अध्याय 4: हास्यबालकविसम्मेलनम् (हास्य बाल कवि सम्मेलन)

परिचय

यह अध्याय एक मनोरंजक हास्य बाल कवि सम्मेलन का वर्णन करता है। मंच पर बैठे चार बालकवि अलग-अलग विषयों पर हास्य कविताएँ सुनाते हैं, जिससे श्रोतागण खूब हँसते हैं। यह पाठ हमें संस्कृत के माध्यम से मनोरंजन और हास्य की शिक्षा देता है।

4.1 पाठ का सार

इस पाठ में एक कवि सम्मेलन का दृश्य है जहाँ चार बालकवि मंच पर बैठे हैं। वे सभी श्रोताओं को आकर्षित करने के लिए अपनी हास्य कविताएँ सुनाते हैं। गजाधरः नामक कवि चिकित्सा पर व्यंग्य करता है। कालान्तकः मृत्यु के देवता को श्रद्धांजलि देते हुए वैद्यराज पर व्यंग्य करता है। तुन्दिलः अपने विशाल पेट का महिमामंडन करता है और चार्वाकः उधार लेकर घी पीने की सलाह देता है। इन सभी कवियों की कविताएँ सुनकर श्रोता बहुत हँसते हैं।

हास्य बाल कवि सम्मेलन का चित्र

4.2 श्लोकों का हिन्दी अनुवाद

पहला श्लोक (गजाधरः)

श्लोक: वैद्यराज नमस्तुभ्यं यमराजसहोदर। यमस्तु हरति प्राणान् वैद्यः प्राणान् धनानि च।

हिन्दी अनुवाद: हे वैद्यराज, आपको नमस्कार। आप यमराज के भाई हैं। यमराज तो केवल प्राणों को हरता है, परन्तु वैद्यराज प्राणों और धन दोनों को हर लेता है।

दूसरा श्लोक (कालान्तकः)

श्लोक: चिताम् प्रज्वलिताम् दृष्ट्वा, वैद्या विस्मयम् आगताः। नाहम् गतो न मे भ्राता, कस्येदं हस्तलाघवम्॥

हिन्दी अनुवाद: चिता को जलता हुआ देखकर वैद्य आश्चर्यचकित होकर कहते हैं कि न मैं यहाँ आया और न मेरा भाई (यमराज) आया, तो यह किसके हाथ की सफाई है? (यानी किसने यह काम कर दिया)।

तीसरा श्लोक (तुन्दिलः)

श्लोक: तुन्दिलस्य कविताम् श्रुत्वा, श्रोता अट्टहासं कुर्वन्ति। परान्नं प्राप्य दुर्बुद्धे मा शरीरे दयाम् कुरु। परान्नं दुर्लभं लोके शरीराणि पुनः पुनः॥

हिन्दी अनुवाद: तुन्दिल की कविता सुनकर श्रोतागण खूब हँसते हैं। (वह कहता है) हे दुर्बुद्धि! दूसरे का अन्न (भोजन) पाकर शरीर पर दया मत करो। दूसरे का अन्न संसार में मुश्किल से मिलता है, जबकि शरीर तो बार-बार मिल जाते हैं।

चौथा श्लोक (चार्वाकः)

श्लोक: यावत् जीवेत् सुखं जीवेत्, ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत्।

हिन्दी अनुवाद: जब तक जियो, सुख से जियो। कर्ज लेकर भी घी पियो।

4.3 मुख्य शब्दार्थ

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. एक पद में उत्तर दें (संस्कृत में)

  1. मञ्चे कति बाल कवयः उपविष्टाः सन्ति?

    चत्वारः।

  2. के कोलाहलं कुर्वन्ति?

    श्रोतारः।

  3. 'वैद्यराज नमस्तुभ्यम्' इति श्लोकः कः कथयति?

    कालान्तकः।

  4. तुन्दिलस्य उपरि कः हस्तम् आवर्तयति?

    तुन्दिलः स्वयम्।

  5. लोके पुनः पुनः कानि भवन्ति?

    शरीराणि।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ में उत्तर दें (हिन्दी में)

  1. हास्यबालकविसम्मेलनम् पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।

    इस पाठ में चार बालकवियों का एक सम्मेलन दर्शाया गया है। वे सभी अपने-अपने हास्यपूर्ण नामों और कविताओं से दर्शकों को हँसाते हैं। उनकी कविताएँ डॉक्टरों, भोजन और जीवन के बारे में होती हैं। पाठ का उद्देश्य बच्चों को संस्कृत की मनोरंजक कविताओं से परिचित कराना है।

  2. विभिन्न कवियों ने किस विषय पर हास्य कविताएँ सुनाईं?

    कवि गजाधरः ने चिकित्सा (डॉक्टरों) पर, कालान्तकः ने भी चिकित्सा पर, तुन्दिलः ने भोजन और पेट पर, तथा चार्वाकः ने कर्ज लेकर भी स्वादिष्ट भोजन खाने के विषय पर हास्य कविताएँ सुनाईं।

III. प्रत्येक प्रश्न का विस्तार से उत्तर दें (हिन्दी में)

  • चार्वाक कवि की कविता का क्या भाव है? क्या यह सामाजिक रूप से सही संदेश देती है?

    चार्वाक कवि की कविता का भाव है "यावत् जीवेत् सुखं जीवेत्, ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत्" अर्थात जब तक जियो, सुख से जियो, भले ही कर्ज लेकर घी पीना पड़े। इस कविता का सीधा अर्थ यह है कि व्यक्ति को अपने जीवन का आनंद लेना चाहिए, यहाँ तक कि दूसरों से उधार लेकर भी। यह कविता हास्य पैदा करने के लिए लिखी गई है।

    सामाजिक रूप से, यह संदेश पूरी तरह से सही नहीं है। कर्ज लेना और उसे वापस न चुकाना एक नैतिक रूप से गलत काम है और यह समाज में अव्यवस्था फैला सकता है। हालांकि, कवि सम्मेलन के संदर्भ में, यह एक व्यंग्य है जो लोगों की ऐसी मनोवृत्ति पर हँसता है। यह पाठ का एक हास्यपूर्ण हिस्सा है, जिसे गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।

  • यह पाठ हमें किस प्रकार का मनोरंजन प्रदान करता है? आपके विचार में, हास्य कविता का क्या महत्व है?

    यह पाठ हमें हास्य के माध्यम से मनोरंजन प्रदान करता है। यह हमें सिखाता है कि संस्कृत केवल धार्मिक या गंभीर विषयों की भाषा नहीं है, बल्कि इसका उपयोग हास्य और व्यंग्य के लिए भी किया जा सकता है। कविताओं में डॉक्टरों, भोजन और कर्ज जैसी रोजमर्रा की चीजों पर व्यंग्य किया गया है, जो हमें हँसाता है।

    मेरे विचार में, हास्य कविता का बहुत महत्व है। यह लोगों को तनाव से मुक्त करती है और उन्हें हँसने का मौका देती है। हास्य कविताएँ अक्सर सामाजिक समस्याओं और कुरीतियों पर व्यंग्य करती हैं, जिससे लोग मनोरंजन के साथ-साथ उन समस्याओं के बारे में भी सोचते हैं। यह लोगों को सोचने और समाज को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित कर सकता है।

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