अध्याय 8: खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर (Vital Villages, Thriving Towns)
परिचय
यह अध्याय हमें लगभग **2500 साल पहले** के समय के बारे में बताता है, जब भारतीय उपमहाद्वीप में गाँव और शहर किस तरह से विकसित हुए। इस दौरान कृषि में बड़े बदलाव हुए, नए उपकरण आए, और शहरों का उदय हुआ।
8.1 लोहे के औजार और कृषि (Iron Tools and Agriculture)
इस काल में **लोहे के औजारों** का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया। लगभग 2500 साल पहले लोहे के औजारों में कई तरह के बदलाव और विकास हुए।
- **जंगलों की सफाई:** जंगल साफ़ करने के लिए **कुल्हाड़ियों** का इस्तेमाल किया जाने लगा। इससे खेती के लिए ज़्यादा ज़मीन मिल गई।
- **खेती में उन्नति:** खेती के लिए **हल के फाल** अब लोहे के बनने लगे, जिससे कठोर ज़मीन को जोतना आसान हो गया। इससे अनाज का उत्पादन बढ़ गया।
- **सिंचाई:** खेती के लिए पानी की ज़रूरत को पूरा करने के लिए सिंचाई के नए तरीके अपनाए गए। **कुएँ, तालाब और नहरें** बनाई गईं। राजाओं ने भी सिंचाई परियोजनाओं में निवेश किया क्योंकि इससे कर के रूप में ज़्यादा अनाज मिल सकता था।
8.2 गाँव में कौन रहते थे? (Who lived in the villages?)
उपमहाद्वीप के अलग-अलग हिस्सों में गाँव में रहने वाले लोग अलग-अलग तरीकों से जाने जाते थे:
- **उत्तरी भारत में:**
- **ग्राम भोजक:** ये गाँव के मुखिया होते थे और आमतौर पर एक ही परिवार के होते थे (वंशानुगत)। ये सबसे बड़े ज़मीन मालिक होते थे, किसानों से कर वसूलते थे, और न्यायाधीश व कभी-कभी पुलिस का काम भी करते थे।
- **गृहपति:** ये छोटे किसान होते थे, जिनकी ज़मीन ग्राम भोजक से कम होती थी।
- **दास और कर्मकार:** ये भूमिहीन मजदूर होते थे, जो दूसरों की ज़मीन पर काम करके अपना जीवन चलाते थे।
- **दक्षिणी भारत (तमिलनाडु) में:**
- **वेल्लालर:** ये बड़े भू-स्वामी (ज़मीन के मालिक) थे।
- **उझावर:** ये साधारण हल चलाने वाले (किसान) थे।
- **कडैसियार और आदिमई:** ये भूमिहीन मजदूर और दास होते थे।
8.3 संगम साहित्य (Sangam Literature)
तमिल भाषा में लिखी गई सबसे पुरानी रचनाओं को **संगम साहित्य** कहते हैं। इनकी रचना लगभग **2300 साल पहले** हुई थी।
- **नामकरण:** इन्हें 'संगम' इसलिए कहा जाता है क्योंकि मदुरै में आयोजित कवियों की सभाओं (जो 'संगम' कहलाती थीं) में इनकी रचना और संकलन किया गया था।
- **महत्व:** यह साहित्य हमें उस समय के गाँवों और शहरों के जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देता है।
8.4 नगर: हमें कहानियाँ, यात्रा-विवरण और मूर्तिकला क्या बताती हैं? (Cities: What stories, travelogues and sculpture tell us?)
**जातक कथाएँ** वे कहानियाँ हैं जो आम लोगों द्वारा रची गई थीं और बाद में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा लिखी गईं। ये कहानियाँ हमें उस समय के गाँवों और शहरों के जीवन के बारे में बताती हैं।
- **शिल्प और कारीगर:** शहरों में कई तरह के **कारीगर** होते थे, जैसे बुनकर, लोहार, कुम्हार, बढ़ई और सुनार।
- **उत्तरी काले पॉलिश वाले बर्तन (NBPW):** पुरातत्वविदों को कई शहरों से ऐसे बर्तन मिले हैं जो बहुत चिकने, चमकदार, काले और हल्के होते थे। ये उच्च गुणवत्ता वाले बर्तन थे जो कुशल कारीगरों द्वारा बनाए जाते थे।
- **श्रेणियाँ (Shrenis):** शिल्पकारों और व्यापारियों ने अपने-अपने **संघ** बनाए थे, जिन्हें **श्रेणियाँ** कहते थे।
- ये श्रेणियाँ शिल्पकारों को प्रशिक्षण देती थीं, कच्चा माल खरीदती थीं, और तैयार माल बेचती थीं।
- ये बैंकों के रूप में भी काम करती थीं, जहाँ अमीर लोग पैसा जमा करते थे, और इस पैसे का निवेश किया जाता था।
8.5 शहरों के अन्य कार्य (Other Functions of Cities)
- **मथुरा:** यह लगभग 2500 साल पहले एक बहुत महत्वपूर्ण शहर बन गया था। यह व्यापार और यातायात के महत्वपूर्ण रास्तों पर स्थित था। यह मूर्तियों और शिल्प का भी एक प्रमुख केंद्र था। मथुरा बौद्ध मठों, जैन मंदिरों और कृष्ण पूजा के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र भी था।
- **छल्लेदार कुएँ (Ring Wells):** कई शहरों में छल्लेदार कुएँ मिले हैं, जिनका उपयोग शौचालयों, नालियों या कचरा फेंकने के लिए किया जाता था।
- **राजधानी शहर:** कुछ शहर बड़े राज्यों की राजधानी भी होते थे, जैसे **पाटलिपुत्र** (आज का पटना)।
8.6 व्यापार और व्यापारी (Trade and Traders)
इस समय दक्षिण भारत अपनी संपत्ति के लिए बहुत प्रसिद्ध था, विशेषकर **सोने, मसालों (काली मिर्च)** और कीमती पत्थरों के लिए। **काली मिर्च** की रोमन साम्राज्य में बहुत ज़्यादा मांग थी, और भारतीय व्यापारी इसे जहाजों में भरकर रोम ले जाते थे।
- **समुद्री और सड़क मार्ग:** व्यापारी व्यापार के लिए समुद्री और सड़क दोनों मार्गों का उपयोग करते थे। समुद्री यात्राओं में मानसून हवाओं का लाभ उठाया जाता था।
- **रोमन सिक्के:** भारत के कई पुरातात्विक स्थलों पर **रोमन सोने के सिक्के** मिले हैं, जो भारत और रोमन साम्राज्य के बीच व्यापारिक संबंधों को दर्शाते हैं।
8.7 अरिकामेडु: एक तटीय बस्ती (Arikamedu: A Coastal Settlement)
**अरिकामेडु** (जो आज पुदुचेरी में है) लगभग **2200 से 1900 साल पहले** तक एक महत्वपूर्ण तटीय बस्ती और बंदरगाह था।
- **पुरातत्वीय खोजें:** यहाँ से **रोमन लैंप, शीशे के बर्तन, रत्न** और **एम्फोरा** (लंबे, दो हैंडल वाले जार जिनमें शराब या तेल रखा जाता था) जैसे कई रोमन बर्तन मिले हैं।
- **स्थानीय और आयातित बर्तन:** यहाँ एरेटाइन वेयर (Arretine Ware) जैसे मिट्टी के बर्तन भी मिले हैं, जो रोमन डिजाइन वाले थे लेकिन भारत में बनाए जाते थे।
- **गोदाम:** यहाँ एक बड़ी ईंटों की संरचना भी मिली है जो संभवतः एक गोदाम थी, जहाँ व्यापारिक सामान रखा जाता था।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
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लौह युग में कृषि में सबसे बड़ा बदलाव क्या था?
लौह युग में कृषि में सबसे बड़ा बदलाव लोहे के हल के फालों का उपयोग और सिंचाई प्रणाली का विकास था।
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दक्षिणी भारत में बड़े भू-स्वामी को क्या कहते थे?
दक्षिणी भारत में बड़े भू-स्वामी को **वेल्लालर** कहते थे।
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'संगम' साहित्य का नाम 'संगम' क्यों पड़ा?
'संगम' साहित्य का नाम 'संगम' मदुरै में आयोजित कवियों की सभाओं या 'संगमों' के कारण पड़ा।
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श्रेणियाँ क्या काम करती थीं?
श्रेणियाँ शिल्पकारों को प्रशिक्षण देती थीं, कच्चा माल खरीदती थीं, और तैयार माल बेचती थीं। ये बैंकों के रूप में भी काम करती थीं।
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अरिकामेडु में कौन से रोमन साक्ष्य मिले हैं?
अरिकामेडु में रोमन लैंप, ग्लासवेयर, रत्न, एम्फोरा (अम्फोरा) और एरेटाइन वेयर जैसे रोमन साक्ष्य मिले हैं।
II. खाली स्थान भरें।
- दक्षिण भारत विशेष रूप से **सोने, काली मिर्च** और कीमती पत्थरों के लिए प्रसिद्ध था।
- उत्तरी भारत में गाँव का मुखिया **ग्राम भोजक** कहलाता था।
- **उत्तरी काले पॉलिश वाले बर्तन (NBPW)** चिकने, चमकदार और काले होते थे।
- **मथुरा** कृष्ण पूजा के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र था।
- **जातक कथाएँ** आम लोगों द्वारा रची गई कहानियाँ थीं।
III. सही विकल्प चुनें।
-
कौन सा उपकरण लौह युग में कृषि उत्पादन बढ़ाने में सहायक था?
- हाथ की कुल्हाड़ी
- पत्थर का हल
- **लोहे का हल का फाल**
- लकड़ी का कुल्हाड़ी
सही उत्तर: लोहे का हल का फाल
-
उत्तरी भारत में भूमिहीन मजदूर और दास क्या कहलाते थे?
- ग्राम भोजक
- गृहपति
- **दास और कर्मकार**
- वेल्लालर
सही उत्तर: दास और कर्मकार
-
अरिकामेडु किस प्रकार की बस्ती थी?
- पहाड़ी बस्ती
- मरुस्थलीय बस्ती
- **तटीय बस्ती**
- वन्य बस्ती
सही उत्तर: तटीय बस्ती
IV. सही जोड़ी मिलाएं।
स्तंभ A | स्तंभ B (उत्तर) |
---|---|
ग्राम भोजक | गाँव का मुखिया |
दास | भूमिहीन मजदूर |
संगम साहित्य | तमिल कविताएँ |
NBPW | उत्तरी काले पॉलिश वाले बर्तन |
श्रेणियाँ | शिल्पकार और व्यापारियों के संघ |
अरिकामेडु | रोमन लैंप |
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