अध्याय 16: जल: एक बहुमूल्य संसाधन (Water: A Precious Resource)

परिचय

जल पृथ्वी पर जीवन का आधार है। हमारे शरीर के लगभग 70% हिस्से में जल होता है, और यह सभी जीवित प्राणियों के लिए अत्यंत आवश्यक है। हालांकि पृथ्वी की सतह का दो-तिहाई हिस्सा पानी से ढका है, फिर भी हमारे पास उपयोग के लिए बहुत कम, सीमित मात्रा में ही स्वच्छ जल उपलब्ध है। इस अध्याय में, हम जल के विभिन्न रूपों, इसके महत्वपूर्ण स्रोतों, जल की कमी के कारणों और इसे बचाने के तरीकों के बारे में जानेंगे।

16.1 जल की उपलब्धता

पृथ्वी पर जल की विशाल मात्रा होने के बावजूद, इसका लगभग 97% भाग महासागरों और समुद्रों में खारे पानी के रूप में है जो पीने के लिए अनुपयुक्त है। बचा हुआ लगभग 3% मीठा जल (freshwater) है, जिसका अधिकांश भाग (लगभग 2%) ध्रुवीय बर्फ की चोटियों और ग्लेशियरों में जमा है। इस प्रकार, हमारे पास वास्तव में केवल **1% से भी कम** स्वच्छ जल पीने, कृषि और उद्योगों के लिए उपलब्ध है।

16.2 जल के रूप और जल चक्र

जल प्रकृति में तीन रूपों में मौजूद है: **ठोस (Solid)** जैसे बर्फ और हिम, **तरल (Liquid)** जैसे नदियों, झीलों और महासागरों का जल, और **गैस (Gas)** जैसे जलवाष्प। ये तीनों रूप लगातार एक-दूसरे में बदलते रहते हैं, जिससे प्रकृति में जल का संतुलन बना रहता है। यह प्रक्रिया **जल चक्र (Water Cycle)** कहलाती है, जिसमें वाष्पीकरण, संघनन और वर्षा शामिल हैं।

16.3 भौमजल: एक महत्वपूर्ण स्रोत

वर्षा का कुछ जल मिट्टी द्वारा अवशोषित होकर जमीन के नीचे चला जाता है। इसी जल को **भौमजल (Groundwater)** कहते हैं। जिस स्तर पर जमीन के नीचे चट्टानों के बीच जल जमा होता है, उसे **जलस्तर (Water Table)** कहते हैं। कुएं, हैंडपंप और ट्यूबवेल भौमजल का उपयोग करने के प्रमुख साधन हैं।

पिछले कुछ दशकों में, जलस्तर में तेजी से गिरावट आई है। इसके मुख्य कारण हैं:

भौमजल और जलस्तर का चित्र

16.4 जल का वितरण

दुनिया भर में और यहाँ तक कि भारत के भीतर भी, जल का वितरण बहुत असमान है। कुछ क्षेत्रों में भरपूर वर्षा होती है, जबकि कुछ क्षेत्र सूखे और अकाल का सामना करते हैं। यह असमान वितरण जल प्रबंधन को और भी महत्वपूर्ण बना देता है।

16.5 जल प्रबंधन और संरक्षण

जल को बर्बाद होने से बचाना और उसका बुद्धिमानी से उपयोग करना **जल संरक्षण (Water Conservation)** कहलाता है। इसके कुछ प्रभावी तरीके हैं:

16.6 जल की कमी के कारण

जल की कमी एक वैश्विक समस्या है। इसके प्रमुख कारण हैं: बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण, कृषि में जल का अत्यधिक उपयोग, और प्रदूषण। इन सभी कारकों के कारण मांग बढ़ रही है और उपलब्ध जल की गुणवत्ता घट रही है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. जल के तीन रूप कौन-कौन से हैं?

    जल के तीन रूप ठोस (बर्फ), तरल (जल) और गैस (जलवाष्प) हैं।

  2. भौमजल क्या है?

    भौमजल वह जल है जो जमीन के नीचे चट्टानों के बीच जमा होता है।

  3. जलस्तर क्या होता है?

    जलस्तर वह सतह है जिसके नीचे जमीन में जल पाया जाता है।

  4. जल संरक्षण के दो तरीके बताइए।

    वर्षा जल संचयन और ड्रिप सिंचाई।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. जल चक्र को संक्षेप में समझाइए।

    जल चक्र वह प्रक्रिया है जिसमें सूर्य की गर्मी से जल वाष्पित होकर जलवाष्प बनता है। यह जलवाष्प ऊपर जाकर संघनित होकर बादल बनाता है, और फिर वर्षा के रूप में वापस पृथ्वी पर आ जाता है।

  2. वर्षा जल संचयन क्या है? इसके क्या फायदे हैं?

    वर्षा जल संचयन वह तकनीक है जिसमें वर्षा के पानी को इकट्ठा करके बाद में उपयोग किया जाता है। इसके फायदे हैं कि यह जलस्तर को बढ़ाने में मदद करता है और पानी की कमी को दूर करता है।

  3. जलस्तर क्यों नीचे जा रहा है?

    जलस्तर के नीचे जाने के मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या के कारण पानी की मांग में वृद्धि, कृषि में अत्यधिक जल का उपयोग और वनों की कटाई के कारण वर्षा जल के अवशोषण में कमी है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  • 'जल: एक बहुमूल्य संसाधन' इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए। जल संरक्षण के महत्व को स्पष्ट कीजिए।

    जल को एक बहुमूल्य संसाधन कहा जाता है क्योंकि यह पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए अनिवार्य है। मानव, पौधों और जानवरों के सभी जैविक क्रियाकलापों के लिए जल आवश्यक है। कृषि, उद्योग, और घरेलू उपयोगों में इसकी बहुत बड़ी भूमिका है। हालांकि पृथ्वी पर जल की मात्रा बहुत अधिक है, लेकिन पीने योग्य और उपयोग के लिए उपलब्ध स्वच्छ जल की मात्रा बहुत कम है। इस सीमित उपलब्धता और बढ़ती मांग के कारण ही जल एक अत्यंत बहुमूल्य संसाधन बन गया है। जल का अभाव न केवल पीने के पानी की कमी का कारण बनता है बल्कि यह खाद्य उत्पादन, उद्योग और पर्यावरण पर भी गंभीर प्रभाव डालता है।

    इसलिए, **जल संरक्षण** अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका अर्थ है जल का सावधानीपूर्वक और बुद्धिमानी से उपयोग करना ताकि भविष्य के लिए इसकी उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। जल संरक्षण के माध्यम से हम जलस्तर को घटने से रोक सकते हैं, पानी की बर्बादी कम कर सकते हैं और पर्यावरण को बचा सकते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी स्वच्छ जल उपलब्ध रहे। जल संरक्षण केवल सरकार का काम नहीं है, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह अपने दैनिक जीवन में पानी बचाए।

  • ड्रिप सिंचाई और वर्षा जल संचयन जैसी विधियाँ जल संरक्षण में कैसे सहायक हैं? विस्तार से समझाइए।

    ड्रिप सिंचाई और वर्षा जल संचयन दोनों ही जल संरक्षण की महत्वपूर्ण और प्रभावी विधियाँ हैं। **ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation)** एक आधुनिक कृषि तकनीक है जिसमें पानी को बूंद-बूंद करके सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है। इस प्रणाली में पाइपों और नलियों का एक जाल होता है जो पानी को सीधे पौधे तक ले जाता है। इस विधि से पानी की बर्बादी बहुत कम होती है क्योंकि वाष्पीकरण और अपवाह (runoff) के कारण होने वाले नुकसान को न्यूनतम किया जाता है। यह उन क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जहाँ पानी की कमी होती है, क्योंकि यह कम पानी में अधिक उपज देने में मदद करता है।

    दूसरी ओर, **वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting)** एक विधि है जिसमें वर्षा के पानी को इकट्ठा करके उसका भविष्य में उपयोग किया जाता है। यह पानी छतों से इकट्ठा करके टैंकों में या सीधे जमीन के नीचे बने रिचार्ज पिट में डाला जा सकता है। यह विधि जलस्तर को बढ़ाने में मदद करती है, क्योंकि वर्षा का पानी सीधे भूमि में चला जाता है। इसका उपयोग बागवानी, सफाई और कुछ मामलों में पीने के लिए भी किया जा सकता है। ये दोनों विधियाँ पानी के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देती हैं और पानी के सीमित संसाधनों पर दबाव को कम करती हैं, जिससे जल संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान मिलता है।

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