अध्याय 1: सुभाषितानि (सुभाषित)

परिचय

**'सुभाषितानि'** शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है - 'सु' अर्थात अच्छा और 'भाषित' अर्थात कहा गया। इसका अर्थ है 'मीठे वचन' या 'अच्छे विचार'। ये श्लोक संस्कृत साहित्य का हिस्सा हैं जो जीवन के नैतिक मूल्यों और ज्ञानवर्धक विचारों को सरल और मधुर भाषा में प्रस्तुत करते हैं। इस अध्याय में, हम कुछ ऐसे ही सुभाषितों का अध्ययन करेंगे।

1.1 पाठ का सार

इस अध्याय के श्लोकों में जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है। इसमें बताया गया है कि पृथ्वी पर सबसे मूल्यवान रत्न जल, अन्न और मधुर वचन हैं, न कि पत्थर। यह हमें विनम्रता, दान, तपस्या और शौर्य जैसे गुणों को अपनाने की प्रेरणा देता है। इसके अलावा, यह हमें अच्छी संगति के महत्व और बुरी संगति के परिणामों के बारे में भी सिखाता है। यह पाठ हमें एक बेहतर और संतुलित जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन देता है।

सुभाषितानि

1.2 श्लोकों का हिन्दी अनुवाद

पहला श्लोक

श्लोक: पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम्। मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते॥

हिन्दी अनुवाद: पृथ्वी पर तीन ही रत्न हैं - जल, अन्न और मधुर वचन। मूर्खों द्वारा पत्थरों के टुकड़ों को रत्न समझा जाता है।

दूसरा श्लोक

श्लोक: सत्येन धार्यते पृथ्वी सत्येन तपते रविः। सत्येन वाति वायुश्च सर्वं सत्ये प्रतिष्ठितम्॥

हिन्दी अनुवाद: सत्य से पृथ्वी धारण की जाती है, सत्य से ही सूर्य तपता है। सत्य से ही वायु बहती है, सब कुछ सत्य में ही स्थापित है।

तीसरा श्लोक

श्लोक: दाने तपसि शौर्ये च विज्ञाने विनये नये। विस्मयो न हि कर्तव्यो बहुरत्ना वसुन्धरा॥

हिन्दी अनुवाद: दान में, तपस्या में, वीरता में, विज्ञान में, विनम्रता में और नीति में कभी आश्चर्य नहीं करना चाहिए, क्योंकि पृथ्वी बहुत से रत्नों को धारण करने वाली है। (अर्थात ऐसे गुणवान लोग बहुत हैं)।

चौथा श्लोक

श्लोक: सद्धिरेव सहासीत, सद्धिः कुर्वीत संगतिम्। सद्धिर्विवादं मैत्रीं च नासद्धिः किञ्चिदाचरेत्॥

हिन्दी अनुवाद: सज्जन लोगों के साथ ही बैठना चाहिए, सज्जन लोगों के साथ ही संगति करनी चाहिए। सज्जन लोगों के साथ ही वाद-विवाद और मित्रता करनी चाहिए, दुष्ट लोगों के साथ कुछ भी नहीं करना चाहिए।

1.3 मुख्य शब्दार्थ

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)

I. एक पद में उत्तर दें (संस्कृत में)

  1. पृथिव्यां कति रत्नानि सन्ति?

    त्रीणि।

  2. केन सह मित्रतां न कुर्यात्?

    असज्जनैः सह।

  3. केन विस्मयः न कर्तव्यः?

    दाने, तपसि, शौर्ये, विज्ञाने, विनये, नये च।

  4. पृथिव्यां केन रत्नानि विधीयते?

    जलम्, अन्नम्, सुभाषितम्।

II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ में उत्तर दें (हिन्दी में)

  1. पहले श्लोक में रत्नों के बारे में क्या कहा गया है? संक्षेप में बताइए।

    पहले श्लोक में कहा गया है कि पृथ्वी पर केवल तीन ही वास्तविक रत्न हैं - जल, अन्न और अच्छे विचार। मूर्ख लोग ही पत्थरों के टुकड़ों को रत्न कहते हैं, जबकि जीवन के लिए ये तीन चीजें सबसे अधिक मूल्यवान हैं।

  2. एक अच्छे व्यक्ति के क्या गुण होते हैं, जैसा कि सुभाषितानि में बताया गया है?

    सुभाषितानि के अनुसार, एक अच्छे व्यक्ति के गुण हैं - दानशीलता, तपस्या, वीरता, विज्ञान (ज्ञान), विनम्रता और नीति-निपुणता। ये गुण ही व्यक्ति को महान बनाते हैं।

  3. सज्जन लोगों के साथ व्यवहार के बारे में क्या कहा गया है?

    श्लोक में कहा गया है कि हमें हमेशा सज्जन लोगों के साथ ही बैठना, संगति करना, वाद-विवाद करना और मित्रता करनी चाहिए। दुष्ट लोगों से किसी भी प्रकार का संबंध नहीं रखना चाहिए।

III. प्रत्येक प्रश्न का विस्तार से उत्तर दें (हिन्दी में)

  • सुभाषितानि हमें जीवन जीने के लिए क्या-क्या महत्वपूर्ण सीख देती हैं? किन्हीं तीन श्लोकों का उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

    सुभाषितानि हमें एक नैतिक और सार्थक जीवन जीने के लिए कई महत्वपूर्ण सीख देती हैं। ये हमें बताती हैं कि जीवन में वास्तविक मूल्य क्या हैं।

    1. **मूल्यों की पहचान:** पहले श्लोक में हमें सिखाया गया है कि वास्तविक रत्न धन या पत्थर नहीं, बल्कि जल, अन्न और सुविचार हैं। यह हमें भौतिकवादी चीजों से परे हटकर जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं और विचारों को महत्व देने की शिक्षा देता है।

    2. **सत्य का महत्व:** दूसरे श्लोक में बताया गया है कि सत्य ही इस पूरे संसार का आधार है। पृथ्वी, सूर्य और वायु सब सत्य के बल पर ही अपना कार्य करते हैं। यह हमें अपने जीवन में सत्यनिष्ठा बनाए रखने की प्रेरणा देता है।

    3. **सही संगति:** चौथे श्लोक में हमें सही संगति का महत्व सिखाया गया है। यह बताता है कि हमें हमेशा सज्जन लोगों के साथ ही रहना चाहिए और उनसे ही मित्रता करनी चाहिए, क्योंकि उनकी संगति हमें सही मार्ग पर ले जाती है।

  • सत्य, तप, दान और शौर्य का हमारे जीवन में क्या महत्व है, जैसा कि पाठ में बताया गया है?

    पाठ में सत्य, तप, दान और शौर्य जैसे गुणों को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। **सत्य** को पूरे संसार का आधार माना गया है। यह हमारे जीवन की नींव है, जिसके बिना कुछ भी स्थिर नहीं रह सकता। सत्य के मार्ग पर चलकर ही हम ईमानदारी और विश्वसनीयता हासिल कर सकते हैं।

    **तप** का अर्थ है कठिन परिश्रम और आत्म-नियंत्रण। यह हमें अनुशासन सिखाता है और हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। **दान** का महत्व यह है कि यह हमें स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों की मदद करना सिखाता है, जिससे समाज में प्रेम और सद्भाव बढ़ता है। **शौर्य** या वीरता हमें चुनौतियों का सामना करने और न्याय के लिए खड़े होने का साहस देती है। ये सभी गुण मिलकर एक व्यक्ति को महान और एक समाज को सशक्त बनाते हैं।

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