अध्याय 12: पादप में जनन (Reproduction in Plants)

परिचय

संसार के सभी जीव, चाहे वह पौधे हों या जंतु, अपनी प्रजाति को बनाए रखने के लिए जनन करते हैं। जनन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक जीव अपने ही जैसे नए जीव को जन्म देता है। पौधों में जनन दो मुख्य तरीकों से होता है: अलैंगिक जनन और लैंगिक जनन। इस अध्याय में हम पौधों में जनन के इन विभिन्न तरीकों और उनसे संबंधित प्रक्रियाओं का अध्ययन करेंगे।

12.1 जनन क्या है?

जनन (Reproduction) एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें एक जीव अपने समान एक नया जीव उत्पन्न करता है। पौधों में, यह नए पौधों को जन्म देने की प्रक्रिया है। जनन प्रजातियों की निरंतरता के लिए आवश्यक है।

12.2 अलैंगिक जनन

अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction) जनन की वह विधि है जिसमें केवल एक ही जनक (parent) द्वारा नए पादप उत्पन्न होते हैं। इस विधि से उत्पन्न पादप अपने जनक के समान होते हैं। अलैंगिक जनन की कुछ प्रमुख विधियाँ हैं:

पादप में अलैंगिक जनन की विधियाँ

12.3 लैंगिक जनन

लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) वह जनन है जिसमें नर और मादा युग्मकों (gametes) के संलयन (fusion) से एक नया पौधा बनता है। फूल पौधों के जनन अंग होते हैं।

12.4 परागण और निषेचन

परागण (Pollination): परागकणों का परागकोष से निकलकर वर्तिकाग्र तक पहुंचने की प्रक्रिया को परागण कहते हैं। यह हवा, पानी या जानवरों (जैसे कीट) द्वारा हो सकता है।

निषेचन (Fertilization): परागकणों में मौजूद नर युग्मक का अंडाशय में मौजूद मादा युग्मक से संलयन होने की प्रक्रिया निषेचन कहलाती है। निषेचन के बाद, युग्मनज (zygote) बनता है।

12.5 फल और बीज का निर्माण

निषेचन के बाद, अंडाशय फल में विकसित हो जाता है और बीजांड बीज में। फल बीज को सुरक्षा प्रदान करते हैं। बीज के अंदर भ्रूण होता है जो अनुकूल परिस्थितियों में एक नए पौधे में विकसित हो सकता है।

12.6 बीज प्रकीर्णन

बीज प्रकीर्णन (Seed Dispersal): बीजों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर फैलना बीज प्रकीर्णन कहलाता है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है ताकि नए पौधे एक ही जगह पर न उगें और उन्हें सूर्य का प्रकाश, पानी और पोषक तत्वों के लिए प्रतिस्पर्धा न करनी पड़े। बीज प्रकीर्णन की मुख्य विधियाँ हैं:

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।

  1. जनन क्या होता है?

    जनन वह प्रक्रिया है जिसमें एक जीव अपने समान एक नया जीव उत्पन्न करता है।

  2. अलैंगिक जनन की एक विधि का नाम लिखिए।

    कायिक प्रवर्धन (vegetative propagation)।

  3. परागण किसे कहते हैं?

    परागकणों का परागकोष से वर्तिकाग्र तक पहुँचने की प्रक्रिया को परागण कहते हैं।

  4. पुंकेसर और स्त्रीकेसर में क्या अंतर है?

    पुंकेसर पुष्प का नर जनन अंग है, जबकि स्त्रीकेसर मादा जनन अंग है।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।

  1. कायिक प्रवर्धन (vegetative propagation) क्या है? एक उदाहरण दीजिए।

    यह अलैंगिक जनन की वह विधि है जिसमें पौधे के कायिक भाग (जड़, तना या पत्ती) से नया पौधा विकसित होता है। गुलाब की कलम लगाना या आलू की आँख से नया पौधा उगाना इसके उदाहरण हैं।

  2. अलैंगिक और लैंगिक जनन में क्या अंतर है?

    अलैंगिक जनन में केवल एक ही जनक से नया पौधा उत्पन्न होता है और वह जनक के समान होता है। लैंगिक जनन में नर और मादा युग्मकों के संलयन से नया पौधा बनता है और वह दोनों जनकों के गुणों को दर्शाता है।

  3. बीज प्रकीर्णन क्यों महत्वपूर्ण है?

    बीज प्रकीर्णन महत्वपूर्ण है ताकि पौधे दूर-दूर तक फैल सकें। इससे उन्हें एक ही जगह पर पोषक तत्वों, पानी और धूप के लिए प्रतिस्पर्धा नहीं करनी पड़ती और प्रजाति का फैलाव होता है।

III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।

  • पुष्प में होने वाली लैंगिक जनन की प्रक्रिया को परागण से लेकर बीज बनने तक विस्तार से समझाइए।

    पुष्प में लैंगिक जनन की प्रक्रिया परागण (Pollination) से शुरू होती है, जहाँ नर जनन अंग (पुंकेसर) से परागकण मादा जनन अंग (स्त्रीकेसर) के वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं। यह क्रिया हवा, पानी, या कीटों जैसे माध्यमों द्वारा संपन्न होती है। जब परागकण वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं, तो वे अंकुरित होते हैं और एक पराग नलिका बनाते हैं जो वर्तिका से होते हुए अंडाशय तक पहुँचती है।

    पराग नलिका के माध्यम से नर युग्मक अंडाशय में मौजूद मादा युग्मक से संलयन (फ्यूजन) करता है। इस प्रक्रिया को निषेचन (Fertilization) कहते हैं। निषेचन के बाद, युग्मक मिलकर युग्मनज (zygote) बनाते हैं। यह युग्मनज विभाजित होकर भ्रूण (embryo) बनाता है। इसके बाद, अंडाशय परिपक्व होकर फल में बदल जाता है और उसके अंदर मौजूद बीजांड कठोर होकर बीज बन जाते हैं। इस प्रकार, लैंगिक जनन के परिणामस्वरूप फल और बीज बनते हैं, जो नए पौधों को जन्म देने की क्षमता रखते हैं।

  • बीज प्रकीर्णन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।

    बीज प्रकीर्णन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा बीज मूल पौधे से दूर-दूर तक फैलते हैं। यह पौधों के अस्तित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बीज प्रकीर्णन के कई तरीके हैं। **पवन द्वारा प्रकीर्णन** उन बीजों में होता है जो बहुत हल्के होते हैं और जिन पर पंख या बाल जैसी संरचनाएं होती हैं। जैसे: सहजन और कपास के बीज। ये हवा में आसानी से उड़ जाते हैं।

    **जल द्वारा प्रकीर्णन** उन पौधों में होता है जो पानी के पास उगते हैं। नारियल का फल रेशेदार होता है, जिससे वह पानी पर तैरता है और एक जगह से दूसरी जगह पहुँच जाता है। **जंतुओं द्वारा प्रकीर्णन** दो तरह से होता है: या तो जानवर कांटेदार बीजों को अपने शरीर से चिपकाकर ले जाते हैं (जैसे यूरेना), या वे स्वादिष्ट फलों को खाते हैं और बीजों को पचा नहीं पाते, जिससे बीज उनके मल के साथ बाहर निकल जाते हैं (जैसे सेब)। कुछ बीज तो खुद **फटने** से भी प्रकीर्णन करते हैं। उदाहरण के लिए, बालसम और अरंडी के फल सूखने पर अचानक फट जाते हैं, जिससे बीज तेजी से बिखर जाते हैं।

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