अध्याय 10: जीवों में श्वसन (Respiration in Organisms)
परिचय
सभी जीवित जीवों को जीवित रहने और अपने दैनिक कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा उन्हें भोजन से मिलती है। जिस प्रक्रिया द्वारा जीव भोजन से ऊर्जा प्राप्त करते हैं, उसे **श्वसन (Respiration)** कहते हैं। इस अध्याय में, हम श्वसन की प्रक्रिया और इसके विभिन्न रूपों के बारे में जानेंगे।
10.1 श्वसन और श्वास लेना (Respiration vs. Breathing)
अक्सर लोग श्वसन और श्वास लेने को एक ही समझते हैं, लेकिन ये दोनों अलग-अलग प्रक्रियाएँ हैं:
- श्वास लेना (Breathing): यह एक **भौतिक प्रक्रिया** है जिसमें हम ऑक्सीजन-युक्त हवा अंदर लेते हैं (अंत:श्वसन) और कार्बन डाइऑक्साइड-युक्त हवा बाहर छोड़ते हैं (उच्छ्वासन)।
- श्वसन (Respiration): यह एक **रासायनिक प्रक्रिया** है जो कोशिकाओं के अंदर होती है। इसमें भोजन (ग्लूकोज) का विखंडन (breaking down) होता है ताकि ऊर्जा मुक्त हो सके।
10.2 वायवीय और अवायवीय श्वसन (Aerobic and Anaerobic Respiration)
श्वसन दो प्रकार का होता है, जो ऑक्सीजन की उपस्थिति या अनुपस्थिति पर निर्भर करता है:
वायवीय श्वसन (Aerobic Respiration)
यह श्वसन **ऑक्सीजन की उपस्थिति** में होता है। इसमें भोजन (ग्लूकोज) पूरी तरह से कार्बन डाइऑक्साइड और जल में टूट जाता है, जिससे बड़ी मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।
अधिकांश जीव, जैसे कि मनुष्य, जानवर और पौधे, वायवीय श्वसन करते हैं।
अवायवीय श्वसन (Anaerobic Respiration)
यह श्वसन **ऑक्सीजन की अनुपस्थिति** में होता है। इसमें भोजन का आंशिक विखंडन होता है, जिससे बहुत कम ऊर्जा मुक्त होती है।
यह यीस्ट जैसे सूक्ष्मजीवों में होता है, और कभी-कभी हमारी मांसपेशियों में, जब हम कड़ी मेहनत करते हैं, तो लैक्टिक एसिड बनने के कारण ऐंठन (cramps) होती है।
10.3 मानव में श्वास लेना (Breathing in Humans)
मानव श्वसन तंत्र में नासिका छिद्र, श्वासनली, और फेफड़े शामिल होते हैं। श्वास लेने की प्रक्रिया में दो मुख्य चरण होते हैं:
- अंत:श्वसन (Inhalation): जब हम साँस अंदर लेते हैं, तो हमारी पसलियाँ ऊपर और बाहर की ओर गति करती हैं, और डायाफ्राम नीचे की ओर जाता है। इससे फेफड़ों में हवा भरने के लिए जगह बनती है।
- उच्छ्वासन (Exhalation): जब हम साँस बाहर छोड़ते हैं, तो पसलियाँ वापस अपनी जगह पर आती हैं और डायाफ्राम ऊपर की ओर जाता है। इससे फेफड़ों पर दबाव पड़ता है और हवा बाहर निकल जाती है।
10.4 अन्य जीवों में श्वसन (Respiration in Other Organisms)
- कॉकरोच: इनके शरीर के पार्श्व भाग में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिन्हें **श्वासन छिद्र (Spiracles)** कहते हैं, जो श्वासनलिका (tracheal tubes) के जाल से जुड़े होते हैं।
- केंचुआ: ये अपनी **गीली और चिपचिपी त्वचा** के माध्यम से श्वसन करते हैं।
- मछली: ये पानी में घुली हुई ऑक्सीजन को अपने **गलफड़ों (Gills)** की मदद से अवशोषित करती हैं।
- पौधे: ये पत्तियों में मौजूद छोटे-छोटे छिद्रों, जिन्हें **रंध्र (Stomata)** कहते हैं, के माध्यम से गैसों का आदान-प्रदान करते हैं।
अभ्यास प्रश्न और उत्तर (Practice Questions & Answers)
I. रिक्त स्थान भरें।
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श्वसन के दौरान, जीव भोजन से __________ प्राप्त करते हैं।
ऊर्जा
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वायवीय श्वसन __________ की उपस्थिति में होता है।
ऑक्सीजन
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मछलियाँ पानी में घुली हुई ऑक्सीजन को __________ से अवशोषित करती हैं।
गलफड़ों
II. लघु पैराग्राफ में उत्तर दें।
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श्वसन और श्वास लेने के बीच मुख्य अंतर क्या है?
श्वास लेना एक शारीरिक प्रक्रिया है जिसमें हम वायु को फेफड़ों में भरते और बाहर निकालते हैं। यह केवल गैसों का आदान-प्रदान है। जबकि श्वसन एक रासायनिक प्रक्रिया है जो कोशिकाओं के अंदर होती है। इसमें भोजन का विखंडन करके ऊर्जा प्राप्त की जाती है। श्वास लेना श्वसन का एक हिस्सा मात्र है, क्योंकि श्वसन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन श्वास लेने से ही प्राप्त होती है।
III. विस्तृत उत्तर दें।
मानव श्वसन तंत्र में नासिका छिद्र, श्वासनली, और फेफड़े प्रमुख अंग हैं। श्वास लेने की प्रक्रिया दो चरणों में होती है: अंत:श्वसन (Inhalation) और उच्छ्वासन (Exhalation)। अंत:श्वसन के दौरान, हमारी पसलियाँ ऊपर और बाहर की ओर गति करती हैं, और हमारे पेट के नीचे स्थित डायाफ्राम नामक एक पेशी परत नीचे की ओर जाती है। इस क्रिया से हमारी वक्ष गुहा (chest cavity) का आयतन बढ़ जाता है, जिससे हवा फेफड़ों में भर जाती है।
उच्छ्वासन के दौरान, इसका विपरीत होता है। पसलियाँ अपनी मूल स्थिति में वापस आती हैं और डायाफ्राम ऊपर की ओर जाता है। इससे वक्ष गुहा का आयतन घट जाता है, जिससे फेफड़ों पर दबाव पड़ता है और कार्बन डाइऑक्साइड युक्त हवा शरीर से बाहर निकल जाती है। इस प्रकार, ये मांसपेशियां और फेफड़े मिलकर एक पंप की तरह कार्य करते हैं, जिससे गैसों का लगातार आदान-प्रदान होता रहता है।
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