अध्याय 9: अहं अपि विद्यालयं गमिष्यामि (मैं भी विद्यालय जाऊँगी)

परिचय

यह अध्याय समाज में शिक्षा के अधिकार के महत्व को उजागर करता है। यह एक गरीब परिवार की छोटी बच्ची की कहानी है जो गरीबी के कारण काम करने पर मजबूर है, लेकिन शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा रखती है। पाठ में बताया गया है कि शिक्षा हर बच्चे का मौलिक अधिकार है और सरकार इसे सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाएं चलाती है।

9.1 पाठ का सार

मालिनी नाम की एक महिला अपने घर के काम के लिए एक कामवाली की तलाश में थी। उसकी पड़ोसन गिरिजा उसे दर्शना नाम की एक महिला से मिलवाती है। दर्शना अपनी सात-आठ साल की बेटी के साथ काम के लिए आती है। मालिनी जब उसकी बेटी को काम पर लगाने की बात सुनती है, तो उसे हैरानी होती है। दर्शना गरीबी के कारण अपनी बेटी को स्कूल भेजने के बजाय काम पर लगाना चाहती है। तब मालिनी उसे शिक्षा के अधिकार के बारे में बताती है, जिसके तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त शिक्षा, किताबें, यूनिफॉर्म और दोपहर का भोजन दिया जाता है। यह सुनकर दर्शना की बेटी बहुत खुश होती है और कहती है, “मैं भी विद्यालय जाऊँगी!” दर्शना अपनी बेटी को स्कूल भेजने का निश्चय करती है, जिससे सभी को शिक्षा का महत्व समझ आता है।

अहं अपि विद्यालयं गमिष्यामि

9.2 पाठ का हिन्दी अनुवाद

(सुबह का समय। मालिनी अपने घर का दरवाजा खोलती है।)

मालिनी: (अपने पड़ोसन गिरिजा को बुलाती है) गिरिजे, मेरा बेटा काम पर गया है। मेरी बेटी भी स्कूल गई है। क्या तुम किसी कामवाली के बारे में जानती हो?

गिरिजा: (मालिनी के घर के सामने आती है) हाँ, जानती हूँ। मेरी एक सहेली है। उसकी बेटी काम की तलाश में है। मैं कल सुबह उसे तुम्हारे घर भेज दूँगी।

(अगले दिन, सुबह 6 बजे, मालिनी के घर का दरवाजा बजता है। दर्शना अपनी 7-8 साल की बेटी के साथ आती है।)

दर्शना: नमस्ते, मैडम। गिरिजा ने मुझे बताया कि आपको काम के लिए एक व्यक्ति की आवश्यकता है।

मालिनी: हाँ, लेकिन तुम्हारी यह बेटी... यह काम करेगी?

दर्शना: हाँ मैडम। यह सारे काम कर सकती है।

मालिनी: (हैरानी से) क्या तुम नहीं जानती कि बच्चों को काम पर लगाना अपराध है? यह बच्ची तो पढ़ने की उम्र में है।

दर्शना: मैडम, हमारे जैसे गरीबों के लिए पेट भरना ही सबसे बड़ा काम है। मुझे काम नहीं मिलेगा, तो इसे और इसके भाई को क्या खिलाऊँगी?

मालिनी: (समझदारी से) सुनो, आज सरकार 6 से 14 साल के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देती है। इसके तहत सभी बच्चों को किताबें, बैग, यूनिफॉर्म, जूते, और दोपहर का भोजन भी मुफ्त मिलता है।

दर्शना: (हैरानी से) क्या ऐसा भी है?

दर्शना की बेटी: (खुश होकर) मैं भी विद्यालय जाऊँगी?

मालिनी: हाँ, तुम भी। तुम भी पढ़ सकती हो।

दर्शना: (मालिनी को धन्यवाद देती है) आपने मेरी आँखें खोल दीं। आज से मेरी बेटी भी विद्यालय जाएगी।

9.3 मुख्य शब्दार्थ

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

सही जोड़ी (Matching)

  • 1. मालिनी शिक्षिकायाः पुत्री
  • 2. दर्शना कार्यकर्ता
  • 3. गिरिजा मालिनी की सखी
  • 4. दर्शनायाः पुत्री बालिका

सही विकल्प (Multiple Choice)

  • 1. कस्याः पुत्री विद्यालयं गमिष्यति?
    सही उत्तर: ख) दर्शनायाः
  • 2. शिक्षणम् कति वर्षाणां बालकानां अधिकारः अस्ति?
    सही उत्तर: क) 6-14 वर्ष
  • 3. सरकार द्वारा बच्चों को क्या-क्या मुफ्त मिलता है?
    सही उत्तर: ग) उपर्युक्त सभी

I. एक पद में उत्तर दें (संस्कृत में)

  1. मालिनी कं प्रतिवेशिनीम् आह्वयति?

    गिरिजाम्।

  2. दर्शनायाः पुत्रीयाः किं कार्यम् आसीत्?

    गृहकार्यम्।

  3. कस्याः पुत्री विद्यालयं गमिष्यति?

    दर्शनायाः।

II. एक वाक्य में उत्तर दें (हिन्दी में)

  1. मालिनी गिरिजां किमर्थम् आह्वयति?

    मालिनी कामवाली को ढूँढ़ने के लिए गिरिजा को बुलाती है।

  2. दर्शनायाः पुत्री कथं धनम् अर्जयति स्म?

    दर्शनायाः पुत्री घर का काम करके धन कमाती थी।

  3. सरकार द्वारा बच्चों को क्या-क्या सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं?

    सरकार द्वारा 6-14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त शिक्षा, किताबें, यूनिफॉर्म, जूते और दोपहर का भोजन प्रदान किया जाता है।

III. विस्तार से उत्तर दें (हिन्दी में)

  • शिक्षा के अधिकार का क्या महत्व है? पाठ के आधार पर समझाइए।

    इस पाठ के अनुसार, शिक्षा का अधिकार बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हर बच्चे के लिए एक उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करता है। शिक्षा न केवल बच्चों को ज्ञान देती है, बल्कि उन्हें गरीबी और बाल श्रम के दुष्चक्र से भी बाहर निकालती है। यह बच्चों को समाज में सम्मान और बेहतर जीवन जीने का अवसर प्रदान करती है, जिससे वे देश के विकास में भी योगदान दे सकते हैं।

  • मालिनी ने दर्शना को अपनी पुत्री को पढ़ाने के लिए कैसे प्रेरित किया?

    मालिनी ने दर्शना को अपनी पुत्री को पढ़ाने के लिए प्रेरित करने के लिए उसे शिक्षा के मौलिक अधिकार के बारे में समझाया। उसने दर्शना को बताया कि सरकार ने 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था की है। इसके तहत बच्चों को स्कूल में मुफ्त किताबें, यूनिफॉर्म, जूते, बैग और दोपहर का भोजन भी मिलता है, ताकि गरीब बच्चों को भी पढ़ाई करने का मौका मिले। यह सुनकर दर्शना को विश्वास हुआ और उसने अपनी बेटी को स्कूल भेजने का निश्चय किया।

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