अध्याय 2: दुर्बुद्धिः विनश्यति (दुष्ट बुद्धि वाला नष्ट होता है)

परिचय

यह अध्याय एक प्रसिद्ध लोककथा पर आधारित है जो हमें यह सिखाती है कि दुष्ट या मूर्ख बुद्धि वाला व्यक्ति अपने ही कर्मों से नष्ट हो जाता है। इस कथा में एक कछुआ अपने दो मित्र हंसों की बात न मानकर संकट में पड़ जाता है।

2.1 पाठ का सार

किसी तालाब में कंबुग्रीव नामक एक कछुआ अपने दो मित्र हंसों के साथ रहता था। एक बार, सूखे के कारण तालाब सूखने लगा। तब हंसों ने कछुए को दूसरे तालाब में ले जाने का निश्चय किया। उन्होंने एक उपाय सुझाया कि कछुआ एक लकड़ी को अपने मुँह से पकड़ लेगा और वे दोनों उसे अपनी चोंच में पकड़कर उड़ जाएँगे। हंसों ने कछुए को सख्त चेतावनी दी कि वह रास्ते में बिल्कुल भी न बोले। जब वे उड़ रहे थे, तब गाँव के कुछ लोग उन्हें देखकर शोर मचाने लगे। लोगों का शोर सुनकर कछुए को गुस्सा आ गया और वह कुछ बोलना चाहता था। जैसे ही उसने बोलने के लिए मुँह खोला, वह लकड़ी से गिर गया और लोगों ने उसे मार दिया।

दुर्बुद्धिः विनश्यति - कछुआ और हंस

2.2 पाठ का हिन्दी अनुवाद

(तालाब के किनारे...)

धीवर: अरे! यहाँ बहुत सारे मछलियाँ और कछुए हैं। हम कल यहाँ आकर मछलियों और कछुओं को मारेंगे।

कच्छप: मित्रो! धीवरों की बात सुनी? अब मुझे क्या करना चाहिए?

हंसौ: सुबह जो उचित होगा, वह करेंगे।

कच्छप: तुम दोनों के साथ मैं भी दूसरे तालाब में जाना चाहता हूँ।

हंसौ: एक उपाय है - हम एक लकड़ी की डंडी ले आएँगे। तुम उसे अपने मुँह से पकड़ लेना। हम दोनों अपने पंखों के बल पर तुम्हें दूसरे तालाब तक ले जाएँगे।

कच्छप: यह उपाय अच्छा है।

हंसौ: पर एक बात याद रखना - तुम बीच रास्ते में किसी से कुछ मत बोलना। अगर तुम बोलोगे, तो गिर जाओगे।

कच्छप: मैं कुछ भी नहीं बोलूँगा।

(गाँव के ऊपर से जाते हुए...)

गोपालक: देखो, देखो! एक कछुआ हंसों के साथ उड़ रहा है।

कच्छप: क्या इन लोगों को जला दूँ? (बोलने के लिए मुँह खोलता है और गिर जाता है)।

2.3 मुख्य शब्दार्थ

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

सही जोड़ी (Matching)

  • 1. हंसौ संकट-विकटौ
  • 2. कच्छपः कंबुग्रीवः
  • 3. धीवराः मत्स्यकच्छपादीन् मारयिष्यामः
  • 4. दुःखेन हंसौ अवदताम्

सही विकल्प (Multiple Choice)

  • 1. सरोवरस्य नाम किम् आसीत्?
    सही उत्तर: क) दीर्घसरोवरः
  • 2. कः हंसौ अवदताम्?
    सही उत्तर: क) कच्छपः
  • 3. कः पतितः विनष्टः च?
    सही उत्तर: ख) कच्छपः

I. एक पद में उत्तर दें (संस्कृत में)

  1. कच्छपस्य नाम किम् आसीत्?

    कंबुग्रीवः।

  2. हंसौ कुत्र गच्छतः स्म?

    अन्यं सरः।

  3. कः दण्डं मुखेन धारयति स्म?

    कच्छपः।

II. एक वाक्य में उत्तर दें (हिन्दी में)

  1. हंसौ कच्छपं किम अवदताम्?

    हंसों ने कच्छप को कहा कि वह लकड़ी को मुँह से पकड़कर चुप रहे, अन्यथा वह गिर जाएगा।

  2. कः कच्छपं मारयित्वा खादति स्म?

    गाँव के लोग या ग्वाले (गोपालकाः) कच्छप को मारकर खाना चाहते थे।

  3. इस पाठ से क्या शिक्षा मिलती है?

    इस पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जो व्यक्ति अपने हितैषी मित्रों की बात नहीं मानता, वह दुष्ट बुद्धि वाले कछुए की तरह नष्ट हो जाता है।

III. विस्तार से उत्तर दें (हिन्दी में)

  • कच्छप के विनाश का क्या कारण था? विस्तार से बताइए।

    कच्छप के विनाश का मुख्य कारण उसकी दुष्ट बुद्धि और मित्रों की हितकारी बात को न मानना था। हंसों ने उसे स्पष्ट रूप से चेतावनी दी थी कि उड़ते समय वह बिल्कुल भी न बोले। लेकिन जब लोगों ने शोर मचाया, तो वह अपनी प्रशंसा या निंदा सुनकर शांत नहीं रह सका। उसने क्रोध में आकर बोलने के लिए जैसे ही अपना मुँह खोला, वह लकड़ी से छूटकर नीचे गिर गया और उसका अंत हो गया।

  • हंसों ने कच्छप को बचाने के लिए क्या योजना बनाई थी?

    हंसों ने कच्छप को बचाने के लिए एक बुद्धिमान योजना बनाई थी। उन्होंने एक लकड़ी की डंडी लाने का निर्णय लिया। कछुए को उस डंडी को बीच में अपने मुँह से पकड़ना था। दोनों हंस उस डंडी के दोनों सिरों को अपनी चोंच में पकड़कर उड़ने वाले थे। इस तरह वे कछुए को सुरक्षित रूप से दूसरे तालाब तक पहुँचा सकते थे, बशर्ते कछुआ चुप रहे।

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