अध्याय 15: ठोस आकारों का चित्रण (Visualising Solid Shapes)
परिचय
हमारे चारों ओर की दुनिया में, हम विभिन्न आकृतियों और आकारों को देखते हैं। कुछ समतल आकृतियाँ होती हैं जिन्हें हम कागज पर बना सकते हैं, जबकि कुछ ठोस आकृतियाँ होती हैं जिनके आयतन होते हैं। इस अध्याय में, हम इन ठोस आकृतियों (3D आकृतियों) को समझने, उनका चित्रण करने और उन्हें विभिन्न दृष्टिकोणों से देखने की कला सीखेंगे। यह ज्ञान विज्ञान, कला और वास्तुकला जैसे क्षेत्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
15.1 द्विविमीय और त्रिविमीय आकार
द्विविमीय (2D) आकार: इन आकृतियों में केवल लंबाई और चौड़ाई होती है। इन्हें एक समतल पर खींचा जा सकता है। उदाहरण: वर्ग, आयत, वृत्त, त्रिभुज।
त्रिविमीय (3D) आकार: इन आकृतियों में लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई (या गहराई) तीनों होती हैं। ये अंतरिक्ष में जगह घेरते हैं। उदाहरण: घन, घनाभ, बेलन, शंकु, गोला।
15.2 फलक, किनारे और शीर्ष
ठोस आकृतियों को समझने के लिए, उनके तीन मुख्य घटकों को जानना आवश्यक है:
- फलक (Faces): ठोस आकृति की समतल सतहें। जैसे, एक घन में 6 फलक होते हैं।
- किनारे (Edges): दो फलकों के मिलने से बनने वाले रेखाखंड। एक घन में 12 किनारे होते हैं।
- शीर्ष (Vertices): जहाँ तीन या अधिक किनारे मिलते हैं, उन कोनों को शीर्ष कहते हैं। एक घन में 8 शीर्ष होते हैं।
15.3 ठोस आकारों के जाल
जाल (Net): एक द्विविमीय (2D) आकृति होती है, जिसे मोड़ने पर एक त्रिविमीय (3D) ठोस आकार बनता है। जाल का उपयोग ठोस आकृतियों के निर्माण के लिए किया जाता है। एक घन के लिए, कई तरह के जाल हो सकते हैं।
15.4 ठोस आकारों को बनाना
ठोस आकारों को कागज पर दो तरीकों से बनाया जा सकता है:
- तिरछी आकृतियाँ (Oblique Sketches): ये वे चित्र होते हैं जहाँ लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई को वास्तविक मापों के अनुसार नहीं दिखाया जाता है, लेकिन ये 3D आकृति की कल्पना देते हैं।
- समदूरीक आकृतियाँ (Isometric Sketches): इन चित्रों में मापों को यथावत रखा जाता है, जिससे आकृति वास्तविक जैसी दिखाई देती है। इन्हें समदूरीक शीट (बिंदु वाली शीट) पर बनाना आसान होता है।
15.5 विभिन्न दृश्यों से ठोस आकारों को देखना
किसी भी ठोस आकृति को हम अलग-अलग दृष्टिकोणों से देख सकते हैं, और हर दृष्टिकोण से उसका अलग ही दृश्य दिखता है। इन दृश्यों को 2D आकृतियों के रूप में बनाया जा सकता है।
- ऊपरी दृश्य (Top View): जब हम आकृति को सीधे ऊपर से देखते हैं।
- सामने से दृश्य (Front View): जब हम आकृति को सीधे सामने से देखते हैं।
- पार्श्व दृश्य (Side View): जब हम आकृति को किनारे से देखते हैं।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
-
एक घन में कितने फलक होते हैं?
एक घन में 6 फलक होते हैं।
-
त्रिविमीय (3D) आकार का एक उदाहरण दीजिए।
शंकु (cone) एक त्रिविमीय आकार का उदाहरण है।
-
जाल (net) क्या होता है?
जाल एक 2D आकृति है जिसे मोड़ने पर एक 3D ठोस आकार बनता है।
-
एक घन में कितने किनारे होते हैं?
एक घन में 12 किनारे होते हैं।
II. प्रत्येक प्रश्न का एक लघु पैराग्राफ (लगभग 30 शब्द) में उत्तर दें।
-
2D और 3D आकृतियों में क्या अंतर है?
2D आकृतियों में केवल लंबाई और चौड़ाई होती है (जैसे वर्ग)। 3D आकृतियों में लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई तीनों होती हैं (जैसे घन)। 3D आकृतियाँ अंतरिक्ष में जगह घेरती हैं जबकि 2D आकृतियाँ नहीं।
-
किसी ठोस आकृति के ऊपरी, सामने और पार्श्व दृश्यों का क्या मतलब है?
ऊपरी दृश्य वह है जो ऊपर से देखने पर दिखता है। सामने का दृश्य वह है जो सीधे सामने से देखने पर दिखता है। पार्श्व दृश्य वह है जो किनारे से देखने पर दिखता है। ये सभी 2D चित्र होते हैं।
III. प्रत्येक प्रश्न का दो या तीन पैराग्राफ (100–150 शब्द) में उत्तर दें।
ठोस आकृतियों के जाल का बहुत महत्व है। यह हमें यह समझने में मदद करता है कि एक जटिल 3D आकृति कैसे बनती है। जाल का उपयोग करके हम कागज या गत्ते जैसी सामग्री से वास्तविक ठोस आकृतियाँ बना सकते हैं। यह ज्यामिति को अधिक व्यावहारिक और मूर्त बनाता है। एक ठोस आकृति को उसके जाल के रूप में खोलने पर, हम उसके सभी फलकों को एक साथ देख पाते हैं। उदाहरण के लिए, एक घन का जाल 6 वर्गाकार फलकों से बनता है।
एक **बेलन (cylinder)** के लिए, जाल बनाना आसान है। बेलन में एक वक्रित सतह होती है और दो वृत्ताकार आधार होते हैं। जब हम बेलन को खोलते हैं, तो वक्रित सतह एक आयत बन जाती है, और दोनों वृत्ताकार आधार उसके ऊपर और नीचे लगे होते हैं। इसलिए, एक बेलन का जाल एक आयत और दो वृत्तों से बनता है। आयत की लंबाई वृत्त की परिधि के बराबर होती है और आयत की चौड़ाई बेलन की ऊँचाई के बराबर होती है।
ठोस आकृतियों को कागज पर बनाने के दो मुख्य तरीके तिरछी और समदूरीक आकृतियाँ हैं। दोनों का उद्देश्य एक 3D वस्तु का 2D प्रतिनिधित्व करना है, लेकिन उनके दृष्टिकोण में अंतर होता है। **तिरछी आकृतियों** में, हम वास्तविक मापों का उपयोग नहीं करते हैं। सामने का फलक अक्सर उसके वास्तविक आकार में बनाया जाता है, लेकिन गहराई को दर्शाने वाली भुजाओं को तिरछा और छोटा बनाया जाता है ताकि आकृति 3D लगे। इस विधि में भुजाओं की लंबाई और कोण विकृत हो सकते हैं, जिससे यह सटीक नहीं होता, लेकिन इसे सामान्य कागज पर बनाना आसान होता है।
इसके विपरीत, **समदूरीक आकृतियाँ** अधिक यथार्थवादी होती हैं क्योंकि वे आकृतियों के वास्तविक मापों को दर्शाती हैं। इन्हें आमतौर पर विशेष समदूरीक शीट (बिंदु वाली शीट) पर बनाया जाता है जिसमें बिंदु $60^\circ$ के कोण पर व्यवस्थित होते हैं। इन आकृतियों में सभी समानांतर भुजाएँ समानांतर रहती हैं और वास्तविक लंबाई के अनुपात में बनाई जाती हैं। इस कारण, समदूरीक आकृतियाँ वस्तु की अधिक सटीक और यथार्थवादी छाप देती हैं और अक्सर तकनीकी और इंजीनियरिंग ड्रॉइंग में इनका उपयोग किया जाता है।
(ब्राउज़र के प्रिंट-टू-पीडीएफ फ़ंक्शन का उपयोग करता है। दिखावट भिन्न हो सकती है।)