अध्याय 5: रेखाएँ एवं कोण (Lines and Angles)
परिचय
इस अध्याय में, हम ज्यामिति (Geometry) की मूल अवधारणाओं, जैसे रेखाएँ, रेखाखंड, किरणें और कोणों का अध्ययन करेंगे। हम विभिन्न प्रकार के कोणों और उनके बीच के संबंधों के बारे में जानेंगे। इसके अलावा, हम समांतर रेखाओं और एक तिर्यक रेखा द्वारा उन्हें काटने पर बनने वाले विशेष कोणों के बारे में भी सीखेंगे। यह अध्याय ज्यामिति की नींव को मजबूत करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
5.1 संबंधित कोण
अलग-अलग प्रकार के कोणों का आपस में एक विशेष संबंध होता है:
- पूरक कोण (Complementary Angles): जब दो कोणों का योग 90° होता है, तो वे एक-दूसरे के पूरक कोण कहलाते हैं। उदाहरण: 30° और 60° पूरक कोण हैं।
- संपूरक कोण (Supplementary Angles): जब दो कोणों का योग 180° होता है, तो वे एक-दूसरे के संपूरक कोण कहलाते हैं। उदाहरण: 70° और 110° संपूरक कोण हैं।
- आसन्न कोण (Adjacent Angles): ऐसे कोण जिनकी एक उभयनिष्ठ भुजा और एक उभयनिष्ठ शीर्ष हो, लेकिन कोई भी उभयनिष्ठ अंतः बिंदु (interior point) न हो, आसन्न कोण कहलाते हैं।
- रैखिक युग्म (Linear Pair): जब दो आसन्न कोणों की गैर-उभयनिष्ठ भुजाएँ एक सीधी रेखा बनाती हैं, तो वे एक रैखिक युग्म कहलाते हैं। इनका योग हमेशा 180° होता है।
- शीर्षाभिमुख कोण (Vertically Opposite Angles): जब दो रेखाएँ एक-दूसरे को काटती हैं, तो प्रतिच्छेदन बिंदु के विपरीत बने कोण शीर्षाभिमुख कोण कहलाते हैं और ये हमेशा बराबर होते हैं।
5.2 समांतर रेखाएँ और तिर्यक रेखा
समांतर रेखाएँ वे रेखाएँ हैं जो कभी भी एक-दूसरे को नहीं काटतीं। तिर्यक रेखा वह रेखा है जो दो या दो से अधिक रेखाओं को अलग-अलग बिंदुओं पर काटती है। जब एक तिर्यक रेखा दो समांतर रेखाओं को काटती है, तो विभिन्न प्रकार के कोण बनते हैं:
- संगत कोण (Corresponding Angles): ये तिर्यक रेखा के एक ही ओर और रेखाओं के समान स्थिति में होते हैं। ये हमेशा बराबर होते हैं।
- एकांतर अंतः कोण (Alternate Interior Angles): ये तिर्यक रेखा के विपरीत दिशाओं में और रेखाओं के बीच में होते हैं। ये भी हमेशा बराबर होते हैं।
- तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोण (Interior Angles on the same side of the transversal): ये तिर्यक रेखा के एक ही ओर और रेखाओं के बीच में होते हैं। इनका योग हमेशा 180° होता है (संपूरक होते हैं)।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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पूरक कोणों का योग कितना होता है?
पूरक कोणों का योग 90° होता है।
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संपूरक कोणों का योग कितना होता है?
संपूरक कोणों का योग 180° होता है।
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यदि दो कोण एक रैखिक युग्म बनाते हैं, तो उनका योग क्या होगा?
उनका योग 180° होगा।
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यदि दो रेखाएँ एक-दूसरे को काटती हैं, तो शीर्षाभिमुख कोणों के बीच क्या संबंध होता है?
शीर्षाभिमुख कोण हमेशा बराबर होते हैं।
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समांतर रेखाओं को काटने वाली रेखा को क्या कहते हैं?
समांतर रेखाओं को काटने वाली रेखा को तिर्यक रेखा (transversal) कहते हैं।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
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एक आसन्न कोणों का उदाहरण दीजिए और उनकी विशेषताएँ बताइए।
आसन्न कोणों में एक उभयनिष्ठ शीर्ष और एक उभयनिष्ठ भुजा होती है। उदाहरण के लिए, कोण ABC और कोण CBD आसन्न कोण हैं यदि वे एक ही शीर्ष B और उभयनिष्ठ भुजा BC साझा करते हैं।
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यदि दो कोण पूरक हैं और एक कोण 40° है, तो दूसरा कोण कितना होगा?
पूरक कोणों का योग 90° होता है। यदि एक कोण 40° है, तो दूसरा कोण $90° - 40° = 50°$ होगा।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
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समांतर रेखाओं को एक तिर्यक रेखा द्वारा काटने पर बनने वाले विभिन्न कोणों को विस्तार से समझाइए।
जब एक तिर्यक रेखा दो समांतर रेखाओं को काटती है, तो आठ कोण बनते हैं, जिनमें कुछ विशेष संबंध होते हैं। संगत कोण (corresponding angles) बराबर होते हैं, जैसे तिर्यक रेखा के एक ही तरफ ऊपर की ओर बने कोण। एकांतर अंतः कोण (alternate interior angles) भी बराबर होते हैं, जो तिर्यक रेखा के विपरीत ओर और समांतर रेखाओं के बीच में होते हैं।
इसके अतिरिक्त, तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोणों (consecutive interior angles) का योग 180° होता है, यानी वे संपूरक होते हैं। ये सभी संबंध हमें ज्यामितीय समस्याओं को हल करने और अज्ञात कोणों के मान ज्ञात करने में मदद करते हैं, जब हमें यह पता होता है कि रेखाएँ समांतर हैं।
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पूरक और संपूरक कोणों में क्या अंतर है? उदाहरणों सहित स्पष्ट करें।
पूरक और संपूरक कोण दोनों ही कोणों के जोड़े होते हैं, लेकिन उनका योग अलग-अलग होता है। पूरक कोणों का योग हमेशा 90° होता है, जबकि संपूरक कोणों का योग हमेशा 180° होता है। यह उनकी परिभाषा का मुख्य अंतर है।
उदाहरण के लिए, 25° और 65° पूरक कोण हैं क्योंकि $25° + 65° = 90°$। वहीं, 45° और 135° संपूरक कोण हैं क्योंकि $45° + 135° = 180°$। इन अवधारणाओं को समझने से हमें ज्यामिति की समस्याओं में कोणों के मान ज्ञात करने में आसानी होती है।
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