अध्याय 9: व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री (Traders, Kings and Pilgrims)
परिचय
यह अध्याय हमें भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग **2000 साल पहले** से शुरू हुए व्यापार, राज्यों के विकास और बौद्ध धर्म के प्रसार के बारे में बताता है। इस दौरान दूर-दराज के इलाकों से व्यापार बढ़ा, शक्तिशाली राजवंशों का उदय हुआ और बौद्ध तीर्थयात्रियों ने भारत की यात्रा की, जिससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिला।
9.1 दक्षिण भारत में सोने, मसाले और कीमती पत्थर (Gold, Spices and Precious Stones in South India)
प्राचीन काल से ही दक्षिण भारत अपने **सोने, मसालों (विशेषकर काली मिर्च)** और कीमती पत्थरों के लिए प्रसिद्ध रहा है।
- **काली मिर्च का महत्व:** रोमन साम्राज्य में काली मिर्च की इतनी अधिक मांग थी कि इसे 'काला सोना' कहा जाता था। भारतीय व्यापारी इन वस्तुओं को समुद्री और सड़क मार्गों से रोम ले जाते थे।
- **रोमन सिक्के:** भारत में कई पुरातात्विक स्थलों पर रोमन सोने के सिक्के मिले हैं, विशेषकर दक्षिण भारत में। यह इस बात का प्रमाण है कि भारत और रोमन साम्राज्य के बीच बहुत बड़ा व्यापार होता था।
- **व्यापारिक मार्ग:** व्यापारियों ने कई व्यापारिक मार्ग बनाए, जिनमें से कुछ ज़मीन पर थे और कुछ समुद्र पर। समुद्री मार्ग पर चलने वाले व्यापारी मानसून हवाओं का लाभ उठाते थे ताकि यात्रा तेज़ हो सके।
9.2 समुद्र तटों पर राज्य (The Kingdoms on the Coasts)
दक्षिण भारत के समुद्र तटों पर कई शक्तिशाली राज्य विकसित हुए। इनमें **चोल, चेर और पांड्य** प्रमुख थे। ये राज्य लगभग **2300 साल पहले** शक्तिशाली हुए।
- **मुवेंदार:** चोल, चेर और पांड्य को सामूहिक रूप से **मुवेंदार** कहा जाता था, जिसका तमिल में अर्थ है 'तीन मुखिया'।
- **राजस्व स्रोत:** इन मुखियाओं के पास दो सत्ता केंद्र थे: एक अंदरूनी इलाके में और एक तट पर। ये मुखिया नियमित कर की बजाय लोगों से **भेंट** (उपहार) मांगते थे। वे सैनिकों को बनाए रखते थे और लूटपाट के लिए सैन्य अभियान चलाते थे।
- **राजधानी शहर:** इनके राजधानी शहर आमतौर पर बहुत महत्वपूर्ण थे, जैसे चोलों का **पुहार या कावेरीपट्टिनम**।
इनके बाद, लगभग 200 साल बाद **सातवाहन** पश्चिमी भारत में शक्तिशाली हुए। इनमें सबसे महत्वपूर्ण शासक **गौतमीपुत्र श्री सातकर्णी** थे। उन्हें "दक्षिणापथ के स्वामी" कहा जाता था, जिसका अर्थ है दक्षिण की ओर जाने वाला मार्ग। उन्होंने पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी तटों को नियंत्रित करने का प्रयास किया।
9.3 रेशम मार्ग की कहानी (The Story of the Silk Route)
रेशम (सिल्क) चीन में पहली बार बनाया गया था और इसे बनाने की तकनीक को हजारों सालों तक गुप्त रखा गया। चीन से रेशम को पैदल, घोड़ों या ऊँटों पर ले जाया जाता था, और जिस मार्ग से यह यात्रा होती थी उसे **रेशम मार्ग (Silk Route)** कहा गया।
- **महत्व:** यह मार्ग चीन को पश्चिमी देशों से जोड़ता था। यह इतना लोकप्रिय हो गया था कि इसे रेशम मार्ग ही कहा जाने लगा।
- **व्यापारी और राजा:** रेशम मार्ग पर नियंत्रण करने वाले शासक इस व्यापार से बहुत लाभ कमाते थे। वे व्यापारियों से कर लेते थे और बदले में मार्ग की सुरक्षा सुनिश्चित करते थे।
9.4 कुषाण (The Kushanas)
लगभग **2000 साल पहले**, मध्य एशिया और उत्तर-पश्चिमी भारत पर **कुषाणों** का शासन था। उनका राज्य दो प्रमुख रेशम मार्ग शाखाओं पर स्थित था, जिससे उन्हें इस व्यापार से भारी राजस्व प्राप्त होता था।
- **प्रमुख शासक:** कुषाणों में सबसे प्रसिद्ध शासक **कनिष्क** थे, जिन्होंने लगभग 1900 साल पहले शासन किया था।
- उन्होंने एक बौद्ध परिषद का आयोजन किया, जहाँ बौद्ध विद्वानों ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।
- कनिष्क के दरबार में कवि **अश्वघोष** रहते थे, जिन्होंने **बुद्ध-चरित** की रचना की, जिसमें बुद्ध की जीवनी लिखी गई है।
- **बौद्ध धर्म का प्रसार:** कुषाणों के शासनकाल में बौद्ध धर्म का प्रसार मध्य एशिया और चीन में हुआ। इसी दौरान बौद्ध धर्म की एक नई धारा, **महायान बौद्ध धर्म** का विकास हुआ।
9.5 बौद्ध धर्म का प्रसार (The Spread of Buddhism)
कनिष्क के समय में बौद्ध धर्म में दो मुख्य धाराएँ विकसित हुईं:
- **महायान बौद्ध धर्म:**
- इसमें **बुद्ध की मूर्तियों** की पूजा शुरू हुई। पहले, बुद्ध को केवल प्रतीकों (जैसे पीपल का पेड़ या स्तूप) के माध्यम से दिखाया जाता था। अब उनकी मूर्तियाँ मथुरा और तक्षशिला में बनाई जाने लगीं।
- **बोधिसत्वों** पर विश्वास बढ़ने लगा। बोधिसत्व वे लोग थे जिन्होंने ज्ञान प्राप्त कर लिया था, लेकिन मोक्ष प्राप्त करने के बाद भी दूसरों की मदद के लिए पृथ्वी पर रुकने का निर्णय लिया।
- **हीनयान बौद्ध धर्म (थेरवाद बौद्ध धर्म):** यह बौद्ध धर्म का अधिक पारंपरिक रूप था, जो बुद्ध की शिक्षाओं पर अधिक केंद्रित था और मूर्तियों की पूजा पर कम जोर देता था।
बौद्ध धर्म पूर्वी भारत से होते हुए पश्चिमी और दक्षिणी भारत तक भी फैला, जहाँ बौद्ध भिक्षुओं के लिए कई गुफाएँ बनाई गईं।
9.6 तीर्थयात्रियों की जिज्ञासा (The Curiosity of Pilgrims)
इस काल में, चीनी बौद्ध तीर्थयात्री भारत की यात्रा पर आए, क्योंकि भारत बुद्ध की जन्मभूमि और बौद्ध धर्म का केंद्र था।
- **फा शिएन (Fa Xian):** यह लगभग 1600 साल पहले भारत आए थे।
- **ह्वेन त्सांग (Xuan Zang):** ये लगभग 1400 साल पहले भारत आए थे।
- **इत्सिंग (I-Qing):** ये लगभग 50 साल बाद ह्वेन त्सांग के बाद आए थे।
ये सभी तीर्थयात्री बौद्ध धर्म से जुड़ी पवित्र पुस्तकों और मूर्तियों को इकट्ठा करने और बौद्ध स्थलों की यात्रा करने के लिए भारत आए थे। उन्होंने अपनी यात्राओं का विस्तृत विवरण लिखा, जो हमें उस समय के भारत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं।
9.7 भक्ति की शुरुआत (The Beginning of Bhakti)
इसी दौरान भारत में **भक्ति** की अवधारणा भी लोकप्रिय हुई। भक्ति एक ऐसा मार्ग है जहाँ व्यक्ति किसी विशेष देवी या देवता की पूजा पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ करता है।
- **भक्ति का सार:** भक्ति मार्ग पर चलने वाले मानते थे कि अगर कोई व्यक्ति सच्ची भक्ति के साथ किसी देवी या देवता की पूजा करता है, तो वे उसे मोक्ष प्राप्त करने में मदद करेंगे।
- **मूर्ति पूजा:** इस काल में विष्णु, शिव और दुर्गा जैसी देवियों और देवताओं की मूर्तियों की पूजा बहुत लोकप्रिय हुई।
- **धर्मग्रंथ:** इस अवधारणा को भगवद्गीता जैसे ग्रंथों में भी विस्तार से बताया गया है, जो महाभारत का एक हिस्सा है।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
-
रोमन साम्राज्य में किस भारतीय मसाले की अत्यधिक मांग थी?
रोमन साम्राज्य में काली मिर्च की अत्यधिक मांग थी।
-
दक्षिण भारत के तीन प्रमुख राज्यों (मुवेंदार) के नाम बताएँ।
दक्षिण भारत के तीन प्रमुख राज्य चोल, चेर और पांड्य थे।
-
रेशम मार्ग क्या था?
रेशम मार्ग वह मार्ग था जिससे चीन से रेशम को पैदल, घोड़ों या ऊँटों पर ले जाकर पश्चिमी देशों में बेचा जाता था।
-
कुषाणों का सबसे प्रसिद्ध शासक कौन था?
कुषाणों का सबसे प्रसिद्ध शासक कनिष्क था।
-
भक्ति क्या है?
भक्ति किसी विशेष देवी या देवता की पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ पूजा करने का मार्ग है।
II. खाली स्थान भरें।
- रोमन साम्राज्य में काली मिर्च को **काला सोना** कहा जाता था।
- चोल, चेर और पांड्य को सामूहिक रूप से **मुवेंदार** कहा जाता था।
- सातवाहनों का सबसे महत्वपूर्ण शासक **गौतमीपुत्र श्री सातकर्णी** था।
- कनिष्क के दरबार में कवि **अश्वघोष** ने बुद्ध-चरित की रचना की।
- चीनी बौद्ध तीर्थयात्री **ह्वेन त्सांग** लगभग 1400 साल पहले भारत आए थे।
III. सही विकल्प चुनें।
-
चोलों का एक महत्वपूर्ण पत्तन (बंदरगाह) शहर कौन सा था?
- मथुरा
- पाटलिपुत्र
- **पुहार (कावेरीपट्टिनम)**
- अरिकामेडु
सही उत्तर: पुहार (कावेरीपट्टिनम)
-
बोधिसत्व कौन होते थे?
- राजा के सलाहकार
- शक्तिशाली व्यापारी
- युद्ध में शामिल सैनिक
- **वे व्यक्ति जिन्होंने ज्ञान प्राप्त कर लिया था, पर मोक्ष प्राप्त करने के बाद भी दूसरों की मदद के लिए रुके रहे**
सही उत्तर: वे व्यक्ति जिन्होंने ज्ञान प्राप्त कर लिया था, पर मोक्ष प्राप्त करने के बाद भी दूसरों की मदद के लिए रुके रहे
-
किस चीनी तीर्थयात्री ने फा शिएन के बाद भारत की यात्रा की?
- इत्सिंग
- **ह्वेन त्सांग**
- ज़ुआंग ज़ोंग
- ली बाय
सही उत्तर: ह्वेन त्सांग
IV. सही जोड़ी मिलाएं।
स्तंभ A | स्तंभ B (उत्तर) |
---|---|
मुवेंदार | चोल, चेर, पांड्य |
दक्षिणापथ | दक्षिण की ओर जाने वाला मार्ग |
अश्वघोष | बुद्ध-चरित |
महायान बौद्ध धर्म | बुद्ध की मूर्तियाँ |
भक्ति | देवी-देवताओं की पूजा |
रेशम मार्ग | चीन से पश्चिमी देश |
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