अध्याय 10: विश्वबंधुत्वम् (विश्वबंधुत्व)
परिचय
यह अध्याय **विश्वबंधुत्वम्** यानी 'विश्वबंधुत्व' की भावना पर केंद्रित है। यह हमें सिखाता है कि जिस प्रकार हम अपने परिवार के सदस्यों के साथ रहते हैं, उसी तरह हमें पूरे विश्व को अपना परिवार मानकर सभी के साथ प्रेम, सद्भाव और सहयोग के साथ रहना चाहिए।
10.1 पाठ का सार
पाठ में बताया गया है कि त्योहारों और खुशी के समय में सभी एक-दूसरे के साथ होते हैं। लेकिन संकट, अकाल या आपदा के समय में हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। आज के समय में पूरा विश्व आपस में संघर्ष और वैमनस्य से घिरा हुआ है। ताकतवर देश गरीब देशों की उपेक्षा करते हैं। इस स्थिति को बदलने के लिए हमें विश्वबंधुत्व की भावना को बढ़ावा देना होगा। जो लोग यह सोचते हैं कि "यह मेरा है, यह तुम्हारा है" वे संकुचित मन के लोग होते हैं, जबकि उदार चरित्र वाले लोगों के लिए तो पूरी पृथ्वी ही एक परिवार है (वसुधैव कुटुम्बकम्)।
10.2 पाठ का हिन्दी अनुवाद
उत्सवों में, आपदा के समय में, अकाल पड़ने पर और देश पर हमला होने पर, जो सहायता करता है, वही सच्चा बंधु है। आज पूरे विश्व में कलह और अशांति का वातावरण है। मानव एक-दूसरे पर विश्वास नहीं करता। वे दूसरों के दुख को अपना दुख नहीं समझते। समर्थ देश कमजोर देशों के प्रति उपेक्षा का भाव दिखाते हैं। उनके ऊपर अपना प्रभुत्व स्थापित करते हैं।
इसलिए, हमें विश्वबंधुत्व की भावना को बढ़ावा देना चाहिए। यह भावना तभी संभव है जब हम सभी अपनी संकीर्ण मानसिकता को छोड़कर उदार हृदय वाले बनें।
श्लोक: अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥
हिन्दी अनुवाद: यह मेरा है, यह तुम्हारा है - ऐसी सोच छोटे मन वाले लोग करते हैं। उदार मन वाले लोगों के लिए तो पूरी पृथ्वी ही परिवार है।
10.3 मुख्य शब्दार्थ
- **विश्वबंधुत्वम्** - विश्व के प्रति भाईचारा
- **उत्सवे** - उत्सव में
- **आपदि** - आपदा में
- **दुर्भिक्षे** - अकाल पड़ने पर
- **वैमनस्यम्** - शत्रुता का भाव
- **उपेक्षितं** - उपेक्षा करना
- **वसुधैव कुटुम्बकम्** - सारी पृथ्वी ही परिवार है
- **लघुचेतसाम्** - छोटे मन वालों का
- **उदारचरितानाम्** - उदार हृदय वालों का
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
सही जोड़ी (Matching)
- 1. पर्व काले सहाय्यं क्रियते
- 2. विपत्ति काले आपत्काले
- 3. दुर्भिक्षे सहाय्यं क्रियते
- 4. शत्रुतायाः कारणम् वैमनस्यम्
- 5. उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्
सही विकल्प (Multiple Choice)
- 1. विश्वबंधुत्वम् का क्या अर्थ है? सही उत्तर: ख) विश्व को परिवार मानना
- 2. किसके लिए 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना होती है? सही उत्तर: ख) उदार हृदय वालों के लिए
- 3. आजकल विश्व में क्या देखा जाता है? सही उत्तर: ख) शत्रुता और घृणा का भाव
I. एक पद में उत्तर दें (संस्कृत में)
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कः निजः कः परः इति गणना केषां भवति?
लघुचेतसाम्।
-
उदारचरितानां तु का कुटुम्बकम्?
वसुधा।
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विश्वे किं आवश्यकम्?
विश्वबंधुत्वम्।
II. एक वाक्य में उत्तर दें (हिन्दी में)
-
विश्वबंधुत्व का भाव कब प्रकट होता है?
विश्वबंधुत्व का भाव संकट के समय में, अकाल पड़ने पर और देश पर हमला होने पर प्रकट होता है, जब हम एक-दूसरे की सहायता करते हैं।
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आपत्काल और दुर्भिक्ष काल में क्या आवश्यक है?
आपत्काल और दुर्भिक्ष काल में सभी देशों द्वारा एक-दूसरे की सहायता करना आवश्यक है।
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आजकल संसार में किस प्रकार का भाव देखा जाता है?
आजकल संसार में कलह, अशांति, शत्रुता और घृणा का भाव देखा जाता है।
III. विस्तार से उत्तर दें (हिन्दी में)
विश्वबंधुत्व की भावना को स्थापित करने के लिए हमें सबसे पहले अपनी संकीर्ण मानसिकता को छोड़ना होगा। हमें यह सोचना बंद करना होगा कि "यह मेरा है और वह तुम्हारा है"। हमें सभी मनुष्यों को एक समान मानना चाहिए, चाहे वे किसी भी देश, धर्म या जाति के हों। हमें दूसरों के प्रति प्रेम, सद्भाव और सहयोग का भाव रखना चाहिए। जब कोई देश संकट में हो, तो दूसरे देशों को उसकी निःस्वार्थ भाव से मदद करनी चाहिए। शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से यह भावना हर व्यक्ति के मन में जगाई जा सकती है।
आज की दुनिया में अक्सर स्वार्थ और राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दी जाती है। शक्तिशाली देश कमजोर देशों का शोषण करते हैं और आपसी झगड़े तथा शत्रुता का भाव रखते हैं। 'यह मेरा है, यह तुम्हारा है' की भावना चारों ओर फैली हुई है।
वहीं, 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना इसका ठीक विपरीत है। यह एक आदर्श विचार है जो यह मानता है कि पूरी पृथ्वी एक परिवार के समान है। इस भावना के अनुसार, सभी मनुष्य एक-दूसरे के भाई-बहन हैं और उन्हें सुख-दुख में एक-दूसरे का साथ देना चाहिए। इस भावना में किसी के प्रति घृणा या शत्रुता का कोई स्थान नहीं है। यह प्रेम, सहयोग और सद्भाव पर आधारित है।
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