अध्याय 3: आरंभिक नगर (In the Earliest Cities)
परिचय
यह अध्याय हमें भारतीय उपमहाद्वीप में पनपी सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक **हड़प्पा सभ्यता** के बारे में बताता है। ये नगर लगभग **4700 साल पहले** विकसित हुए थे। ये नगर अपने उन्नत नियोजन, शहरी जीवन और शिल्प कौशल के लिए जाने जाते हैं।
3.1 हड़प्पा की कहानी (The Story of Harappa)
लगभग **150 साल पहले**, जब पंजाब में रेलवे लाइनें बिछाई जा रही थीं, तब इंजीनियरों को हड़प्पा नामक स्थान पर पुराने टीले मिले। उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाली ईंटें मिलीं और उन्होंने हजारों ईंटें इमारतों से निकाल कर रेलवे लाइन बनाने में इस्तेमाल कर लीं। इससे कई प्राचीन इमारतों को नुकसान पहुँचा।
लगभग **80 साल पहले**, पुरातत्वविदों ने इन स्थलों की खोज की और महसूस किया कि ये भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे पुराने शहरों में से थे। चूंकि हड़प्पा इस सभ्यता की खोजा गया पहला स्थल था, इसलिए इसे **हड़प्पा सभ्यता** नाम दिया गया।
3.2 इन नगरों की विशेषताएँ (Features of These Cities)
इन नगरों को दो या अधिक भागों में विभाजित किया गया था:
- **पश्चिमी भाग (दुर्ग):** यह छोटा लेकिन ऊँचाई पर बना था। पुरातत्वविदों ने इसे **दुर्ग** कहा।
- **पूर्वी भाग (निचला नगर):** यह बड़ा लेकिन निचले हिस्से में बना था।
दुर्ग और निचले नगर दोनों को ईंटों की दीवारों से घेरा गया था। इन ईंटों को बहुत अच्छी तरह से पकाया जाता था और वे हजारों सालों तक चलती थीं। दीवारों का निर्माण इस तरह से किया गया था कि हर दीवार एक-दूसरे से जुड़ी होती थी।
मोहनजोदड़ो का महान स्नानागार (The Great Bath at Mohenjodaro)
- मोहनजोदड़ो में एक विशेष जलाशय मिला है, जिसे पुरातत्वविदों ने **महान स्नानागार** कहा है।
- यह ईंटों से बना था और इसे प्लास्टर और प्राकृतिक डामर की परत से जलरोधक बनाया गया था।
- इसमें पानी लाने के लिए कुएँ थे और इस्तेमाल किए गए पानी को बाहर निकालने के लिए नालियाँ थीं।
- ऐसा माना जाता है कि महत्वपूर्ण अवसरों पर विशिष्ट नागरिक इसमें डुबकी लगाते थे।
अन्य संरचनाएँ (Other Structures)
- **कालीबंगा और लोथल** जैसे कुछ नगरों में **अग्निकुंड** (आग की वेदियाँ) मिले हैं, जहाँ शायद यज्ञ किए जाते थे।
- **मोहनजोदड़ो, हड़प्पा और लोथल** में **भंडार गृह** (अनाज के गोदाम) मिले हैं।
3.3 घर, नालियाँ और सड़कें (Houses, Drains and Streets)
हड़प्पा के नगर नियोजन की ये प्रमुख विशेषताएँ थीं:
- **घर:** आमतौर पर एक या दो मंजिल ऊँचे होते थे। कमरे एक आंगन के चारों ओर बनाए जाते थे। अधिकांश घरों में एक अलग स्नानघर होता था और कुछ में कुएँ भी होते थे।
- **नालियाँ:** इन नगरों में ढकी हुई नालियों की एक बहुत प्रभावशाली प्रणाली थी। प्रत्येक नाली में एक हल्की ढलान होती थी जिससे पानी आसानी से बह सके। घरों की नालियाँ सड़कों की नालियों से जुड़ी होती थीं, और बड़ी नालियाँ छोटी नालियों को ढकी हुई होती थीं। नालियों के बीच-बीच में मैनहोल होते थे जहाँ से सफाई की जा सकती थी।
- **सड़कें:** सड़कें सीधी होती थीं और एक ग्रिड पैटर्न में एक-दूसरे को काटती थीं।
नगर नियोजन की यह समानता बताती है कि नगरों में कुछ योजना और प्रशासन रहा होगा।
3.4 नगरीय जीवन (Life in the City)
हड़प्पा के नगरों में एक व्यस्त नगरीय जीवन था:
- **शासक वर्ग:** शासक वर्ग था जो नगर के निर्माण की योजना बनाता था और लोगों को दूर-दराज के क्षेत्रों से बहुमूल्य पत्थरों और धातुओं को लाने के लिए भेजता था।
- **लिपिक:** लिपिक मुहरों पर लिखते थे और शायद अन्य सामग्रियों पर भी लिखते थे जो अब तक संरक्षित नहीं हो पाई हैं।
- **शिल्पकार:** पुरुष और महिलाएँ दोनों प्रकार के शिल्प में लगे हुए थे, जैसे पत्थर के वजन, मनके, तांबे के उपकरण, सोने और चांदी के आभूषण बनाना।
- **कृषक और चरवाहे:** नगरों में रहने वाले लोगों के लिए भोजन की आपूर्ति करते थे।
3.5 नए शिल्प (New Crafts)
पुरातत्वविदों को हड़प्पा स्थलों से कई वस्तुएँ मिली हैं, जिनमें से अधिकांश पत्थर, शंख, तांबा, कांस्य, सोना और चांदी से बनी हैं।
- **धातु:** तांबे और कांस्य का उपयोग औजार, हथियार, आभूषण और बर्तन बनाने के लिए किया जाता था। सोना और चांदी का उपयोग आभूषण और बर्तन बनाने के लिए किया जाता था।
- **मनके, बाट और फलक:** हड़प्पा के लोग सुंदर मनके, पत्थर के बाट और पत्थर के छोटे फलक (ब्लेड) बनाते थे। बाट शायद कीमती पत्थरों या धातुओं का वजन करने के लिए उपयोग किए जाते थे।
- **मुहरें:** मुहरें आमतौर पर आयताकार होती थीं और इन पर जानवरों के चित्र बने होते थे। इन पर एक विशेष लिपि (चित्र-लिपि) भी अंकित होती थी, जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
- **टेराकोटा खिलौने:** बच्चों के लिए टेराकोटा (पकी हुई मिट्टी) के खिलौने भी मिले हैं।
- **कपास:** मोहनजोदड़ो में लगभग **4600 साल पहले** कपास की खेती के संकेत मिले हैं।
3.6 कच्चे माल की तलाश में (In Search of Raw Materials)
कच्चे माल ऐसे पदार्थ होते हैं जो या तो प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं (जैसे लकड़ी, अयस्क) या किसान/पशुपालक उनका उत्पादन करते हैं (जैसे कपास)।
- हड़प्पा के लोगों को कई कच्चे माल स्थानीय रूप से मिलते थे, लेकिन तांबा, सोना, चांदी और कीमती पत्थर जैसे कई चीजों को दूर-दराज के स्थानों से लाना पड़ता था।
- वे **राजस्थान से तांबा**, **ओमान (पश्चिमी एशिया) से तांबा**, **कर्नाटक से सोना**, और **गुजरात, ईरान और अफगानिस्तान से कीमती पत्थर** प्राप्त करते थे।
3.7 भोजन के लिए क्या करते थे नगरों के लोग? (What People Ate in the Cities?)
नगरों में रहने वाले लोगों के लिए भोजन ग्रामीण क्षेत्रों से आता था। किसान और चरवाहे गेहूँ, जौ, दालें, मटर, चावल, तिल, अलसी और सरसों उगाते थे।
- वे मवेशी, भेड़, बकरी और भैंस पालते थे।
- वे फल (जैसे बेर), मछली पकड़ते थे और जंगली जानवरों का शिकार करते थे।
3.8 गुजरात में हड़प्पा नगर (Harappan Cities in Gujarat)
गुजरात में दो महत्वपूर्ण हड़प्पा स्थल मिले हैं:
- **धोलावीरा:** यह कच्छ के खादिर बेल्ट में स्थित था। यह अन्य हड़प्पा नगरों के विपरीत, तीन भागों में विभाजित था, और प्रत्येक भाग को पत्थर की विशाल दीवारों से घेरा गया था। यहाँ एक बड़ा खुला क्षेत्र भी था जहाँ सार्वजनिक समारोह आयोजित किए जाते थे। यहाँ हड़प्पा लिपि के बड़े अक्षर भी पत्थरों पर खुदे हुए मिले हैं, जो एक अद्वितीय खोज है।
- **लोथल:** यह गुजरात में साबरमती की एक सहायक नदी के किनारे स्थित था, जो खंभात की खाड़ी के पास है। यह एक महत्वपूर्ण **बंदरगाह** था, जहाँ कीमती पत्थरों और धातु जैसे कच्चे माल आसानी से उपलब्ध थे। यहाँ एक भंडार गृह भी मिला है जहाँ से मुहरें और मुहरबंदी (मोहरों की छाप) मिली हैं। लोथल में एक **गोदीवाड़ा (Dockyard)** भी पाया गया है, जो जहाजों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
3.9 हड़प्पा सभ्यता का अंत (The End of the Harappan Civilization)
लगभग **3900 साल पहले**, हड़प्पा शहरों में एक बड़ा परिवर्तन देखा गया। लोगों ने इन शहरों को छोड़ दिया। लेखन, मुहरों और बाटों का उपयोग बंद हो गया। दूर-दराज से कच्चे माल का आयात बंद हो गया।
इस सभ्यता के अंत के कई संभावित कारण हो सकते हैं, हालांकि कोई निश्चित कारण नहीं मिला है। कुछ संभावित कारण हैं:
- **नदी सूखना:** कुछ विद्वानों का मानना है कि नदियों के सूखने के कारण लोगों को स्थानों को छोड़ना पड़ा।
- **वनों की कटाई:** ईंधन की आवश्यकता के लिए वनों की अत्यधिक कटाई हुई होगी, जिससे भूमि अनुपयोगी हो गई।
- **बाढ़:** कुछ नगरों में विनाशकारी बाढ़ आई होगी।
- **शासकों का नियंत्रण समाप्त होना:** यह भी संभव है कि शासकों का नियंत्रण कमजोर पड़ गया हो।
भले ही कारण कुछ भी रहे हों, लेकिन इन परिवर्तनों ने पूरी सभ्यता को प्रभावित किया। नए शहर बहुत बाद में विकसित हुए।
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर (Questions & Answers)
I. कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों में उत्तर दें।
-
हड़प्पा सभ्यता के नगरों का विकास लगभग कितने साल पहले हुआ था?
हड़प्पा सभ्यता के नगरों का विकास लगभग 4700 साल पहले हुआ था।
-
पुरातत्वविदों ने हड़प्पा के पश्चिमी भाग को क्या नाम दिया?
पुरातत्वविदों ने हड़प्पा के पश्चिमी भाग को दुर्ग नाम दिया।
-
मोहनजोदड़ो में मिली विशेष जलाशय को क्या कहते हैं?
मोहनजोदड़ो में मिली विशेष जलाशय को महान स्नानागार कहते हैं।
-
हड़प्पा की मुहरें आमतौर पर किस आकार की होती थीं?
हड़प्पा की मुहरें आमतौर पर आयताकार होती थीं।
-
भारत में किस स्थान से तांबा प्राप्त किया जाता था?
भारत में राजस्थान से तांबा प्राप्त किया जाता था।
II. खाली स्थान भरें।
- लगभग 150 साल पहले, **पंजाब** में रेलवे लाइनें बिछाते समय हड़प्पा स्थल मिले।
- हड़प्पा के नगरों में **ढकी हुई** नालियों की प्रभावशाली प्रणाली थी।
- कालीबंगा और लोथल जैसे कुछ नगरों में **अग्निकुंड** मिले हैं।
- मोहनजोदड़ो में लगभग **4600 साल पहले** कपास की खेती के संकेत मिले हैं।
- धोलावीरा नगर को **तीन** भागों में विभाजित किया गया था।
- लोथल गुजरात में **साबरमती** की एक सहायक नदी के किनारे स्थित था।
III. सही विकल्प चुनें।
-
हड़प्पा सभ्यता का पहला खोजा गया स्थल कौन सा था?
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- **हड़प्पा**
- कालीबंगा
सही उत्तर: हड़प्पा
-
हड़प्पा के नगरों में घरों की नालियाँ किससे जुड़ी होती थीं?
- कुएँ से
- तालाब से
- **सड़कों की नालियों से**
- नदी से
सही उत्तर: सड़कों की नालियों से
-
लोथल किस लिए प्रसिद्ध था?
- महान स्नानागार के लिए
- बड़े शिलालेखों के लिए
- **गोदीवाड़ा (Dockyard) के लिए**
- अग्निकुंड के लिए
सही उत्तर: गोदीवाड़ा (Dockyard) के लिए
IV. सही जोड़ी मिलाएं।
स्तंभ A | स्तंभ B (उत्तर) |
---|---|
हड़प्पा | रावी नदी के किनारे |
मोहनजोदड़ो | महान स्नानागार |
कालीबंगा | अग्निकुंड |
लोथल | गोदीवाड़ा |
धोलावीरा | तीन भागों में विभाजित नगर |
कपास | मोहनजोदड़ो से साक्ष्य |
सोना | कर्नाटक |
तांबा | राजस्थान, ओमान |
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