्वपूर्ण है। हमें नालियों में तेल, खाना पकाने का तेल या किसी भी तरह के ठोस कचरे को नहीं फेंकना चाहिए। ऐसा करने से सीवर पाइप बंद हो सकते हैं और उपचार प्रक्रिया में बाधा आ सकती है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. अपशिष्ट जल किसे कहते हैं?

    अपशिष्ट जल घरों, उद्योगों और अन्य उपयोगों के बाद बहने वाला जल है जिसमें अशुद्धियाँ मिली होती हैं।

  2. गाद (sludge) का उपयोग कहाँ होता है?

    गाद का उपयोग बायोगैस बनाने और खाद के रूप में होता है।

  3. जल उपचार संयंत्र (WTP) में होने वाली एक प्रक्रिया का नाम बताइए।

    भौतिक प्रक्रिया, जिसमें बड़े ठोस पदार्थों को हटाया जाता है।

  4. अस्वच्छता से फैलने वाले दो रोगों के नाम लिखिए।

    हैजा और टाइफाइड।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. सीवेज क्या है? इसके मुख्य घटक क्या हैं?

    सीवेज अपशिष्ट जल है जिसमें घरेलू, औद्योगिक और व्यावसायिक अपशिष्ट शामिल होता है। इसके मुख्य घटकों में जल, ठोस अपशिष्ट, निलंबित कार्बनिक पदार्थ, तेल और रोगाणु शामिल होते हैं।

  2. जल उपचार संयंत्र में होने वाली जैविक प्रक्रिया को संक्षेप में समझाइए।

    जैविक प्रक्रिया में, अपशिष्ट जल में हवा को पंप किया जाता है। इससे जीवाणु बढ़ते हैं जो जल में मौजूद जैविक अपशिष्टों को खा जाते हैं। इस प्रक्रिया से गाद (sludge) बनती है और पानी साफ हो जाता है।

  3. एक सक्रिय नागरिक के रूप में हम अपशिष्ट जल प्रदूषण को कैसे कम कर सकते हैं?

    एक सक्रिय नागरिक के रूप में हमें नालियों में तेल, ग्रीस, चाय पत्ती या ठोस कचरा नहीं फेंकना चाहिए। ऐसा करने से सीवर जाम हो सकते हैं और अपशिष्ट जल उपचार में बाधा आ सकती है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  • एक जल उपचार संयंत्र (WTP) में अपशिष्ट जल के उपचार की प्रक्रिया को विस्तार से समझाइए।

    जल उपचार संयंत्र में अपशिष्ट जल का उपचार कई चरणों में होता है। सबसे पहले, **भौतिक उपचार** होता है, जिसमें अपशिष्ट जल को एक बड़े स्क्रीन से गुजारा जाता है ताकि प्लास्टिक की बोतलें, कपड़े और बड़े ठोस पदार्थ अलग हो जाएँ। इसके बाद, पानी को एक टैंक में धीमी गति से बहने दिया जाता है ताकि रेत, बजरी और कंकड़ तल पर बैठ जाएँ। इस प्रक्रिया के बाद, जल को बड़े सेटलिंग टैंक में डाला जाता है जहाँ पानी में मौजूद ठोस पदार्थ (गाद) तल पर बैठ जाते हैं, और पानी को अलग कर लिया जाता है।

    इसके बाद **जैविक उपचार** का चरण आता है। पानी को एक टैंक में डाला जाता है जहाँ लगातार हवा पंप की जाती है। इस हवा की मदद से, कुछ विशेष प्रकार के जीवाणु (bacteria) तेजी से बढ़ते हैं जो पानी में बचे हुए जैविक पदार्थों को खाकर उसे साफ करते हैं। इस प्रक्रिया में जैविक गाद बनती है, जिसे फिर से तल पर बैठने दिया जाता है। इस गाद को बाद में एक डाइजेस्टर टैंक में अपघटित किया जाता है जिससे बायोगैस बनती है। अंत में, साफ किए गए पानी को कीटाणुरहित करने के लिए क्लोरीन या ओजोन जैसे रसायनों से उपचारित किया जाता है और फिर नदियों या अन्य जलस्रोतों में छोड़ दिया जाता है।

  • स्वच्छता और रोगों के बीच संबंध को स्पष्ट करते हुए, मल-निपटान की वैकल्पिक व्यवस्थाओं का वर्णन कीजिए।

    स्वच्छता और हमारे स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है। खराब स्वच्छता, विशेष रूप से खुले में शौच और अपशिष्ट जल का अनुचित निपटान, कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। जब अपशिष्ट जल या सीवेज का सही तरीके से उपचार नहीं होता है, तो उसमें मौजूद रोगाणु और जीवाणु पीने के पानी को दूषित कर सकते हैं। इस प्रदूषित पानी का सेवन करने से हैजा, टाइफाइड, पीलिया और पेचिश जैसे जल-जनित रोग फैल सकते हैं। इसलिए, एक स्वस्थ समाज के लिए उचित स्वच्छता और मल-निपटान की व्यवस्था होना अत्यंत आवश्यक है।

    जहाँ पर सीवेज तंत्र (sewerage system) उपलब्ध नहीं है, वहाँ मल-निपटान के लिए कुछ वैकल्पिक व्यवस्थाएं बहुत उपयोगी हैं। **सेप्टिक टैंक** एक ऐसी व्यवस्था है जो कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में कारगर है। इसमें मल को एक भूमिगत टैंक में जमा किया जाता है जहाँ बैक्टीरिया इसे अपघटित करते हैं। दूसरी विधि में, **कम्पोस्टिंग शौचालय** मानव मल को जैविक खाद में बदल देते हैं। एक और अभिनव तरीका **केंचुआ आधारित शौचालय** है, जिसमें केंचुए मानव मल को कंपोस्ट में परिवर्तित कर देते हैं। इन वैकल्पिक तरीकों का उपयोग करके हम स्वच्छता बनाए रख सकते हैं और जल-जनित रोगों को फैलने से रोक सकते हैं।

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